NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
लखनऊ में महिला दिवस पर कोई रैली या सार्वजनिक सभा करने की इजाज़त नहीं!
कोविड-19 के नाम पर राजधानी में 5 अप्रैल तक धारा-144 लागू है। महिला संगठनों का कहना है कि ऐसा पहली बार होगा कि महिला दिवस का आयोजन केवल सभागारों की चारदीवारी तक सीमित रह जायेगा।
असद रिज़वी
07 Mar 2021
लखनऊ में महिला दिवस पर कोई रैली या सार्वजनिक सभा करने की इजाज़त नहीं!

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, 8 मार्च को कोई भी कार्यक्रम या रैली आदि सड़क पर करने की अनुमति नहीं है। महिला संगठनों का कहना है कि ऐसा पहली बार होगा कि महिला दिवस का आयोजन केवल सभागारों की चारदीवारी तक सीमित रह जायेगा।

प्रशासन द्वारा किसान आंदोलन और कोविड-19 की महामारी के मद्देनज़र राजधानी में धारा 144 लागू की गई है। संयुक्त पुलिस आयुक्त नवीन अरोरा के आदेशानुसार 26 फरवरी से 5 अप्रैल तक धारा 144 लागू है। हालाँकि महिला संगठनों का कहना है कि कोविड-19 के नाम पर नागरिकों के संगठनों का हनन किया जा रहा है।

महिला संगठनों का कहना है कि इस बार संगोष्ठी और सभाएँ कर महिला दिवस मनाया जायेगा। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की वरिष्ठ सदस्य मधु गर्ग कहती हैं कि कांवड़ियों की यात्राओं पर कोई प्रतिबंध नहीं है। लेकिन महिलाओं के अधिकारों और उन पर हो रहे उत्पीड़न के विरुद्ध सड़क पर आवाज़ उठाने की अनुमति नहीं है।

मधु गर्ग ने न्यूज़क्लिक से कहा की उनको घुटन सी महसूस हो रही है। हमने ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखा था कि समिति के कार्यालय में आयोजित कार्यक्रमों को रुकवाने भी पुलिस आ जाती है। उन्होंने कहा यह भगवा सरकार का एजेंडा है कि स्वतंत्र स्वरों को दबाया जाये। 

मधु गर्ग और समिति की ज़िला सचिव सुमन सिंह ने बताया क्योंकि सड़क पर कार्यक्रम की अनुमति नहीं है। इस लिए शहर के विभिन्न भागों, चिनहट, मटियारी, पक्का  तालाब, बस्तौली , समौददीपुर, शिवाजीपुरम , तालकटोरा व उदयगंज में “लोकतंत्र बचायेंगे, महिलाओं के हक़ सुनिश्चित करवायेंगे " के नारे के साथ, अभियान चलाया जायेगा।

वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि सरकार निरंकुश होती जा रही है। महिला फ़ेडरेशन की अध्यक्ष ने कहा की जो असहमति की आवाज़ उठाता है, उसको हिरासत में लिया जाता है। उस पर मुक़दमे लिख दिये जाते हैं। पिछले तीन दशकों से अधिक महिला अधिकारों के लिए सक्रिय आशा मिश्रा ने बताया की माहौल ऐसा है कि किसान आंदोलन के समर्थन में पर्चे बाँट रहे नागरिक समाज के लोगों को लालबाग़ में पुलिस ने हिरासत में लिया।

उन्होंने कहा की अब तो जैसे पूरे वर्ष राजधानी में धारा 144 लागू रहती है। कोविड-19 तो बहाना है अस्ल में महिला अधिकारों के लिए उठने वाली आवाज़ों को दबाना है।

महिलाओं के अधिकार के सक्रिय रहने वाले प्रश्न कर रहे हैं की अगर महिला दिवस की रैलियां निकलने से कोरोना फैलने का डर है, तो नेता स्वयं चुनाव सभाएं क्यू कर रहे हैं? सामाजिक कार्यकर्ता ताहिरा हसन कहती हैं कि चुनाव सभाओं में लाखों की भीड़ में कोरोना वायरस का ख़्याल नहीं आता है और कुछ सौ महिलाओं के कार्यक्रम में वायरस फैलने का डर दिखाया जाता है।

