NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
RSF ने कश्मीर प्रेस क्लब को बंद करने की जम्मू-कश्मीर प्रशासन की कार्रवाई की निंदा की
एक तीखे वक्तव्य में रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स ने क्षेत्र में प्रशासन को उस पत्रकार समूह की मदद करने का आरोप लगाया है, जिसने प्रेस क्लब पर “क़ब्ज़ा” किया। कई लोगों ने इसे राज्य समर्थित “तख़्ता-पलट” बताया है।
अनीस ज़रगर
20 Jan 2022
kashmir

श्रीनगर: रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) पेरिस स्थित एक संगठन है, जो मीडिया पर नज़र रखने का काम करता है। बुधवार को आरएसएफ ने कहा कि भारत सरकार को कश्मीर प्रेस क्लब (केपीसी) को तुरंत दोबारा खुलवाना चाहिए जिसे जम्मू-कश्मीर सरकार ने पिछले चार दिनों से बंद कर रखा है। 

एक तीखे वक्तव्य में आरएसएफ ने कहा कि क्षेत्रीय प्रशासन ने एक पत्रकारों के समूह की मदद की, जिससे राज्य समर्थित तख्तापलट संभव हो पाया, जिसके चलते प्रेस क्लब को बंद करना पड़ा।  

आरएसएफ के एशिया-प्रशांत डेस्क के प्रमुख डेनियल बासटार्ड ने अपने वक्तव्य में कहा, "हम जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा से तुरंत केपीसी का लाइसेंस जारी करने और इसे दोबारा खोलने का आदेश देने की अपील करते हैं।"

उन्होंने कहा, "क्लब का बंद होना तख्तापलट का ही नतीज़ा था, जिसे स्थानीय प्रशासन ने बेइंतहां मदद की थी, यह वह स्थानीय प्रशासन है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेशों का पालन करता है। अघोषित तख्तापलट भारत सरकार की तरफ से उन सभी पत्रकारों का असम्मान है, जो कश्मीर घाटी में अपना काम करने की कोशिश कर रहे हैं, जो सूचना और जानकारी के नज़रिए से पूरी तरह कटती जा रही है।”

आरएसएफ ने क्लब को तुरंत खोले जाने की अपील की। यहां कश्मीरी पत्रकार आपस में बैठकर अपनी समस्याओं पर विचार-विमर्श करते थे और प्रेस की आज़ादी की रक्षा करते थे। 

वक्तव्य में केपीसी के महासचिव इस्फाक तंत्रे के हवाले से कहा गया, “चुनी हुई संस्था पत्रकारों द्वारा दिए गए कर्तव्यों का सम्मान करती थी। हमने पेशेवर और सम्मानजनक से कामकाज़ किया। आगे सबसे बेहतर कदम यही हो सकता है कि क्लब को वापस चालू किया जाए और पत्रकारों को इसका परिसर वापस सौंपा जाए, फिर जितनी जल्दी हो सकें, अगले चुनाव करवाए जाएं। कोई भी व्यक्ति जो पत्रकारों का कल्याण और अच्छा चाहता है, वह इस कदम का स्वागत करेगा। सभी पक्षों को समझदारी से काम लेना चाहिए।”

स्वतंत्र पत्रकार आकाश हसन ने आरएसएफ को केपीसी को बंद करने की वज़ह बताते हुए कहा, “क्लब इस क्षेत्र में जहां मीडिया पर हमले और पत्रकारों को धमकियां अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच चुकी थीं, वहां पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा करने वाला एक उन्नत संस्थान था। केपीसी की तरह का परिसर लोगों से छीना जाना, उस एकजुटता को ख़त्म करना है, जो मुश्किल दौर में कश्मीर के पत्रकारों के बीच बनी थी।”

मीडिया पर निगरानी का काम करने वाले आरएसएफ ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर से अगस्त 2019 में भारतीय प्रशासन द्वारा विशेष दर्जा छीने जाने के बाद से प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन की घटनाएं इतनी ज़्यादा बढ़ गई हैं कि अब यह क्षेत्र सूचना और जानकारी का नया “ब्लैक होल” बनने वाला है। 

