NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड :  संकट की घड़ी में  भाजपा सांसदों और विधायकों की उपवास राजनीति !
महामारी संक्रमण से बचाव के लिए उचित संसाधनों कि सहायता नहीं मिलने से फिलहाल पूरे झारखंड में केवल 4 लैब ही हैं । जहां औसतन 223 जांच ही हो पाती हैं और कई जिलों में तो अभी तक कोई विशेष व्यवस्था नहीं हो सकी है। ऐसे हालात में झारखंड की सरकार का साथ देने के बजाय केंद्र की सत्तारूढ़ और झारखंड में कुछ समय पहले ही विपक्ष में आई बीजेपी उपवास की राजनीति कर रही है।
अनिल अंशुमन
24 Apr 2020
झारखंड
Image courtesy: Social Media

बक़ौल प्रधानमंत्री इन दिनों सारा देश एकजुट होकर कोविड–19 महामारी के संक्रमण से लड़ रहा है। केंद्र सरकार द्वारा घोषित कार्यक्रमों व उसके ही दिशा-निर्देशों के अनुरूप सभी राज्य सरकारें पूरी मुस्तैदी से लगी हुईं हैं। यह बात खुद प्रधानमंत्री व गृह मंत्री कह रहे हैं। इस दौरान किसी भी कमी कमजोरी को लेकर सरकार और उसके नेतागण विपक्ष से राजनीति नहीं करने की विशेष नसीहत भी लगातार दे रहें हैं ।

22 अप्रैल को झारखंड भाजपा के सभी सांसद–विधायकों ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ एक दिवसीय उपवास कार्यक्रम करके खुद के ही पार्टी आलाकमान नेताओं की नसीहत की उपेक्षा कर डाली। साथ ही मीडिया के जरिये महामारी से निपटने में के मामले में राज्य सरकार पर शिथिल होने का आरोप भी लगा दिया। यह जानते हुए भी कि अभी के समय में हर काम काज का संचालन सीधा संचालन केंद्र सरकार के हाथ में है। राज्य सरकार के खिलाफ विरोध की सियासत कर ही डाली ।  
 
उपवास करनेवाले उक्त भाजपा नेताओं के अनुसार उनका यह कार्यक्रम लॉकडाउन में देश के विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों–छात्रों की झारखंड सरकार द्वारा कोई सुध नहीं लेने के विरोध में किया गया। लेकिन जानकारों के अनुसार यह सिर्फ ऊपरी दिखावे का एजेंडा है और असल विरोध फोकस मुद्दा है हेमंत सरकार द्वारा एक संप्रदाय विशेष के साथ तुष्टिकरण किए जाने के मामला।
 
उपवास पर बैठे पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के साथ साथ सभी भाजपा नेताओं ने एकस्वर से हेमंत सरकार को महामारी से निपटने में पूरी तरह विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह मोदी जी द्वारा केंद्र कि ओर से दिये गए फंड को जानबूझकर नहीं खर्च कर रहें हैं।

foto c.jpg

जवाब में सत्ताधारी महागठबंधन के नेताओं ने भी एकस्वर से इसे उपवास को नौटंकी करार देते हुए कहा है कि जो लोग ( भाजपा एमपी ) कानून (लॉकडाउन) तोड़े वो ही दिल्ली से झारखंड आकर उपवास करे ! झामुमो–कॉंग्रेस प्रवक्ताओं ने तो लॉकडाउन तोड़कर दिल्ली से झारखंड पहुँचने वाले दोनों भाजपा सांसदों पर प्रधानमंत्री के निर्देशों का खुला उल्लंघन करने के लिए गृहमंत्री से अविलंब कानूनी कार्रवाई करने की मांग भी की है। सम्पन्न हुए विधान सभा चुनाव में भाजपा छोड़कर तत्कालीन मुख्य मंत्री को हरानेवाले व पार्टी के कद्दावर नेता रहे विधायक सरयू राय ने तो टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह उपवास नौटंकी काले अध्याय के रूप में लिखी जाएगी। क्योंकि संभवतः झारखंड ही ऐसा एकमात्र प्रदेश होगा जहां के भाजपा सांसद और विधायक केंद्र के फैसलों और नीतियों के खिलाफ  उपवास कर रहें हैं।

