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भारत
राजनीति
झारखण्ड : फादर स्टेन स्वामी की “राज्य प्रायोजित हत्या” के बाद प्रदेश भर में आक्रोश प्रदर्शन
प्रदेश की वामपंथी पार्टियों, सामाजिक जन संगठनों और कई आदिवासी संगठनों के सदस्यों ने फादर स्टेन की तस्वीर के आगे मोमबत्तियां जलाकर व मोदी सरकार का पुतला फूंककर प्रतिवाद व्यक्त किया।
अनिल अंशुमन
08 Jul 2021
झारखण्ड : फादर स्टेन स्वामी की “राज्य प्रायोजित हत्या” के बाद प्रदेश भर में आक्रोश प्रदर्शन

झारखण्ड में जन अधिकारों की बुलंद आवाज़ कहे जानेवाले फादर स्टेन स्वामी की मौत की खबर आते ही पूरे प्रदेश में गहरे दुःख के साथ-साथ तीखे आक्रोश प्रदर्शनों का सिसिला शुरू हो गया। चंद दिनों पूर्व भी उनकी गंभीर बीमार अवस्था का सवाल उठाकर अविलम्ब उनकी सही चिकित्सा कराने और कोरोना के भयावह होते संक्रमण को देखते हुए उनकी रिहाई की मांग को लेकर एआईपीएफ, वाम दल और कई सामाजिक व आदिवासी जनसंगठनों ने कोरोना लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया और ट्वीटर इत्यादि के माध्यम से राज्यव्यापी वर्चुअल अभियान चलाया था। 

5 जुलाई की शाम से ही प्रदेश की सभी वामपंथी पार्टियों, सामाजिक जन संगठनों और कई आदिवासी संगठनों के सदस्यगण फादर स्टेन की तस्वीरें लेकर मोदी सरकार विरोधी प्रतिवाद पोस्टर के साथ सड़कों पर आक्रोश प्रकट करने लगे। राजधानी रांची की ह्रदयस्थली अलबर्ट एक्का चौक पर जुटकर फादर स्टेन की तस्वीर के आगे मोमबत्तियां जलाकर मोदी सरकार का पुतला फूंका गया। वहीं आयोजित प्रतिवाद सभा के माध्यम से फादर स्टेन की मौत के लिए सीधे तौर पर मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया गया कि मोदी सरकार ने सुनियोजित साजिश रचकर एनआईए के जरिये उन्हें जेल में ही मार दिया। वक्ताओं ने यह भी कहा कि फादर स्टेन के साथ एनआईए के आक्रामक व्यवहार से इस अनहोनी की आशंका पहले से ही होने लगी थी। इसलिए कोरोना काल में भी महामारी प्रोटोकाल की धज्जियां उड़ाकर एनआईए की टीम ने 84 वर्षीय बीमार फादर स्टेन को जबरन मुंबई स्थित तलोजा जेल में क़ैद कर अपनी मंशा जाहिर कर दी थी।

इसके पहेले भी झारखण्ड राज्य गठन के बाद से ही राज्य की सत्ता में काबिज़ भाजपा के निशाने पर आ गए थे। क्योंकि सरकार द्वारा झारखण्ड प्रदेश के जल जंगल ज़मीन और खनिज की कॉर्पोरेट लूट का विरोध कर रहे आदिवासी समुदाय के लोगों का हो रहा दमन का वे मुखर विरोध कर रहे थे। कुपित होकर रघुवर दास शासन ने उनपर ‘राजद्रोह’ का मुकदमा कर दिया था।

5 जुलाई की शाम  गिरिडीह जिले के बगोदर समेत कई अन्य स्थानों पर भी फादर स्टेन की मौत के खिलाफ प्रतिवाद मार्च निकाल कर मोदी सरकार का पुतला जलाया गया।

