NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
राजनीति
जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!
कर्मचारियों को वेतन से वंचित करने के अलावा, जेएनयू प्रशासन 2020 से परिसर में कर्मचारियों की संख्या लगातार कम कर रहा है। इसके परिणामस्वरूप मौजूदा कर्मचारियों पर काम का भारी दबाव है। कर्मचारियों की मनमानी छटनी का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
मुकुंद झा
07 May 2022
JNU

देश के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में से एक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के मेस और सफाई कर्मियों की हड़ताल अपने चौथे दिन भी जारी है। ये कर्मचारी प्रशासन से अपनी बेहतरी के लिए कोई अन्य सुविधा नहीं बल्कि अपने तीन महीने के अर्जित वेतन की मांग कर रहे हैं। लेकिन प्रशासन कर्मचारियों का वेतन तो नहीं दे रहा बल्कि आंदोलन कर रहे कर्मचारियों को धमकी दे रहा है और उनके आंदोलन को सहयोग कर रहे लोगों पर ही अनुशासनात्मक कार्रवाई कर रहा है।

कल यानी शुक्रवार को हड़ताल के तीसरे दिन वर्तमान में मज़दूर नेता और पूर्व जेएनयूछात्र संघ की अध्यक्ष रही सुचेता डे को कैंपस में न घुसने का आदेश दिया गया और कैंपस में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया। अब बड़ा सवाल है कि ऐसा क्यों हुआ? इस पर बात बाद में करेंगे पहले पूरा मामला समझ लेते हैं—

क्या है पूरा मामला ?

जेएनयू प्रशासन ने 5 मई 2022 के एक आदेश में ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (ऐक्टू) की वर्तमान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुचेता डे के कैंपस में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया यानी उन्हें कैंपस से आउट ऑफ़ बाउंड कर दिया गया है। वह 2012 में वामपंथी छात्र संगठन ‘आइसा’ की तरफ से जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।

जेएनयू के मुख्य कुलानुशासक (प्रॉक्टर) रजनीश कुमार मिश्रा ने बृहस्पतिवार को जारी एक आदेश में कहा, “विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ सोशल साइंस की पूर्व छात्रा सुचेता डे की अवांछित गतिविधियों के मद्देजनर, विश्वविद्यालय की कुलपति ने विश्वविद्यालय के विधान के नियम 32 के तहत निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए आदेश दिया है...।’’

आदेश के अनुसार डे के परिसर में प्रवेश पर लगा प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। आदेश में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन (एआईसीसीटीयू) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डे को अगर कोई परिसर में शरण देता पाया गया तो उसके खिलाफ भी सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

शुक्रवार सुबह, जब वह परिसर में कर्मचारियों के चल रहे आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए कैंपस में प्रवेश कर रही थी, तब गार्ड ने इस आदेश का पालन करते हुए उन्हें कैंपस में प्रवेश करने से रोक दिया।

इस पर सुचेता ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि मुझे 'अवांछनीय गतिविधियों' के लिए रोका जा रहा है। मैं यूनियन की नेता हूँ, अगर जेएनयू के अंदर कर्मचारियों द्वारा आंदोलन किया जाता है, जिनका यूनियन ऐक्टू से संबद्ध है, तो मुझे कैसे रोका जा सकता है? मैं इस देश की आज़ाद नागरिक हूं, मुझे कहीं जाने से रोकने का प्रशासन को कोई हक नहीं है।”

डे ने आदेश को पूरी तरह “मनमाना” और देश में कहीं भी घूमने की उनकी स्वतंत्रता में कटौती करने वाला बताया।

आगे सुचेता ने कहा, “दूसरा, ऐसा आदेश देने के लिए मुझ पर क्या आरोप हैं? विश्वविद्यालय को स्पष्ट करना चाहिए कि अवांछनीय गतिविधियों से उनका क्या मतलब है। जबकि प्रशासन कर्मचारियों का भुगतान नहीं कर रहे हैं, जो अवांछनीय से कही अधिक है और यह एक आपराधिक कृत्य है।”

इसे भी पढ़े:  जेएनयू : इंसाफ़ के इंतज़ार में उर्मिला

आइसा और ऐक्टू दोनों वामपंथी दलों का भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन से संबद्ध हैं। इसलिए माले ने भी अपना एक बयान जारी कर इस आदेश को क्रूर और अवैध बताया है।

