NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
झारखंड : पूर्वजों ने ज़मीनें दीं उद्योग विकास के लिए, उनके विस्थापित प्रशिक्षित बच्चे भटक रहें हैं काम के लिए 
बोकारो स्टील सिटी प्रबंधन द्वारा नियोजन के वायदे से मुकरने के खिलाफ विस्थापित युवाओं का आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
अनिल अंशुमन
25 Oct 2021
BSL

“हमारे पूर्वजों की उपजाऊ ज़मीनों का बोकारो स्टील सिटी प्लांट निर्माण के नाम पर अधिग्रहण कर लिया गया। वादा था कि सभी विस्थापित परिवारों के युवाओं को यहाँ काम दिया जाएगा। लेकिन प्रबंधन आज अपने वायदे से मुकर रहा है। अपनी रैयती ज़मीनों पर आलीशान प्लांट खड़ा कराने वाले विस्थापित भूखे मर रहें हैं और नियोजन के नाम पर दूसरे राज्य के लोगों को यहां काम दिया जा रहा है। इसे बर्दास्त नहीं किया जाएगा, पहले विस्थापितों का नियोजन हो उसके बाद किसी और को काम मिले वर्ना आर पार की लड़ाई होगी” 

यह कहना है उन सैकड़ों स्थानीय प्रशिक्षित एपेरेंटिस युवाओं का जो पिछले कई दिनों से बोकारो स्टील सिटी सेल मुख्यालय के सामने धरना-जाम प्रदर्शन कर रहें हैं।

24 अक्टूबर को ‘विस्थापित एप्रेंटिस संघ के बैनर तले अनिशिचित कालीन धरना के पांचवे दिन भी बोकारो स्थित बोकारो स्टील लिमिटेड के समक्ष सड़क जाम कर धरना प्रदर्शन किया गया। आन्दोलनकारियों का कहना है “1500 विस्थापित युवाओं को खुद बीएसएल ने नौकरी देने के वायदे के साथ अप्रेंटिस का प्लांट ट्रेनिंग का कोर्स करवाया। जिसका सर्टिफिकेट आने तक 1200 युवाओं की उम्र सीमा ही ख़त्म हो जायेगी और वे सभी रोज़गार से वंचित हो जायेंगे। क्योंकि बीएसएल प्रबंधन ने पूर्व में विस्थापित युवाओं को विशेष छूट देते हुए नौकरी की उम्र सीमा 45 वर्ष रखी थी और अब उसे मनमाने तरीके से घटा कर 28 वर्ष कर दिया है, जो सरासर धोखा है। इतना ही नहीं 25 अक्टूबर को होने वाली भर्ती काउंसिलिंग को भी बिना कारण बताये रोक दिया गया है।”

दूसरी ओर, 22 अक्टूबर को सेल प्रबंधन ने सभी स्थानीय प्रशिक्षित युवाओं को दरकिनार कर दूसरे राज्यों के युवाओं को भर्ती हेतु परीक्षा-इंटरव्यू के लिए बुला लिया था। जिससे आक्रोशित विस्थापित बेरोजगारों ने परीक्षा केंद्र के बाहर जाम लगाकर बाहर से आये अभ्यर्थियों को वहाँ घुसने ही नहीं दिया। मौके पर तैनात पुलिस कर्मियों के साथ धक्का मुक्की भी की। जाम हटाने के लिए स्थानीय प्रशासन के समझाने बुझाने पर आन्दोलनकारी विस्थापित युवाओं ने कहा कि जब तक प्रबंधन की ओर से हमारे नियोजन का लिखित आश्वासन नहीं दिया जाएगा, हमारा आन्दोलन जारी रहेगा। बाद में प्रबंधन से वार्ता कराने के आश्वासन पर जाम हटा। लेकिन वार्ता में सेल प्रबंधन ने दो टूक लहजे में यह कहकर कि उनकी मांगें ठुकरा दीं कि पावर उनके हाथ में नहीं है और वे कुछ नहीं कर सकते हैं। इसके बाद आंदोलनकारी अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए।

ये भी पढ़ें: बार-बार विस्थापन से मानसिक, भावनात्मक व शारीरिक रूप से टूट रहे आदिवासी

