NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
समाज
सोशल मीडिया
भारत
राजनीति
आख़िर क्या हो रहा है माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में?
एक ओर प्रशासन का कहना है कि दो प्रोफेसर के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ के चलते अनुशासनात्मक कमिटी की सिफारिश पर छात्रों को निष्कासित किया गया है। वहीं दूसरी ओर छात्रों ने आरोप लगाया कि प्रशासन और पुलिस ने उनके साथ बदसुलूकी की और प्रोफेसरों पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें सज़ा दी है।
सोनिया यादव
18 Dec 2019
Image courtsey : social media

इन दिनों विश्वविद्यालय प्रशासन, छात्रों और पुलिस के बीच टकराव की तमाम खबरें सुर्खियों में हैं। इसी बीच भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में प्रशासन द्वारा 23 छात्रों के निष्कासित की खबर सामने आई है। एक ओर प्रशासन का कहना है कि दो प्रोफेसर के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ के चलते अनुशासनात्मक कमिटी की सिफारिश पर छात्रों को निष्कासित किया गया है। वहीं दूसरी ओर छात्रों ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि प्रशासन और पुलिस ने उनके साथ बदसुलूकी की और प्रोफेसरों पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें सजा दी है।

08a30f8f68cfd2f8e5b1a8fcd801d7e4.jpg

क्या है पूरा मामला?

इस पूरे विवाद की शुरुआत 12 दिसंबर गुरुवार के दिन हुई। करीब 5 छात्रों का एक समूह विश्वविद्यालय के कुलपति के पास दो अनुबंधित प्रोफेसर दिलीप सी मंडल और मुकेश कुमार के खिलाफ एक ज्ञापन लेकर पहुंचा। छात्रों ने आरोप लगाया कि दोनों प्रोफेसर विश्वविद्यालय परिसर और सोशल मीडिया पर जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हैं, एक जाति विशेष का विरोध करते हैं, जिससे छात्र आहत हैं और परिसर में भेदभाव महसूस करते हैं। प्रशासन द्वारा छात्रों को बताया गया कि कुलपति विश्वविद्यालय में नहीं हैं और जब वह आएंगे तब इस मामले पर विचार किया जाएगा।

इसके बाद 13 दिसंबर शुक्रवार को छात्र फिर से कुलपति से मिलने पहुंचे और संतुष्ट ना होने पर कुलपति कार्यालय के बाहर धरना देने लगे। छात्रों ने आरोप लगाया कि जब वह शांति पूर्वक धरना दे रहे थे तब पुलिस उन्हें यूनिवर्सिटी प्रशासन के इशारे पर पांचवीं मंजिल की सीढ़ियों से घसीटते हुए नीचे ले आई। इस दौरान कई छात्र घायल भी हुए। इसके बाद पुलिस ने कुछ छात्रों को हिरासत में ले लिया।

mcu_1_5521314-m.jpg

17 दिसंबर मंगलवार को इस पूरे मामले पर विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुशासनात्मक कमेटी ने प्रदर्शन के दौरान छात्रों को तोड़फोड़, अनुशासनहीनता और दुर्व्यवहार का दोषी करार देते हुए को 23 छात्र-छात्राओं को निष्कासन के साथ यह भी निर्देश दिया कि अगले आदेश तक यह छात्र विश्वविद्यालय की कक्षा या एग्जाम में शामिल नहीं हो सकेंगे।

इस संबंध में प्रशासन द्वारा निष्कासित विश्वविद्यालय के छात्र अनूप शर्मा ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, ‘प्रोफेसर दिलीप मंडल और मुकेश सिंह के जातिसूचक शब्दों से आहत होकर हम कुलपति से मिलने गए थे, हमारा प्रदर्शन भी शांतिपूर्ण था, लेकिन कुछ छात्र भावुक हो गए। उन्हें रोकने के दौरान हमसे गलती से पीछे एक शीशा टूट गया, जो सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में भी साफ नज़र आ रहा है। लेकिन प्रशासन और पुलिस ने हमारे साथ बदसुलूकी की। हमें मारा-पीटा गया, सीढ़ियों से घसीटा गया। पुलिस ने हमें प्रताड़ित किया और रात के तीन बजे सड़क पर छोड़ दिया। हम विश्वविद्यालय परिसर में भाईचारा चाहते हैं, एकजुट हुए बिना धर्म-जाति के भेदभाव के रहना चाहते हैं।'

जब अनूप से जातिसूचक शब्द और टिप्पणियों के संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘ये दोनोंं प्रोफेसर छात्रों से नाम के साथ उसका सरनेम यानी जाति पूछते हैं। माथे पर लगे तिलक और हाथ में बांधे रक्षा-सूत्र पर टिप्पणियां करते हैं। छात्रों को जाति के आधार पर अपने कैबिन में बुलाकर बात करते हैं। प्रोफेसर दिलीप मंडल लगातार सोशल मीडिया पर सवर्ण लोगों के खिलाफ भड़काते हैं।'

dilip-mandal.jpg

छात्रों के निष्कासन के संबंध में न्यूज़क्लिक ने प्रोफेसर दिलीप मंडल से उनका पक्ष जानने की कोशिश की। प्रोफेसर दिलीप मंडल का कहना है, ‘माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल से 23 विद्यार्थियों के निष्कासन का फैसला वहां की हिंसा के कारण किया गया। मेरे लिए सुखद है कि मेरे विभाग का कोई विद्यार्थी इस लिस्ट में नहीं है। मैं निवेदन करता हूं कि ये फैसला सहानुभूति के आधार पर रद्द हो। ये बच्चे RSS की साजिश के शिकार हो गए हैं। उनका कोई दोष नहीं है। आखिर वे मेरे ही विद्यार्थी हैं। मैं नहीं चाहता कि संघी साजिश की वजह से उनका करियर खराब हो।'