बता दें श्रीनगर में केपीसी का कुछ पत्रकारों ने “अधिभार” धारण करने का दावा किया था, और खुद को कल्ब की नई प्रबंधक संस्था घोषित कर दिया था। इस दौरान वहां राज्य के दर्जन भर से ज़्यादा सुरक्षाकर्मी भी मौजूद थे। इस चीज की स्थानीय और राष्ट्रीय पत्रकार संस्थाओं ने कड़ी निंदा की थी।

क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों ने भी बड़े पैमाने पर कश्मीर प्रेस क्लब में हुई घटना की निंदा की थी। महबूबा मुफ़्ती और उमर अब्दुल्ला ने इस तख्तापलट को क्षेत्र में मीडिया की आवाज़ का गला घोंटने वाली व्यापक प्रक्रिया का हिस्सा करार दिया था।  

पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य में विधायक रहे हकीम यासीन ने क्लब को मनमाफ़िक तरीके से बंद करने के सरकारी फ़ैसले की आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि यह फ़ैसला प्रेस के कामकाज़ को बर्बाद करने जैसा है।

उन्होंने कहा, “केपीसी को बंद करना मीडिया के लोगों से उन सुविधाओं को छीना जाना है, जो मुक्त वातावरण में काम करने के लिए उन्हें दी गई थीं। प्रेस लोकतंत्र का चौथा स्तंभ था।” उन्होंने आगे कहा कि केपीसी को बंद कर जम्मू-कश्मीर शासन ने भारत का नाम खराब किया है, “जो मुक्त विश्व व्यवस्था में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।”

एक नए वक्तव्य में अलगाववादी समूह हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी- ऑल पार्टीज़ हुर्रियत कॉन्फ्रेंस) ने बुधवार को प्रशासन द्वारा केपीसी को जबरदस्ती “कब्ज़ाए” जाने और उसे बंद करने की निंदा की।

एपीएचसी ने अपने वक्तव्य में कहा, “जम्मू-कश्मीर में प्रशासन द्वारा अपनाई जाने वाली संस्थाओं के दमन और उन्हें बर्बाद करने की नीति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है।”

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Global Media Watchdog RSF Blasts J&K Authorities for Closure of Kashmir Press Club

Kashmir Press Club Coup
Press freedom
Jammu and Kashmir
journalism
Reporters Without Borders

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 

यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा

आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद

धनकुबेरों के हाथों में अख़बार और टीवी चैनल, वैकल्पिक मीडिया का गला घोंटती सरकार! 


बाकी खबरें

  • srilanka
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका: निर्णायक मोड़ पर पहुंचा बर्बादी और तानाशाही से निजात पाने का संघर्ष
    10 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने श्रीलंका में तानाशाह राजपक्षे सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन पर बात की श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शिवाप्रगासम और न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया
    10 May 2022
    गाँव के बाहरी हिस्से में रहने वाले इसी मुस्लिम परिवार के घर हनुमान जयंती पर भड़की हिंसा में आगज़नी हुई थी। परिवार का कहना है कि हिन्दू पक्ष के लोग घर से सामने से निकलते हुए 'जय श्री राम' के नारे लगाते…
  • असद रिज़वी
    लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी
    10 May 2022
    एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर की गई एक टिप्पणी के विरोध में एबीवीपी ने मंगलवार को प्रोफ़ेसर रविकांत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में घेर लिया और…
  • अजय कुमार
    मज़बूत नेता के राज में डॉलर के मुक़ाबले रुपया अब तक के इतिहास में सबसे कमज़ोर
    10 May 2022
    साल 2013 में डॉलर के मुक़ाबले रूपये गिरकर 68 रूपये प्रति डॉलर हो गया था। भाजपा की तरफ से बयान आया कि डॉलर के मुक़ाबले रुपया तभी मज़बूत होगा जब देश में मज़बूत नेता आएगा।
  • अनीस ज़रगर
    श्रीनगर के बाहरी इलाक़ों में शराब की दुकान खुलने का व्यापक विरोध
    10 May 2022
    राजनीतिक पार्टियों ने इस क़दम को “पर्यटन की आड़ में" और "नुकसान पहुँचाने वाला" क़दम बताया है। इसे बंद करने की मांग की जा रही है क्योंकि दुकान ऐसे इलाक़े में जहाँ पर्यटन की कोई जगह नहीं है बल्कि एक स्कूल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License