जबकि उन्हें तो इस समय झारखंड की उपेक्षा के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि लॉकडाउन में जब वे अपने विधान सभा क्षेत्र में जाने की अनुमति सरकार से मांगी तो उन्हें पता चला कि केंद्र सरकार द्वारा कोई दिशा–निर्देश के बारे में क्षेत्र में कोई जानकारी नहीं है। इस करण आज वे अपने ही क्षेत्र के लोगों के बीच इस संकट के समय भी नहीं जा पा रहें हैं। वहीं सत्ताधारी दल के नेता जब चाहें कहीं भी आ जा रहें हैं।
 
 राज्य सरकार पर संप्रदाय विशेष के साथ तुष्टीकरण आरोप के जवाब में गठबंधन नेताओं ने कहा है महामारी की संकटपूर्ण स्थिति में भी भाजपा अपनी नफरत और अफवाह की राजनीति का खेल नहीं छोड़ रही है । जब इस खेल को हेमंत सरकार द्वारा नहीं चलने दे रही है तो भन्नाकर तुष्टिकरण का घिसा पिटा आरोप लगाया जा रहा है।

राज्य के सभी वामपंथी दलों ने भी लगभग इसी अंदाज़ में तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मुख्य विपक्षी दल भाजपा और उसके नेताओं की भूमिका गैरजिम्मेदाराना दीख रही है। इनके संसद लॉकडाउन तोड़कर आते हैं और बिना जांच कराये और क्वेरेनटाइन हुए अफसरों से मिलकर अपनी सत्ता की शान बघारते हैं।

राज्य सरकार के मंत्रियों ने भी प्रदेश भाजपा के उपवास कार्यक्रम के  विरोध में जवाब दिया है कि प्रधानमंत्री के आह्वान पर दिशा निर्देश, प्रोटोकॉल और फैसलों का सरकार अक्षरश: पालन कर रही है। वहीं प्रदेश भाजपा के नेता और सांसद लॉकडाउन तक तोड़ रहें है। गोड्डा के भाजपा सांसद ने तो WHO के ही निर्देशों का खुला उल्लंघन कर सोशल मीडिया में कोरोना पॉज़िटिव मरीज के संप्रदाय विशेष के होने कारण उनकी पहचान को उजागर करना शुरू कर दिया।

झारखंड की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए सरकार कि ओर से यह भी कहा गया है कि भाजपा का जो दावा है कि केंद्र सरकार ने 2700 करोड़ की मदद की है वो कोरोना संकट से निपटने के मद का नहीं है। बल्कि पूर्व से चल रही केंद्र सरकार की उज्वला गैस योजना और प्रधानमंत्री किसान योजना जैसे मद के पैसे हैं।

रघुवर शासन द्वारा राज्य का खजाना खाली कर दिये जाने के खिलाफ ही हेमंत सोरेन जी को आर्थिक श्वेत पत्र जारी करना पड़ा है । कोरोना से लड़ाई में होनेवाले खर्चे के लिए ही अभी तक इस प्रदेश के हिस्से का जीएसटी बकाया भुगतान और केंद्र के सार्वजनिक उपक्रमों पर झारखंड के 50 हज़ार करोड़ के बकाए जैसे भुगतान आज तक नहीं हुआ है। वहीं कोरोना संक्रमण उपचार के लिए ज़रूरी मांगे गए 70 हज़ार किट व अन्य मेडिकल समानों कि आपूर्ति बार बार मांगे जाने के बावजूद अभी तक नहीं मिली ह ।

उक्त संदर्भ में खबर है कि महामारी संक्रमण से बचाव के लिए उचित संसाधनों कि सहायता नहीं मिलने से फिलहाल पूरे झारखंड में केवल 4 लैब ही हैं । जहां औसतन 223 जांच ही हो पाते हैं और कई जिलों में तो अभी तक कोई विशेष व्यवस्था नहीं हो सकी है। झारखंड द्वारा मांगे गए 51700 VTM किट में अभी तक सिर्फ 17100 किट ही मिले हैं जिसमें 6750 का इस्तेमाल किया जा चुका है।  

