NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मध्यप्रदेश उपचुनाव : ज्योतिरादित्य सिंधिया का लिटमस टेस्ट
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र पर अपनी पकड़ साबित करने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए मध्यप्रदेश के ये उपचुनाव एक लिटमस टेस्ट बनकर सामने आए हैं, लेकिन ‘महाराज’ के लिए आसान नहीं होगा। उनके भाजपा में जाने पर ग्वालियर-चंबल के मतदाता कहते हैं, ‘महाराज ने ग़लत किया’
काशिफ काकवी
03 Nov 2020
ज्योतिरादित्य सिंधिया
फ़ोटो-साभार: द इकॉनॉमिक टाइम्स

भोपाल: रोज़गार की उम्मीद में ग्वालियर के महाराज वाड़ा की सीढ़ियों पर हर दिन बैठने वाले 32 वर्षीय दिहाड़ी मज़दूर,रवि के लिए सिंधिया राज परिवार के वारिस और महाराज, पूर्व केंद्रीय मंत्री, ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भी एक महाराज (राजा) ही हैं। लेकिन, इस साल मार्च में कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में जाने के उनके फ़ैसले से रवि परेशान हैं।

ग्वालियर के पुराने शहर के सर्राफ़ा इलाक़े में रहने वाले और भाग्य भरोसे कभी काम मिल गया,तो दिहाड़ी पर हर दिन 300-400 रुपये कमा लेने वाले रवि कहते हैं,“महाराज हीरा आदमी हैं। वह अभी भी हमारे महाराज हैं, लेकिन उन्होंने बीजेपी में जाकर ग़लती की, सरकार गिराने और बीजेपी में जाने से उनकी छवि धूमिल हुई है।"

भिंड के मेहगांव के रहने वाले 48 साल के सूरज रजक, रवि से मीटर भर की दूरी पर बैठे थे, सिंधिया के बारे में सुनकर वह अचानक इस चर्चा में कूद पड़े।

सूरज ने बताया,“महाराज बहुत अच्छे आदमी हैं, लेकिन उन्होंने भाजपा में शामिल होकर भूल कर दी। हमने उन्हें वोट दिया था और अब वे अपने फ़ायदे के लिए भाजपा में चले गये हैं। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने प्रत्येक विधायक (जो कांग्रेस से बीजेपी में गये) के लिए 35 करोड़ रुपये लिए।” 

सूरज भी एक मज़दूर है और ग्वालियर में किराये के घर में अपने परिवार के साथ रहते हैं। सूरज मेहगांव के रहने वाले हैं, यहां 3 नवंबर को उपचुनाव हो रहे हैं।

ऐसा सोचने वाले रवि और सूरज अकेले नहीं हैं; यह उस ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के मतदाताओं के बीच एक आम धारणा है, जहां उपचुनाव में 28 में से 16 सीटों पर 3 नवंबर को वोट डाले जा रहे हैं।

मुरैना शहर में मेडिकल की दुकान चलाने वाले संजय गुप्ता के मुताबिक़, सिंधिया को निर्वाचित सरकार गिराने के बजाय सम्मान नहीं मिलने पर कांग्रेस ही छोड़ देना चाहिए था। गुप्ता कहते हैं,“सिंधिया ने अपने व्यक्तिगत कारणों से हम पर यह (चुनाव) थोप दिया है। मतदाता सिंधिया के मनमानेपन का खामियाजा भुगत रहे हैं।”

गुप्ता आगे बताते हैं,“ सिंधिया की इज्ज़त है, पर इस चुनाव में नहीं मिलेगी। कांग्रेस ख़ास तौर पर माफ़ियाओं और मिलावट के खिलाफ़ अच्छा काम कर रही थी, हालांकि मैंने 2018 के चुनाव में इस पार्टी के लिए मतदान नहीं किया था।”

मज़दूरों से लेकर दुकानदारों तक, ऑटो-रिक्शा चालकों से लेकर छात्रों तक, व्यापारियों से लेकर बुद्धिजीवियों तक में बहुत सारे लोग सिंधिया के भाजपा में जाने से परेशान हैं और उनका कहना है कि  सिंधिया के इस क़दम से उनके शाही परिवार की छवि धूमिल हुई है।

इस क्षेत्र के एक उच्च जाति के नेता, सुरेंद्र सिंह तोमर ने कहा,“जिस तरह उनके पिता, माधवराव सिंधिया ने 1996 में कांग्रेस से अलग होकर विकास कांग्रेस बनाया था,अगर उसी तरह उन्होंने भी तीसरा मोर्चा बनाया होता, तो ग्वालियर-चंबल की जनता उनके साथ मजबूती से खड़ी होती।” 