गौरतलब है कि ये सारे विस्थापित प्रशिक्षित युवा किसी भी स्थापित बड़े ट्रेड यूनियन से अलग स्वतंत्र बैनर ‘विस्थापित अप्रेटीन्स से अपना आन्दोलन चला रहें हैं। जो बीएसएल निर्माण के लिए अपनी ज़मीनें देने वाले स्थानीय विस्थापित परिवारों से हैं। जिन्हें बीएसएल स्थापना के 60 वर्ष बीत जाने के बाद भी ज़मीन अधिग्रहण के समय किये गए लिखित करार के तहत आज भी नौकरी, मुआवजा और पुनर्वास नहीं मिल सका है। इसके लिए पिछले कई वर्षों से लगातार किसी न किसी रूप से आवाज़ उठायी जाती रही है। इतना ही नहीं हर चुनाव में उनकी मांगों को अपना चुनावी एजेंडा बनाने वाले राजनितिक दल और उनके प्रत्याशियों ने आज तक वोट लेकर उन्हें ठगने का ही काम किया है। इसका भी उनमें काफी आक्रोश है और इसीलिए आज वे अपने आन्दोलन में किसी भी राजनितिक दल और ट्रेस्थापित ट्रेड यूनियन नेताओं के भी आने पर रोक लगा रखा है।

इस मामले में बीएसएल-सेल में सक्रीय ट्रेड यूनियन ‘सेंटर ऑफ़ स्टील वर्कर्स’ (सम्बद्ध एक्टू ) के मजदूर नेता जे एन सिंह का कहना है कि आन्दोलनकारी विस्थापित युवाओं का आक्रोश बिलकुल जायज़ है। एक ओर, बीएसएल-सेल प्रबंधन लगातार विस्थापितों को छलने का काम कर रहा है, वहीं भाजपा समेत सभी सत्ताधारी दलों-नेताओं और उनकी ट्रेड यूनियनों द्वारा सिर्फ उनसे अपन मतलब साधा जाता रहा है। इसीलिए उन्होंने अपने आन्दोलन को सबसे दूर रखा हुआ है। उनकी सभी मांगे जायज़ हैं जिसे लेकर बीएसएल प्रबंधन लगातार घोर उपेक्षा का व्यवहार कर खुलेआम धोखा दे रहा है।

इसपर प्रबंधन का यह कहना है कि ऊपर से आदेश नहीं हैं और हमारे पास पावर नहीं है, ये सरासर झूठ और दुर्भाग्यपूर्ण है। क्योंकि पिछले कई वर्षों से इस उद्योग संस्थान में प्रबंधन द्वारा ही स्थायी नियुक्तियों पर रोक लगाकर प्लांट के सारे काम ठेका और आउटसोर्सिंग के जरिये कराया जा रहा है। जब से केंद्र में बैठी मौजूदा सरकार ने सभी सरकारी उपक्रमों को निजी कंपनियों के हवाले करने का फैसला लिया है तब से स्थायी नियोजन का मामला ही बेमानी हो गया है। 

60 हज़ार से भी अधिक मजदूर कर्मचारी वाले इस औद्योगिक संस्थान में आज बमुश्किल से मात्र 8 हज़ार स्थायी मजदूर कर्मचारी रह गए हैं। सारे काम निजी कंपनियों के अप्रशिक्षित कामगारों से कराये जा रहें हैं, जिससे प्रोडक्शन तो घटा ही है, आये दिन दुर्घटनाएँ भी बढीं हैं। यहाँ तक कि कोर्ट के निर्देश का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन कर प्रोडक्शन के सबसे संवेनशील काम में भी अप्रशिक्षित ठेका मजदूरों से कराया जा रहा। वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किये गए मजदूर और उद्योग विरोधी नीतियों से ज़ल्द ही देश के बीएसएल-सेल जैसे बड़े सरकारी उद्योग संस्थान अब बंद होने की कगार पर ही पहुँचाये जा रहे हैं।

