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लॉकडाउन प्रभाव: Swiggy और Zomato में बड़े पैमाने पर छंटनी, कर्मचारियों ने कहा- इस संकट में कहां जाएंगे?
सरकार ने आर्थिक व्यवस्था को ठीक करने के लिए 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की थी और दावा किया था की इससे कंपनियों को मदद मिलेगी। इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा था कि  किसी की भी नौकरी नहीं जाएगी। लेकिन लगता है कि सरकार ने अपनी आँखें मूँद रखीं हैं क्योंकि खुलेआम कंपनियाँ कर्मचारियों की छँटनी  कर रही हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
20 May 2020
Lockdown effect: Mass layoffs in Swiggy and Zomato

लॉकडाउन में सरकार के दावों के बाद भी कंपनियां बड़े पैमाने पर छटनियाँ कर रही हैं, जबकि सरकार ने लॉकडाउन के चौथे दिन यानी 29 मार्च को ही आदेश दे दिया था कि कोई भी नियोक्ता अपने कर्मचारी के वेतन में न तो कटौती करेगा और न ही किसी को नौकरी से हटाएगा। लेकिन वेतन तो अधिकांश नियोक्ता ने काटा। कटौती तो छोड़िए, यहाँ तक की कई जगहों पर तो अप्रैल महीने का वेतन भी नहीं दिया गया। इसके साथ ही बड़े स्तर पर मालिकों ने कर्मचारियों की छँटनी भी की है

ताज़ा मामला घर पर खाना डिलीवरी करने वाली कंपनी स्विगी (Swiggy) का हैं। वो अगले कुछ दिनों में अपने करीब 1,100 कर्मचारियों की छँटनी करने जा रही है। कंपनी ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस संकट की वजह से उसके व्यवसाय पर नकारात्मक असर पड़ा है। इसलिए वह देशभर में फैले अपने विभिन्न कार्यालयों और मुख्य कार्यालय में कर्मचारियों की संख्या कम करेगी।  इससे पहले इसकी प्रतिद्वंदी कंपनी जोमैटो (Zomato) ने भी अपने 13% कर्मचारियों की छँटनी की घोषणा की थी ,इसके साथ ही बाकी कर्मचारियों के वेतन में 50% की कटौती भी की है। जबकि पिछले कुछ महीनों में Oyo, Curefit, Udaan, BlackBuck, Treebo, Acko, Fab Hotels, Meesho, Shuttl, Capillary, Niki.ai और Fareportal सहित कई इंटरनेट व्यवसायों ने अस्थायी कर्मचारियों सहित अपने कर्मचारियों को निकाला दिया है।

कर्मचारियों को भेजे एक ई-मेल में स्विगी के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीहर्ष मजेटी ने कहा, ‘‘आज स्विगी के लिए सबसे दुखद दिन है, क्योंकि हमें कर्मचारियों की दुर्भाग्यपूर्ण छँटनी के दौर से गुजरना है।’’ उन्होंने कहा कि कोविड-19 ने कंपनी को तोड़कर रख दिया है और अभी भी सिर्फ अनिश्चितता बनी हुई है। इस वजह से उसे मजबूरन आगे के लिए कड़े कदम उठाने पड़ रहे हैं। हमें अपनी लागत कम करनी है और आगे की अनिश्चितताओं को देखते हुए किसी भी जोखिम से बचना है।

अगले 18 महीने के दौरान व्यवसाय में उथल-पुथल की आशंका के चलते कंपनी अपने कारोबार का स्तर कम रही है। साथ ही जुड़े हुए अन्य कारोबार बंद कर रही है। कंपनी के इस कदम की सबसे बुरी मार उसके ‘खुद की रसोइयों’ (क्लाउड किचन) पर पड़ी है।
क्लाउड किचन ऐसी रसोइयां होती हैं, जहां ऑनलाइन ऑर्डर के आधार पर खाना बनाकर ऑनलाइन माध्यम से ही डिलीवर कर दिया जाता है। इन रसोइयों का खुद का कोई रेस्तरां इत्यादि नहीं होता।

