NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार
एक ओर, राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर मुहर नहीं लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं।
अनिल अंशुमन
18 May 2022
hemant soren
File photo- The Telegraph

ऐसा प्रतीत हो रहा है कि झारखण्ड प्रदेश में सत्ता सियासत की ‘शाह और मात’ का खेल अभी और बढ़ेगा. एक ओर, राज्यपाल महोदय हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर अपनी स्वीकृति की मुहर नहीं लगाकर, राजभवन की भूमिका को सियासी चर्चाओं में लगातार बनाए हुए हैं। वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार द्वारा पिछली भाजपा सरकार और रघुवर दास शासन काल में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश को भी पलटवार बताया जा रहा है। 

18 मई को प्रदेश की सियासी चर्चाओं में दो मामले एक साथ आये, जिसमें से एक है, महामहिम राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के विधान सभा से पारित ‘कृषि सम्बन्धी विधेयक’ को तथाकथित तकनीकी त्रुटि व कुछ बिन्दुओं के अस्पष्ट रहने का सवाल उठाते हुए उसे अस्वीकृत कर राज्य सरकार को वापस लौटा देना। जो बिलकुल उसी तर्ज़ पर हुआ जैसे पिछले दिनों ‘भीड़ हिंसा एवं मॉब लिंचिंग विरोधी विधेयक’ को राज्यपाल ने बिना दस्तखत किये राज्य सरकार को वापस लौटा दिया था। जिसे वापस करने की मांग को लेकर प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेतागण राज्यपाल से मिलने राजभवन गए थे।

इस बार ‘कृषि सम्बन्धी विधेयक’ लाकर झारखंड के किसानों की आय दोगुनी करने और उनकी फसलों के सही दाम दिलाने को सुनिश्चित करने हेतु विधान सभा से पारित कराकर राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेजा गया था। जिसका झारखंड चैंबर ऑफ़ कॉमर्स समेत कई व्यावसायिक संगठन लगातार विरोध कर रहे थे। उक्त संगठनों ने विशेष प्रतिनिधि मंडल भेजकर राज्यपाल से प्रस्तावित विधेयक को अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया था। कहा जा रहा है कि राज्यपाल महोदय ने उसे मान लिया. 

दूसरा सरगर्म मामला- 18 मई को ही हेमंत सोरेन सरकार के ताज़ा फैसले के तहत ‘झारखण्ड विधान सभा और हाई कोर्ट के नवनिर्मित भवन निर्माण कार्य में हुई अनियमिता और घोटालों की न्यायिक जाँच’ की घोषणा। यह मामला पिछली भाजपा सरकार के रघुवर दास शासन कल में काफी विवाद का विषय बना था। जिसे लेकर नेता प्रतिपक्ष के तौर पर खुद हेमंत सोरेन ने तत्कालीन सरकार को घेरते हुए जांच की मांग की थी। जिसे रघुवर दास सरकार ने खारिज भी कर दिया था। 

राज्य की गोदी मीडिया हेमंत सोरेन सरकार के इस फैसले को, हमलावर बनी भाजपा के खिलाफ पलटवार की संज्ञा दे रही है, जो सही नहीं है। यह कहकर कि हेमंत सोरेन अपनी सरकार को बचाने के लिए ही यह सब कर रहें हैं, पिछली भाजपा सरकार व उसके मुखिया रघुवर दास शासन काल में हुए जन विरोधी कार्यों और सरकार संरक्षित सर्वव्यापी लूट-भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे राज्य में हुए व्यापक जन आंदोलनों पर कत्तई पर्दा नहीं डाला जा सकता है। सर्वविदित है उस दौर में रघुवर दास कुशासन के खिलाफ उठने वाली आवाजों पर राज्य की गोदी मीडिया ने अघोषित रूप से सेंसर लगा रखा था।जो इस समय हेमंत सोरेन शासन के विरोध में ‘आदर्श पत्रकारिता’ का स्वांग रचे हुए हैं।

झारखंड विधान सभा और हाई कोर्ट के नए भवन निर्माण में हुई संस्थाबद्ध अनियमितता और घोटाले किसी विपक्ष मात्र के जरिये ही नहीं उजागर हुए थे। बल्कि उक्त भवनों के निर्माण काल के दौरान हुई कई संगीन घटनाओं ने ही वहाँ का सारा सच राज्य की जनता के सामने उजागर कर दिया था।

सनद रहे कि 12 सितम्बर झारखंड विधान सभा के नए भवन का उद्घाटन प्रधान मंत्री ने किया था, यह विडंबनापूर्ण संयोग नहीं था कि उद्घाटन कार्यक्रम के दो दिन विधान सभा के पूर्व ही नवनिर्मित भवन में अप्रत्याशित रूप से अग्निकांड की घटना हो गयी। जिससे मची अफरा-तफरी में वहाँ पर की गयी सारी अनियमितताएं खुलकर सामने आने लगीं। कि किस तरह से भवन निर्माण योजना में शामिल तत्कालीन सरकार के चहेते इंजीनियरों ने निर्माणकर्ता संवेदक रामकृपाल कंस्ट्रक्शन को लाभ पहुंचाने के लिए भवन निर्माण की प्राक्कलन राशि में ही हेर फेर का खेल कर दिया था। सरकार द्वारा विधान सभा के नए भवन निर्माण की आरंभिक प्राक्कलन राशि 465 करोड़ रूपये की थी, सरकार के चहेते इंजीनियरों ने गड़बड़ी कर 420.19 करोड़ कर दिया। पुनः 12 दिनों के अन्दर ही निर्माण लागत घटाकर सीधे 323.03 करोड़ कर दिया गया। बाद में टेंडर निपटारे के तहत 290.72 करोड़ की दर पर निर्माण कार्य का ठेका सीधे रामकृपाल कंसट्रक्सन को दे दिया गया। विधान सभा के नए भवन के चालू होने से पूर्व हुए अग्निकांड की घटना के थोड़े ही दिनों बाद नवनिर्मित विधान सभा भवन की छत की सीलिंग टूटकर गिरने की घटना ने दिखला दिया कि कैसे यहाँ सिर्फ अनियमितता ही नहीं बल्कि सरकार संरक्षित घोटाला हुआ है।

