NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
स्वास्थ्य
विज्ञान
उत्तरी गोलार्ध में सर्दी की दस्तक के साथ ही क्या कोविड-19 के मामले बढ़ सकते हैं?
किसी वायरस और उसके चलते उत्पन्न होने वाले संक्रमण का मौसम से सीधा संबंध होता है या नहीं, इसका आकलन करने के लिए शोधकर्ताओं को साल में कई बार किसी खास इलाके में कई वर्षों तक इसके प्रसार का अध्ययन करना होता है।
संदीपन तालुकदार
27 Oct 2020
उत्तरी गोलार्ध में सर्दी की दस्तक के साथ ही क्या कोविड-19 के मामले बढ़ सकते हैं?

जिस दिन नवीनतम कोरोनावायरस का पहली बार पता चला था, दुनिया के महीने अब उस घड़ी से कुछ ही दूरी पर है, जबकि सर्दी का मौसम एक बार फिर से आ चला है। उत्तरी गोलार्ध क्षेत्र में यह तेजी से अपने पाँव पसार रहा है, वहीँ महामारी खत्म होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। क्या यह हालात को बदतर बना देगा?

हाल ही में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने आगामी सर्दियों के मौसम में कोविड-19 के मामलों में उछाल की संभावनाओं को लेकर चेताया है। 

अपने वक्तव्य में डॉ. गुलेरिया ने कहा था “सर्दियों के मौसम में स्वाइन फ्लू के मामलों में भी उछाल देखने को मिला था और संभव है कि कोविड-19 में भी वैसा ही कुछ देखने को मिल सकता है। जहाँ तक वायु प्रदूषण का प्रश्न है तो इस संबंध में आंकडें बताते हैं कि हवा में प्रदूषण से भी कोविड-19 की अधिकता बनी रह सकती है। यह जानकारी इटली और चीन में किये जा रहे कुछ महीनों के अध्ययन पर आधारित है।”

हालाँकि जाड़े के मौसम में कोविड-19 के मामलों में उछाल की संभावनाओं को लेकर अभी कोई ठोस निष्कर्षों पर नहीं पहुँचा जा सका है। यह सर्वविदित है कि श्वसन सम्बंधी वायरस संक्रमण के मामले सर्दियों में तेजी से बढ़ते देखे गए हैं, वो चाहे इन्फ्लूएंजा हो या अन्य कोरोनावायरस किस्में। इस सबके बावजूद यह कहना जल्दबाजी होगी कि एसएआरएस-सीओवी-2 भी सीजन के अनुसार कम ज्यादा हो सकता है या नहीं। अब तकरीबन साल भर होने को हैं और इस महामारी ने मौसमी बदलाव के दो चक्र पूरे कर लिए हैं।

किसी वायरस और उसके चलते उत्पन्न होने वाले संक्रमण का मौसम से सीधा संबंध होता है या नहीं, इसका आकलन करने के लिए शोधकर्ताओं को साल में कई बार किसी खास इलाके में कई वर्षों तक इसके प्रसार के बारे में जानकारी जुटानी होती है। 

एसएआरएस-सीओवी-2 ने अभी तक इस तरह का कोई मौका नहीं दिया है। इस बारे में अनुभव न होने के बावजूद शोधकर्ताओं ने एसएआरएस-सीओवी-2 के संक्रमण को लेकर मौसमी बदलावों के बारे में आकलन करने की कोशिशें की हैं, जिसके तहत दुनिया में कई जगहों पर संक्रमण की दर का अध्ययन का काम जारी है। 

इस बारे में एक अध्ययन 13 अक्टूबर को जर्नल पीएनएएस (प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज ऑफ द यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका) में प्रकाशित हुआ है, जिसमें महामरी के शुरुआती चार महीनों में एसएआरएस-सीओवी-2 से पैदा होने वाले संक्रमण के विकास क्रम का अध्ययन किया गया है। यही वह दौर भी था जब अधिकतर देशों ने लॉकडाउन एवं अन्य रोकथाम के उपायों को उस समय तक अपने देशों में नहीं अपनाया था। इस अध्ययन में बताया गया है कि सबसे तेज गति से संक्रमण की दर उन जगहों पर देखने को मिली है जहाँ पर यूवी प्रकाश कम मात्रा में उपलब्ध थी। शोधकर्ताओं ने यह पूर्वानुमान भी लगाया है कि किसी भी हस्तक्षेप के बिना जाड़े के मौसम में मामले बढ़ सकते हैं जबकि गर्मियों में मामले कम हो सकते हैं।