इसे भी देखें : JNU छात्रों ने मांगी सस्ती शिक्षा, मिली लाठियां

माले ने कहा कि जेएनयू प्रशासन का यह कदम न्याय के लिए मजदूरों के संघर्ष को तोड़ने की एक रणनीति है। एक ट्रेड यूनियन नेता के रूप में सुचेता डे जेएनयू प्रशासन-कंपनी गठजोड़ द्वारा श्रमिकों के अधिकारों के घोर उल्लंघन को उजागर करने में सक्रिय थीं। जेएनयू के संविदा कर्मियों को कई महीनों से बिना वेतन के काम कराया जा रहा है, जो वेतन भुगतान अधिनियम का घोर उल्लंघन है और यह परिसर में बंधुआ मज़दूरी लागू करने के समान है। ऐक्टू और मज़दूरों द्वारा बार-बार सूचना देने के बावजूद, जेएनयू प्रशासन ने कोई कार्रवाई करने से इनकार कर दिया।

सुचेता और ऐक्टू, मज़दूरों और अधिकारों के संघर्ष में मज़दूरों के साथ खड़े हैं। माना जा रहा है यही कारण है कि वो प्रशासन की आंख की किरकिरी बनी हुई थी इसलिए प्रशासन ने उन्हें ऑउट ऑफ़ बाउंड कर दिया है।

कर्मचारी क्यों कर रहे हैं विरोध?

सनद रहे 4 मई से जेएनयू के सफाई कर्मचारी ऐक्टू के बैनर तले धरने पर बैठे हैं और बकाया वेतन का भुगतान तत्काल करने की मांग कर रहे हैं। जेएनयू छात्र संघ भी मज़दूर आंदोलन के साथ एकजुटता में शामिल है। ये आंदोलन अखिल भारतीय जनरल कामगार यूनियन (एआईसीसीटीयू से संबद्ध) के नेतृत्व में चलाया जा रहा है। इसमें सभी ठेका कर्मचारी ही हैं।

कर्मचारियों को वेतन से वंचित करने के अलावा, जेएनयू प्रशासन 2020 से परिसर में कर्मचारियों की संख्या लगातार कम कर रहा है। इसके परिणामस्वरूप मौजूदा कर्मचारियों पर काम का भारी दबाव है। कर्मचारियों की मनमानी छटनी का सिलसिला बदस्तूर जारी है।

इसे भी पढ़े:  जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

कर्मचारियों ने बताया कि 2020 के पहले लॉकडाउन की घोषणा के बाद से श्रमिकों की संख्या में लगातार कमी आई है। पहले मेस में एक पाली में 10-12 कर्मचारी काम करते थे, अब वही काम 5-6 कर्मचारी ही करते हैं। वर्ष 2020 की शुरुआत में कचरा छँटाई के कार्य में 45 श्रमिक काम करते थे। अब 35-36 श्रमिकों पर भी उतनी ही राशि लागू की गई है। और अब, प्रशासन कार्यबल को कम करने और कर्मचारियों से अधिक काम कराने की योजना बना रहा है।

जेएनयू प्रशासन श्रमिकों के जीवन और आजीविका की कीमत पर कंपनियों के लाभ को बढ़ावा देने के पक्ष में है।

कर्मचारी मांग कर रहे हैं कि कम से कम दो माह का वेतन तत्काल जारी किया जाए। साथ ही वे कार्य दिवस में कटौती का भी विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा श्रमिकों को प्रत्येक माह की 7 तारीख के भीतर भुगतान करने का लिखित आश्वासन दिया जाना चाहिए और कर्मचारी समान काम के लिए समान वेतन को भी लागू कराना चाहते हैं। जेएनयू प्रशासन द्वारा सुझाए गई कार्य की नई संरचना उन्हें केवल तीन दिन का काम देती है।

हम अपना घर कैसे चलाएंगे : हड़ताली कर्मचारी

विभिन्न हाउस-कीपिंग एजेंसियों के माध्यम से विश्वविद्यालय में 18 वर्षों तक काम करने वाली गुड़िया देवी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि वेतन भुगतान में अनियमितता से कर्मचारियों को परेशानी हो रही है क्योंकि कई लोगों को अपना घर चलाने के लिए अत्यधिक दरों पर ऋण लेना पड़ा है।

वो आगे कहती है, “हम अपनी तनख्वाह पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। मुझे किराया देना है। हमें तीन महीने से भुगतान नहीं किया गया है और छह महीने के वेतन का मैंने कर्ज लिया है। कर्ज लेकर कब तक परिवार चला सकते हैं? जेएनयू का कोई अधिकारी हमसे बात करने को तैयार नहीं है। उन्होंने गार्डों से कहा है कि वे किसी (कर्मचारी) को भी अंदर न आने दें। एजेंसियां जानवरों की तरह काम करती हैं। अगर मामला सुलझ भी गया तो हमें एक महीने का ही वेतन मिलेगा।

एक अन्य कर्मचारी ऋषि ने कहा, "जेएनयू की नई कार्य योजना से पता चलता है कि कई छात्रावासों में केवल कुछ मेस और सफाई कर्मियों की आवश्यकता है। हालांकि, काम कम नहीं हुआ है। मेस और सफाई कर्मचारियों को अधिक घंटे काम करना होगा। उनका कहना है कि अभी तीन दिन के लिए ही काम देंगे। मेरे जैसे साधारण सफाई कर्मचारी इतने कम काम पर कैसे जिंदा रह सकते हैं, क्योंकि हमें महीने में केवल 12 दिन का ही भुगतान किया जाएगा?"

