NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
SC ST OBC
आंदोलन
भारत
राजनीति
झारखंड:  टाना भगत आदिवासियों ने राजभवन पर किया प्रदर्शन, सरकार पर लगाया उपेक्षा का आरोप
एक बार फिर पूरे प्रदेश के टाना भगत आदिवासी समुदाय के लोग वर्षों से उठायी जा रही अपनी मांगों को लेकर, ‘पड़हा व्यवस्था’ के बैनर तले राजधानी रांची में जुटे। बिरसा चौक से राजभवन तक पैदल मार्च निकाल कर राज्यपाल को ज्ञापन दिया।
अनिल अंशुमन
16 Sep 2021
झारखंड:  टाना भगत आदिवासियों ने राजभवन पर किया प्रदर्शन, सरकार पर लगाया उपेक्षा का आरोप

अपने सादा रहन सहन, बोली व जीवन शैली को लेकर झारखण्ड प्रदेश में एक अलग और विशिष्ठ सामाजिक पहचान रखने वाले टाना भगत आदिवासी समुदाय आज भी अपने मूलभूत व संवैधानिक अधिकारों से किस क़दर वंचित व उपेक्षित हैं, राजधानी रांची में होने वाले उनके धरना प्रदर्शन कार्यक्रमों में उठ रहे सवालों से समझा जा सकता है। जो सुदूर आदिवासी बाहुल्य इलाकों से निकलकर जैसे-तैसे आने के साधन जुटा कर हजारों की तादाद में आये दिन राजधानी की सड़कों से लेकर राजभवन के समक्ष इकट्ठे होते हैं। राजभवन और सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा इनके ज्ञापन व मांग पत्रों को लेकर कोरा आश्वासन तो दे दिया जाता है लेकिन ज़मीनी अमल के नाम पर कभी कुछ नहीं होता है।

13 सितम्बर को एक बार फिर पूरे प्रदेश के टाना भगत आदिवासी समुदाय के लोग वर्षों से उठायी जा रही अपनी मांगों को लेकर ‘पड़हा व्यवस्था’ के बैनर तले राजधानी रांची में जुटे। बिरसा चौक से राजभवन तक पैदल मार्च निकाल कर संविधान की पांचवी अनुसूची प्रावधानों के अनुपालन के मुख्य जवाबदेह राज्यपाल को ज्ञापन दिया। हमेशा की भांति शांतिपूर्ण प्रतिवाद सभा के माध्यम से अपनी लंबित मांगों को दुहराते हुए कहा कि वे कोई अलग से कोई मांग नहीं कर रहें हैं बल्कि देश के संविधान में दिए गए उनके बुनियादी अधिकारों को लागू करने को कह रहें हैं। जिसके तहत पांचवी अनुसूची के अनुच्छेद 256 में सुनिश्चित प्रावधानों को जमीनी धरातल पर लागू कर आदिवासियों की पारंपरिक व्यवस्था को बहाल किया जाय। आजादी के 72 साल बीत जाने के बाद भी उन्हें उनकी ज़मीनों का मालिकाना हक़ क्यों नहीं दिया जा रहा है?

वक्ताओं ने महामहिम राज्यपाल को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि वर्षों से वे बार बार यहाँ आकर ये गुहार लगा रहें हैं कि जब 26 जनवरी 1950 को आदिवासियों के लिए पांचवी अनुसूची के उपबंध अनुसार स्थानीय प्रशासन नियंत्रण आदिवासियों के लिए सुनिश्चित किये गए हैं तो उसे लागू क्यों नहीं किया जा रहा है। झारखण्ड के 12 जिले पूर्ण रूप से व तीन जिले आंशिक रूप से आदिवासी अनुसूचित क्षेत्र घोषित हैं तो आज तक इन इलाकों में उनकी पारंपरिक व्यवस्था क्यों नहीं लागू की जा रही है। झारखण्ड राज्य गठन के बाद 11 अप्रैल 2007 को इसके लिए फिर से नोटिफिकेशन भी हुआ था लेकिन स्थिति जस की तस ही बनी हुई है।      