उन्होंने कहा कि चूंकि इस संकट ने हमारे मुख्य व्यवसाय को गंभर रूप से प्रभावित किया है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम अब भारत में ई-वाणिज्य और होम डिलीवरी में प्रवेश करने के मोड़ पर हैं। यह हमें किराने और अन्य सेवा उत्पादों को जारी रखने के अवसर देता है जिसके बारे में हमें लगता है कि हम आगे भी अच्छा प्रदर्शन जारी रख सकेंगे।

आपको बात दें इस लॉकडाउन का प्रभाव तो पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ा है लेकिन होटल और रेस्तरां के व्यपार पर इसका गंभीर असर पड़ा है। क्रिसिल एक भारतीय विश्लेषणात्मक कंपनी है जो रेटिंग, अनुसंधान और जोखिम और नीति सलाहकार सेवाएं प्रदान करती है। उसकी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनोवायरस महामारी के चलते फूड एंड बेवरेज सेक्टर बुरी तरह प्रभावित है। वित्त वर्ष 2020-21 में संगठित डाइन-इन रेस्तरां का राजस्व 40-50 प्रतिशत घटने की संभावना है। रिपोर्ट में जून से धीमी रिकवरी शुरू होने की बात कही गई है।

हालांकि यह व्यवसाय लॉकडाउन से पहले भी नुकसान में जा रहा थी, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट आ रही थी। यह कोई पहली छँटनी नहीं थी इससे पहले भी जोमैटो ने कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है। सितंबर 2019 में 540 कर्मचारियों को निकाला था जो कस्टमर सपोर्ट टीम में थे। यह संख्या कुल कर्मचारियों का दस फीसदी थी। इसी तरह स्विगी ने भी अगस्त 2019 में कर्मचारियों के वेतन में कटौती की गई थी। इसको लेकर फरीदाबाद ज़ोन के कर्मचारियों ने प्रदर्शन भी किया था।  


इसे भी पढ़े: फरीदाबाद : फूड डिलीवर करने वाली कंपनी Swiggy के कर्मचारी हड़ताल पर

स्विगी में काम करने वाले कर्मचारियों ने कंपनी के इस फैसले को लेकर नाराज़गी जाहिर की और कहा कि कंपनी हमे आचनक से हटा रही है, जो की गलत है। इस समय हमें कौन काम देगा बिना कुछ सोचे समझे कंपनी हमे हटा रही है, हमारे परिवार हैं, कंपनी के भरोसे कई लोगों ने बाइक व मोबाइल किस्तों पर लिया है, उसे कैसे भरेंगे।  

हालांकि लॉकडाउन में ज़ोमैटो और उसकी प्रतिद्वंद्वी स्विगी ने किराने के सामानों की डिलीवरी के बिजनेस में शुरू कर दिया है और शराब की होम डिलीवरी के लिए राज्य सरकारों के साथ बातचीत वो शुरू करेगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ जल्द ज़ोमैटो कंज्यूमर-फेसिंग पिक अप और ड्रॉप सर्विस भी लॉन्च करेगी जो कि उसकी प्रतिद्वंद्वी स्विगी की जिनी सेवा का एक प्रतिरूप है।  

मज़दूर संगठन सीटू दिल्ली के सचिव सिद्धेश्वर शुक्ल ने कहा कि "यह सब सरकार और मालिकों की मिलीभगत से हो रहा है। सरकार की तरह नियोक्ता भी इसे एक अवसर की तरह देख रहे है जब वो बड़ी संख्या में सालों से काम कर रहे कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रहे है। उन्होंने कहा कि कंपनियां जानबूझकर यह कर रही है ताकि वो इन पुराने कर्मचारियों के जगह नए लोगों को रख सकें जो इनसे सस्ते होंगे।" 

  सरकार ने आर्थिक व्यवस्था को ठीक करने के लिए 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की थी और दावा किया था की इससे कंपनियों को मदद मिलेगी। इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा था कि किसी की भी नौकरी नहीं जाएगी। लेकिन लगता है कि सरकार ने अपनी आँखे मूँद रखी क्योंकि खुलेआम कंपनियाँ कर्मचारियों की छँटनी कर रही हैं।

(समाचार एजेंसी इनपुट भाषा के इनपुट के साथ)

 

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