ऋषि ने कहा कि उन्होंने स्थायी कर्मचारियों से हड़ताल में शामिल होने का अनुरोध किया था, यह कहते हुए कि अधिकांश कर्मचारी कुसुमपुर पहाड़ी जैसी बस्तियों में अमानवीय परिस्थितियों में रहते हैं, और वेतन का भुगतान न होने से उनकी परिस्थिति और भी बत्तर हो रही है।

श्रमिकों को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली पूर्व सफाई कर्मचारी उर्मिला देवी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि हड़ताल इसलिए हो रही थी क्योंकि उन्हें अदालत के स्पष्ट आदेश के बावजूद भुगतान नहीं किया जा रहा था कि वेतन रोका नहीं जाना चाहिए और समान काम के लिए समान वेतन होना चाहिए।

कर्मचारियों के इन्हीं सवालों को लेकर जेएनयू के डीन ऑफ़ स्टूडेंट सुधीर प्रताप सिंह ने न्यूज़क्लिक द्वारा भेजे गए सवालों का जवाब नहीं दिया। प्रतिक्रिया मिलने पर इस ख़बर को अपडेट किया जाएगा।

JNU
AICCTU
Sanitation Workers’ Strike
JNU Mess Workers
Sucheta De
JNU admin
CPI(ML)

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान

मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन

दिल्ली : नौकरी से निकाले गए कोरोना योद्धाओं ने किया प्रदर्शन, सरकार से कहा अपने बरसाये फूल वापस ले और उनकी नौकरी वापस दे

दिल्ली: लेडी हार्डिंग अस्पताल के बाहर स्वास्थ्य कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी, छंटनी के ख़िलाफ़ निकाला कैंडल मार्च

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

JNU में खाने की नहीं सांस्कृतिक विविधता बचाने और जीने की आज़ादी की लड़ाई

दिल्ली: कोविड वॉरियर्स कर्मचारियों को लेडी हार्डिंग अस्पताल ने निकाला, विरोध किया तो पुलिस ने किया गिरफ़्तार


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली : नौकरी से निकाले गए कोरोना योद्धाओं ने किया प्रदर्शन, सरकार से कहा अपने बरसाये फूल वापस ले और उनकी नौकरी वापस दे
    28 Apr 2022
    महामारी के भयंकर प्रकोप के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर 100 दिन की 'कोविड ड्यूटी' पूरा करने वाले कर्मचारियों को 'पक्की नौकरी' की बात कही थी। आज के प्रदर्शन में मौजूद सभी कर्मचारियों…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज 3 हज़ार से भी ज्यादा नए मामले सामने आए 
    28 Apr 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,303 नए मामले सामने आए हैं | देश में एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 0.04 फ़ीसदी यानी 16 हज़ार 980 हो गयी है।
  • aaj hi baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    न्यायिक हस्तक्षेप से रुड़की में धर्म संसद रद्द और जिग्नेश मेवानी पर केस दर केस
    28 Apr 2022
    न्यायपालिका संविधान और लोकतंत्र के पक्ष में जरूरी हस्तक्षेप करे तो लोकतंत्र पर मंडराते गंभीर खतरों से देश और उसके संविधान को बचाना कठिन नही है. माननीय सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कथित धर्म-संसदो के…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान
    28 Apr 2022
    आजकल भारत की राजनीति में तीन ही विषय महत्वपूर्ण हैं, या कहें कि महत्वपूर्ण बना दिए गए हैं- जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र। रात-दिन इन्हीं की चर्चा है, प्राइम टाइम बहस है। इन तीनों पर ही मुकुल सरल ने…
  • तो इतना आसान था धर्म संसद को रोकना? : रुड़की से ग्राउंड रिपोर्ट
    सत्यम् तिवारी
    तो इतना आसान था धर्म संसद को रोकना? : रुड़की से ग्राउंड रिपोर्ट
    27 Apr 2022
    डाडा जलालपुर में महापंचायत/धर्म संसद नहीं हुई, एक तरफ़ वह हिन्दू हैं जो प्रशासन पर हिन्दू विरोधी होने का इल्ज़ाम लगा रहे हैं, दूसरी तरफ़ वह मुसलमान हैं जो सोचते हैं कि यह तेज़ी प्रशासन ने 10 दिन पहले…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License