पार्टी के साथी नेताओं के साथ अनबन के बाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने 22 वफ़ादारों के साथ मार्च 2020 में भाजपा का दामन थाम लिया था, जिससे राज्य में मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार गिर गयी थी। बाद में उनके ज़्यादतर वफ़ादारों को शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया था और भाजपा ने सिंधिया को मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेज दिया था।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि सिंधिया कभी भी राजनीतिक रूप से उतने शक्तिहीन नहीं थे, जितना भाजपा में शामिल होने के समय थे। सिंधिया ने मई 2019 में अपनी संसदीय सीट- गुना में हुए लोकसभा चुनाव में अपने पूर्व क़रीबी,केपी यादव के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ा था और तक़रीबन 1 लाख वोटों के अंतर से वे वह चुनाव हार गये थे। यह पहला मौका था,जब सिंधिया परिवार का कोई सदस्य चुनाव हार गया हो। उन्हें पहले ही 2018 में कांग्रेस की तरफ़ से मुख्यमंत्री पद के लिए मना कर दिया गया था। इसके अलावा, पार्टी ने उन्हें मध्य प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष का पद देने से भी मना कर दिया था।

ग्वालियर के एक वरिष्ठ पत्रकार, राम विद्रोही ने बताया कि इस बीच उन्होंने एक ऐसी अनोखी घटना देखी है, जो इस क्षेत्र में कभी नहीं हुई थी।

उन्होंने बताया,“मैंने अपने पूरे जीवन में सिंधिया परिवार का विरोध करते कभी नहीं देखा था या कभी भी उनके ख़िलाफ़ प्रकाशित होने वाली कोई ख़बर नहीं देखी थी। लेकिन,जब से सिंधिया ने भाजपा का रुख़ किया है, उनके ख़िलाफ़ सुर्खियां बनती रहती हैं-यह बात एकदम से नयी है।"

उन्होंने आगे बताया कि तक़रीबन 200 गेस्ट टीचरों ने सिंधिया महल के बाहर विरोध किया और कुछ महीने पहले "सिंधिया मुर्दाबाद" जैसे नारे लगाये। इसके अलावा,जब सिंधिया भाजपा में शामिल होने के बाद पहली बार ग्वालियर पहुंचे थे, तो हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आये और उन्हें काले झंडे दिखाये। वह कहते हैं, “इस इलाक़े में सिंधिया परिवार के सदस्यों के ख़िलाफ़ ऐसी बातें कभी नहीं हुई। यह एक नयी परिघटना है; लोग उनसे नाराज़ हैं।”

सिंधिया को 'ग़द्दार' के तौर पर पेश करती कांग्रेस

चूंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बड़ी पुरानी पार्टी को छोड़ दिया, इसलिए उनके पूर्व पार्टी के लोगों ने उन पर तीखे हमले करने शुरू कर दिये। इन लोगों ने उन्हें 'ग़द्दार' और भू-माफिया के तौर पर पेश किया; श्रीमंत (कुछ लोग सिंधिया को सम्मानसूचक शब्द,श्रीमंत से सम्बोधित करते हैं) “श्रीअंत’ हो गये।

कांग्रेस ने कई प्रेस कॉन्फ़्रेंस की और दावा किया कि सिंधिया ने अपनी ताक़त का ग़लत इस्तेमाल करते हुए ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में तक़रीबन 10,000 करोड़ रुपये की ज़मीन पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया है। जब वे कांग्रेस में थे,तब भाजपा नेता प्रभात झा सिंधिया पर अक्सर ऐसे आरोप लगाया करते थे। दिलचस्प बात यह है कि जब कांग्रेस ने इस तरह के आरोप लगाने शुरू किये, तो प्रभात झा चुप्पी साध गये।

स्वतंत्रता सेनानी, रानी लक्ष्मी बाई की हत्या में सिंधिया के पूर्वज, जयाजीराव की कथित संलिप्तता का उल्लेख करते हुए ग्वालियर-चंबल के कांग्रेस मीडिया प्रभारी, केके मिश्रा ने कहना शुरू कर दिया, "ग़द्दारी तो इनके ख़ून में है।"

ऐसा माना जाता है कि जयाजीराव सिंधिया ने 1857 में रानी लक्ष्मी बाई को धोखा दिया था और अंग्रेज़ों के साथ मिल गये थे। मिश्रा को ग्वालियर में प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहते हुए सुना गया कि 1967 में ज्योतिरादित्य की दादी, राजमाता विजयराजे सिंधिया ने कांग्रेस को धोखा दिया था और अब ज्योतिरादित्य ने भी यही किया है।

इसके अलावा, कांग्रेस 1949 में वृंदावनलाल शर्मा द्वारा लिखित किताब, ‘झांसी की रानी लक्ष्मी बाई’ को फिर से प्रकाशित कर रही है, जिसमें दिखाया गया है कि रानी लक्ष्मी बाई को हराने में सिंधिया शाही परिवार ने भूमिका निभायी थी। पार्टी की योजना इस पुस्तक को लोगों के बीच बांटने की है।

इसके अलावा, कांग्रेस ने दावा किया कि प्रत्येक दलबदलुओं ने भाजपा से 35 करोड़ रुपये लिए और मतदाताओं को धोखा दिया। कांग्रेस ग़द्दार बनाम वफ़ादार की तर्ज पर व्यापक अभियान चला रही है, और बैनर और पर्चे इस तरह के नारों से अटे-पड़े हैं।

चुनाव प्रचार की शुरुआत में सिंधिया,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ रैलियां कर रहे थे, लेकिन अशोक नगर की एक रैली के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध जताये जाने के बाद भाजपा ने अपनी रैलियों से सिंधिया को दरकिनार कर दिया।

