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भारत
राजनीति
जय हो! : ‘मेक इन इंडिया’ की भारी सफलता के बाद ‘मेक फॉर वर्ल्ड’
भारत के 74वें स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ का एक नया नारा दिया। आपको जानकारी है कि ‘अच्छे दिन’, ‘हर साल एक से दो करोड़ नौकरी’, ‘हर खाते में 15 लाख’ और ‘मेक इन इंडिया’ के जुमलों/नारों की भारी सफलता के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अब भारत ‘विश्व कल्याण’ की तरफ़ बढ़ रहा है।
आज का कार्टून
15 Aug 2020
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भारत के 74वें स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ का एक नया नारा दिया। आपको जानकारी है कि ‘अच्छे दिन’, ‘हर साल एक से दो करोड़ नौकरी’, ‘हर खाते में 15 लाख’ और ‘मेक इन इंडिया’ के जुमलों/नारों की भारी सफलता के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अब भारत ‘विश्व कल्याण’ की तरफ़ बढ़ रहा है। यह नया नारा इसी को प्रदर्शित करता है।

हमेशा की तरह अपने ‘ऐतिहासिक’ भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने 'मेक इन इंडिया' के साथ 'मेक फॉर वर्ल्ड' (विश्व के लिए विनिर्माण) का नारा जोड़ते हुए भारत को आर्थिक नीतियों में सुधार और बुनियादी ढांचे के विकास के साथ विश्व आपूर्ति श्रृंखला में उत्पादन के एक प्रमुख केंद्र के रूप में प्रस्तुत करने का संकल्प पेश किया। मोदी ने कहा कि भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। आज दुनिया की बहुत बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं। हमें ‘मेक इन इंडिया’ के साथ-साथ ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ के मंत्र को लेकर आगे बढ़ना है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अपनी 130 करोड़ जनता के समर्थन के साथ 'मेक फॉर वर्ल्ड' की दिशा में प्रगति करने का सामर्थ्य रखता है।

वैसे आपको बता दें कि देश का औद्योगिक उत्पादन इस बार जून में सालाना आधार पर 16.6 प्रतिशत घट गया। सरकारी आंकड़े के अनुसार मुख्य रूप से विनिर्माण, खनन और बिजली उत्पादन कम रहने से औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आयी।

मंगलवार को जारी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआई) आंकड़े के अनुसार जून महीने में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में 17.1 प्रतिशत जबकि खनन और बिजली उत्पादन में क्रमश: 19.8 प्रतिशत और 10 प्रतिशत की गिरावट आयी।

इसे पढ़ें : औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में लगातार गिरावट से यह साफ़ है कि मंदी लंबे समय तक कायम रहेगी! 

पिछले चार महीनों में कमाई और नौकरियां नहीं रहने के चलते 80 लाख से ज़्यादा कामगारों ने अपने भविष्य निधि खातों से पैसा निकाल लिया है।

इसे पढ़ें : लॉकडाउन से कामगारों के भविष्य तबाह, ज़िंदा रहने के लिए ख़र्च कर रहे हैं अपनी जमापूंजी 

कृषि क्षेत्र ने अपने भीतर दस लाख अतिरिक्त कामग़ारों को समाहित कर लिया है, लेकिन फिर भी बेरोज़गारी दर 11 फ़ीसदी पर है। CMIE के अनुमानों के हिसाब से लॉकडाउन के पहले की तुलना में अब भी करीब़ 3 करोड़ लोगों के पास रोज़गार नहीं है।

इसे पढ़ें : अमीरों को दी गई छूट और 'अनलॉक' के बावजूद रोज़गार में नहीं हो रहा है सुधार 

इसे भी पढ़ें : मोदी के कृषि ढांचे में निवेश के पीछे का सच 

इसे भी ज़रूर देखें- आज़ाद भारत के सबसे बुरे दिन

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