NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
SC ST OBC
आंदोलन
भारत
राजनीति
वाम की पंचायत और नगर निकायों के चुनाव दलीय आधार पर कराने की मांग, झारखंड सरकार ने भी दिया प्रस्ताव
वाम दलों का कहना है कि केरल, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा इत्यादि राज्यों की भांति झारखंड में भी पंचायत और नगर निकाय के चुनाव दलीय आधार पर हों क्योंकि जहां भी इस तरह से चुनाव होते हैं, वहां संस्थाबद्ध भ्रष्टाचार पर एक सीमा तक नियंत्रण पाने के साथ-साथ अफसरशाही पर भी लगाम लगाई जा सकी है।
अनिल अंशुमन
22 Aug 2021
Jharkhand

झारखंड के सभी वामपंथी दल— सीपीआई, सीपीएम, भाकपा माले और मासस— ने हेमंत सोरेन सरकार से मांग की है कि झारखंड में होने वाले पंचायत और नगर निकाय चुनावों को दलीय आधार पर ही कराया जाय। राजनीतिक पार्टियों के चुनाव चिन्ह पर ही सभी प्रत्याशियों का निर्वाचन हो। जिससे निर्वाचित जन प्रतिनिधियों द्वारा मतदाताओं से किये गए वायदों को लागू कराने के सन्दर्भों में सम्बंधित राजनीतिक पार्टियों की विश्वसनीयता पर भी जनता की नज़र रहेगी। यदि संसद और विधान सभा के चुनाव जब दलीय आधार पर हो सकते हैं तो ये चुनाव भी क्यों नहीं हो सकते।

18 अगस्त को इस आशय का संयुक्त मांग पत्र प्रदेश की सरकार को प्रेषित करते हुए मीडिया को जारी बयान में वाम दलों ने स्पष्ट किया है कि केरल, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा इत्यादि राज्यों की भांति झारखंड में भी पंचायत और नगर निकाय के चुनाव दलीय आधार पर ही कराए जाएं क्योंकि उक्त राज्यों के स्थानीय निकायों के कार्यों के अनुभव इस तथ्य को प्रमाणित करते हैं कि जहां भी इस तरह से चुनाव होते रहें हैं, वहां इन निकायों ने अपेक्षाकृत बेहतर काम किया है। संस्थाबद्ध भ्रष्टाचार पर भी एक सीमा तक नियंत्रण पाने के साथ-साथ अफसरशाही पर भी लगाम लगाई जा सकी है।

वाम दलों ने एक ओर राज्य सरकार द्वारा पंचायत चुनाव दलीय आधार पर कराये जाने की संभावनाओं पर मंथन किये जाने की घोषणा का स्वागत किया है। वहीं दूसरी तरफ नगर निकाय चुनाव में महापौर व उप महापौर तथा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का जो चुनाव पूर्व में दलीय आधार पर होता रहा है, उसकी नियमावली में संशोधन के लिए मौनसून सत्र में प्रस्ताव लाये जाने का विरोध करते हुए उसे पूर्व की भांति दलीय आधार पर रहने देने की बात कही है। वाम दलों ने यह भी मांग की है कि इस सन्दर्भ में नगर विकास विभाग द्वारा नियमावली में से दलीय आधार को हटाये जाने सम्बन्धी संशोधन कसरत पर भी रोक लगाते हुए दोनों चुनाव दलीय आधार पर ही संपन्न कराए जाएं।

16 अगस्त को झारखंड सरकार ने घोषणा की है कि राज्य में पंचायत चुनाव दलीय आधार पर संपन्न कराने पर वह गंभीरता से विचार कर रही है। इसके लिए सरकार का ग्रामीण विकास विभाग विभिन्न राज्यों की पंचायत चुनाव नियमावली का बारीकी से अध्ययन कर रही है ताकि झारखंड प्रदेश में भी पंचायत चुनाव दलीय आधार पर कराने हेतु ज़रूरत के अनुसार पंचायत चुनाव नियमावली में बदलाव किया जा सके। क्योंकि फिलहाल इस सन्दर्भ में कोई नियमावली नहीं है। 