नतीजतन, भाजपा ने इस ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में सिंधिया को व्यापक मौक़े दिया और वह अकेले ही रैलियां करते रहे।

ग्वालियर के एक पत्रकार,रवि शेखर ने कहा, "ग़द्दार बनाम वफ़ादार, 35 करोड़ रुपये की बात और भाजपा के भीतर की लड़ाई इन उपचुनावों में अहम भूमिका निभा सकते हैं और परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।"

सिंधिया किस तरह अपने असर को बनाये रखेंगे 

सिंधिया ग्वालियर-चंबल में अपने वर्चस्व को साबित करने के लिए उन भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आरएसएस नेताओं के साथ भी बैठकें करते रहे हैं,जो उनके बीच वार्ताकार के रूप में काम कर रहे हैं।

सिंधिया के क़रीबी सहयोगी, केशव पांडे ने बताया, "वह व्यक्तिगत तौर पर पार्टी के लोगों के साथ बैठकें कर रहे हैं, उनके घरों का दौरा कर रहे हैं, रैलियों का आयोजन कर रहे हैं और उनके साथ जो महाराजा का टैग लगा हुआ है, उससे अलग हटकर ख़ुद को आम भाजपा कार्यकर्ता के तौर पर पेश कर रहे हैं।"

पांडे ने आगे बताया, "जैसे चीनी पानी के साथ घुल जाती है, वैसा तो नही होगा, वक़्त लगेगा।" सिंधिया के बारे में पूछे जाने पर एक रैली के दौरान मीडियाकर्मियों से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री और मुरैना से सांसद नरेंद्र सिंह तोमर ने भी ऐसी ही बात कही।

भाजपा कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के बीच अपने समर्थन को बढ़ाने के लिए सिंधिया, भाजपा और आरएसएस के निर्माण में अपनी दादी, विजया राजे सिंधिया के कार्यों का ज़िक़्र करते रहते हैं। सिंधिया को विभिन्न रैलियों में कहते हुए सुना गया है,“यह तो मेरी दादी की पार्टी है। मेरी तो बस घर वापसी है।"

इस बीच उच्च जाति के नेता सुरेंद्र सिंह तोमर का मानना है कि सिंधिया का यह नया अवतार इन उपचुनावों में मतदाता की धारणा को बदल सकता है।

तोमर ने बताया,“हम सिंधिया में भारी बदलाव देख रहे हैं। वह व्यक्ति, जो कभी व्यक्तिगत तौर पर किसी से मिला नहीं, वह निजी तौर पर लोगों को फ़ोन कर रहा है, उनके घरों के दौरे कर रहा है। उन्होंने कहा, '' इन चुनावों से एक पखवाड़ा पहले सिंधिया बहुत सक्रिय हो गये थे और वह महाराजा की तरह नहीं, बल्कि एक आम भाजपा कार्यकर्ता की तरह व्यवहार कर रहे हैं। इसने लोगों पर बहुत असर डाला है।''

दूसरी ओर, अनुभवी पत्रकार और राजनीतिक टिप्पणीकार, रशीद किदवई ने बताया, “28 सीटों पर ये उपचुनाव सिंधिया के लिए इस क्षेत्र पर अपने असर को साबित करने वाला एक लिटमस टेस्ट हैं। वह राजनीतिक दलों या उसके नेता के बजाय ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में अपने वर्चस्व को साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

MP Bypolls: ‘Maharaj ne Galat Kiya,’ Say Gwalior-Chambal Voters on Jyotiraditya Scindia’s Switch to BJP

Madhya Pradesh Byelections
MP Bypolls 2020
Jyotiraditya Scindia
BJP
Gwalior Chambal
Congress

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • समीना खान
    विज्ञान: समुद्री मूंगे में वैज्ञानिकों की 'एंटी-कैंसर' कम्पाउंड की तलाश पूरी हुई
    31 May 2022
    आख़िरकार चौथाई सदी की मेहनत रंग लायी और  वैज्ञानिक उस अणु (molecule) को तलाशने में कामयाब  हुए जिससे कैंसर पर जीत हासिल करने में मदद मिल सकेगी।
  • cartoon
    रवि शंकर दुबे
    राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास
    31 May 2022
    10 जून को देश की 57 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी पार्टियों ने अपने बेस्ट उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। हालांकि कुछ दिग्गजों को टिकट नहीं मिलने से वे नाराज़ भी हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन: यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाना इसलिए आसान नहीं है! 
    31 May 2022
    रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाना, पहले की कल्पना से कहीं अधिक जटिल कार्य साबित हुआ है।
  • अब्दुल रहमान
    पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन
    31 May 2022
    फरवरी में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस पर एकतरफा प्रतिबंध लगाए हैं। इन देशों ने रूस पर यूक्रेन से खाद्यान्न और उर्वरक के निर्यात को रोकने का भी आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट
    31 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,338 नए मामले सामने आए हैं। जबकि 30 मई को कोरोना के 2,706 मामले सामने आए थे। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License