NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
सत्ता-समर्थक दल अल्जीरियाई चुनावों में आगे
इन चुनावों में ऐतिहासिक रूप से महज 30.2% मतदान हुआ है क्योंकि मतदाता हिरक आंदोलन के राष्ट्रव्यापी बहिष्कार के आह्वान पर मतदान के दिन घर से बाहर नहीं निकले।
पीपल्स डिस्पैच
15 Jun 2021
सत्ता-समर्थक दल अल्जीरियाई चुनावों में आगे

अल्जीरिया की सत्ता-समर्थक नेशनल लिबरेशन फ्रंट (एफएलएन) पार्टी ने देश में हाल ही में संपन्न हुए विधायी चुनावों में शुरुआती बढ़त हासिल कर ली है। इस्लामिस्ट मूवमेंट ऑफ सोसाइटी फॉर पीस (एमएसपी) पार्टी दूसरे स्थान पर है। कई रिपोर्टों में प्रारंभिक परिणाम के आधार पर सोमवार 14 जून को ये जानकारी दी गई।

क्रमशः 100 और 80 सीटों पर बढ़त के साथ एफएलएन और एमएसपी देश की दो सबसे बड़ी पार्टियां हैं वहीं सत्ता समर्थक नेशनल रैली फॉर डेमोक्रेसी 60 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर है। 407 सीटों वाली पीपुल्स नेशनल असेंबली में 50 सीटों के साथ इंडिपेंडेंट ब्लॉक चौथे स्थान पर है। किसी भी पार्टी को बहुमत पार करने के लिए 204 सीटों की आवश्यकता है।

नेशनल इंडिपेंडेंट अथॉरिटी फॉर इलेक्शन के प्रमुख मोहम्मद चोरफी ने सोमवार को कहा कि शनिवार के चुनावों में मतदान का प्रतिशत 30.2% था जबकि 2017 में 37% और 2012 में 43% था और ऐतिहासिक रूप से पिछले 20 वर्षों में सबसे कम था।

सत्ता विरोधी हिरक विरोध आंदोलन ने अल्जीरियाई नागरिकों से चुनावों को धोखा और यथास्थिति की निरंतरता बताते हुए इसका बहिष्कार करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी आह्वान किया था, जो सत्ता बने रहने के लिए पूर्व-क्रांति युग से भ्रष्ट और दागी राजनीतिक व व्यावसायिक लोगों को सक्षम बनाएगा। कई विपक्षी दल जैसे सोशलिस्ट फोर्सेस फ्रंट, द रैली फॉर कल्चर एंड डेमोक्रेसी और वामपंथी वर्कर्स पार्टी ने भी इन चुनावों का बहिष्कार करने का फैसला किया था।

अनुमान बताते हैं कि 24.5 मिलियन पंजीकृत योग्य मतदाताओं में से करीब 18 मिलियन मतदाताओं ने इन चुनाव में भाग नहीं लिया। चोरफी के अनुसार, अंतिम आधिकारिक परिणाम मतदान के चार दिन बाद ही घोषित किए जाएंगे क्योंकि अलग-अलग पार्टियों द्वारा तय की गई पुरानी बंद सूची के बजाय मतदाताओं की वरीयता के आधार पर उम्मीदवारों के चयन के लिए ओपन लिस्ट की नई चुनावी प्रणाली ने मतगणना प्रक्रिया को और अधिक जटिल बना दिया है।

इन चुनावों से पहले के सप्ताह और महीने भी विवादास्पद और बेहद तनावपूर्ण थे क्योंकि राष्ट्रपति अब्देलमदजीद तेब्बाउने की सरकार ने हिरक आंदोलन और सरकार के अन्य विरोधी और आलोचकों के खिलाफ दमन का एक बड़ा अभियान चलाया। अल्जीरिया में व्यवस्थित राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तन की मांग के लिए 2019 में हिरक आंदोलन शुरू किया गया था।

Algeria
National Liberation Front
National Rally for Democracy

Related Stories

प्रसिद्ध अल्जीरियाई पत्रकार मोहम्मद मौलौद्ज को आतंकवाद के आरोप में हिरासत में लिया गया

अल्जीरिया में 100 से अधिक हिरक प्रदर्शनकारी रिहा

अल्जीरियाई स्वतंत्रता दिवस पर जेल में बंद हिरक आंदोलन के 18 कार्यकर्ता रिहा

अल्जीरियाई वामपंथी पार्टी के नेता फेथी घारेस फ़र्ज़ी आरोपों में गिरफ़्तार

वित्त मंत्री अयमन बेनअब्दर्रह्मान अल्जीरिया के नए प्रधानमंत्री

अल्जीरियाई पुलिस ने प्रमुख मानवाधिकार और अत्याचार-विरोधी कार्यकर्ता फ़ातिहा ब्रिकी को हिरासत में लिया

यूएन ने अल्जीरिया से हिरक प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ मानवाधिकारों के हनन को रोकने का आह्वान किया

अल्जीरिया के हिरक आंदोलन ने प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फ़ैसले की निंदा की

अल्जीरिया : हिरक आंदोलन के नेता संदिग्ध आरोपों में गिरफ़्तार

सीमा क्षेत्र को बंद करने के अल्जीरिया के फ़ैसले के ख़िलाफ़ मोरक्को के किसानों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • आज का कार्टून
    आम आदमी जाए तो कहाँ जाए!
    05 May 2022
    महंगाई की मार भी गज़ब होती है। अगर महंगाई को नियंत्रित न किया जाए तो मार आम आदमी पर पड़ती है और अगर महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश की जाए तब भी मार आम आदमी पर पड़ती है।
  • एस एन साहू 
    श्रम मुद्दों पर भारतीय इतिहास और संविधान सभा के परिप्रेक्ष्य
    05 May 2022
    प्रगतिशील तरीके से श्रम मुद्दों को उठाने का भारत का रिकॉर्ड मई दिवस 1 मई,1891 को अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरूआत से पहले का है।
  • विजय विनीत
    मिड-डे मील में व्यवस्था के बाद कैंसर से जंग लड़ने वाले पूर्वांचल के जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल के साथ 'उम्मीदों की मौत'
    05 May 2022
    जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल की प्राण रक्षा के लिए न मोदी-योगी सरकार आगे आई और न ही नौकरशाही। नतीजा, पत्रकार पवन जायसवाल के मौत की चीख़ बनारस के एक निजी अस्पताल में गूंजी और आंसू बहकर सामने आई।
  • सुकुमार मुरलीधरन
    भारतीय मीडिया : बेड़ियों में जकड़ा और जासूसी का शिकार
    05 May 2022
    विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय मीडिया पर लागू किए जा रहे नागवार नये नियमों और ख़ासकर डिजिटल डोमेन में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों की एक जांच-पड़ताल।
  • ज़ाहिद ख़ान
    नौशाद : जिनके संगीत में मिट्टी की सुगंध और ज़िंदगी की शक्ल थी
    05 May 2022
    नौशाद, हिंदी सिनेमा के ऐसे जगमगाते सितारे हैं, जो अपने संगीत से आज भी दिलों को मुनव्वर करते हैं। नौशाद की पुण्यतिथि पर पेश है उनके जीवन और काम से जुड़ी बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License