उक्त सन्दर्भ में झारखण्ड स्थित रांची विश्वविद्यलय अंतर्गत टाना भगत समुदाय की जीवन स्थिति पर गहन शोध कर रही आदिवासी शोधार्थी असरिता कच्छप का मानना है कि देश की आजादी और अलग झारखण्ड राज्य गठन के आन्दोलन में बढ़ चढ़कर अपनी भूमिका निभाने वाले टाना भगत समुदाय के लोगों की निरंतर हो रही भारी उपेक्षा ने उन्हें हाशिये से भी बाहर धकेल दिया है। असरिता कच्छप ने यह भी बताया कि वे स्वयं इसी समुदाय की हैं और उनके शोध में लिखी जा रही बातें उनका भोगा हुआ यथार्थ है।

झारखण्ड प्रदेश जो आदिवासी बाहुल्य राज्य के रूप में जाना जाता है, यहाँ की प्रमुख आदिवासी समुदायों की जीवन स्थितियां बहुत बेहतर नहीं है फिर भी एक स्तर का विकास धीरे-धीरे ही सही मगर हो रहा है। लेकिन यहाँ रहने वाली आदिम जन जातियों और विशेषकर टाना भगत समुदाय की जीवन स्थितियां दिनों दिन संकटपूर्ण हो रही हैं। जिनके समाधान के लिए समय रहते यदि समुचित क़दम नहीं उठाया गया तो सब कुछ विलुप्त हो जाएगा। सरकारें और शासन इन आदिवासी समुदायों की तरक्क़ी को लेकर जो भी दावा दलीलें दे लेकिन इनकी असल ज़िन्दगी की सच्चाई कोई भी इनके यहाँ जाकर देख सकता है ।

शोधार्थी असरिता कच्छप के अनुसार टाना भगत समुदाय उराँव आदिवासी समाज का ही एक अंग है। जो संभवतः एकमात्र ऐसा आदिवासी समूह है जिसमें जीव हत्या, मांसाहार और नशा पान आज भी सामाजिक तौर पर पूरी तरह से निषिद्ध है। स्वतंत्रता संग्राम के ही दौरान गाँधी जी के विचारों को अपना जीवन दर्शन बनाने वाले इस समुदाय के लोग आज भी खुद के बुने हुए सफ़ेद खादी का वस्त्र पहनते हैं। किसी भी तरह की हिंसा से दूर रहकर सादा जीवन सरल विचार की जीवन शैली अपनाकर जी रहें हैं। अपनी रूढ़ मान्यताओं के कारण आधुनिक शिक्षा प्रणाली और उससे जुड़े विकास के रास्ते को ये पसंद नहीं करते हैं। क्योंकि इनका मानना है कि वर्तमान के आधुनिक विकास के लिए पढ़ लिख कर लोग स्वार्थी, लालची, झूठे और तिकड़मी बन जाते हैं। इस सन्दर्भ में असरिता का कहना है कि आजादी के 72 वर्ष बीत जाने पर भी इनके बुनियादी और संवैधानिक अधिकार नहीं दिए जाने के कारण ही इनमें ये धारणा पैठ गयी है कि इनकी सारी दुर्दशा का मूल कारण है सरकार व शासन में बैठे पढ़े लिखे लोगों की कुटिल सोच और इन्हें हीन नज़र से देखा जाना। जिन्होंने आज तक इन्हें इनकी ज़मीनों का मालिकाना हक़ तक नहीं दिया है।

टाना भगत आदिवासी समुदाय के लोगों की आधुनिक शिक्षा और विकास को लेकर उनकी रूढ़ धारणाओं से भले ही सहमत नहीं हुआ जा सकता है लेकिन इससे भी इनकार नहीं किया जाना चाहिए कि ताथाकथित सभ्य और विकसित कहे जाने वाले समाज से लेकर सरकार और शासन–प्रशासन के नकारात्मक रेवैयों ने ही उन्हें ऐसी रूढ़ धारणाएं बनाने का आधार दिया है। जिसमें बदलाव लाये बगैर न तो इस समुदाय के लोगों का विश्वास जीता जा सकता है और न ही इन्हें विकास की मुख्य धारा में आने के लिए सहमत किया जा सकता है।

