NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
ऑनलाइन आवेदन की पड़ताल: ‘लॉकडाउन में राशन मिल नहीं रहा, साइबर कैफे कहां मिलेगा?
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने बुधवार को एलान किया की दिल्ली में बिना राशनकार्ड वाले दस लाख ग़रीब लोगो को भी राशन दिया जाएगा। सुनने में यह एक बहुत ही सकारात्मक कदम लगता है लेकिन वास्तविकता में यह इतना ही मुश्किल और बिना तैयारी की एक और घोषणा है।
मुकुंद झा
02 Apr 2020
lockdown

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा, "दिल्ली में लगभग 10 लाख गरीबों के पास राशन कार्ड नहीं है। मैं उनसे दिल्ली सरकार की ई-डिस्ट्रिक्ट वेबसाइट पर राशन कार्ड के लिए आवेदन करने का अनुरोध करता हूं। हालांकि, उन्हें राशन कार्ड तो नहीं मिलेगा, लेकिन जब तक कोरोना वायरस का मुद्दा कायम रहेगा तब तक उन्हें राशन मिलता रहेगा।"

घोषणा तो कर  दी लेकिन साहब ने यह नहीं बताया कि ग़रीब मज़दूर कैसे अप्लाई करेंगे, क्योंकि दिल्ली में बहुत सारे प्रवासी मज़दूर हैं जिनके पास दिल्ली का कोई भी प्रमाण पत्र नहीं है। वो कैसे अप्लाई करेंगे इसके लिए क्या प्रवधान है? इसके साथ ही कई अन्य तरह की समस्याएं हैं जिन्हें अनदेखा किया गया है।  

करावल नगर के सोनिया विहार में एक छोटे से कमरे में छह मज़दूर रह रहे हैं, ये सभी बिहार के मधेपुरा से हैं। ये सभी भवन निर्माण का काम करते हैं लेकिन इनके पास किसी भी तरह का कोई भी दिल्ली का प्रमाण पत्र नहीं हैं। जिस कारण इनका लेबर कार्ड भी नहीं बन सका है। इन मज़दूरों की हालत इतनी खराब है की इन लोगों ने बुधवार रात को दो दिनों के बाद खाना खाया। इसमें दो मज़दूर अंकेश और रौशन पढ़ाई भी करते हैं, एक ने 10 वीं की है और एक ने 12वीं की परीक्षा दी है, इसी बीच ये लोग दिल्ली आ गए थे कि परीक्षा और परिणाम के बीच के समय मज़दूरी कर कुछ पैसा कमा लेंगे। लेकिन ये दोनों इस बीच दिल्ली में फंस गए।

अनिल यादव वो भी मिस्त्री का काम करते हैं। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि 'पहले तो दंगे के कारण कई दिनों तक काम बंद रहा और जब उसके बाद दो चार दिन काम खुला लेकिन फिर इस माहमारी के कारण काम बंद हो गया। हम लोग रोज कमाते और खाते हैं। कुछ समय तक तो हमारे पास जो पैसा था उससे खाना खाया लेकिन एक हफ़्ते पहले सारे पैसे खत्म हो गए, उसके बाद कुछ दिनों तक हमारे पास केवल आटा बचा थे तो हमने जान बचाने के लिए आटा और नमक को घोल कर पिया। लेकिन दो दिन पहले वो भी खत्म हो गया तब से ही खाना नहीं खाया था, कल (बुधवार) रात में मज़दूर संगठन सीटू और कुछ लोगों ने राशन दिया तब हम भोजन कर पाए।'
 
हमने पूछा कि आप लोग दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए कैंप में या फिर स्कूलों में क्यों नहीं जा रहे हैं? वहां तो खाना मिल रहा है। इसपर इन मज़दूरों ने जो बताया वो दिखाता है कि हमारा प्रशासन का मज़दूरों के प्रति कैसा बर्ताव रहता है। इन मज़दूरों ने बताया कि "वो लोग तीन दिन स्कूल में खाना खाने गए लेकिन खाना नहीं मिला बल्कि पुलिस की लाठियां और गाली खा कर वापस आये। कभी कहा खाना ख़त्म हो गया है, तो कभी रास्ते में ही पुलिस ने पकड़ उन्हें पीटा और वापस भेज दिया।

इस तरह एक और भवन निर्माण मज़दूर विनोद है, जो यहां अपने परिवार के साथ किराये के मकान में रहते हैं। वो भी दिल्ली से बिहार जाने के लिए पैदल निकल गए थे लेकिन कुछ लोगों के रोकने और समझने के बाद रुक गए लेकिन अब उनकी हालत भी ख़राब हैं। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "जब मैं अपने घर जा रहा था तब तो सबने कहा तुम पागल हो गए हो, क्यों जा रहे हो, तुम मत जाओ, यहीं सरकार सब कुछ तुमको देगी लेकिन अब हमारे पास कोई खाना देने के लिए नहीं आ रहा है। सरकार द्वारा हमें कुछ नहीं दिया गया है,

बुधवार को हमारे पड़ोसी ने कुछ थोड़ा बहुत राशन दिलाया है जिससे हम लोग खाना खाए हैं।"
इनके पास भी राशन कार्ड नहीं है। जब हमने पूछा आप सरकार द्वार दिए जा रहा भोजन खाने क्यों नहीं जाते?  तो उन्होंने सीधे कहा कि आप क्या चाहते है ' मै अपने बीवी-बच्चों के साथ मार खाने जाऊं।’ उन्होंने कहा सरकार अगर चाहती तो हमें हमारे घर में ही राशन  दे सकती है लेकिन नहीं दे रही है।