ताहिरा हसन के अनुसार समाज की आधी आबादी को खुलकर अपनी बात नहीं कहने दी जा रही है। कोविड के बहाने पूरे महिला आंदोलन को चारदीवारी में क़ैद करने की साज़िश हो रही है।

क़ानून के जानकार भी धारा 144 के नाम पर महिलाओं को सड़क पर कार्यक्रम की अनुमति नहीं दिये जाने को नागरिक अधिकारों के हनन का मुद्दा मानते है। अधिवक्ता अस्मा इज़्ज़त कहती है कि अगर महिला संगठन सड़क पर रैली या कोई शांतिपूर्ण कार्यक्रम कर के महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराध के विरुद्ध आवाज़ उठाना चाहती हैं या राज्य से सुरक्षा की माँग करना चाहती है, तो उसमें अनुमति नहीं देने का क्या अर्थ है। क्योंकि संविधान ने सभी नागरिकों को अपनी बात कहने का अधिकार दिया है। महिला दिवस के कार्यक्रम सड़क पर नहीं होने देना, लोकतांत्रिक देश के नागरिकों को उनके अधिकारों से वंचित रखना है।

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला समिति (ऐपवा) इस वर्ष राजधानी लखनऊ ज़िले बक्शी के तालाब तहसील में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एक सभा का आयोजन करेगी। समिति की सदस्य मीना सिंह ने कहा की महिला दिवस के कार्यक्रमों को सड़क और सार्वजनिक स्थानो पर नहीं होने देना, सरकार की मनुवादी सोच को दिखाता है। 

उन्होंने कहा शहर में धारा 144 लागू है और महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने की अनुमति नहीं है- इसका साफ़ अर्थ है की लोकतंत्र ख़त्म हो रहा है। मीना सिंह कहती है कितनी भी पाबंदी हो लेकिन महिलाएँ मनुवाद को नहीं स्वीकर करेगी और हमेशा अपने अधिकारों के लिये संवैधानिक ढंग से लड़ती रहेगी।

मानव अधिकारों के लिए सक्रिय रहने वालों ने भी राजधानी में महिला दिवस के कार्यक्रमों को सार्वजनिक स्थानो पर नहीं करने देने को असंवैधानिक बताया है। अधिवक्ता शुभांगी सिंह कहती हैं कि यह लोकतंत्र के मूल्यों के विरुद्ध है कि संवैधानिक ढंग से उठने वाली आवाज़ों को दबाया जाये। वह कहती हैं की महिलाओं को सुरक्षा देने को नाकाम राज्य अब उनकी आवाज़ बंद करने का प्रयास कर रहा है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

UttarPradesh
Lucknow
International Women’s Day
UP police
COVID-19
Yogi Adityanath
Women Organization's Protest

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन


बाकी खबरें

  • भाषा
    ज्ञानवापी मामला : अधूरी रही मुस्लिम पक्ष की जिरह, अगली सुनवाई 4 जुलाई को
    30 May 2022
    अदालत में मामले की सुनवाई करने के औचित्य संबंधी याचिका पर मुस्लिम पक्ष की जिरह आज भी जारी रही और उसके मुकम्मल होने से पहले ही अदालत का समय समाप्त हो गया, जिसके बाद अदालत ने कहा कि वह अब इस मामले को…
  • चमन लाल
    एक किताब जो फिदेल कास्त्रो की ज़ुबानी उनकी शानदार कहानी बयां करती है
    30 May 2022
    यद्यपि यह पुस्तक धर्म के मुद्दे पर केंद्रित है, पर वास्तव में यह कास्त्रो के जीवन और क्यूबा-क्रांति की कहानी बयां करती है।
  • भाषा
    श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल
    30 May 2022
    पेश की गईं याचिकाओं में विवादित परिसर में मौजूद कथित साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना को समाप्त करने के लिए अदालत द्वारा कमिश्नर नियुक्त किए जाने तथा जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बेंगलुरु में किसान नेता राकेश टिकैत पर काली स्याही फेंकी गयी
    30 May 2022
    टिकैत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘स्थानीय पुलिस इसके लिये जिम्मेदार है और राज्य सरकार की मिलीभगत से यह हुआ है।’’
  • समृद्धि साकुनिया
    कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 
    30 May 2022
    पिछले सात वर्षों में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रस्तावित आवास में से केवल 17% का ही निर्माण पूरा किया जा सका है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License