ये एक कड़वी विडंबना ही है कि राष्ट्र के उद्योग निर्माण के लिए अपनी पुरखों की उपजाऊ ज़मीनें देने वाले विस्थापित किसान व आदिवासियों को कैसे पीढ़ी दर पीढ़ी विस्थापन का घातक दंश झेलना पड़ रहा है, इसके अनेकों उदाहरण पूरे झारखण्ड में आज कहीं भी देखने को मिल जाएँगे। जो आज खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहें हैं क्योंकि उनकी ज़मींनों के अधिग्रहण के समय सरकार व प्रबंधन द्वारा सभी विस्थापितों को उचित मुआवजा, पुनर्वास और नियोजन देने वायदा आज भी पूरा नहीं किया जा सका है।

मौजूदा सरकार की निजीकरण करने की नीतियों के कारण आज किसी भी सरकारी उद्योग संस्थान में स्थायी नौकरी तो दूर ठेका मजदूर का भी काम मिलना सपने जैसा बन गया है। क्योंकि कोई भी आउटसोर्सिंग कम्पनियाँ स्थानीय लोगों की बजाय औनी-पौनी मजदूरी पर बाहर से लाये मजदूरों से ही काम करातीं हैं। जिससे प्रायः हर जगह पर ‘लोकल- बाहरी’ का टकराव एक सामान्य घटना बन चुकी है।

यही वजह है कि आज बोकारो स्टील लिमिटेड-सेल में भी ‘आउट सोर्सिंग’ के नाम पर दूसरी जगहों के लोगों को ही काम दिए जाने का सिलसिला लागू किया जा रहा है तो स्थानीय विस्थापितों का आक्रोश सड़कों पर प्रदर्शित हो रहा है। जिसका शिकार उन्हीं कि तरह बाहर से आये हुए बेरोजगार युवाओं को होना पड़ रहा है। फिलहाल बीएसएल-सेल के विस्थापित बेरोजगारों का संघर्ष जारी है। 

ये भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ : “विकास के नाम पर पुनर्वास बिना दोबारा विस्थापन स्वीकार नहीं”

Jharkhand
BSL
Bokaro Steel City
Bokaro Steel Plant
Displaced youth
Protest

Related Stories

मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन

न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

दिल्लीः एलएचएमसी अस्पताल पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया का ‘कोविड योद्धाओं’ ने किया विरोध

बिजली संकट को लेकर आंदोलनों का दौर शुरू

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

नफ़रत देश, संविधान सब ख़त्म कर देगी- बोला नागरिक समाज

दिल्ली: लेडी हार्डिंग अस्पताल के बाहर स्वास्थ्य कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी, छंटनी के ख़िलाफ़ निकाला कैंडल मार्च

यूपी: खुलेआम बलात्कार की धमकी देने वाला महंत, आख़िर अब तक गिरफ़्तार क्यों नहीं

हिमाचल: प्राइवेट स्कूलों में फ़ीस वृद्धि के विरुद्ध अभिभावकों का ज़ोरदार प्रदर्शन, मिला आश्वासन 


बाकी खबरें

  • CARTOON
    आज का कार्टून
    प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?
    27 Apr 2022
    मुख्यमंत्रियों संग संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर टैक्स कम करने की बात कही।
  • JAHANGEERPURI
    नाज़मा ख़ान
    जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी
    27 Apr 2022
    अकबरी को देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं था न ही ये विश्वास कि सब ठीक हो जाएगा और न ही ये कि मैं उनको मुआवज़ा दिलाने की हैसियत रखती हूं। मुझे उनकी डबडबाई आँखों से नज़र चुरा कर चले जाना था।
  • बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    27 Apr 2022
    वाहनों में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देने के उद्देश्य से निर्भया सेफ्टी मॉडल तैयार किया गया है। इस ख़ास मॉडल से सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी।
  • श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    प्रभात पटनायक
    श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    27 Apr 2022
    श्रीलंका के संकट की सारी की सारी व्याख्याओं की समस्या यह है कि उनमें, श्रीलंका के संकट को भड़काने में नवउदारवाद की भूमिका को पूरी तरह से अनदेखा ही कर दिया जाता है।
  • israel
    एम के भद्रकुमार
    अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात
    27 Apr 2022
    रविवार को इज़राइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडेन की फोन पर हुई बातचीत के गहरे मायने हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License