NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
जम्मू-कश्मीर: अधिकारियों ने जामिया मस्जिद में महत्वपूर्ण रमज़ान की नमाज़ को रोक दिया
प्रशासन का कहना है कि प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जामिया में इबादत गुजारों के लिए व्यवस्था की समीक्षा करने के बाद सामूहिक इबादत को रोकने का ये निर्णय लिया गया है।
अनीस ज़रगर
29 Apr 2022
jama masjid

श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर (जम्मू-कश्मीर) के अधिकारियों ने श्रीनगर शहर की जामिया मस्जिद में रमज़ान के अंतिम दिनों में सालाना होने वाली दो प्रमुख इस्लामी सामूहिक नमाज़ों पर रोक लगा दी है क्योंकि इस तरह की सभाओं पर प्रतिबंध जारी है।

इस मस्जिद का संचालन और देख रेख करने वाली समिति अंजुमन औकाफ जामिया मस्जिद ने कहा कि सरकार और एक मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को नौहट्टा इलाके में जामिया परिसर का दौरा किया। उन्होंने बाद में समिति को सूचित किया कि सामूहिक प्रार्थना की अनुमति नहीं दी जाएगी, एक ऐसा कदम जिसे समिति ने कहा कि वे "दृढ़ता से" इसकी निंदा करते हैं।

औकाफ के सदस्य ने कहा, "अधिकारियों ने रमज़ान के आखिरी शुक्रवार को जामिया मस्जिद में जुमातुल-विदा की सामूहिक नमाज़ की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है, साथ ही इस ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में शब ए क़द्र पर किसी भी नमाज़ या शब की अनुमति नहीं दी जाएगी।"

औकाफ ने एक दिन पहले गुरुवार की रात के लिए नमाज के लिए समय जारी किया था जब पूर्व में मुसलमान लैलातुल क़द्र या शब ए क़द्र की इबादत करेंगे। यह रात मुस्लिम समाज में इबादत के लिए सबसे महत्वपूर्ण रात है। केंद्र शासित प्रदेश के इबादतगुजार जामिया मस्जिद में रात की नमाज में शामिल होते हैं जो लगभग सुबह तक बेहद उत्साह से जारी रहता है। इबादत के एक हिस्से का नेतृत्व प्रमुख मौलवी मीरवाइज उमर फारूक करते रहे हैं, जो अगस्त 2019 से नजरबंद हैं।

रात की नमाज़ के बाद जुमातुल विदा की नमाज़ या रमज़ान में आख़िरी जुमे की नमाज़ के बाद होती है, जिस दौरान माना जाता है कि जामिया शहर में सालाना 1,00,000 से अधिक इबादत गुजार इकट्ठा होते हैं।

1402 में कश्मीर के मुस्लिम राजा सुल्तान सिकंदर द्वारा निर्मित जामिया तब से इस क्षेत्र के सामाजिक-राजनीतिक और धार्मिक पुनरुत्थान का केंद्र बना हुआ है। इन मामलों में इसकी प्रमुखता के कारण इसे कश्मीर में सिख शासन (1820-46) की शुरुआत के बाद से कार्रवाई का सामना करना पड़ा और दमनकारी डोगरा शासन (1846-1947) के दौरान जारी रहा।


ये मस्जिद भी पिछले पांच वर्षों में नमाज के लिए ज्यादातर बंद रही है, खासकर 2019 में अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त करने के बाद से। औकाफ के अनुसार, पिछले छह वर्षों में 150 से अधिक मौकों पर अधिकारियों द्वारा शुक्रवार की सामूहिक नमाज पर रोक लगा दी गई है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 30 सप्ताह के अंतराल के बाद हाल ही में मार्च में जुमे की नमाज की अनुमति दी।

प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा वहां इबादत गुजारों की व्यवस्था की समीक्षा करने के लिए जामिया का दौरा करने के बाद सामूहिक नमाज को रोकने का ये निर्णय प्रशासन द्वारा एक विज्ञप्ति में कहा गया। बयान के अनुसार, मुख्य सचिव डॉ अरुण कुमार मेहता ने दौरे के दौरान जामिया में एब्ल्युशन ब्लॉक का भी उद्घाटन किया।

इससे पहले अप्रैल में, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने रमजान में पहली सामूहिक नमाज के दौरान जामिया के अंदर कथित रूप से "राष्ट्र-विरोधी और भड़काऊ नारेबाजी" करने के आरोप में 13 लोगों को गिरफ्तार किया था।

नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने क्षेत्र में सामान्य स्थिति के सरकार के दावों के बीच इन प्रतिबंधों को "दुर्भाग्यपूर्ण" और विडंबनापूर्ण करार दिया। अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार अपने शब्दों से नहीं बल्कि अपनी कार्रवाई से साबित कर रही है कि कश्मीर में स्थिति सामान्य से बहुत दूर है।

