NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कानून
भारत
राजनीति
क्या खान मंत्रालय ने खनन सुधारों पर अहम सुझावों की अनदेखी की?
अगस्त 2020 में खान मंत्रालय ने प्रस्तावित खनन सुधारों पर सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की थीं। जनवरी में इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंज़ूरी दे दी थी। अब एक आरटीआई आवेदन के जवाब में मंत्रालय ने कहा है कि उसे मिलने वाले 12,000 से ज़्यादा सुझावों में से सिर्फ़ उन्हीं सुझावों पर विचार किया गया था, जो "सुधारों को लेकर प्रतिबद्ध थे।"
अबीर दासगुप्ता
26 Feb 2021
mines

बेंगलुरु: 13 जनवरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खान मंत्रालय की तरफ़ से खानों और खनिजों के क्षेत्र में व्यापक सुधारों के एक प्रस्ताव को मंज़ूरी दी थी। मई में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से कोविड प्रोत्साहन पैकेज के एक हिस्से के रूप में जिन सुधारों की घोषणा की गयी थी, उन्हें खान मंत्रालय ने तैयार किया था और अगस्त 2020 में टिप्पणियों के लिए जनता के सामने रखा था।

सार्वजनिक परामर्श की सामान्य प्रक्रियाओं के तहत मंत्रालय को इन प्रस्तावित सुधारों पर जनता से मिलने वाली सभी टिप्पणियों, सुझावों और सिफ़ारिशों का आकलन करने से पहले प्रस्ताव को अंतिम रूप देने और मंत्रिमंडल की मंज़ूरी लेने की उम्मीद की जाती है। हालांकि, सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत दायर एक आवेदन के जवाब में मंत्रालय ने बताया कि उसे 12,149 सुझाव मिले थे, लेकिन उसने सिर्फ़ उन्हीं सुझावों पर विचार किया, जो "सुधारों के लिए प्रतिबद्ध" थे, इससे यह पता चलता है कि मंत्रालय ने उन सभी सुझावों की अनदेखी की, जिनमें प्रस्तावित सुधारों की या तो आलोचना की गयी थी या फिर उन पर सवाल उठाये गये थे।

मिनरल इनहेरिटर्स राइट्स एसोसिएशन (MIRA) नामक एक नागरिक समाज संगठन की तरफ़ से दायर आरटीआई आवेदन में मंत्रालय से पूछा गया था कि उसे कितनी टिप्पणियां मिलीं, उन टिप्पणियों का आकलन कैसे किया गया, और मंत्रालय द्वारा प्राप्त इन सुझावों और सिफ़ारिशों में से किन्हीं सुझावों या सिरफ़ारिशों को कैबिनेट की तरफ़ से तैयार अंतिम सुधार प्रस्ताव में शामिल किया गया या नहीं।

कोई जवाब नहीं

मिनरल इनहेरिटर्स राइट्स एसोसिएशन (MIRA) की राष्ट्रीय समन्वयक, सास्वती स्वेतलाना की तरफ़ से दायर किये गये आरटीआई आवेदन में मंत्रालय को इन सुधारों के लिए अंतिम प्रस्ताव में शामिल सुझावों को शामिल करने या खारिज करने वाले विस्तृत कारणों को बताने की मांग की गयी थी।

एमआईआरए के इस सवाल के जवाब में खान मंत्रालय के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी-अधीर कुमार मलिक ने लिखा: “प्रस्तावित खनन सुधारों पर कुल 12,149 सुझाव/टिप्पणियां प्राप्त हुए थे। (संशोधन) बिल तैयार करते समय इन सुझावों / टिप्पणियों पर उचित विचार किया जाता है।”

हालांकि, उन्होंने आगे बताया, “किसी भी विधेयक का मक़सद इस क्षेत्र में सुधार लाना है। खनन सुधारों के लिए खान और खनिज (विकास और विनियमन) (MMDR) अधिनियम, 1957 में प्रस्तावित संशोधन के बाद से उन सुझावों पर विचार किया गया है, जो इस क्षेत्र में सुधारों को लेकर प्रतिबद्ध हैं।”

