NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
"ना ओला ना ऊबर, सरकार अपने हाथ में ले नियंत्रण- तमिलनाडु के ऑटो चालकों की मांग
महामारी के दौरान यात्रियों की संख्या में कमी, ईंधन की क़ीमतों में इज़ाफ़े और 2013 से मीटर की दरों में बदलाव ना होने से ऑटो चालक बहुत कठिन स्थिति में फंस गए हैं।
श्रुति एमडी
30 Jul 2021
चेन्नई में 7 जुलाई को ईंधन की बढ़ी हुई कीमतों के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन। तस्वीर साभार: CITU, तमिलनाडु
चेन्नई में 7 जुलाई को ईंधन की बढ़ी हुई कीमतों के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन। तस्वीर साभार: CITU, तमिलनाडु

तमिलनाडु में नए मामलों में लगातार कमी आ रही है, इस बीच सरकार ने भी कोविड लॉकडाउन के तहत लगाए गए प्रतिबंधों में बहुत छूट दे दी है। इसके बावजूद राज्य में ऑटो रिक्शा वालों को यात्री नहीं मिल रहे हैं, क्योंकि स्कूल, कॉलेज और कई सारे उद्योग-धंधों का अब भी खुलना बाकी रह गया है।

यात्रियों की संख्या में आई कमी की वज़ह हाल में महिलाओं के लिए मुफ़्त बस यात्रा की घोषणा भी है। हाल में चुनी गई डीएमके सरकार द्वारा सबसे पहले लाई गई योजनाओं में महिलाओं के लिए मुफ़्त बस यात्रा शामिल है। इस कदम की बड़े पैमाने पर सराहना हो रही है। लेकिन सरकार ने इस फ़ैसले का ऑटो चालकों पर प्रभाव का ध्यान नहीं रखा। 

महिलाएं ऑटो यात्रियों का एक बड़ा हिस्सा होती है। लेकिन अब मुफ़्त में बस यात्रा की व्यवस्था होने से इस वर्ग का एक बड़ा हिस्सा ऑटो रिक्शा के बजाए सार्वजनिक यातायात का इस्तेमाल करेगा। 

बढ़ी हुई ईंधन की कीमतों और महामारी में यात्रियों की कमी के बाद, ऑटो चालकों के लिए राज्य सरकार का ताजा फ़ैसला उनके ताबूत में आखिरी कील साबित हुई है। कई ऑटो रिक्शा चालक अब इस पेशे को छोड़ रहे हैं और दूसरे काम को खोज रहे हैं।

हालांकि ऑटो रिक्शा यूनियन के पास इस स्थिति से निपटने के लिए एक प्रस्ताव है। उनकी मांग है कि ओला या ऊबर जैसे निजी खिलाड़ियों के बजाए सरकार को ड्राइवरों को यात्रियों से संपर्क करवाने की व्यवस्था का प्रभार ले लेना चाहिए। इस तरह सरकार लंबे वक़्त से काम से दूर रह रहे ऑटो चालकों को मुआवज़ा उपलब्ध करवा सकती है। 

2013 से नहीं हुआ किराये में फेरबदल

पिछली बार तमिलनाडु में 2013 में ऑटो रिक्शा मीटर रेट बदला गया था। तब न्यूनतम किराया शुरुआती 1।8 किलोमीटर के लिए 25 रुपये तय किया गया था। इसके बाद हर किलोमीटर के लिए 12 रुपये लगना था। 2013 में पेट्रोल 70-75 रुपये लीटर हुआ करता था, अब यह 100 के पार जा चुका है। लेकिन सरकार ने इन आठ सालों में मीटर किराये में इज़ाफा नहीं किया। 

तमिलनाडु ऑटो रिक्शा वर्कर्स फेडरेशन 45 संघों का एक साझा मंच है। मंच की मांग है कि शुरुआती 1.5 किलोमीटर के लिए किराया 40 रुपये और उसके बाद हर किलोमीटर के लिए 20 रुपये तय किया जाए। 