विधान सभा के नए भवन के निर्माणकर्ता संवेदक रामकृपाल कन्सट्रक्सन को ही रघुवर दास सरकार ने हाई कोर्ट के नए भवन निर्माण का भी ठेका दे रखा था। यहाँ तो सरकारी खजाने के करोड़ों करोड़ रुपये बिना किसी अनुमति के ही निकाल लिए गए। सरकार की ही विभागीय रिपोर्ट में इस तथ्य का खुलासा हुआ कि- हाई कोर्ट भवन निर्माण की प्राक्कलन राशि 265 करोड़ थी। लेकिन जैसे-जैसे वहां का काम बढ़ता गया निर्माण राशि भी बढ़ाकर 697 करोड़ खर्च कर दी गयी, जिसके लिए कहीं से भी कोई अनुमति नहीं ली गयी थी।

उक्त दोनों मुद्दों को लेकर वाम दल और विपक्ष के साथ साथ कई नागरिक व सामाजिक संगठनों ने काफी आवाजें उठायी लेकिन भाजपा और रघुवरदास सरकार ने आवाज़ उठाने वालों को ही ‘विकास विरोधी’ करार दे दिया था।

हालाँकि हेमंत सोरेन सरकार द्वारा न्यायिक जाँच कराये जाने के फैसले को लेकर भी कई तरह की मिली जुली चर्चाएँ हैं। एक चर्चा है कि जब 1 जुलाई 2021 को विधान सभा व हाई कोर्ट भवन निर्माण मामले की जांच का ज़िम्मा ‘भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो’ को देने की घोषणा की गयी थी और मात्र 9 महीने बाद ही अब ‘न्यायिक जांच कराने’ के आदेश का क्या मतलब समझा जाए?

वैसे यह कड़वी हकीक़त है कि पिछले भाजपा राज के कुशासन से तंग आकर ही लोगों ने हेमंत सोरेन सरकार को सत्ता का जनादेश दिया था। नयी सरकार से सबको आशा थी कि भाजपा और रघुवर दास शासन के ‘लैंड बैंक कानून’ और यहाँ के जल जंगल ज़मीन व खनिज की बेलगाम लूट व दोहन के लिए, कई निजी व कॉर्पोरेट कंपनियों से किये गए ‘एम्ओयू करार’ के साथ-साथ जैसे झारखंड विरोधी निर्णयों को निरस्त किया जाएगा। पुलिस दमन व अपराध के साथ साथ ब्लॉक-बैंकों के भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। यहाँ के व्यापक नौजवानों को उनके राज्य में सम्मानजनक रोज़गार मिलेगा, लेकिन इन उम्मीदों पर आज हेमंत सोरेन सरकार कहाँ खड़ी है? ये सवाल आज भी बने हुए हैं?

ये भी पढ़ें: झारखंड की खान सचिव पूजा सिंघल जेल भेजी गयीं   

Jharkhand government
Hemant Soren
Building construction scam
BJP corruption
BJP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • भाषा
    ईडी ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला को धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए तलब किया
    27 May 2022
    माना जाता है कि फ़ारूक़ अब्दुल्ला से यह पूछताछ जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनिमियतता के मामले में की जाएगी। संघीय एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एनसीबी ने क्रूज़ ड्रग्स मामले में आर्यन ख़ान को दी क्लीनचिट
    27 May 2022
    मेनस्ट्रीम मीडिया ने आर्यन और शाहरुख़ ख़ान को 'विलेन' बनाते हुए मीडिया ट्रायल किए थे। आर्यन को पूर्णतः दोषी दिखाने में मीडिया ने कोई क़सर नहीं छोड़ी थी।
  • जितेन्द्र कुमार
    कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ
    27 May 2022
    कांग्रेस नेतृत्व ख़ासकर राहुल गांधी और उनके सिपहसलारों को यह क़तई नहीं भूलना चाहिए कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई कई मजबूरियों के बावजूद सबसे मज़बूती से वामपंथी दलों के बाद क्षेत्रीय दलों…
  • भाषा
    वर्ष 1991 फ़र्ज़ी मुठभेड़ : उच्च न्यायालय का पीएसी के 34 पूर्व सिपाहियों को ज़मानत देने से इंकार
    27 May 2022
    यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने देवेंद्र पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल अपील के साथ अलग से दी गई जमानत अर्जी खारिज करते हुए पारित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    “रेत समाधि/ Tomb of sand एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं”
    27 May 2022
    ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License