उन्होंने कहा, "यह या तो कृत्रिम रूप से बनाई गई सामान्य स्थिति है या अधिकारी देश में भुनाने के लिए सामान्य स्थिति बनाने के लिए लोगों को वश में कर रहे हैं। सामान्य स्थिति केवल पर्यटन के साथ नहीं आती है; जामिया में लोगों को शब और जुमा के दौरान नमाज़ अदा करने की अनुमति नहीं देना एक असामान्य स्थिति का सबूत है।"

मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाली ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) ने इस निर्णय को "अपमानजनक" और धार्मिक प्रथा के मौलिक मानव अधिकार के खिलाफ बताया।

एपीएचसी ने कहा, "लोग, पहले की तरह, जुमातुल विदा को 'यौम ए कुद्स' और 'यौम ए कश्मीर' के रूप में मनाएंगे, ताकि कश्मीर संघर्ष और मानव जीवन के शांतिपूर्ण समाधान की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया जा सके।"

इस समूह ने बारामूला में डागर परिवार स्कूल के आदेश का जिक्र करते हुए आगे कहा कि मुसलमानों के खिलाफ इस तरह के आदेश और घाटी के स्कूलों में अधिकारियों द्वारा सर्कुलर जारी किए जा रहे हैं, जिसमें स्टाफ को हिजाब नहीं पहनने के लिए कहा गया है। इसने कहा कि यह ऐसी जगह जहां बहुसंख्यकों का धर्म इस्लाम है जो बुरी तरह "परेशान" है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के एमवाई तारिगामी ने इस आदेश को "बेहद निंदनीय" बताया और सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और लोगों को नमाज अदा करने की अनुमति देने का आग्रह किया।

पीपल्स अलायंस फॉर गुप्कर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) के प्रवक्ता ने कहा, "चूंकि यह लोगों के धार्मिक मामलों में सीधे हस्तक्षेप के जैसा है इसलिए यह कदम अस्वीकार्य और निंदनीय है।"

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

J&K: Authorities Block Important Ramzan Prayers at Jamia Masjid

Jammu and Kashmir
Kashmir
J&K Administration
Friday prayers
Jamia Masjid
Article 370
PAGD
NC
CPIM
omar abdullah

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान

कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 

यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा

आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद


बाकी खबरें

  • राजेंद्र शर्मा
    फ़ैज़, कबीर, मीरा, मुक्तिबोध, फ़िराक़ को कोर्स-निकाला!
    23 Apr 2022
    कटाक्ष: इन विरोधियों को तो मोदी राज बुलडोज़र चलाए, तो आपत्ति है। कोर्स से कवियों को हटाए तब भी आपत्ति। तेल का दाम बढ़ाए, तब भी आपत्ति। पुराने भारत के उद्योगों को बेच-बेचकर खाए तो भी आपत्ति है…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    लापरवाही की खुराकः बिहार में अलग-अलग जगह पर सैकड़ों बच्चे हुए बीमार
    23 Apr 2022
    बच्चों को दवा की खुराक देने में लापरवाही के चलते बीमार होने की खबरें बिहार के भागलपुर समेत अन्य जगहों से आई हैं जिसमें मुंगेर, बेगूसराय और सीवन शामिल हैं।
  • डेविड वोरहोल्ट
    विंबलडन: रूसी खिलाड़ियों पर प्रतिबंध ग़लत व्यक्तियों को युद्ध की सज़ा देने जैसा है! 
    23 Apr 2022
    विंबलडन ने घोषणा की है कि रूस और बेलारूस के खिलाड़ियों को इस साल खेल से बाहर रखा जाएगा। 
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    प्रशांत किशोर को लेकर मच रहा शोर और उसकी हक़ीक़त
    23 Apr 2022
    एक ऐसे वक्त जबकि देश संवैधानिक मूल्यों, बहुलवाद और अपने सेकुलर चरित्र की रक्षा के लिए जूझ रहा है तब कांग्रेस पार्टी को अपनी विरासत का स्मरण करते हुए देश की मूल तासीर को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए…
  • अनाघा पवित्रन
    एलएसआर के छात्रों द्वारा भाजपा प्रवक्ता का बहिष्कार लोकतंत्र की जीत है
    23 Apr 2022
    पासवान ने एक दलित नेता को दूसरे दलित नेता के जन्म-उत्सव पर बोलने की अनुमति नहीं देने के लिए छात्रों की निंदा की। छात्रों ने भी पलटवार किया कि उनकी पहचान एक दलित नेता के रूप में महत्त्वपूर्ण नहीं है,…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License