सनद हो कि पिछले वर्ष दिसंबर में ही झारखंड के सभी पंचयातों व नगर निकायों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। कोरोना महामारी संक्रमण के कारण चुनाव कराना संभव नहीं हो सका तो सरकार ने दो बार छः माह का विस्तार दिया था। जिसके तहत आगे चुनाव होने तक कार्य संचालन के लिए तीन स्तर पर विशेष कार्य समितियों का गठन किया गया है। जिनमें पूर्व के मुखिया गण तथा सभी जिला परिषद् अध्यक्ष प्रधान की भूमिका में रहंगे।

झारखंड सरकार ने यह भी घोषणा की है कि नगर निकायों के महापौर व उपमहापौर तथा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव को गैर दलीय कराने भी वह सोच रही है और इसके लिए वह इसकी नियमावली में परिवर्तन करने के लिए आनेवाले मौनसून सत्र में सरकार संशोधन प्रस्ताव लायेगी। सरकार ने यह भी कहा है कि राज्य में पंचायत और नगर निकाय चुनाव कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर के समाप्त होने के बाद ही संपन्न कराये जायेंगे। साथ ही दिसंबर तक चुनाव कराए जाने की भी संभावना जताई गयी है।

कोरोना महामारी के मद्देनजर हेमंत सोरेन सरकार द्वारा पंचायत / नगर निकाय चुनाव टाले जाने पर विपक्ष भाजपा ने विरोध जताते हुए कहा कि सरकार की नीयत ठीक नहीं है। सत्ताधारी गठबंधन दल जानबूझ कर महामारी की आड़ में चुनाव नहीं कराकर आपातकाल थोपना चाहते हैं। प्रदेश सरकार के इस नए प्रस्ताव पर अभी तक भाजपा विधायक दल नेता अथवा किसी प्रवक्ता की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

चुनाव सुधारों को लेकर सामाजिक अभियान चलाने वाले पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्त्ता सुधीर पाल ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा पंचायत चुनाव को दलीय कराने का प्रस्ताव स्वागत योग्य है, लेकिन इसके लागू होने को लेकर वे बहुत आश्वस्त नहीं हैं। क्योंकि कई बार चुनाव आयोग आदर्श बघारने के लिए सरकारों को ऐसे रस्मी अदायगी भर प्रस्ताव देता रहता है। हालाँकि दलीय चुनाव होने को लेकर उनका स्पष्ट मानना है कि इससे चुनावी भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकता है। खासकर तब जब जिला परिषद् अध्यक्ष व पंचायत प्रमुखों का चुनाव होता है तो चुने गए जन प्रतिनिधियों की कोई घोषित दलीय पहचान नहीं होने के कारण उक्त पदों के लिए उनसे खुलकर खरीद फरोख्त होना स्थायी परम्परा बनी हुई है, जिसे रणनीति के तौर पर सत्ताधारी के साथ साथ सभी बड़े रानजीतिक दल पूरी योजना के साथ अंजाम देते हैं। इस खेल में सत्ता बल का दुरपयोग और धन बल का उपयोग किस हद तक किया जाता है, हालिया उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में सहज ही देखा जा सकता है।

बहरहाल, हेमंत सोरेन सरकार जो भी निर्णय ले और संभावित दिसंबर माह में पंचायत चुनाव संपन्न करा ले, परन्तु प्रदेश के पांचवी अनुसूची के इलाकों में देश के संसद द्वारा पास किया गया ‘पेसा कानून’ को अब तक सही ढंग से लागू करने की चुनौती से उन्हें भी रुबरू  होना पड़ेगा। खासकर तब जबकि ये सर्वविदित है कि उनकी सरकार बनाने में राज्य के बहुसंख्यक आदिवासियों का भरपूर समर्थन रहा है। वे सारे आदिवासी झारखंड में आज तक ‘पेसा कानून’ सही ढंग से नहीं लागू किये जाने को लेकर लम्बे समय से क्षुब्ध हैं।

प्रदेश के आदिवासी समुदाय के लोगों और उनके संगठनों में इस बात को लेकर काफी नाराज़गी है कि झारखंड राज्य गठन के लिए वे सबसे अधिक दमन उत्पीड़न का सामना करते हुए लड़े। मगर राज्य बनने के बाद यहाँ दो दो बार पंचायत चुनाव हुए और सत्ता साजिश के तहत आदिवासी इलाकों में ‘पेसा कानून’ के तहत चुनाव नहीं कराये गए। इस सवाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने से लेकर आन्दोलन अभियानों का सिलसिला आज भी जारी है।

