NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अफ़ग़ानिस्तान की घटनाओं पर एक नज़र-IV
तालिबान को लेकर चीन की तरफ़ से जो टिप्पणियां सामने आ रही हैं, उससे तो यही लगता है कि तालिबान और चीन एक दूसरे के साथ बेहद सहज हैं। ज़ाहिर है, बीजिंग पाकिस्तान के साथ और भी घनिष्ठ सहयोग और समन्वय चाहता है।
एम. के. भद्रकुमार
21 Aug 2021
अफ़ग़ानिस्तान की घटनाओं पर एक नज़र-IV
'प्रतीकात्मक फ़ोटो' साभार: Pxfuel

काबुल में 'एक्स' फ़ैक्टर 

चीनी टिप्पणियां अफ़ग़ानिस्तान में लोकतांत्रिक बदलाव की पश्चिमी मांगों को मज़बूती के साथ खारिज करती हैं। चीनी स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी और उनके अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन  के बीच मंगलवार को हुई एक बातचीत (ब्लिंकन की पहल पर) में यह बात और भी साफ़ तौर पर सामने आ गयी।

वांग ने ब्लिंकन को बताया कि 'हक़ीक़त ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि यांत्रिक तौर पर किसी आयातित विदेशी मॉडल की नक़ल करके उस मॉडल को पूरी तरह से अलग इतिहास, संस्कृति और राष्ट्रीय परिस्थितियों वाले देश में इस्तेमाल के लिहाज़ से आसानी से फिट नहीं किया जा सकता है और आख़िराकार,  इससे उस देश को खुद के स्थापित किये जाने की संभावना भी नहीं होती है।'

इसे भी पढ़े :  अफ़ग़ानिस्तान के घटनाक्रम पर कुछ विचार-I

हीं हो सकती' और समस्याओं को हल करने के लिए शक्ति और सैन्य साधनों का इस्तेमाल से और ज़्यादा समस्यायें पैदा होंगी, और 'इस लिहाज़ से मिला सबक़ गंभीर रूप से सोचने-विचारने लायक़ हैं।' वांग ने इस बात को रेखांकित किया कि अफ़ग़ानिस्तान का खुला और सबको साथ लेकर चलने वाला राजनीतिक व्यवस्था' इसकी अपनी राष्ट्रीय स्थितियों के मुताबिक़' ही होनी चाहिए। 

चीन के ख़िलाफ़ ख़ास तौर पर ताइवान को लेकर बाइडेन प्रशासन के भड़काऊ क़दमों का असर सामने आ रहा है। ग्लोबल टाइम्स ने मंगलवार को अपने एक संपादकीय में कड़ी टिप्पणी करते हुए लिखा कि मौजूदा हालात में अफ़ग़ान स्थिति के सिलसिले में वाशिंगटन के साथ कोई सहयोग मुमकिन नहीं है :

“चीन की दिलचस्पी अफ़ग़ानिस्तान में व्यवस्था बहाल करने और इस युद्धग्रस्त देश के पुनर्निर्माण को बढ़ावा देने में बनी रहेगी, लेकिन अमेरिका को उस रणनीतिक दुविधा से बाहर निकालने में मदद किये जाने को लेकर चीन की कोई ज़िम्मेदारी नहीं है, जो पूरी तरह से वाशिंगटन से जुड़ी हो। जब अमेरिका दुर्भावनापूर्ण तरीक़े से चीन के ख़िलाफ़ रणनीतिक दबाव और नियंत्रण की नीति अपना रहा है, तो चीन को ऐसी किसी बात की ज़रूरत नहीं है कि वह बुराई के बदले अच्छाई देकर अमेरिका के पक्ष में खड़ा हो जाये। यह मुमकिन नहीं है।” 

गुरुवार को तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने औपचारिक रूप से एक ट्वीट में अफ़ग़ानिस्तान इस्लामी अमीरात के निर्माण की घोषणा कर दी, उस ट्वीट में कहा गया था, "अंग्रेज़ों से देश की आज़ादी की 102 वीं वर्षगांठ के मौक़े पर अफ़ग़ानिस्तान के इस्लामी अमीरात की घोषणा।” 

इस बीच तालिबान के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने साफ़ तौर पर कहा, "लोकतांत्रिक व्यवस्था तो बिल्कुल नहीं होगी क्योंकि हमारे देश में इसका कोई आधार ही नहीं है। हम इस बात पर चर्चा नहीं करेंगे कि अफ़ग़ानिस्तान में हमें किस प्रकार की राजनीतिक व्यवस्था लागू करनी चाहिए, क्योंकि यह स्पष्ट है। यहां शरिया क़ानून है और यही सही है।"  