इस तरह लोहे के रैक की फिटिंग करने वाले मज़दूर लगभग 50  हैं। जो एक ही इलाके में रहते हैं। इनमें से किसी का भी दिल्ली का राशन कार्ड नहीं है। ये सभी उत्तर प्रदेश के प्रवासी है। ये लोग दिहाड़ी पे काम करते हैं। इनकी एक दिन की दिहाड़ी 300 से लेकर 700 रुपये तक है। सामान्य स्थिति में इन्हें एक महीने 20-25  दिन काम मिलता है। लेकिन जिस तरह से दिल्ली में दंगे हुए हैं उसके बाद से ही ये सभी लोग लगभग बेरोजगार हैं।  

रोहित कहते हैं कि हम लोगों को स्थनीय किराना दुकान ने उधार देना भी बंद कर दिया है। ऐसे में हमारे पास खाने के लिए भी कुछ नहीं है, नेता लोग जो राशन या कुछ बाँट रहे हैं, वो सिर्फ अपने जानकारों को ही दे रहे हैं। कई बार हमारा नाम लिखकर लोग ले गए लेकिन दिया कुछ भी नहीं है। अभी हम उधर अपने जानकारों से लेकर खा  रहे हैं लेकिन ये कबतक होगा?'

यह सिर्फ़ इन मज़दूरों की कहानी नहीं है। ऐसे हज़ारों मज़दूर दिल्ली में इस लॉकडाउन में  दो वक्त के भोजन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमने जितने भी मज़दूरों से बात की किसी को दिल्ली सरकार के नई घोषणा के बारे में जानकारी नहीं थी और अगर थी तो कैसे होगा इसकी जानकारी नहीं थी।

ये तो रही मज़दूरों की व्यथा अब सरकार के दावे भी सुन लीजिए वो कह रही है कि दिल्ली में 70 लाख लोगों को राशन दे रही है। इसके साथ ही लाखों लोगों को रोजाना खाना खिला रही है। इसके साथ ही सरकार ने कहा है कि वो दिल्ली में बिना राशन कार्ड वाले 10 लाख लोगों को राशन देगी लेकिन एकबार फिर सवाल उठता कैसे देगी?

सबसे पहली चुनौती ऑनलाइन व्यवस्था ही है। सरकार ने कहा कि आप ऑनलइन रजिस्ट्रेशन करिए लेकिन कैसे? मज़दूरों का कहना है दिल्ली लॉकडाउन है, और आप ऑनलाइन अप्लाई करने को रहे। राशन मिल नहीं रहा, साइबर कैफे कहां मिलेगा? हमे खुद यह सब करना आता नहीं है तो बताइए कैसे होगा?

हमने भी इसकी जाँच करने की कोशिश की पहले तो इसमें साफ नहीं किया गया है कि उन मज़दूरों का क्या होगा जिनके पास आधार या दिल्ली का कोई प्रमाण पत्र नहीं है। क्योंकि राशन कार्ड अप्लाई करने के लिए आवश्यक है। इसके बारे में और जानकारी लेने के लिए हमने दिल्ली के खाद्य विभाग समेत दिल्ली सरकार के पांच से अधिक हेल्पलाइन से बात की लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। इसके साथ राशन के डीलर है उन्होंने भी कहा कि यह सब कैसे होगा उन्हें भी नहीं पता है।

COVID-19
Coronavirus
Corona Crisis
India Lockdown
Arvind Kejriwal
poverty
Daily Wage Workers
Hunger Crisis
Poor People's

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • Sitaram Yechury
    संदीप चक्रवर्ती
    स्वतंत्रता दिवस को कमज़ोर करने एवं हिंदू राष्ट्र को नए सिरे से आगे बढ़ाने की संघ परिवार की योजना को विफल करें: येचुरी 
    25 Feb 2022
    माकपा महासचिव ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार का “फोकस 5 अगस्त को देश की वास्तविक स्वतंत्रता की तारीख के रूप में बढ़ावा देने पर है।"  
  • russia ukrain
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    यूक्रेन पर रूस के हमले से जुड़ा अहम घटनाक्रम
    25 Feb 2022
    यूरोपीय संघ रूस पर और आर्थिक एवं वित्तीय प्रतिबंध लगाने को सहमत। तो वहीं संयुक्त राष्ट्र ने यूक्रेन में मानवीय सहायता के लिए दो करोड़ डॉलर देने की घोषणा की।
  • ASHA Workers
    अनिल अंशुमन
    बिहार : आशा वर्कर्स 11 मार्च को विधानसभा के बाहर करेंगी प्रदर्शन
    25 Feb 2022
    आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि बिहार सरकार हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने में भी टाल मटोल कर रही है। कार्यकर्ताओं ने ‘भूखे रहकर अब और नहीं करेंगी बेगारी’ का ऐलान किया है।
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 13 हज़ार से ज़्यादा नए मामले, 302 मरीज़ों की मौत
    25 Feb 2022
    देश में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 28 लाख 94 हज़ार 345 हो गयी है।
  • up elections
    तारिक़ अनवर
    यूपी चुनाव : अयोध्या के प्रस्तावित  सौंदर्यीकरण में छोटे व्यापारियों की नहीं है कोई जगह
    25 Feb 2022
    अयोध्या के व्यापारियों ने आरोप लगाया है कि प्रस्तावित लेआउट के परिणामस्वरूप दुकानों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बड़े पैमाने पर ध्वस्त या उन दुकानों का ज़्यादातर हिस्सा तोड़ दिया जाएगा।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License