NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कृषि
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
अब किसानों की आत्महत्या का पूरा ब्योरा भी सरकार के पास नहीं!
केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने किसान आत्महत्याओं का ब्योरा नहीं दिया है और इसलिए, कृषि क्षेत्र में आत्महत्या के कारणों संबंधी राष्ट्रीय आंकड़ा ‘अपुष्ट’ है और इसे प्रकाशित नहीं किया जा सकता है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
21 Sep 2020
अब किसानों की आत्महत्या का पूरा ब्योरा भी सरकार के पास नहीं!

नयी दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान विभिन्न घटनाओं-दुर्घटनाओं में मारे गए मज़दूरों और कोरोना के चलते जान गंवाने वाले ‘कोरोना वॉरियरस’ डॉक्टरों व अन्य कर्मचारियों का आंकड़ा न होने बाद केंद्र ने कहा है कि किसान आत्महत्याओं का पूरा ब्योरा भी उसके पास नहीं है।

केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने किसान आत्महत्याओं का ब्योरा नहीं दिया है और इसलिए, कृषि क्षेत्र में आत्महत्या के कारणों संबंधी राष्ट्रीय आंकड़ा ‘अपुष्ट’ है और इसे प्रकाशित नहीं किया जा सकता है।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का जिक्र करते हुए सदन को सूचित किया कि कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने विभिन्न प्रकार से पुष्टि किये जाने के बाद किसानों, उत्पादकों एवं खेतिहर मजदूरों द्वारा आत्महत्या का ‘शून्य’ आंकड़ा होने की बात कही है जबकि अन्य पेशों में कार्यरत लोगों द्वारा आत्महत्या की घटनाओं की सूचना मिली है।

उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि इस कमी के कारण, कृषि क्षेत्र में आत्महत्या के कारणों के बारे में कोई राष्ट्रीय आंकड़ा पुष्ट नहीं है और इसे अलग से प्रकाशित नहीं किया गया।’’ आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्याओं के नवीनतम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में 10,281 किसानों ने आत्महत्या की जबकि वर्ष 2018 में अपनी जान देने वाले किसानों की संख्या 10,357 थी।

इससे पहले सरकार ने संसद में कहा था कि उसके पास लॉकडाउन के दौरान मारे गए मज़दूरों का आंकड़ा नहीं है। साथ ही कोरोना के चलते जान गंवाने वालों या इस वायरस से संक्रमित होने वाले डॉक्टरों व अन्य मेडिकल स्टाफ का डाटा भी नहीं है। हालांकि लोकसभा में एक लिखित जवाब में सरकार ने माना कि उस दौरान एक करोड़ से ज्यादा मज़दूर देश के अलग-अलग हिस्सों से बदहवासी के आलम में अपने अपने गांवों की ओर चल पड़े थे।

विस्तार से पढ़ें :क्यों मज़दूरों और डॉक्टरों के मौत संबंधी आंकड़े छिपाना लोकतांत्रिक देश के लिए शर्मनाक है?

इसी तरह राज्यसभा में 15 सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि उनके पास कोरोना के चलते जान गंवाने वालों या इस वायरस से संक्रमित होने वाले डॉक्टरों व अन्य मेडिकल स्टाफ का डाटा नहीं है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने केंद्र सरकार के इस बयान पर नाराजगी जताई है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने उन 382 डॉक्टर की लिस्ट जारी की जिनकी जान कोरोना के चलते गई। जबकि इस बीमारी से अब तक 2,238 डॉक्टर संक्रमित हो चुके हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

agricultural crises
farmer crises
Agricultural Reforms
capitalist
Indian Farmer's Union
Farmers Bill
Rajya Sabha
Narendra modi
modi sarkar
BJP
farmer suicide
BJP
modi sarkar

Related Stories

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?

आख़िर किसानों की जायज़ मांगों के आगे झुकी शिवराज सरकार

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

ग्राउंड रिपोर्टः डीज़ल-पेट्रोल की महंगी डोज से मुश्किल में पूर्वांचल के किसानों की ज़िंदगी

बिहार: कोल्ड स्टोरेज के अभाव में कम कीमत पर फसल बेचने को मजबूर आलू किसान

सावधान: यूं ही नहीं जारी की है अनिल घनवट ने 'कृषि सुधार' के लिए 'सुप्रीम कमेटी' की रिपोर्ट 

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

यूपी चुनाव: पूर्वी क्षेत्र में विकल्पों की तलाश में दलित

उप्र चुनाव: उर्वरकों की कमी, एमएसपी पर 'खोखला' वादा घटा सकता है भाजपा का जनाधार


बाकी खबरें

  • Tapi
    विवेक शर्मा
    गुजरात: पार-नर्मदा-तापी लिंक प्रोजेक्ट के नाम पर आदिवासियों को उजाड़ने की तैयारी!
    18 May 2022
    गुजरात के आदिवासी समाज के लोग वर्तमान सरकार से जल, जंगल और ज़मीन बचाने की लड़ाई लड़ने को सड़कों पर उतरने को मजबूर हो चुके हैं।
  • श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर के विवाद में बदला गयाः सीपीएम
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर के विवाद में बदला गयाः सीपीएम
    18 May 2022
    उत्तर प्रदेश सीपीआई-एम का कहना है कि सभी सेकुलर ताकतों को ऐसी परिस्थिति में खुलकर आरएसएस, भाजपा, विहिप आदि के इस एजेंडे के खिलाफ तथा साथ ही योगी-मोदी सरकार की विफलताओं एवं जन समस्याओं जैसे महंगाई, …
  • buld
    काशिफ़ काकवी
    मध्य प्रदेश : खरगोन हिंसा के एक महीने बाद नीमच में दो समुदायों के बीच टकराव
    18 May 2022
    टकराव की यह घटना तब हुई, जब एक भीड़ ने एक मस्जिद को आग लगा दी, और इससे कुछ घंटे पहले ही कई शताब्दी पुरानी दरगाह की दीवार पर हनुमान की मूर्ति स्थापित कर दी गई थी।
  • russia
    शारिब अहमद खान
    उथल-पुथल: राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से जूझता विश्व  
    18 May 2022
    चाहे वह रूस-यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध हो या श्रीलंका में चल रहा संकट, पाकिस्तान में चल रही राजनीतिक अस्थिरता हो या फिर अफ्रीकी देशों में हो रहा सैन्य तख़्तापलट, वैश्विक स्तर पर हर ओर अस्थिरता बढ़ती…
  • Aisa
    असद रिज़वी
    लखनऊ: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत के साथ आए कई छात्र संगठन, विवि गेट पर प्रदर्शन
    18 May 2022
    छात्रों ने मांग की है कि प्रोफ़ेसर रविकांत चंदन पर लिखी गई एफ़आईआर को रद्द किया जाये और आरोपी छात्र संगठन एबीवीपी पर क़ानूनी और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाये।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License