NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
भारत
राजनीति
राजस्थान : फिर एक मॉब लिंचिंग और इंसाफ़ का लंबा इंतज़ार
राजस्थान समेत देश के कई अन्य राज्यों में गौ-रक्षकों द्वारा इस तरह के कई हमले हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को इन हत्याओं की रोकथाम करने के लिए कई दिशा-निर्देश दिए थे लेकिन अधिकतर राज्यों में ये अभी तक लागू नहीं हुए हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
16 Jun 2021
Image Courtesy:  ipleaders.com
Image Courtesy: ipleaders.com

राजस्थान में एक और मॉब लिंचिंग की घटना रिपोर्ट हुई है। गौ तस्करी के शक में उन्मादी भीड़ ने दो युवकों की बुरी तरह पिटाई कर दी। जिसमें एक की जान चली गई तो वहीं दूसरा गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती है। 2017 में राजस्थान के ही अलवर में पहलू खान को भी कुछ लोगों ने इसी तरह गौ तस्करी का आरोप लगा कर पीट पीट कर मार दिया था। मामले में कई सबूत होने के बावजूद पहलू खान को आज तक इंसाफ नहीं मिल पाया। साल 2019 में इस तरह पीट पीट कर मार दिए जाने के खिलाफ राज्य में अलग से एक कानून जरूर बन गया लेकिन उसके बावजूद ऐसी घटनाओं की तस्वीर नहीं बदली।

क्या है पूरा मामला?

मीडिया में आई खबरों के अनुसार मामला चित्तौड़गढ़ बेगू के बिलखंडा गांव का है। यहां मध्य प्रदेश के रहने वाले 25 वर्षीय बाबू भील पर कथित गौरक्षकों ने तब हमला कर दिया जब वो राजस्थान से तीन बैल खरीद कर वापस अपने घर ले जा रहा था। पुलिस के बयान के मुताबिक बाबू ने राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के एक गांव में वो बैल खरीदे थे। बाबू अपने दोस्त पिंटू भील के साथ उन बैलों को एक ट्रक में लाद कर वापस ले जा रहा था तभी आधी रात के आस पास कुछ लोगों ने उन्हें घेर लिया और बेरहमी से पीटना शुरू किया। वो उन दोनों युवकों को लगभग एक घंटे तक लाठियों से पीटते रहे और उसके बाद पुलिस के वहां पहुंचने पर वहां से भाग गए।

पुलिस ने दोनों को अस्पताल पहुंचाया लेकिन बाबू की इलाज के दौरान ही मृत्यु हो गई। 21 वर्षीय पिंटू गंभीर रूप से घायल है और अभी अस्पताल में ही भर्ती है। पुलिस का कहना है कि प्राथमिक जांच से संकेत मिले हैं कि बैलों को खेती में इस्तेमाल के लिए ही खरीदा गया था और दोनों युवकों पर हमला करने वाले गौरक्षक थे। पुलिस ने कम से कम 19 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और 10 लोगों को हिरासत में ले लिया है।

देश के कई राज्यों में हो चुकी हैं पीट-पीट कर मारने की घटनाएं

गौरतलब है कि राजस्थान समेत  देश के कई अन्य राज्यों में भी कथित गौ-रक्षकों द्वारा इस तरह के कई हमले हुए हैं। कुछ ही दिनों पहले असम के तिनसुकिया में भी इसी तरह कुछ लोगों ने 28 वर्षीय एक व्यक्ति को मवेशी चुराने के संदेह में पीट पीट कर मार दिया था। इसके पहले पिछले कुछ सालों में झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर जैसे कई राज्यों में इस तरह की हत्याएं हो चुकी हैं लेकिन किस मामले में क्या सज़ा हुई, कितनों को इंसाफ मिला, ये शायद ही कोई जानता हो।

भीड़ हिंसा के ख़िलाफ़ क़ानून को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं!

साल 2018 में मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं पर दायर एक्टिविस्ट तहसीन पूनावाला की याचिका पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को इन हत्याओं की रोकथाम करने के लिए कई दिशा-निर्देश दिए थे लेकिन अधिकतर राज्यों में ये अभी तक लागू नहीं हुए हैं। इनमें इस तरह के मामलों पर तेज गति से अदालतों में सुनवाई, हर जिले में पुलिस के एक विशेष दस्ते का गठन, ज्यादा मामलों वाले इलाकों की पहचान, भीड़-हिंसा के खिलाफ रेडियो, टीवी और दूसरे मंचों पर जागरूकता कार्यक्रम जैसे कदम शामिल हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने संसद से अपील भी की थी कि वो इस तरह की हिंसा के खिलाफ एक नया कानून ले कर आए, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक ऐसी कोई पहल नहीं की गई है।

गौरक्षा के लिए निर्मित कई नीतियों से कथित गौरक्षक समूहों को मिला है बढ़ावा !

एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी घटनाओं में मई 2015 से दिसंबर 2018 के बीच, भारत के 12 राज्यों में कम-से-कम 44 लोग मारे गए जिनमें 36 मुस्लिम थे। इसी अवधि में, 20 राज्यों में 100 से अधिक अलग-अलग घटनाओं में करीब 280 लोग घायल हुए। रिपोर्ट में दावा किया गया कि गौरक्षा और हिंदू राष्ट्रवादी राजनीतिक आंदोलन के बीच की कड़ियों और असुरक्षित अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए संवैधानिक और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों को लागू करने में सरकार विफल साबित हुई है। वहीं बीजेपी शासित राज्य सरकारों द्वारा गौरक्षा के लिए निर्मित कई नीतियों से इन कथित गौरक्षक समूहों को बढ़ावा भी मिला है। इसके अलावा खुद पुलिस इन राजनीतिक संरक्षण प्राप्त समूहों से खतरा महसूस करती है। पुलिस को इन गौरक्षकों के प्रति सहानुभूति रखने, कमजोर जांच करने और उन्हें खुली छूट देने के लिए राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ता है। जिससे इन गौरक्षकों को राजनीतिक आश्रय और मदद मिलती है।

भीड़ तानाशाही व्यवस्था का ही विस्तार है!

भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता, इसलिए शायद ये भीड़ ठोस कानूनी कार्रवाई से भी बच जाती है। आज के समय में मार डालने वाली यह उन्मादी भीड़ हीरो बनकर उभरी है। बीते कुछ समय में देखने को मिला है कि भीड़ बहुसंख्यक लोकतंत्र के एक हिस्से के तौर पर दिखती है जहां वह ख़ुद ही क़ानून का काम करने लगती है, खाने से लेकर पहनने तक सब पर उसका नियंत्रण होता है। ये भीड़ ख़ुद को सही मानती है और अपनी हिंसा को व्यावहारिक एवं ज़रूरी बताती है। अफ़राजुल व अख़लाक़ के मामले में भीड़ की प्रतिक्रिया और कठुआ व उन्नाव के मामले में अभियुक्तों का बचाव करना दिखाता है कि भीड़ ख़ुद ही न्याय करना और नैतिकता के दायरे तय करना चाहती है। हालांकि इन तमाम मामलों के संबंध में कई लोगों का मानना है कि भीड़ तानाशाही व्यवस्था का ही विस्तार है। भीड़ सभ्य समाज की सोचने समझने की क्षमता और बातचीत से मसले सुलझाने का रास्ता ख़त्म कर देती है।

Rajasthan
mob lynching
mob violence
BJP government
Supreme Court
law against mob lynching

Related Stories

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

2023 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र तेज़ हुए सांप्रदायिक हमले, लाउडस्पीकर विवाद पर दिल्ली सरकार ने किए हाथ खड़े

बंगाल हिंसा मामला : न्याय की मांग करते हुए वाम मोर्चा ने निकाली रैली

नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

भारत में हर दिन क्यों बढ़ रही हैं ‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाएं, इसके पीछे क्या है कारण?

पलवल : मुस्लिम लड़के की पीट-पीट कर हत्या, परिवार ने लगाया हेट क्राइम का आरोप

राजस्थान: रेप के आरोपी ने दोस्तों के साथ मिलकर दलित लड़की पर चाकू से किया हमला

राजस्थान में दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या, तमिलनाडु में चाकू से हमला कर ली जान


बाकी खबरें

  • Ramjas
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
    01 Jun 2022
    वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया(SFI) ने दक्षिणपंथी छात्र संगठन पर हमले का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने भी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। परन्तु छात्र संगठनों का आरोप है कि…
  • monsoon
    मोहम्मद इमरान खान
    बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग
    01 Jun 2022
    पटना: मानसून अभी आया नहीं है लेकिन इस दौरान होने वाले नदी के कटाव की दहशत गांवों के लोगों में इस कदर है कि वे कड़ी मशक्कत से बनाए अपने घरों को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। गरीबी स
  • Gyanvapi Masjid
    भाषा
    ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया
    01 Jun 2022
    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पैरवी कर रहे थे। इसके साथ ही पिता और पुत्र की जोड़ी हिंदुओं से जुड़े कई मुकदमों की पैरवी कर रही है।
  • sonia gandhi
    भाषा
    ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया
    01 Jun 2022
    ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष को आठ जून को पेश होने को कहा है। यह मामला पार्टी समर्थित ‘यंग इंडियन’ में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल में दर्ज किया गया था।
  • neoliberalism
    प्रभात पटनायक
    नवउदारवाद और मुद्रास्फीति-विरोधी नीति
    01 Jun 2022
    आम तौर पर नवउदारवादी व्यवस्था को प्रदत्त मानकर चला जाता है और इसी आधार पर खड़े होकर तर्क-वितर्क किए जाते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में से किस पर अंकुश लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना बेहतर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License