NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
डॉ. कफ़ील को तत्काल प्रभाव से रिहा करने का आदेश
फरवरी की शुरुआत में एक सक्षम अदालत द्वारा डॉ. कफ़ील को ज़मानत दे दी गई थी, लेकिन उन्हें चार दिनों तक रिहा नहीं किया गया और बाद में उनपर रासुका लगा दिया गया, जिसे अगस्त में तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया था।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
01 Sep 2020
डॉ. कफ़ील

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत बंद डॉक्टर कफील की हिरासत रद्द करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से रिहा करने का मंगलवार को आदेश दिया है।

मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल की पीठ ने कफ़ील की मां नुजहत परवीन की याचिका पर यह आदेश पारित किया।

याचिका में आरोप लगाया गया था कि फरवरी की शुरुआत में एक सक्षम अदालत द्वारा डाक्टर कफ़ील को जमानत दे दी गई थी और उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना था। लेकिन उन्हें चार दिनों तक रिहा नहीं किया गया और बाद में उनपर रासुका लगा दिया गया।

आपको बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में सीएए के मुद्दे पर कथित भड़काऊ भाषण देने के आरोप में डॉ. कफील को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ़्तार कर लिया गया था। वे फरवरी से मथुरा जेल में बंद थे। उस दौरान डॉ. कफील खान की पत्नी डॉ. शाबिस्ता खान ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय, अपर मुख्य सचिव (गृह विभाग), जेल महानिदेशक, अलीगढ़ एवं मथुरा के न्यायिक एवं प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखकर यह भी आरोप लगाया था कि उनके पति को जेल में प्रताड़ित किया जा रहा है और उनसे गरिमा के खिलाफ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है।

उनकी रिहाई को लेकर जनसंगठनों और बुद्धिजीवियों ने कई बार अभियान भी चलाया।

आपको बता दे कि यूपी की योगी सरकार ने डॉ. कफ़ील ख़ान को जेल में डाला था। पहली बार 2017 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में आपराधिक सरकारी लापरवाही के कारण ऑक्सीजन के अभाव में 60 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी, जिसके लिए प्रदेश की योगी सरकार की आलोचना हुई थी। इस दौरान डॉ. कफ़ील बच्चों की जान बचाने वाले हीरो की तरह उभरे थे। बहुत लोगों का मानना है कि यही बात योगी सरकार को नागवार गुज़री और वह उसके पीछे हाथ धोकर पड़ गई।

इस मामले में योगी सरकार ने डॉ. कफ़ील को ही दोषी ठहराने की कोशिश की और उन्हें उनके पद से बर्खास्त कर दिया। बाद में एक सरकारी जांच में उन्हें इस मामले में लगभग क्लीन चिट दे दी गई। लेकिन योगी सरकार ने उसे स्वीकार नहीं किया। उन्हें बहाल नहीं किया गया बल्कि कुछ अन्य मामलों में जांच जारी रही।    

इसी बीच सीएए के विरोध में देशभर में आंदोलन शुरू हो गया और 12 दिसम्बर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए के खिलाफ आयोजित सभा में कथित उत्तेजक भाषण देने के आरोप में 29 जनवरी 2020 को पुनः उन्हें मुंबई हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। 10 फरवरी 2020 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई, लेकिन जेल से रिहा करने में तीन दिन देरी की गई। 13 फरवरी को कोर्ट ने उन्हें रिहा करने का आदेश फिर से जारी किया, लेकिन रिहाई की बजाय उन पर 3 महीने के लिए रासुका लगा कर फिर डिटेन कर लिया गया। डिटेंशन की अवधि खत्म होने से पहले फिर 12 मई 2020 को रासुका की अवधि 3 महीने के लिए बढ़ा दी गई। यह अविधि अगस्त में समाप्त हो रही थी लेकिन फिर अगस्त में उनकी हिरासत की अविधि 3 महीने के लिए बढ़ा दी गई। अदालत ने इसी हिरासत को बढ़ाए जाने को अवैध ठहराते हुए डॉ. कफ़ील को ज़मानत पर तत्काल रिहा करने के आदेश दिए।     

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Dr kafeel
Allahabad High Court
pragraj
Release of Dr Kafeel Khan
NSA
CAA
NRC
UttarPradesh

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

वर्ष 1991 फ़र्ज़ी मुठभेड़ : उच्च न्यायालय का पीएसी के 34 पूर्व सिपाहियों को ज़मानत देने से इंकार

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल

मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?

ख़ान और ज़फ़र के रौशन चेहरे, कालिख़ तो ख़ुद पे पुती है

मनरेगा मज़दूरों के मेहनताने पर आख़िर कौन डाल रहा है डाका?

लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी

शाहीन बाग़ : देखने हम भी गए थे प तमाशा न हुआ!


बाकी खबरें

  • cartoon
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ख़बर भी-नज़र भी: दुनिया को खाद्य आपूर्ति का दावा और गेहूं निर्यात पर रोक
    14 May 2022
    एक तरफ़ अभी कुछ दिन पहले हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि अगर विश्व व्यापार संगठन (WTO) भारत को अनुमति देता है, तो हमारा देश अपने खाद्य भंडार से दुनिया को खाद्य आपूर्ति कर सकता है,…
  • aadhar
    भाषा
    आधार को मतदाता सूची से जोड़ने पर नियम जल्द जारी हो सकते हैं : मुख्य निर्वाचन आयुक्त
    14 May 2022
    "यह स्वैच्छिक होगा। लेकिन मतदाताओं को अपना आधार नंबर न देने के लिए पर्याप्त वजह बतानी होगी।"
  • IPC
    सारा थानावाला
    LIC IPO: कैसे भारत का सबसे बड़ा निजीकरण घोटाला है!
    14 May 2022
    वी. श्रीधर, सार्वजनिक क्षेत्र और सार्वजनिक सेवाओं पर जन आयोग के सदस्य साक्षात्कार के माध्यम से बता रहे हैं कि एलआईसी आईपीओ कैसे सबसे बड़ा निजीकरण घोटाला है।
  • congress
    रवि शंकर दुबे
    इतिहास कहता है- ‘’चिंतन शिविर’’ भी नहीं बदल सका कांग्रेस की किस्मत
    14 May 2022
    देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस चुनावों में जीत के लिए पहले भी चिंतन शिविर करती रही है, लेकिन ये शिविर कांग्रेस के लिए इतने कारगर नहीं रहे हैं।
  • asianet
    श्याम मीरा सिंह
    लता के अंतिम संस्कार में शाहरुख़, शिवकुमार की अंत्येष्टि में ज़ाकिर की तस्वीरें, कुछ लोगों को क्यों चुभती हैं?
    14 May 2022
    “बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख़, मशहूर गायिका लता मंगेशकर के अंत्येष्टि कार्यक्रम में श्रद्धांजलि देने गए हुए थे। ऐसे माहौल में जबकि सारी व्याख्याएँ व्यक्ति के धर्म के नज़रिए से की जा रही हैं, वैसे में…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License