सवाल उठता है कि मंत्रालय ने इस बात का आकलन कैसे कर लिया कि कौन-कौन से सुझाव ‘इन सुधारों को लेकर प्रतिबद्ध’ थे? यही वह सवाल है, जिसे एमआईआरए ने खान मंत्रालय की निदेशक, वीना कुमार डर्मल से अपने अपील में पूछा है, जो आरटीआई अधिनियम के तहत नामित प्रथम अपीलीय अधिकारी हैं।

इस अपील में पूछा गया है कि उन टिप्पणियों / सुझावों को किस आधार पर वर्गीकृत किया गया था, और उन्हें मंज़ूर या खारिज करने के लिहाज़ से इन टिप्पणियों का आकलन करने का ज़िम्मेदार अधिकारी कौन था ? इस अपील में मंत्रालय से यह भी स्पष्ट करने को कहा गया था कि इन सुधारों को लेकर प्रतिबद्ध होने का क्या मतलब है। इसके अलावा, इस अपील में यह भी पूछा गया था कि मंत्रालय डिजिटल प्रारूप में आवेदक के साथ सभी प्रतिक्रियाओं को साझा करता है या नहीं।

हालांकि, अपीलीय प्राधिकारी ने कहा कि आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (i),"मंत्रिपरिषद के वे फ़ैसले (कैबिनेट), उनके कारणों और उन सामग्रियों, जिनके आधार पर फ़ैसले लिये गये थे, इन तमाम बातों को आख़िरी फ़ैसला लिये जाने और मामला पूरा हो जाने या ख़त्म हो जाने के बाद ही सार्वजनिक किया जायेगा।” उसके ही मुताबिक़  यह जवाब दिया गया है और विवरण मुहैया कराने का जो अनुरोध किया गया है, उसे बताने से छूट ली गयी है।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए स्वेतलाना ने कहा, “हम इसका कड़ा विरोध करते हैं। सुधारों को लेकर प्रतिबद्ध‘ होने की आख़िर परिभाषा क्या है?’ यह जनता को बताया जाना चाहिए। क्या इसका मतलब सिर्फ़ उन लोगों के सुझावों से है, जो प्रस्तावित संशोधनों पर सहमत हैं?”

स्वेतलाना आगे कहती हैं, “जो अलग राय रखते हैं, वे भी तो सुधारों के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, यह सबकुछ उन समुदायों के लाभान्वित होने के लिहाज़ से होना चाहिए था, जो इन खनिजों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के मालिक हैं।”

विवादास्पद सुधार

खानों के क्षेत्र में होने वाले ये संरचनात्मक सुधार पर्यावरणविदों, खनन प्रभावित लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं और आदिवासी अधिकारों के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ताओं की ज़बरदस्त आलोचना का विषय रहे हैं।

इन सुधारों में भविष्य की नीलामी को लेकर आबद्ध (captive) और अनाबद्ध (non-captive) खानों के बीच अंतर करना, राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के ग़ैर-उत्पादक ब्लॉकों का फिर से आवंटन, और ज़्यादा से ज़्यादा खानों की नीलामी में मदद करने को लेकर खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम के कुछ वर्गों में संशोधन करना शामिल है।

यह सुधार निजी क्षेत्र की कंपनियों को अन्वेषण और संभावना की तलाश करना,मौजूदा आबद्ध खदान में खनिज की जितनी मात्रा का उत्खनन किया जाता है, उस मात्रा की सीमा का बढ़ाया जाना और इसे 25% से 50% तक उसके निर्दिष्ट आबद्ध इस्तेमाल से परे खननकर्ताओं की तरफ़ से व्यावसायिक रूप से उसे बेचे जा सकने की अनुमति देता है और यह सुधार अवैध खनन की परिभाषा को भी सुंकुचित करता है।