फेडरेशन के अध्यक्ष बालासुब्रमण्यम ने न्यूज़क्लिक से कहा, "2016 में मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मीटर किराये को फिर से तय करने का निर्देश दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने इस निर्देश से उदासीनता रखी और कोई कार्रवाई नहीं की।"

उन्होंने आगे कहा, "ऑटो यात्रियों के लिए लगने वाले भाड़े को महंगाई, पेट्रोल की बढ़ती कीमतों, आबादी, शहर की क्षमता आदि के हिसाब से बदलना चाहिए, लेकिन राज्य सरकार के पास किराये में बदलाव के लिए ऐसे कोई सूचकांक ही नहीं हैं।"

मंच ने सुझाव दिया है कि ऑटो के लिए GPS समर्थित भाड़ा दर तय की जानी चाहिए, ताकि पेट्रोल की कीमतों और किराये में होने वाले बदलाव शामिल किया जा सके। 

हम ओला और ऊबर नहीं चाहते

चेन्नई के ऑटो रिक्शा चालकों के खिलाफ़ सामान्यत: यह शिकायत की जाती है कि वे मीटर के हिसाब से तय किए गए दर पर काम नहीं करते। ऑटो चालक अपने जवाब में कहते हैं कि मीटर की दर ईंधन के खर्च के हिसाब से नहीं है, ऐसे में यह उनकी रोजाना की मांग को पूरा नहीं कर पाता। 

बता दें पिछले दो सालों में दिल्ली और मुंबई में ऑटो किराये में संशोधन हो चुका है। 

ओला या ऊबर से ऑटो रिक्शा लेने में चालक को सिर्फ मीटर का किराया मिलता है, जो तय की गई दूरी के हिसाब से निश्चित रहता है। बाकी का पैसा निजी कंपनियों के हाथ में जाता है। बताया जाता है कि यह कुल किराये का करीब़ 30 फ़ीसदी होता है। इसलिए ऑटो चालकों की शिकायत रहती है कि इन कंपनियों के साथ काम करने में, सीधे यात्रियों के साथ मोलभाव कर हासिल होने वाले किराये से बहुत कम पैसा मिल पाता है। 

निजी खिलाड़ियों के स्वामित्व वाले इन फोन एप्लीकेशन में मांग के हिसाब से भी किराया बढ़ जाता है, खासकर 'सबसे ज़्यादा मांग वाले घंटो (पीक अवर्स)', त्योहार के दिनों और शहर से बाहर जाने की स्थिति में ऐसा होता है। लेकिन चालकों को इस बढ़ी हुई कीमत का सिर्फ़ 10 से 20 फ़ीसदी ही मिल पाता है। 

बालासुब्रमण्यम कहते हैं, "शुरुआत में ओला और ऊबर ने अच्छा प्रोत्साहन दिया। उन्होंने हमें एंड्रॉयड फोन तक दिए। लेकिन अब उन्होंने पूरे क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया है और अपने हिसाब से नियम तय कर रहे हैं। इसलिए हम सरकार से यात्रियों को चालकों के साथ जोड़ने की प्रक्रिया का प्रभार लेने की अपील कर रहे हैं। अगर राज्य कुल भुगतान का 2 फ़ीसदी हिस्सा भी ले लेता है, तो भी यह राज्य और ऑटो चालकों के लिए मुनाफ़े की स्थिति होगी।"

उन्होंने आगे कहा, "अगर यह वाकई जनता की मित्रवत् सरकार है, तो यह सरकार मोटर कामग़ारों को गंभीरता से लेगी। हम कृषि कामग़ारों के बाद राज्य की आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं।"

"पूरी तरह हुए बर्बाद"

हालांकि तमिलनाडु सरकार ने बीमा कंपनियों को महामारी के दौरान कर्ज़ पर उठाए गए ऑटो के ऊपर 6 महीने तक EMI ना लेने का निर्देश दिया था। लेकिन बैंक इसकी अनुमति नहीं दे रहे हैं। CITU औरे दूसरे मज़दूर संघों ने तो इस अवधि को दिसंबर, 2020 तक बढ़ाने की मांग की थी। 

