NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
कृषि
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
पंजाब में किसान आंदोलनः राज्य की आर्थिक व राजनीतिक घेराबंदी करती केंद्र सरकार
राज्य के लोगों में यह प्रभाव जा रहा है कि केंद्र सरकार पंजाब की आर्थिक व राजनीतिक नाकेबंदी करने पर उतारू है। मोदी सरकार राज्य को सबक़ सिखाने के लिए ऐसा कर रही है।
शिव इंदर सिंह
17 Nov 2020
पंजाब में किसान आंदोलन
पंजाब के आंदोलनरत किसान। फोटो : शिव इंदर सिंह

पंजाब के किसान आंदोलन को गरमाये हुए डेढ़ महीने से भी अधिक का समय गुजर गया है, यह आंदोलन एक जन आंदोलन की शक्ल अख्तियार कर चुका है। पंजाब के हर तबके की हिमायत के साथ ही भाजपा को छोड़कर राज्य की तमाम पार्टियां इस आंदोलन की पक्षधर होने का दावा करती हैं। पंजाब के अनेक बुद्धिजीवी इस संघर्ष को सिर्फ किसानी मुद्दों तक सीमित न रखकर इसे राज्यों के अधिक अधिकारों की लड़ाई व संविधान के संघात्मक ढांचे को बचाने की जद्दोजहद के तौर पर भी देख रहे हैं। पंजाब के विद्वानों का मानना है कि यह संघर्ष अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बनेगा। दूसरी ओर केंद्र सरकार ने इस संघर्ष के प्रति नकारात्मक नज़रिया अपनाया हुआ है जिससे पंजाबियों का बड़ा हिस्सा नाराज़ है। राज्य के लोगों में यह प्रभाव जा रहा है कि केंद्र सरकार पंजाब की आर्थिक व राजनीतिक नाकेबंदी करने पर उतारू है। मोदी सरकार राज्य को सबक सिखाने के लिए ऐसा कर रही है।

किसान नेताओं की गत 12 नवम्बर को केंद्र के साथ मीटिंग हुई पर वह सिरे न चढ़ सकी। आने वाले दिनों में एक और मीटिंग होने की संभावना है। किसान नेताओं का मानना है कि केंद्र की नीयत में खोट है। किसान नेता जगमोहन सिंह कहते है, “मोदी सरकार किसानों की मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। किसानों द्वारा मालगाड़ियों का रास्ता छोड़ने का ऐलान किया जा चुका है पर केंद्र सरकार इस ज़िद पर अड़ी हुई है कि मालगाड़ियों के साथ ही यात्री रेलगाड़ियों को भी रास्ता दिया जाए।” आने वाले समय में यह टकराव और भी तीखा होने की संभावना है। मालगाड़ियों की आवाजाही बंद होने के कारण फसलों की बिजाई पर बड़ा असर होने की संभावना है। आने वाले समय में राज्य को गेहूं व सब्जियों के लिए बड़ी मात्रा में यूरिया खाद की जरूरत है पर इसकी उपलब्धता घटती जा रही है। यह खाद बाहरी राज्यों से आती है।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह मालगाड़ियों के न चलने के कारण पंजाब को पेश आ रही दिक्कतों के बारे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा को पत्र लिख चुके हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार को भी स्पष्ट तौर पर कहा है कि मालगाड़ियां बंद होने के कारण सिर्फ पंजाब ही प्रभावित नहीं होगा बल्कि इसका प्रभाव जम्मू-कश्मीर पर भी पड़ेगा। 4 नवम्बर को कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में पंजाब के विधायक व सांसद जंतर मंतर पर केंद्र सरकार के रवैये के खिलाफ धरना दे चुके हैं। देश का राष्ट्रीय मीडिया इस धरने को सिर्फ कांग्रेस के विधायकों और सांसदों का धरना बताता रहा है जबकि इसमें विपक्षी नेता सुखपाल खहरा, परमिंदर सिंह ढींडसा भी शामिल थे और लोक इंसाफ पार्टी का भी इसे समर्थन प्राप्त था। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानी मुद्दों को लेकर राष्ट्रपति से मिलना चाहा लेकिन उन्हें इज़ाजत नहीं मिली।

पंजाब के लुधियाना से कांग्रेसी सांसद रवनीत बिट्टू तो यहां तक आरोप लगा चुके हैं कि जब पंजाब के सांसदों ने केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को मालगाड़ियों को चलाने की विनती की तो रेल मंत्री ने स्पष्ट कहा कि पहले केन्द्रीय कानून लागू करवाओ फिर मालगाड़ियां चलेंगी।

मालगाड़ियों के बंद होने के कारण पावरकॉम संकट से गुज़र रहा है। राज्य में अनिश्चित बिजली कट शुरु हो गए हैं, ताप बिजली घरों के कोयला भंडार खत्म होने के कारण यह संकट आया है। पंजाब का आखिरी पॉवर प्लांट जीवीके थर्मल के बंद होने के कारण बिजली की कमी हो चुकी है। पंजाब का पॉवरकॉम पहले ही वित्तीय संकट से जूझ रहा है। कोयले के संकट से इस पर और मार पड़ी है। पॉवरकॉम का पंजाब सरकार की ओर खेती सब्सिडी का 4000 करोड़ रुपये बकाया खड़ा है।