उपरोक्त अध्ययन के अलावा लेबोरेटरी के अध्ययनों ने भी एसएआरएस-सीओवी-2 पर मौसमी प्रभाव के आकलन का प्रयास किया है। जून में द जर्नल ऑफ़ इन्फेक्शस डिजीज में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया था कि वायरस ठंडे और शुष्क मौसम और स्थानों को ज्यादा पसंद करता है जहाँ सीधे सूरज की रोशनी नहीं पहुँच पाती है। यदि कृत्रिम यूवी रेडिएशन को अपनाया जाए तो भी वायरस को सतह एवं एरोसोल्स में भी निष्क्रिय करने में मदद मिल सकती है, खासकर यदि तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास हो। मौसम का मिजाज यदि गर्म या नम हो तो सतह पर वायरस को तेजी से घटते देखा गया है। 

सर्दियों के मौसम में वायरस के संक्रमण के मामले में बढ़ोत्तरी की एक अन्य संभावना, इस सीजन में सामान्य जनजीवन में होने वाले बदलावों के कारण भी हो सकती है। जाड़े में आमतौर पर लोग ज्यादातर घरों के अंदर ही रहते हैं, और कई जगहों पर तो समुचित हवा और प्रकाश की स्थिति काफी खराब होती है। हीटर की मदद से कुछ हद तक तापमान को बढाया जा सकता है, लेकिन समुचित वेंटिलेशन की समस्या तो बनी ही रहती है।

कुछ अन्य शोध के अनुसार छोटे-मोटे मौसमी कारक भी संक्रमण के फैलाव की दर पर अच्छा ख़ासा असर डालने में असरकारक हो सकते हैं। प्रिन्सटन यूनिवर्सिटी के महामारीविद राचेल बेकर ने एक अन्य कोरोनावायरस के आंकड़ों के जरिये मौसमी असर के जलवायु प्रभाव को आंकने का प्रयास किया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि जलवायु में थोड़े से परिवर्तन से भी हर बदलते मौसम में भारी प्रकोप की संभावना बनी रहती है। उनका यह मॉडल प्री-प्रिंट सर्वर मेडरिक्सिव (medRxiv) में प्रकाशित हुआ था। इस बारे में बेकर का कथन था “यहाँ तक कि यदि छोटा-मोटा मौसमी प्रभाव भी घटित होता है तो भारी संख्या इस प्रसार के मुख्य चालक वे ढेर सारे लोग होंगे, जो संक्रमण के प्रति अभी भी संवेदनशील बने हुए हैं। 

क्या सर्दियों के दौरान एसएआरएस-सीओवी-2 बेहतर ढंग से खुद को जीवित रख सकता है या मौसमी बदलावों से इस पर कैसा प्रभाव पड़ता है, के बारे में अभी भी जानकारी का स्तर काफी कमजोर बना हुआ है। हालाँकि किसी मौसम में लोगों के रहन-सहन में आने वाले बदलावों से संक्रमण के विस्तार पर अवश्य ही असर पड़ने की संभावना रहती है।

आगे जाकर भविष्य में जब और भी अधिक लोग वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने में सफल हो सकेंगे तो संक्रमण के प्रसार में मौसमी बदलाव अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन स्थानों पर जहाँ आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी इसके प्रति निरुपाय बना हुआ है, जबकि मौसमी बदलावों से वायरस के व्यवहार में होने वाले परिवर्तनों के बारे में जानकारी कुछ ख़ास नहीं है, तब तक महामारी से निपटने के लिए सामाजिक व्यवहार और स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढांचों की भूमिका बेहद अहम रहने वाली है। 

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिेए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

With the Northern Hemisphere Approaching Winter, Will COVID-19 Get Worse?

COVID19 Spike in Winter
AIIMS Director on Winter Spike of COVID19
Randeep Guleria
SARS-CoV-2
COVID-19
Winter Coronavirus

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License