NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
शिक्षा
ऑनलाइन पढ़ाई ने छात्रों के कामकाज का तरीका बदला, अब ‘नकल’ की परिभाषा भी बदलनी होगी
कोविड-19 ने सब बदल दिया। उन संस्थानों के लिए जहां पहले से ही ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह की पढ़ाई की व्यवस्था थी वहां यह डिजिटल बदलाव इतना नाटकीय नहीं था। लेकिन शिक्षक और छात्र जो कागज-आधारित या आमने-सामने शिक्षण और सीखने पर निर्भर थे, उन्हें कुछ संकट का सामना करना पड़ा।
भाषा
23 Jun 2021
ऑनलाइन पढ़ाई ने छात्रों के कामकाज का तरीका बदला, अब ‘नकल’ की परिभाषा भी बदलनी होगी

लिंडा रोवन, मैसी यूनिवर्सिटी और फियोना मरे, मैसी यूनिवर्सिटी

पामर्स्टन नॉर्थ (न्यूजीलैंड): (द क न्वरसेशन) विश्वविद्यालय के छात्र अपने मध्य-वर्ष के परीक्षा परिणामों की प्रतीक्षा कर रहे हैं, कुछ निस्संदेह केवल उत्तीर्ण होने से अधिक के बारे में सोच रहे होंगे। चूंकि पिछले साल कोविड-19 ने शिक्षण और परीक्षा को ऑनलाइन में बदल दिया था, इस बीच ‘नकल’ का मुद्दा अधिक सामने आया है।

ऑकलैंड विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा ऑनलाइन परीक्षाओं में कथित रूप से नकल करने की हालिया रिपोर्टों ने विश्वास पर टिकी इस प्रणाली में बेईमानी की संभावना को उजागर किया है।

लेकिन समस्या संस्कृतियों के बीच के तनाव को भी उजागर करती है: उच्च शिक्षा की बढ़ती ऑनलाइन दुनिया और छात्रों की रोजमर्रा की दुनिया।

इसने परीक्षाओं में ‘नकल’ को पहले की तुलना में अधिक जटिल और विकसित प्रश्न बना दिया है। परंपरागत रूप से, विश्वविद्यालय परीक्षा को पहचान पत्र के जरिए प्रवेश और उसपर लगी फोटो की जांच से नियंत्रित किया जाता था। बड़े कमरों में होने वाली परीक्षा की निगरानी की जाती थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्र नकल करने के लिए एक-दूसरे के साथ संवाद न कर सकें।

हर किसी का अपना स्थान था, और छात्र कमरे में क्या ले जा सकते थे, इसका वर्णन और प्रतिबंधित किया गया था। शिक्षकों ने परीक्षापत्र तैयार किए, छात्रों ने हल किया, परीक्षापत्रों की जांच की गई और परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए गए - एकदम सरल।

कोविड-19 ने यह सब बदल दिया। उन संस्थानों के लिए जहां पहले से ही ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह की पढ़ाई की व्यवस्था थी वहां यह डिजिटल बदलाव इतना नाटकीय नहीं था। लेकिन शिक्षक और छात्र जो कागज-आधारित या आमने-सामने शिक्षण और सीखने पर निर्भर थे, उन्हें कुछ संकट का सामना करना पड़ा।

एक त्वरित क्रांति

बेशक, समायोजन बराबर नहीं था। कुछ शिक्षक और बहुत से छात्रों ने नयी प्रणाली के साथ खुद को ढाल लिया। नये उपकरण और वाई-फाई संपर्क के साथ पढ़ाई करने लगे, लेकिन अन्य लोगों को काम करने योग्य उपकरणों और इंटरनेट कनेक्शन तक पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ा।

विश्वविद्यालयों, शिक्षकों और छात्रों को ऐसे सॉफ्टवेयर पर काम करना पड़ा, जो मुश्किल हो सकता था। इस बीच, नया सॉफ्टवेयर कोविड की तरह ही तेजी से विकसित हो रहा था।

अक्सर, ऐसा होता था कि बदली हुई परिस्थितियों में पेपर-आधारित परीक्षाओं को बदली हुई परिस्थितियों के अनुरूप थोड़े से पुनर्गठन के साथ ऑनलाइन शिक्षण प्रणालियों में स्थानांतरित कर दिया जाता था।

परीक्षा में नकल की घटनाएं 2020 की पहली तिमाही/सेमेस्टर के अंत में उतनी नहीं दिखाई दीं -क्योंकि हर कोई बदले हुए हालात में ही उलझा हुआ था।