इसके अलावा, ये सुधार उस राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट की स्थापना करने की बात करते हैं, जो कि अन्वेषण में तेज़ी लाने वाला एक स्वायत्त निकाय है, और विभिन्न खनन गतिविधियों के लिए शुल्क निर्धारित करने और कर लगाने को लेकर एक विस्तृत और व्यापक प्रणाली विकसित करने के लिए हाल ही में शुरू किये गये राष्ट्रीय कोयला सूचकांक के तर्ज पर एक राष्ट्रीय खनिज सूचकांक बनाने की बात करते हैं।

जैसा कि न्यूज़क्लिक ने अपनी पहले की रिपोर्ट में बताया था कि अगस्त 2020 में मंत्रालय की तरफ़ से जारी मसौदा प्रस्ताव पर प्रतिक्रियायें देने को लेकर महज़ 10 दिनों का समय ही दिया गया था (जिसे बाद में एक और सप्ताह तक के लिए बढ़ा दिया गया था), कार्यकर्ताओं की पहली आलोचना तो इस प्रक्रिया को लेकर ही थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रस्तावित सुधारों के साथ पर्याप्त प्रासंगिक डेटा मुहैया नहीं करा कर, जनता को अपनी प्रतिक्रियायें प्रस्तुत करने के लिए सभी प्रासंगिक जानकारी एकत्र करने के लिहाज़ से पर्याप्त समय नहीं देकर औ खनन से प्रभावित लोगों की स्थानीय भाषाओं में इस मसौदा प्रस्ताव का अनुवाद उपलब्ध नहीं करा कर यह प्रक्रिया सरकार की पूर्व-विधायी परामर्श नीति का उल्लंघन कर रही है।

इसके बाद, मंत्रालय के जवाब में भेजे गये कई प्रस्तुतियों में भी इस प्रस्ताव की आलोचना की गयी थी। न्यूज़क्लिक, मोंगबे, स्क्रॉल डॉट इन और दूसरे वेबसाइट की विस्तृत रिपोर्ट में पर्यावरणविदों और आदिवासी कार्यकर्ताओं और अधिवक्ताओं की तरफ़ से मंत्रालय को भेजी गयी इन आलोचनाओं का हवाला देते हुए बताया गया था कि ये सुधार कॉर्पोरेट्स को मिलने वाले अल्पकालिक मुनाफ़े पर केंद्रित है। इन सुधारों में भारत के खानों और खनिजों के क्षेत्र में दीर्घकालिक रणनीतिक लक्ष्यों के सिलसिले में की जा रही चिंता के प्रमुख क्षेत्रों पर भी ध्यान नहीं दिया गया है और न ही खनन प्रभावित लोगों,ख़ास तौर पर आदिवासी समुदायों की चिंताओं की बात भी नहीं की गयी है।

और सुधारों को लेकर की जा रही जल्दबाज़ी

पिछले दो महीनों में मंत्रालय ने चार और मसौदा सुधारों को अधिसूचित किया है। यह प्रस्तावित मसौदा, खनिज रियायत नियम 2021, जो खनिज रियायत नियम 2016, मसौदा खनिज नीलामी (संशोधन) नियम, और मसौदा अतिरिक्त संशोधन प्रस्ताव एमएमडीआर अधिनियम, 1957 में दो प्रस्तावित संशोधन लाएगा।

जबकि खनिज रियायत नियमों के प्रस्तावित इन संशोधनों का मक़सद उन खनन लाइसेंस धारकों से निपटना है, जो अपनी खदानों को चलाने में नाकाम रहे थे और जो उन शर्तों में ढील लेते हुए वर्षों से चल रहे मुकदमेबाज़ी में अटके हुए हैं, जिसके तहत पट्टों को ख़त्म और हस्तांतरित किया जा सकता है, और इन नीलामी नियमों में यह संशोधन उन निजी कंपनियों को वित्तीय प्रोत्साहन की पेशकश करती है, जो खनिजों की नीलामी में भाग लेना चाहती हैं, एमएमडीआर अधिनियम में यह प्रस्तावित संशोधन पर्याप्त हैं।