देखने की बात होगी कि हेमंत सोरेन सरकार आदिवासियों की अपेक्षाओं पर कहाँ तक खरा उतरती है। क्योंकि झारखंड के अदिवासी समाज और संगठनों का एक स्वर से आरोप है कि अभी तक किसी भी राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में पेसा कानून लागू करने की कोई ठोस नीति-नियम नहीं बनाने का उन्हें भारी खामियाजा उठाना पड़ रहा है।

फादर स्टैन स्वामी भी दशकों से झारखंड में पंचायती राज व्यवस्था के तहत आदिवासी समुदाय की स्वशासन परम्परा को संरक्षित करने वाले पेसा कानून और पांचवी अनुसूचि को नहीं लागू किये जाने के खिलाफ लगातार आवाज़ उठाते रहे थे। 

Jharkhand
jharkhand tribals
PESA
Adivasi
panchayat polls

Related Stories

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

झारखंड: पंचायत चुनावों को लेकर आदिवासी संगठनों का विरोध, जानिए क्या है पूरा मामला

झारखंड: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी जन सत्याग्रह जारी, संकल्प दिवस में शामिल हुए राकेश टिकैत

झारखंड : ‘भाषाई अतिक्रमण’ के खिलाफ सड़कों पर उतरा जनसैलाब, मगही-भोजपुरी-अंगिका को स्थानीय भाषा का दर्जा देने का किया विरोध

'सोहराय' उत्सव के दौरान महिलाओं के साथ होने वाली अभद्रता का जिक्र करने पर आदिवासी महिला प्रोफ़ेसर बनीं निशाना 

भारत में हर दिन क्यों बढ़ रही हैं ‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाएं, इसके पीछे क्या है कारण?

झारखंड: बेसराजारा कांड के बहाने मीडिया ने साधा आदिवासी समुदाय के ‘खुंटकट्टी व्यवस्था’ पर निशाना

झारखंड: ‘स्वामित्व योजना’ लागू होने से आशंकित आदिवासी, गांव-गांव किए जा रहे ड्रोन सर्वे का विरोध

झारखण्ड : शहीद स्मारक धरोहर स्थल पर स्कूल निर्माण के ख़िलाफ़ आदिवासी संगठनों का विरोध


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई
    17 May 2022
    मुण्डका की फैक्ट्री में आगजनी में असमय मौत का शिकार बने अनेकों श्रमिकों के जिम्मेदार दिल्ली के श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर उनके इस्तीफ़े की माँग के साथ आज सुबह दिल्ली के ट्रैड यूनियन संगठनों…
  • रवि शंकर दुबे
    बढ़ती नफ़रत के बीच भाईचारे का स्तंभ 'लखनऊ का बड़ा मंगल'
    17 May 2022
    आज की तारीख़ में जब पूरा देश सांप्रादायिक हिंसा की आग में जल रहा है तो हर साल मनाया जाने वाला बड़ा मंगल लखनऊ की एक अलग ही छवि पेश करता है, जिसका अंदाज़ा आप इस पर्व के इतिहास को जानकर लगा सकते हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    यूपी : 10 लाख मनरेगा श्रमिकों को तीन-चार महीने से नहीं मिली मज़दूरी!
    17 May 2022
    यूपी में मनरेगा में सौ दिन काम करने के बाद भी श्रमिकों को तीन-चार महीने से मज़दूरी नहीं मिली है जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • सोन्या एंजेलिका डेन
    माहवारी अवकाश : वरदान या अभिशाप?
    17 May 2022
    स्पेन पहला यूरोपीय देश बन सकता है जो गंभीर माहवारी से निपटने के लिए विशेष अवकाश की घोषणा कर सकता है। जिन जगहों पर पहले ही इस तरह की छुट्टियां दी जा रही हैं, वहां महिलाओं का कहना है कि इनसे मदद मिलती…
  • अनिल अंशुमन
    झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध
    17 May 2022
    कॉपी जांच कर रहे शिक्षकों व उनके संगठनों ने, जैक के इस नए फ़रमान को तुगलकी फ़ैसला करार देकर इसके खिलाफ़ पूरे राज्य में विरोध का मोर्चा खोल रखा है। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License