इसे भी पढ़े : अफ़ग़ानिस्तान के घटनाक्रम पर विचार – भाग दो 

इसके अलावा, चीनी रिपोर्टों में तालिबान से अपनी आतंकवाद विरोधी साख को साबित करने के लिए 'आतंकवाद के ख़िलाफ़ अपनी मज़बूत लड़ाई' में अफ़ग़ानिस्तान के समर्थन की आवाज़ को बुलंद करने के लिए भी कहा गया, ताकि यह 'आतंकवाद का जमावड़ा वाला देश' न बन जाये। यह एक अहम बदलाव है। 

इस तरह, बुधवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी के साथ टेलीफ़ोन पर हुई एक बातचीत में वांग ने चीन-पाकिस्तान सहयोग को लेकर चार सुझाव दिये,ये सुझाव थे:  

1. अफ़ग़ान पक्षों को 'अफ़ग़ान राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुकूल' व्यापक आधार वाली और समावेशी राजनीतिक संरचना स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना; 

2. आतंकवाद के ख़िलाफ़ 'मज़बूत लड़ाई' में अफ़ग़ानिस्तान का समर्थन; 

3. चीनी और पाकिस्तानी कर्मियों और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए तालिबान के साथ संवाद; और, 

4. अफ़ग़ानिस्तान को व्यवस्थित तरीक़े से शामिल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, और ख़ास तौर पर पड़ोसी देशों की अनूठी भूमिका को विकसित करना, ताकि अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति को धीरे-धीरे भली संगति में लाया जा सके और उस दौरान विभिन्न प्रणालियां एक दूसरे की पूरक हों और आम सहमति का विस्तार किया जा सके। '

'भली संगति' का मतलब शायद क्षेत्रीय पहलों की उन जटिल श्रृंखलाओं से होगा, जो ख़ुद को मज़बूत करती हैं; 'विभिन्न प्रणालियों' में सीपीईसी और एससीओ जैसे क्षेत्रीय ढांचे शामिल हो सकते हैं। 

सबसे अहम बात कि वांग ने क़ुरैशी के साथ पिछले महीने पाकिस्तान में दसू आतंकवादी हमले (जिसमें नौ चीनी इंजीनियर मारे गए थे) पर बातचीत की। स्टेट काउंसिल की वेबसाइट पर छपी सिन्हुआ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वांग ने जांच को लेकर पाकिस्तान की ओर से की जा रही अहम पहल की सराहना की और उम्मीद जतायी कि पाकिस्तान अपराधियों को गिरफ़्तार करने की हर मुमकिन कोशिश करेगा और उन्हें कानून के अनुसार दंडित करेगा, ताकि दोनों देशों के लोगों को जवाब दिया जा सके और साथ ही चीन-पाकिस्तान की दोस्ती को कमज़ोर करने की कोशिश करने वाली ताक़तों को मज़बूती के साथ रोका जा सके।’ 

इसे भी पढ़े : अफ़ग़ानिस्तान की घटनाओं पर एक नज़र— III

वांग ने साफ़ तौर पर क़ुरैशी की ओर से 12 अगस्त को अफ़ग़ानिस्तान और भारत का ज़िक़्र करते हुए लगाये गये आरोपों की ओर इशारा किया। अब तक तालिबान ने अफ़ग़ान खुफिया एजेंसियों के रिकॉर्ड जब्त कर लिए होंगे। निश्चित रूप से यही बात इस क्षेत्रीय राजनीति का एक 'X' फ़क्टर बन जाता है। 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने बुधवार को कहा, “यह एक पारंपरिक अंतर्राष्ट्रीय चलन है कि सरकार की मान्यता उसके गठन के बाद ही दी जाती है। अफ़ग़ान मुद्दे पर चीन की स्थिति स्पष्ट और सुसंगत है। हम उम्मीद करते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान एक ऐसी खुली, समावेशी और व्यापक रूप से प्रतिनिधिक सरकार बना सकता है, जो उनके लोगों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की व्यापक रूप से साझा आकांक्षाओं को प्रतिध्वनित करे।”

मंगलवार को चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने ज़ोर देकर कहा कि तालिबान आज पुराने ज़माने का तालिबान नहीं रह गया है। हुआ ने कहा,

“मैंने देखा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि अफ़ग़ान तालिबान पर भरोसा नहीं करना चाहिए। मैं कहना चाहती हूं कि कुछ भी स्थायी नहीं होता। समस्याओं को समझते और उनका समाधान करते समय हमें एक समग्र, परस्पर और विकासात्मक द्वन्द्वात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। हमें अतीत और वर्तमान दोनों को देखना चाहिए। हमें न सिर्फ़ उनकी बातों को सुनना चाहिए, बल्कि यह भी देखना चाहिए कि वे क्या करते हैं। अगर हम समय के साथ तालमेल नहीं बिठाते, बल्कि निश्चित मानसिकता पर ही टिके रहते हैं और हालात के घटनाक्रम को नज़रअंदाज़ करते हैं, तो हम कभी भी उस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पायेंगे, जो वास्तविकता के अनुरूप है।” 