लेकिन ऑटो चालकों को किस्त जमा करने के लिए मजबूर किया गया। अगर वे किस्त जमा नहीं कर पाए तो बैंकों ने उनके ऊपर जुर्माना लगाया। 

तिेरुनेलवेली में 7 जुलाई को ईंधन की बढ़ी हुई कीमतों के खिलाफ़ प्रदर्शन। तस्वीर साभार: CITU, तमिलनाडु

पिछले कुछ महीनों में पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ़ राज्य में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। ऑटो चालकों ने बड़ी संख्या में इन प्रदर्शनों में हिस्सा लिया है और अपने दुख को व्यक्त किया है। 

दक्षिण चेन्नई में ऐसे ही एक प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले एक ऑटो चालक ने बताया, "कई महीनों तक बिना काम के रहने के चलते हम पहले ही अपने घर की सभी चीजों को गिरवी रख चुके हैं और कर्ज़ में फंसे हुए हैं। हमारी कोई आय नहीं है, लेकिन हमें रोड टैक्स देना पड़ रहा है, ड्राइविंग लाइसेंस का नवीकरण करवाना पड़ रहा है, फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए पैसा देना पड़ रहा है, हरित कर चुकाना पड़ रहा है और बीमा का भुगतान भी करना पड़ रहा है। ऊपर से हमारे ऑटो की EMI भी हैं। यह असंभव है।"

बालासुब्रमण्यम कहते हैं, "ऑटो रिक्शा अच्छा पेशा है, हमारे पास अपने रोज़गार का साधन होता है, हम किसी के सामने नहीं झुक रहे होते हैं। लेकिन अब हमें पूरी तरह बर्बाद कर दिया गया है। कोई चालक मूंगफली बेच रहा है, तो कोई किसानी करने की कोशिश कर रहा है।"

रोड ट्रांसपोर्ट ऑफिस (RTO) के डेटा के मुताबिक़, तमिलनाडु में 2.60 लाख ऑटो चालक हैं। कई ऑटो को एक से ज़्यादा चालक चलाते हैं, मतलब ऑटो चालकों की संख्या इससे भी ज़्यादा है। अनुमान है कि यह संख्या करीब़ 3.20 लाख है।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

‘No Ola or Uber, Govt Must Take Over’: Say Tamil Nadu Autorickshaw Drivers

Autorickshaw Drivers
Transport
Autorickshaw Fare
Fuel Price
tamil nadu
Chennai
OLA
Uber

Related Stories

महानगरों में बढ़ती ईंधन की क़ीमतों के ख़िलाफ़ ऑटो और कैब चालक दूसरे दिन भी हड़ताल पर

कोरोना काल में भी वेतन के लिए जूझते रहे डॉक्टरों ने चेन्नई में किया विरोध प्रदर्शन

तमिलनाडु: दलदली या रिहायशी ज़मीन? बेथेल नगर के 4,000 परिवार बेदखली के साये में

वेतन संशोधन समझौते: तमिलनाडु के मज़दूरों ने जीतीं अहम लड़ाइयां 

तमिलनाडु: नियुक्तियों में हो रही अनिश्चितकालीन देरी के ख़िलाफ़ पशु चिकित्सकों का विरोध प्रदर्शन

क्या तमिलनाडु में ‘मंदिरों की मुक्ति’ का अभियान भ्रामक है?

तमिलनाडु : दो दलित युवाओं की हत्या के बाद, ग्रामीणों ने कहा कि बस ‘अब बहुत हुआ’

केरल, तमिलनाडु और बंगाल: चुनाव में केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल

तमिलनाडु: अगर पग़ार में देरी का मसला हल नहीं हुआ तो प्रदर्शन जारी रखेंगे सफ़ाईकर्मी

किसान आंदोलन: किसानों का राजभवन मार्च, कई राज्यों में पुलिस से झड़प, दिल्ली के लिए भी कूच


बाकी खबरें

  • sedition
    भाषा
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं करने का आदेश
    11 May 2022
    पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी। उसने आगे कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती…
  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License