6 जुलाई को रांची स्थित भाकपा माले प्रदेश मुख्यालय में राज्य के सभी वाम दलों तथा कई सामाजिक जन संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक में  फादर स्टेन को श्रद्धांजी देते हुए आम सहमती से तय किया गया कि फादर स्टेन की मौत के जिम्मेदार सभी दोषियों को सज़ा दिलाने के लिए पूरे प्रदेश में व्यापक स्तर पर जनान्दोलन खड़ा किया जाएगा। बैठक में उन्हें दो मिनट की मौन श्रद्धांजली देते हुए सबों ने एक स्वर से उनकी मौत को न्यायिक ह्त्या बताते हुए तय किया कि इसके खिलाफ 15 जुलाई को राजभवन मार्च से आन्दोलन के रूप रेखा की घोषणा की जायेगी। उक्त बैठक में माले राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद व केन्द्रीय कमिटी सदस्य शुभेंदु सेन, सीपीएम के राज्य नेता प्रकाश विप्लव। सीपीआइ के सदस्य एडवोकेट एके राशिदी व अजय सिंह, मासस के सुशांतो मुखर्जी, एसयूसीआई के सुमित राय और एआईपीऍफ़ के नदीम खान के अलावे आन्दोलनकारी दयामनी बारला, राजद के राजेश यादव तथा आदिवासी बुद्धिजीवी प्रेमचंद मुर्मू समेत कई अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी निभाई। माले सचिव ने बताया है कि प्रदेश के सत्ताधारी दल झामुमो से भी इसमें सक्रीय होने का प्रस्ताव दिया गया है।

6 जुलाई को ही अलबर्ट एक्का चौक पर झारखण्ड क्रिश्चियन यूथ एसोसिएशन और केन्द्रीय सरना समिति के सैकड़ों युवा-छात्राओं ने फ़ादर की स्मृति में मोमबत्ती जलाकर उनकी मौत के लिए भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए इन्साफ की मांग की। 

कई आदिवासी क्षेत्रों में भी फादर स्टेन की मौत से दुखी और आक्रोशित आदिवासी समाज के लोगों द्वारा फादर स्टेन की स्मृति में श्रद्धांजली और प्रतिवाद कार्यक्रम होने की सूचनाएं लगातार आ रहीं हैं। बुंडू में आदिवासियों ने पोस्टर प्रतिवाद के माध्यम से कहा है कि आदिवासी अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने के कारण ही उनकी राज्य प्रायोजित हत्या कर दी गयी है।

फादर स्टेन की मौत के खिलाफ भाकपा माले द्वारा आयोजित राष्ट्रव्यापी विरोध और काला दिवस अभियान का नेतृत्व करते हुए माले विधायक विनोद सिंह ने 6 जुलाई को बगोदर में फादर स्टेन हत्या विरोधी प्रतिवाद मार्च निकालकर नुक्कड़ सभा की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि फादर की मौत कोई सामान्य घटना नहीं है बल्कि हिरासत में ये कस्टडी मौत है जिसके लिए सीधे तौर पर केंद्र की सरकार जवाबदेह है और वह इससे नहीं बच सकती है।  

इस बात की भी काफी चर्चा है कि फादर स्टेन की मौत के एक दिन पहले तक जो प्रदेश भाजपा अपने केन्द्रीय आदिवासी मंत्री और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी समेत तमाम आदिवासी नेता कार्यकर्ताओं को हेमंत सोरेन सरकार को झारखण्ड के आदिवासियों का दुश्मन घोषित कर सियासी अखाड़े में उतारे हुए थी , झारखण्ड के आदिवासी अधिकारों की आवाज़ फादर स्टेन की मौत पर मौन साधे हुए है। केन्द्रीय आदिवासी मंत्री से लेकर बाबूलाल मरांडी तक ने भी कोई शोक बयान नहीं जारी किया है।

पूरे प्रदेश में जेसुइट समाज की और से भी फादर स्टेन स्वामी को श्रद्धांजली देने का सिलसिला जारी है। झामुमो और कांग्रेस समेत प्रदेश के सभी गैर-भाजपा राजनितिक दलों के नेताओं के भी शोक बयान लगातार आ रहें हैं। झारखण्ड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व हेमंत सोरेन सरकार के मंत्री रामेश्वर उराँव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने तथा झामुमो के वरिष्ठ नेता व विधायक स्टीफेन मरांडी ने शोक बयान जारी कर कहा है कि फादर स्टेन की मृत्यु दर्शाती है कि केंद्र की सरकार किस तरीके से मानवाधिकारों का खुलेआम उल्लंघन कर रही है। 

जानकारों के मुताबिक हाल के समय में ऐसा पहली बार हुआ है जब कानून, संविधान और आदिवासी हितैषी होने का दंभ भरनेवाली भाजपा और उसके सभी आला नेताओं की बोलती फादर स्टेन स्वामी मौत प्रकरण पर पूरी तरह से बंद दिख रही है।  

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