NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड चुनाव : बीजेपी के ख़िलाफ़ वाम दलों का जनमुद्दों पर ज़ोर
वाम दल अपने प्रचार में राज्य के सभी श्रमिकों, किसानों और आदिवासियों के लिए सुरक्षा का वादा कर रहे हैं।
पृथ्वीराज रूपावत
02 Dec 2019
jharkhand election

झारखंड में पहले चरण का मतदान समाप्त हो चुका है। अगले चरण के लिए होने वाले चुनावों को लेकर प्रचार तेज़ है। वाम दल एक दूसरे की मदद कर रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी के ख़िलाफ़ प्रचार तेज़ कर दिया है। हालांकि, कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआईएम), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (सीपीआई-एमएल), मार्क्सवादी समन्वय समिति (एमसीसी) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (सीपीआई) के बीच दोस्ताना लड़ाई देखी जा सकती है।

शनिवार को पहले चरण में 13 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान हुए जहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की मौजूदगी राज्य में काफ़ी अधिक है। शेष 68 निर्वाचन क्षेत्रों (कुल 81 निर्वाचन क्षेत्रों में से) के चुनाव अगले चार चरणों में होंगे और परिणाम 23 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे।

उधर सीपीआईएम नौ निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ने के लिए तैयार है, सीपीआई (एमएल) 15 निर्वाचन क्षेत्रों में वहीं सीपीआई 23 निर्वाचन क्षेत्रों में और मार्क्सवादी समन्वय समिति 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

सीपीआई (एमएल) के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद कहते हैं कि राज्य के ज़िले भर में बीजेपी विरोधी लहर है। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए जनार्दन ने कहा कि सभी वाम दलों ने अपने गढ़ निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार तेज़ कर दिया है। उन्होंने कहा, "राज्य के लोग बीजेपी की ग़रीब-विरोधी और कॉर्पोरेट-हितैषी नीतियों के गवाह हैं और पिछले पांच वर्षों में बीजेपी के शासन से काफी असंतुष्ट हैं।"

उन्होंने आगे कहा कि राज्य में विभिन्न जगहों पर वाम दलों की मज़बूत पकड़ है और आपस में सहमति के बाद उम्मीदवार उतारे जा रहे हैं। जनार्दन ने न्यूजक्लिक को बताया, "जिन निर्वाचन क्षेत्रों में वाम दलों ने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं वहां हमारे कैडर गठबंधन [कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी)] की मदद करेंगे।"

दौड़ में शामिल अन्य दलों में झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम), ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन पार्टी (एजेएसयूपी) और जनता दल (यूनाइटेड) (जेडी-यू) हैं।

जहां बीजेपी 81 सीटों पर चुनाव लड़ रही है वहीं गठबंधन में कांग्रेस 31 सीटों पर लड़ रही है राजद सात सीटों पर और झामुमो 43 सीटों पर लड़ रही है। जेएमएम के हेमंत सोरेन को गठबंधन ने मुख्यमंत्री के रूप में घोषित किया है।

वाम दल अपने प्रचार में राज्य के सभी श्रमिकों, किसानों और आदिवासियों के लिए सुरक्षा का वादा कर रही है। आदिवासियों के अधिकारों पर बीजेपी द्वारा किए गए हमले को वाम उदाहरण के तौर पर पेश कर रही है। वाम पार्टियां तर्क दे रही हैं कि बीजेपी ने राज्य में खाद्य सुरक्षा को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया है जो चुनावों में प्रमुख मुद्दा बन गया है। उनका आरोप है कि बीजेपी ने कॉर्पोरेट को राज्य के जल, जंगल, ज़मीन, खनिजों और अन्य मूल्यवान सार्वजनिक संसाधनों को लूटने की अनुमति दे दी है।

सीपीआईएम के राज्य सचिव प्रकाश बिप्लब कहते हैं, इन चुनावों में राजनीतिक अवसरवाद को साफ़ तौर पर देखा जा सकता है। उन्होंने न्यूज़क्लिक से कहा, “कम से कम 70 नेताओं ने चुनाव लड़ने के लिए टिकटों को लेकर भगवा पार्टियों से सेक्यूलर दलों या इसी तरह अन्य दलों में चले गए हैं। यह अवसरवाद है लेकिन लोग उन्हें देख रहे हैं।” उन्होंने कहा कि बीजेपी अब लोगों को फ़र्ज़ी वादों से गुमराह नहीं कर सकती है क्योंकि लोग उनके मुद्दों के बारे में जानते हैं।

सीपीआई (एम) ने राज्य में 18 मुद्दों को उजागर करते हुए अपना घोषणा पत्र जारी किया है। इनमें पांचवीं अनुसूची और अन्य क़ानूनों के तहत आदिवासियों के अधिकारों को सुनिश्चित करना, वन अधिकार अधिनियम, 2006, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 का उचित कार्यान्वयन, खाद्य सुरक्षा, हेल्थकेयर और कृषि तथ वन उपज दोनों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करना शामिल है।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Jharkhand Polls: Left Focuses on People’s Issues in Their United Fight Against BJP

left parties
Jharkhand Elections 2019
Jharkhand Polls
CPI-M
JMM
JVM
Congress
BJP
Hemant Soren
CPI-ML
jdu

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • लेखनाथ पांडे (काठमांडू)
    नेपाल की अर्थव्यवस्था पर बिजली कटौती की मार
    16 May 2022
    नेपाल भारत से आयातित बिजली पर बहुत ज़्यादा निर्भर है, जहां सालों से बिजली संकटों की बुरी स्थितियों के बीच बिजली उत्पादन का काम चल रहा है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: गिर रहा कोरोना का स्तर लेकिन गंभीर संक्रमण से गुजर चुके लोगों की ज़िंदगी अभी भी सामान्य नहीं
    16 May 2022
    देश में कोरोना के मामलों में एक बार फिर लगातार गिरावट देखी जा रही है। पिछले एक सप्ताह के भीतर कोरोना का दैनिक आंकड़ा 3 हज़ार से भी कम रहा है |
  • सुबोध वर्मा
    कमरतोड़ महंगाई को नियंत्रित करने में नाकाम मोदी सरकार 
    16 May 2022
    गेहूं और आटे के साथ-साथ सब्ज़ियों, खाना पकाने के तेल, दूध और एलपीजी सिलेंडर के दाम भी आसमान छू रहे हैं।
  • gandhi ji
    न्यूज़क्लिक टीम
    वैष्णव जन: गांधी जी के मनपसंद भजन के मायने
    15 May 2022
    हाल ही में धार्मिक गीत और मंत्र पूजा अर्चना की जगह भड़काऊ माहौल बनाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इसी सन्दर्भ में नीलांजन और प्रोफेसर अपूर्वानंद गाँधी जी को प्रिय भजन वैष्णव जन पर चर्चा कर रहे हैं।
  • Gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद: क्या और क्यों?
    15 May 2022
    जो लोग यह कहते या समझते थे कि अयोध्या का बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद आख़िरी है, वे ग़लत थे। अब ज्ञानवापी विवाद नये सिरे से शुरू कर दिया गया है। और इसके साथ कई नए विवाद इस कड़ी में हैं। ज्ञानवापी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License