इस संबंध में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने कहा, 'सीसीटीवी फुटेज देखकर इस मुद्दे पर चर्चा हुई जिसके बाद अनुशासनात्मक समिति ने निष्कर्ष निकाला कि छात्रों के दुर्व्यवहार और अनुशासनहीनता को देखते हुए सख्त कार्रवाई होनी जरूरी है ताकि भविष्य में इस तरह की दोबारा कोई हरकत न हो।'

निष्कासित किए गए एक अन्य छात्र अर्पित ने न्यूज़क्लिक को बताया, 'हमें निष्कासन की सूचना कल मिली है। अब आगे क्या करना है, इस पर हम फैसला लेंगे लेकिन जो भी होगा शांतिपूर्ण और कानूनी रूप से होगा। हमें इस बात का दुख है कि दोनों प्रोफेसरों के बजाय हमें सजा दी गई है। ये प्रोफेसर स्टूडेंट्स को जाति के आधार पर बांटते हैं और जातिवादी टिप्पणी करते हैं लेकिन उन्हें छोड़ दिया गया। हम किसी संगठन, किसी विचारधारा के छात्र नहीं हैं हम इस विश्वविद्यालय के पत्रकारिता के छात्र हैं और हम किसी के बहकावे में कुछ नहीं कर रहे, हम आहत हैं इसलिए हमने शिकायत की, लेकिन इन शिक्षकों की जातिवादी मानसिकता हमें क्या सिखा रही है।'

makhanlal_journalism_universit-770x433.jpeg

विश्वविद्यालय के ही एक अन्य छात्र ने कहा, ‘छात्रों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन था। दिलीप मंडल को हर कोई जानता है, वो सोशल मीडिया पर क्या करते हैं ये भी सभी को पता है। वो सिर्फ एक विभाग के छात्रों तक सीमित नहीं हैं, उनके सेमिनार अन्य छात्र भी अटेंड करते हैं। बड़ा नाम होने के कारण कई बार छात्र जब उनसे मिलने का प्रयास करते हैं तो वह जाति के आधार पर बातें करते हैं। हर किसी पर अपनी सोच थोपने का प्रयास करते हैं। मीडिया को ब्राह्मणवादी बताते हैं, एक विशेष जाति के लोगों को अलग से महत्व देते हैं। ये भेदभाव नहीं तो क्या है?’

इस पूरे प्रकरण पर प्रोफेसर दिलीप मंडल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर अपनी बात सामने रखी है। उन्होंने लिखा है, ‘विद्यार्थियों के साथ मेरा रिश्ता ज्ञान का है। मैं माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी, भोपाल के निमंत्रण पर वहां पढ़ाता हूं। जिन 500 से ज्यादा विद्यार्थियों को हमने PTC, MOJO, ब्लॉगिंग सिखायी है, और जिन्हें आगे एंकरिंग और टीवी रिपोर्टिंग सिखानी है, देश-दुनिया की जानकारियां देनी हैं, अगर वे लिख कर दे दें कि वे मुझसे नहीं पढ़ना चाहते तो मैं वहां नहीं पढ़ाऊंगा। यूनिवर्सिटी उनके बीच रेफरेंडम करा कर देख ले कि वे पढ़ना चाहते हैं या नहीं। लेकिन चंद संघी उत्पाती तत्वों की हिंसा वजह से विश्वविद्यालय का शैक्षणिक माहौल खराब नहीं होना चाहिए।'

Shivraj-Singh-Chouhan.jpg

बता दें कि विश्वविद्यालय के इस मुद्दे पर राजनीति पर गरमा गई है। विश्वविद्यालय से निष्कासित किए गए 23 छात्रों का मामला आज 18 दिसंबर, को विधानसभा में गूंजा। मामले को उठाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ प्रशासन ने आतंकियों जैसा व्यवहार किया है, निष्कासित छात्रों को तुरंत बहाल किया जाए। वहीं भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मिलीं और छात्रों के निष्कासन के संबंध में शिकायत की।

Dilip Mandal
Mukesh Kumar
Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication
Bhopal
caste discrimination
Casteism
Student Protests
KAMALNATH GOVT
Madhya Pradesh government
sadhvi pragya thakur
MP police

Related Stories

विचारों की लड़ाई: पीतल से बना अंबेडकर सिक्का बनाम लोहे से बना स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी

मध्य प्रदेश : आशा ऊषा कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन से पहले पुलिस ने किया यूनियन नेताओं को गिरफ़्तार

रेलवे भर्ती मामला: बर्बर पुलिसया हमलों के ख़िलाफ़ देशभर में आंदोलनकारी छात्रों का प्रदर्शन, पुलिस ने कोचिंग संचालकों पर कसा शिकंजा

रेलवे भर्ती मामला: बिहार से लेकर यूपी तक छात्र युवाओं का गुस्सा फूटा, पुलिस ने दिखाई बर्बरता

अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे गोरखपुर विश्वविद्यालय के शोध छात्र, अचानक सिलेबस बदले जाने से नाराज़

सामूहिक वन अधिकार देने पर MP सरकार ने की वादाख़िलाफ़ी, तो आदिवासियों ने ख़ुद तय की गांव की सीमा

झारखंड विधान सभा में लगी ‘छात्र संसद’; प्रदेश के छात्र-युवा अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर

उत्तराखंड: NIOS से डीएलएड करने वाले छात्रों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए अनुमति नहीं

भोपाल : लखीमपुर नरसंहार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन, राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

डीयू: एनईपी लागू करने के ख़िलाफ़ शिक्षक, छात्रों का विरोध


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License