तालिबान को लेकर चीन की तरफ़ से जो टिप्पणियां आ रही हैं,उससे तो यही लगता है कि तालिबान और चीन एक दूसरे के साथ बेहद सहज हैं। ज़ाहिर है,बीजिंग पाकिस्तान के साथ और भी घनिष्ठ सहयोग और समन्वय चाहता है। चीन कभी भी काबुल की नयी सरकार को मान्यता दे सकता है।

एमके भद्रकुमार एक पूर्व राजनयिक हैं। वह उज़्बेकिस्तान और तुर्की में भारत के राजदूत थे। इनके विचार निजी हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Reflections on Events in Afghanistan — IV

Afghanistan
taliban in afghanistan
Biden administration
US-Afghanistan
Afghanistan-China
Islamic Emirate of Afghanistan

Related Stories

भोजन की भारी क़िल्लत का सामना कर रहे दो करोड़ अफ़ग़ानी : आईपीसी

तालिबान को सत्ता संभाले 200 से ज़्यादा दिन लेकिन लड़कियों को नहीं मिल पा रही शिक्षा

रूस पर बाइडेन के युद्ध की एशियाई दोष रेखाएं

काबुल में आगे बढ़ने को लेकर चीन की कूटनीति

तालिबान के आने के बाद अफ़ग़ान सिनेमा का भविष्य क्या है?

रूस के लिए गेम चेंजर है चीन का समर्थन 

अफ़ग़ानिस्तान हो या यूक्रेन, युद्ध से क्या हासिल है अमेरिका को

पश्चिम ने तालिबान का सहयोजन किया 

बाइडेन का पहला साल : क्या कुछ बुनियादी अंतर आया?

सीमांत गांधी की पुण्यतिथि पर विशेष: सभी रूढ़िवादिता को तोड़ती उनकी दिलेरी की याद में 


बाकी खबरें

  • Sustainable Development
    सोनिया यादव
    सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भारत काफी पीछे: रिपोर्ट
    03 Mar 2022
    एनुअल स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2022 रिपोर्ट के मुताबिक सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भारत फिलहाल काफी पीछे है। ऐसे कम से कम 17 प्रमुख सरकारी लक्ष्य हैं, जिनकी समय-सीमा 2022 है और धीमी गति…
  • up elections
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वांचल की जंग: 10 जिलों की 57 सीटों पर सामान्य मतदान, योगी के गोरखपुर में भी नहीं दिखा उत्साह
    03 Mar 2022
    इस छठे चरण में शाम पांच बजे तक कुल औसतन 53.31 फ़ीसद मतदान दर्ज किया गया। अंतिम आंकड़ों का इंतज़ार है। आज के बाद यूपी का फ़ैसला बस एक क़दम दूर रह गया है। अब सात मार्च को सातवें और आख़िरी चरण के लिए…
  • election
    न्यूज़क्लिक टीम
    यूपी चुनाव: बस्ती के इस गांव में लोगों ने किया चुनाव का बहिष्कार
    03 Mar 2022
    बस्ती जिले के हर्रैया विधानसभा में आधा दर्ज़न गांव के ग्रामीणों ने मतदान बहिष्कार करने का एलान किया है। ग्रामीणों ने बाकायदा गांव के बाहर इसका बैनर लगा दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी…
  • gehariyaa
    एजाज़ अशरफ़
    गहराइयां में एक किरदार का मुस्लिम नाम क्यों?
    03 Mar 2022
    हो सकता है कि इस फ़िल्म का मुख्य पुरुष किरदार का अरबी नाम नये चलन के हिसाब से दिया गया हो। लेकिन, उस किरदार की नकारात्मक भूमिका इस नाम, नामकरण और अलग नाम की सियासत की याद दिला देती है।
  • Haryana
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हरियाणा: आंगनबाड़ी कर्मियों का विधानसभा मार्च, पुलिस ने किया बलप्रयोग, कई जगह पुलिस और कार्यकर्ता हुए आमने-सामने
    03 Mar 2022
    यूनियन नेताओं ने गुरुवार को कहा पंचकुला-यमुनानगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बरवाला टोल प्लाजा पर हड़ताली कार्यकर्ताओं और सहायकों पर  हरियाणा पुलिस ने लाठीचार्ज  किया।  
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License