दूसरा और सबसे ज़रूरी पहलू, जिसमें मुख्यधारा की राजनीति के साथ साथ मीडिया का भेद भाव पूर्ण व्यवहार, जो आज टाना भगत समुदाय के लोगों को हर स्तर पर अपने ही घर में पराये होने का एहसास करा रहा है, इसमें अविलम्ब बदलाव लाया जाए। साथ ही आदिवासी राजनीती में इनकी भी समुचित भागीदारी को बराबरी का महत्व देना ज़रूरी है, ताकि इन्हें भी ये एहसास हो सके कि अपने लोगों की नज़र में इनकी भी वही हैसियत है जो बाकि आदिवासी समुदायों को हासिल है।

बहरहाल, लोकतंत्र का यही तकाजा है कि उक्त सन्दर्भों में ही टाना भगत आदिवासी समुदाय के सवालों और उनके जारी संघर्ष को देखा जाना और समझा जाए। क्योंकि हमें ये बार-बार सनद रखने की ज़रूरत है कि टाना भगत समुदाय ही एकमात्र ऐसा नागरिक समाज है जो प्रतिदिन अपने घरों में तिरंगा झंडा पूजन के उपरांत ही अपनी दैनिक जीवन चर्या की शुरुआत करते हैं। 

Jharkhand
Tana Bhagat tribals
adiwasi
Adiwasi Protest
Tana Bhagat
Tana Bhagat Movement
Hemant Soren

Related Stories

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

झारखंड: पंचायत चुनावों को लेकर आदिवासी संगठनों का विरोध, जानिए क्या है पूरा मामला

बाघ अभयारण्य की आड़ में आदिवासियों को उजाड़ने की साज़िश मंजूर नहीं: कैमूर मुक्ति मोर्चा

कैसे ख़त्म हो दलित-आदिवासी छात्र-छात्राओं के साथ शिक्षण संस्थानों में होने वाला भेदभाव

झारखंड: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी जन सत्याग्रह जारी, संकल्प दिवस में शामिल हुए राकेश टिकैत

झारखंड : ‘भाषाई अतिक्रमण’ के खिलाफ सड़कों पर उतरा जनसैलाब, मगही-भोजपुरी-अंगिका को स्थानीय भाषा का दर्जा देने का किया विरोध

'सोहराय' उत्सव के दौरान महिलाओं के साथ होने वाली अभद्रता का जिक्र करने पर आदिवासी महिला प्रोफ़ेसर बनीं निशाना 

भारत में हर दिन क्यों बढ़ रही हैं ‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाएं, इसके पीछे क्या है कारण?

झारखंड: बेसराजारा कांड के बहाने मीडिया ने साधा आदिवासी समुदाय के ‘खुंटकट्टी व्यवस्था’ पर निशाना


बाकी खबरें

  • Ramjas
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
    01 Jun 2022
    वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया(SFI) ने दक्षिणपंथी छात्र संगठन पर हमले का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने भी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। परन्तु छात्र संगठनों का आरोप है कि…
  • monsoon
    मोहम्मद इमरान खान
    बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग
    01 Jun 2022
    पटना: मानसून अभी आया नहीं है लेकिन इस दौरान होने वाले नदी के कटाव की दहशत गांवों के लोगों में इस कदर है कि वे कड़ी मशक्कत से बनाए अपने घरों को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। गरीबी स
  • Gyanvapi Masjid
    भाषा
    ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया
    01 Jun 2022
    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पैरवी कर रहे थे। इसके साथ ही पिता और पुत्र की जोड़ी हिंदुओं से जुड़े कई मुकदमों की पैरवी कर रही है।
  • sonia gandhi
    भाषा
    ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया
    01 Jun 2022
    ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष को आठ जून को पेश होने को कहा है। यह मामला पार्टी समर्थित ‘यंग इंडियन’ में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल में दर्ज किया गया था।
  • neoliberalism
    प्रभात पटनायक
    नवउदारवाद और मुद्रास्फीति-विरोधी नीति
    01 Jun 2022
    आम तौर पर नवउदारवादी व्यवस्था को प्रदत्त मानकर चला जाता है और इसी आधार पर खड़े होकर तर्क-वितर्क किए जाते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में से किस पर अंकुश लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना बेहतर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License