भाजपा उपवास प्रकरण को लेकर झारखंड के नागरिक समाज के साथ-साथ सोशल मीडिया में काफी प्रतिक्रिया भरे सवाल उठ रहें हैं जिनमें कहा जा रहा है कि संकट की इस घड़ी में भी इन्हें अपनी राजनीति की पड़ी है।  झारखंड के मजदूरों औरछात्रों की हालत से चिंतित होकर उपवास कर किया है तो एक उपकार इतना कीजिये कि उनके लिए अपने विशाल घरों को क्वोरेनटाइन सेंटर में बदल दीजिये।

 विपक्ष द्वारा सरकार की आलोचना और विरोध करना स्वस्थ लोकतन्त्र की निशानी समझी जाती है। लेकिन इसकी आड़ में यदि कोई निहित क्षुद्र स्वार्थ साधा जाएगा तो फिर उस जनता का क्या होगा जिसके नाम पर विपक्ष की राजनीति हो रही है।

आंकड़े ही बता रहें हैं कि झारखंड प्रदेश की बार-बार मांग के बावजूद केंद्र कि ओर से अभी तक कोरोना से मुक़ाबले के लिए समुचित मेडिकल साजो –समान और विशेष आर्थिक सहयोग नहीं मिल रहा है। जबकि धीरे धीरे महामारी संक्रमित मरीजों की संख्या और क्षेत्र दायरा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अपनी पार्टी की केंद्र सरकार होने के बावजूद राज्य में विपक्षी बनी पार्टी व उसके नेताओं का क्या यह नैतिक मानवीय दायित्व नहीं बनता है कि पहले वे राज्य की जनता की जान की हिफाज़त की सोचें और करें  .... !    

Jharkhand
Corona Crisis
Lockdown crisis
BJP
BJP MPs and MLAs drama
Communalism
Political Drama
Religion Politics
Narendra modi
Hemant Soren
Left politics

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • MGNREGA
    सरोजिनी बिष्ट
    ग्राउंड रिपोर्ट: जल के अभाव में खुद प्यासे दिखे- ‘आदर्श तालाब’
    27 Apr 2022
    मनरेगा में बनाये गए तलाबों की स्थिति का जायजा लेने के लिए जब हम लखनऊ से सटे कुछ गाँवों में पहुँचे तो ‘आदर्श’ के नाम पर तालाबों की स्थिति कुछ और ही बयाँ कर रही थी।
  • kashmir
    सुहैल भट्ट
    कश्मीर में ज़मीनी स्तर पर राजनीतिक कार्यकर्ता सुरक्षा और मानदेय के लिए संघर्ष कर रहे हैं
    27 Apr 2022
    सरपंचों का आरोप है कि उग्रवादी हमलों ने पंचायती सिस्टम को अपंग कर दिया है क्योंकि वे ग्राम सभाएं करने में लाचार हो गए हैं, जो कि जमीनी स्तर पर लोगों की लोकतंत्र में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए…
  • THUMBNAIL
    विजय विनीत
    बीएचयू: अंबेडकर जयंती मनाने वाले छात्रों पर लगातार हमले, लेकिन पुलिस और कुलपति ख़ामोश!
    27 Apr 2022
    "जाति-पात तोड़ने का नारा दे रहे जनवादी प्रगतिशील छात्रों पर मनुवादियों का हमला इस बात की पुष्टि कर रहा है कि समाज को विशेष ध्यान देने और मज़बूती के साथ लामबंद होने की ज़रूरत है।"
  • सातवें साल भी लगातार बढ़ा वैश्विक सैन्य ख़र्च: SIPRI रिपोर्ट
    पीपल्स डिस्पैच
    सातवें साल भी लगातार बढ़ा वैश्विक सैन्य ख़र्च: SIPRI रिपोर्ट
    27 Apr 2022
    रक्षा पर सबसे ज़्यादा ख़र्च करने वाले 10 देशों में से 4 नाटो के सदस्य हैं। 2021 में उन्होंने कुल वैश्विक खर्च का लगभग आधा हिस्सा खर्च किया।
  • picture
    ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
    डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अर्जेंटीना ने लिया 45 अरब डॉलर का कर्ज
    27 Apr 2022
    अर्जेंटीना की सरकार ने अपने देश की डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के साथ 45 अरब डॉलर की डील पर समझौता किया। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License