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मज़दूर-किसान
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नये कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ मुक्तसर में चल रहे प्रदर्शन के दौरान किसान ने ख़ुदकुशी की
मनसा जिले के अक्कनवाली गांव निवासी प्रीतम सिंह ने शुक्रवार सुबह कोई जहरीला पदार्थ खा लिया। बाद में एक अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गयी। किसान संगठन का कहना है कि प्रीतम सिंह पर कर्ज़ था।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट/भाषा
19 Sep 2020
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पंजाब के मुक्तसर जिले में कृषि संबंधी नए विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान 70 साल के एक किसान ने खुदकुशी कर ली। कोई जहरीले पदार्थ खाने के बाद उनकी मौत हुई। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी।

मनसा जिले के अक्कनवाली गांव निवासी प्रीतम सिंह ने शुक्रवार सुबह कोई जहरीला पदार्थ खा लिया। बाद में एक अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गयी।

सिंह भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहण) द्वारा 15 सितंबर से बादल गांव में आयोजित प्रदर्शन में भाग ले रहे थे। यह पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का पैतृक गांव है।

पुलिस ने कहा कि अभी पता नहीं चला है कि किसान के यह कदम क्यों उठाया।

किसान संगठन का कहना है कि प्रीतम सिंह पर कर्ज था।

भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहण) के महासचिव सुखदेव सिंह ने मांग की कि मृतक के परिवार को प्रशासन की ओर से मुआवजा दिया जाना चाहिए।

इसी तरह अभी उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के सदर कोतवाली क्षेत्र के अमिरता डेरा गांव में कथित रूप से कर्ज में डूबे एक किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

अपर जिलाधिकारी (एडीएम) विनय प्रकाश श्रीवास्तव ने शुक्रवार को बताया, "सदर कोतवाली क्षेत्र के अमिरता डेरा गांव में बृहस्पतिवार को किसान महेंद्र वर्मा (46) के अपनी जमीन पर बने ट्यूबवेल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या किये जाने की सूचना मिली थी। जिसके बारे में राजस्व अधिकारियों को भेजकर जांच कराई जा रही है।" उन्होंने कहा कि "जांच रिपोर्ट मिलने के बाद तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।" किसान के छोटे भाई इंद्रेश वर्मा ने पुलिस को बताया, "बड़े भाई महेंद्र के हिस्से में छह बीघा कृषि भूमि है और उसके चार बेटी और एक बेटा है। उसने एक बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड से 42 हजार और यूनियन बैंक से 80 हजार रुपये कर्ज लिया था, जो अब बढ़कर बहुत ज्यादा हो गया है।" पुलिस ने किसान के परिजन के हवाले से बताया, "किसान की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं, संभवतः कर्ज और आर्थिक तंगी के कारण उसने आत्महत्या की है। पोस्टमॉर्टम कराने के बाद शव परिजन को दे दिया गया है और राजस्व अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं।"

आपको बता दें कि किसान पहले से ही बहुत मुश्किल में हैं और अब कृषि से जुड़े तीन नये विधेयकों से किसानों पर और संकट बढ़ गया है। ये तीनों विधायक किसान विरोधी कहे जा रहे हैं। इसी के चलते केंद्र में शिरोमणी अकाली दल कोटे से एकमात्र मंत्री हरसिमरत कौर बादल को इस्तीफ़ा देना पड़ा है।

इसे पढ़ें : क्या है किसानों का मुद्दा जिसके चलते हरसिमरत कौर को मोदी कैबिनेट से इस्तीफ़ा देना पड़ा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कृषि संबंधी विधेयकों के खिलाफ सभी विपक्षी दलों से एकजुट होने की अपील करते हुए शनिवार को कहा कि हर पार्टी को स्पष्ट करना चाहिए कि वह किसानों के साथ है या फिर ‘कृषकों की जीविका को खतरे में डाल रही भारतीय जनता पार्टी के साथ है।

विपक्षी दलों ने शनिवार को राज्यसभा में सरकार से आम लोगों तथा किसानों को कर्ज पर ब्याज में राहत देने की मांग की। विपक्षी सदस्यों का कहना था कि जिस तरह से सरकार ने दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत छह महीने तक कोई नया मामला शुरू नहीं करने का प्रावधान कर कंपनियों को राहत दी है, उसी तरह से आम लोगों तथा किसानों को भी राहत दी जानी चाहिए।

इसे भी पढ़ें : संसद सत्र: न महामारी की चर्चा, न बेरोज़गारी की बात, सिर्फ़ ख़तरनाक बिलों की बरसात

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