हालांकि, इस दौरान छात्रों ने तेजी से हो रहे बदलाव का सामना करने का सामर्थ्य दिखाया। साधन संपन्न और अनुकूल वातावरण में, उन्होंने सूचना के आदान-प्रदान के लिए अपने काम करने के तरीके और प्रणाली विकसित की। उन्होंने दूरस्थ और करीबी अध्ययन समूह बनाए और एक दूसरे की ताकत का इस्तेमाल करते हुए सहयोगात्मक रूप से कार्य किया।

यदि शिक्षा प्रणाली और शिक्षक ऑनलाइन परीक्षा की तैयारी और इसमें बैठने के बारे में विशिष्ट मार्गदर्शन प्रदान नहीं कर सकते हैं, तो धोखाधड़ी के आरोपों के आधार क्या हैं? यह एक ऐसा प्रश्न है जो कोविड के बाद दुनिया की एक धुंधली तस्वीर पेश करते हैं।

विशेष रूप से, छात्रों द्वारा समस्याओं पर चर्चा करने, समाधान प्रस्तावित करने और अपनी व्याख्या को अपने उत्तर के रूप में प्रस्तुत करने में वास्तव में क्या गलत है?

परीक्षा विकसित होनी चाहिए

नेटवर्क की दुनिया में, जो मूल है और जो अनुकूलित किया गया है, उसके बीच की रेखा हर दिन अधिक धुंधली होती जाती है। व्यक्तिगत श्रेय देने के लिए यह तय करना हमेशा संभव नहीं होता है कि मूल और अनूठा क्या है।

यदि परीक्षाओं को उच्च-स्तर के संज्ञानात्मक विकास का आकलन करने और ज्ञान को संश्लेषित करने और लागू करने की व्यक्तिगत क्षमता का पता लगाने के इरादे से तैयार किया गया है तो निश्चित रूप से सहयोग वह माध्यम हो सकता है जिसे शिक्षाविद् जॉन बिग्स गहन शिक्षा कहते हैं। क्या इसे पकड़ने के लिए परीक्षा पद्धतियां बदली नहीं जा सकतीं?

छात्र गतिविधियों को परिभाषित करने के विश्वविद्यालयों के पारंपरिक नियमों के बजाय, शिक्षकों को इस नई छात्र ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग करने के लिए रणनीतिक रूप से सोचने की जरूरत है।

विश्वविद्यालय परीक्षाओं में व्यक्तिगत (या सामूहिक) क्षमता, मूल्यांकन और ज्ञान के संश्लेषण की जांच की आवश्यकता है, न कि केवल रटने और अध्ययन नोट्स को याद करने की।

यह स्पष्ट है कि एक नया वातावरण विकसित हो रहा है और छात्रों ने एक नये तरीके से समस्याओं को हल करने के लिए मिलकर काम करने की अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन किया है। अब परीक्षार्थियों और परीक्षाओं के लिए भी होशियार होने का समय है।

कामकाज के पारंपरिक तरीके अब पीछे छूट चुके हैं। हमें आगे बढ़ते रहने की जरूरत है।

COVID-19
Online Education

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां


बाकी खबरें

  • srilanka
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका: निर्णायक मोड़ पर पहुंचा बर्बादी और तानाशाही से निजात पाने का संघर्ष
    10 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने श्रीलंका में तानाशाह राजपक्षे सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन पर बात की श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शिवाप्रगासम और न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया
    10 May 2022
    गाँव के बाहरी हिस्से में रहने वाले इसी मुस्लिम परिवार के घर हनुमान जयंती पर भड़की हिंसा में आगज़नी हुई थी। परिवार का कहना है कि हिन्दू पक्ष के लोग घर से सामने से निकलते हुए 'जय श्री राम' के नारे लगाते…
  • असद रिज़वी
    लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी
    10 May 2022
    एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर की गई एक टिप्पणी के विरोध में एबीवीपी ने मंगलवार को प्रोफ़ेसर रविकांत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में घेर लिया और…
  • अजय कुमार
    मज़बूत नेता के राज में डॉलर के मुक़ाबले रुपया अब तक के इतिहास में सबसे कमज़ोर
    10 May 2022
    साल 2013 में डॉलर के मुक़ाबले रूपये गिरकर 68 रूपये प्रति डॉलर हो गया था। भाजपा की तरफ से बयान आया कि डॉलर के मुक़ाबले रुपया तभी मज़बूत होगा जब देश में मज़बूत नेता आएगा।
  • अनीस ज़रगर
    श्रीनगर के बाहरी इलाक़ों में शराब की दुकान खुलने का व्यापक विरोध
    10 May 2022
    राजनीतिक पार्टियों ने इस क़दम को “पर्यटन की आड़ में" और "नुकसान पहुँचाने वाला" क़दम बताया है। इसे बंद करने की मांग की जा रही है क्योंकि दुकान ऐसे इलाक़े में जहाँ पर्यटन की कोई जगह नहीं है बल्कि एक स्कूल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License