न्यूज़क्लिक में छपी पहली विस्तृत रिपोर्ट में इस प्रस्तावित एमएमडीआर संशोधनों को "देश के प्राकृतिक संसाधनों का ज़्यादा से ज़्यादा लाभ कॉर्पोरेट घरानों को दिये जाने में मदद पहुंचाने के मक़सद से किये जाने वाले एक प्रयास" के तौर पर दिखाया गया था। यह प्रस्तावित संशोधन केंद्र को उन खनिज ब्लॉकों की नीलामी की अनुमति देता है, जो ख़ास तौर पर राज्यों से सम्बन्धित हैं। यह संशोधन "उन मामलों में नीलामी (खनिज ब्लॉक) का संचालन करने के लिए केंद्र सरकार को शक्ति प्रदान करता है, जहां राज्य सरकारें नीलामी के संचालन में चुनौतियों का सामना करती हैं या नीलामी कर पाने में नाकाम रहती हैं।”

इस सिलसिले में स्वेतलाना का कहना है, “जनवरी और फ़रवरी में प्रस्तावित इन संशोधनों के मामले में भी खान मंत्रालय ने भारत सरकार की पहले वाली क़ानूनी परामर्श नीति का पालन नहीं किया था। वे न तो आरटीआई आवेदन दाखिल करने के लिए पर्याप्त समय दे रहे हैं, और न ही वे अपने प्रस्तावों का आकलन करने के लिए प्रासंगिक डेटा और जानकारी मुहैया करा पा रहे हैं। वे न तो कैग (भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) की तरफ़ से किसी ऑडिट सिफ़ारिशों पर विचार कर रहे हैं, न ही लोक लेखा समिति या संसदीय स्थायी समिति की तरफ़ से किसी रिपोर्ट को लेकर सोच रहे हैं। बुनियादी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उल्लंघन किया जा रहा है। अगर सरकार उन लोगों के विचारों की अनदेखी कर रही है, जो प्रस्तावित सुधारों को लेकर अलग राय रखते हैं, तो हम इस प्रक्रिया को ही नाकाम मानते हैं।”

लेखक एक स्वतंत्र पत्रकार हैं

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करे

https://www.newsclick.in/Ministry-Mines-Disregard-Critical-Suggestions-Mining-Reforms

RTI
Ministry of Mines

Related Stories

आरटीआई अधिनियम का 16वां साल: निष्क्रिय आयोग, नहीं निपटाया जा रहा बकाया काम

मोदी राज में सूचना-पारदर्शिता पर तीखा हमला ः अंजलि भारद्वाज

आरटीआई के 15 साल: 31% सूचना आयोगों में कोई प्रमुख नहीं, 2 लाख से अधिक मामले लंबित


बाकी खबरें

  • CARTOON
    आज का कार्टून
    प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?
    27 Apr 2022
    मुख्यमंत्रियों संग संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर टैक्स कम करने की बात कही।
  • JAHANGEERPURI
    नाज़मा ख़ान
    जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी
    27 Apr 2022
    अकबरी को देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं था न ही ये विश्वास कि सब ठीक हो जाएगा और न ही ये कि मैं उनको मुआवज़ा दिलाने की हैसियत रखती हूं। मुझे उनकी डबडबाई आँखों से नज़र चुरा कर चले जाना था।
  • बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    27 Apr 2022
    वाहनों में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देने के उद्देश्य से निर्भया सेफ्टी मॉडल तैयार किया गया है। इस ख़ास मॉडल से सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी।
  • श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    प्रभात पटनायक
    श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    27 Apr 2022
    श्रीलंका के संकट की सारी की सारी व्याख्याओं की समस्या यह है कि उनमें, श्रीलंका के संकट को भड़काने में नवउदारवाद की भूमिका को पूरी तरह से अनदेखा ही कर दिया जाता है।
  • israel
    एम के भद्रकुमार
    अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात
    27 Apr 2022
    रविवार को इज़राइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडेन की फोन पर हुई बातचीत के गहरे मायने हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License