प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पंजाब सरकार ने 31 अक्तूबर तक पॉवरकॉम को खेती सब्सिडी की 3724.54 करोड़ रुपये की अदायगी करनी थी जो अभी तक नहीं हो सकी है। इस हालात में सब्सिडी का बकाया बढ़कर 4000 करोड़ रुपये हो चुका है अब पॉवरकॉम ने रोपड़ थर्मल में चल रहे एकमात्र उत्पादन यूनिट को बंद कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि यह सब कोयले के संकट कारण हो रहा है।

किसान केंद्र सरकार पर यह आरोप भी लगाते हैं कि एक तरफ सरकार हमें बातचीत के लिए बुला रही है दूसरी तरफ भाजपा के तरूण चुघ जैसे नेता हमें ‘अर्बन नक्सल’ बता रहे हैं। काबिल-ए-गौर है कि भाजपा के कई बड़े-छोटे नेता संघर्ष कर रहे किसानों को ‘नक्सली’ व ‘अलगावादी’ कह कर उनकी आलोचना कर रहे हैं। लुधियाना जिला के धरने पर बैठे किसान संतोख सिंह का कहना है, “हम नक्सली नहीं हैं, हम हकों के लिए लड़ने वाले मेहनतकश किसान हैं। जब-जब लोग जालिम हुकूमतों के जनविरोधी कानूनों के विरुद्ध लामबंद होते हैं सरकारें उन्हें ‘माओवादी’, ‘आतंकवादी’ या ‘खालिस्तानी’ कहती हैं। पंजाब में इस समय अलगाववादी नारे लगाने वाला गायक पिछले साल लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा के सांसद सन्नी दयोल के लिए प्रचार करता रहा है। उसकी कई तस्वीरें प्रधानमंत्री व गृहमंत्री के साथ हैं। जबकि किसान आंदोलन हम इस तरह के तत्वों को अपनी स्टेजों पर जगह भी नहीं देते। सरकार किसान आंदोलन को फेल करने के लिए कभी खालिस्तान का हौवा खड़ा कर रही है कभी माओवाद का नाम ले रही है।”

इस समय किसान आंदोलन अपने चरम पर हैं। इस आंदोलन में महिलाओं व नौजवानों की हिस्सेदारी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। किसान आगामी 26-27 नवम्बर को दिल्ली में होने वाले प्रदर्शन की तैयारी में लगे हुए हैं। दिल्ली पुलिस ने किसानों को प्रदर्शन की आज्ञा नहीं दी है लेकिन किसानों के जोश में कमी नहीं आ रही है। पंजाब में भाजपा के नेताओं के बॉयकॉट का सिलसिला बदस्तूर चल रहा है। अब भाजपा के कई नेताओं ने किसान आंदोलन के आगे झुककर पार्टी से इस्तीफे देने शुरू कर दिए है। पंजाब भाजपा के नेता सुरजीत कुमार जयानी ने बड़ी बेबाकी से किसानों के पक्ष में आवाज़ बुलंद की है। जयानी बड़ी बेबाकी से बोल रहे हैं कि भाजपा के स्थानीय नेताओं ने केंद्र सरकार के सामने पंजाब के किसानों का पक्ष सही ढंग से नहीं रखा। गत 13 नवंबर को किसानों के साथ हुई केंद्र सरकार की मीटिंग में भी सुरजीत कुमार जयानी का विशेष योगदान रहा। अब देखना यह है कि भाजपा के स्थानीय नेताओं के बदले सुर केंद्र सरकार के किसानों के प्रति नजरिए को बदल पाते है या नहीं।

इस तमाम माहौल के बारे में पंजाबी स्तंभकार प्यारा लाल गर्ग कहते हैं, “केंद्र सरकार बिल्कुल कश्मीर की तरह पंजाब की घेराबंदी करने में लगी हुई है। मोदी  सरकार का देश के संघीय ढांचे में बिल्कुल भी यकीन नहीं है। किसानों के जायज़ संघर्ष को बदमान करने के लिए केंद्र सरकार नई-नई कहानियां गढ़ रही है। इस हालत में अपने संघर्ष को सही दिशा में ले जाना, अपनी एकता को बनाए रखना और संघीय ढांचे की भावना को प्रबल करना किसान नेताओं के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस समय पूरा देश पंजाब के किसानों के संघर्ष की ओर देख रहा है, निश्चय ही यह संघर्ष पूरे देश को एक नई राह दिखाएगा।”

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

punjab
Peasant Movement in Punjab
Farmer protest
Farm bills 2020
modi sarkar
Narendra modi
BJP
Central Government

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

लुधियाना: PRTC के संविदा कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू

पंजाब: आप सरकार के ख़िलाफ़ किसानों ने खोला बड़ा मोर्चा, चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर डाला डेरा

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ़ श्रमिकों का संघर्ष जारी, 15 महीने से कर रहे प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • sedition
    भाषा
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं करने का आदेश
    11 May 2022
    पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी। उसने आगे कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती…
  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License