NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
राजनीति
अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे गोरखपुर विश्वविद्यालय के शोध छात्र, अचानक सिलेबस बदले जाने से नाराज़
दीनदयाल गोरखपुर विश्वविद्यालय के मुख्य गेट के अंदर प्री पीएचडी छात्रों के प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कमलकांत ने कहा- इससे पहले हम सात बार प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन हमारी माँगें मानने की बजाय बातचीत के नाम पर हमें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।”
सत्येन्द्र सार्थक
14 Dec 2021
gorakhpur university

“7 दिसंबर को एक सिलेबस विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया। ज़िम्मेदारों से बातचीत के बाद पता चला कि नये सिलेबस के आधार पर ही हमें परीक्षा देनी है। जबकि इस सिलेबस को विश्वविद्यालय की ओर से प्रमाणित ही नहीं किया गया है। हमारे रजिस्ट्रेशन को ढाई वर्ष बीत चुके हैं। प्री पीएचडी छात्रों को तीन वर्षों में परीक्षा पास करने के दो मौक़े दिये जाते हैं। यदि कोई छात्र परीक्षा पास नहीं कर पाता है तो 3 वर्ष पूरा हो जाने के कारण उसका रजिस्ट्रेशन स्वतः ही निरस्त हो जायेगा। यही वजह है कि हम विश्वविद्यालय प्रशासन से प्रमोट करने की माँग कर रहे हैं।" 

दीनदयाल गोरखपुर विश्वविद्यालय के मुख्य गेट के अंदर प्री पीएचडी छात्रों के प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कमलकांत ने उक्त बातें कहीं। वह आगे कहते हैं" इससे पहले हम सात बार प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन हमारी माँगें मानने की बजाय बातचीत के नाम पर हमें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।”

940 शोधार्थियों का भविष्य होगा प्रभावित

गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में 10 दिसंबर से ही प्री पीएचडी 2019-2020 के छात्र-छात्रायें धरने पर बैठे हुए हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ कई दौर की बातचीत के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका है और छात्र चौबीस घंटे धरना स्थल पर जमे हुए हैं। छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन जबरन उन पर सीबीसीएस प्रणाली को थोप रहा है। जिसके तहत 2019-20 के सत्र में प्री पीएचडी में रजिस्ट्रेशन लेने वाले छात्रों को 2020-21 के छात्रों के साथ परीक्षा देना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में 940 छात्रों का एक शैक्षिक सत्र बेकार चला जायेगा।

18 अक्टूबर 2021 को विश्वविद्यालय प्रशासन ने 2019-2020 और 2020-2021 के सत्रों में प्रवेश लेने वाले छात्रों को संबोधित करते हुए एक नोटिस जारी किया। जिसमें रिसर्च मेथडोलाजी, रिसर्च एंड पब्लिकेशन एथिक्स और कंप्यूटर फ़ंडामेंटल एंड आईटी विषय के कक्षायें दीक्षा भवन में शुरू होने कीजानकारी दी गई थी। साथ ही सभी शोधार्थियों को निर्देशित किया गया था कि वह 20 से 30 नवंबर तक होने वाली इन कक्षाओं में अनिवार्य रूप से शामिल हों। 

सत्र 2019-2020 में शोध अध्यादेश 2018 के तहत छात्रों का प्रवेश लिया गया था। 18 अक्टूबर को विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से नोटिस जारी होने से पहले छात्र दो विषयों (रिसर्च मेथडोलाजी और रिसर्च एंड पब्लिकेशन एथिक्स) की पढ़ाई कर रहे थे। अचानक एक विषय बढ़ जाने से छात्रों को चिंता होने लगी और एक शैक्षिक सत्र बर्बाद होने का डर भी उन्हें सताने लगा।
शोध अध्यादेश 2018 के सिलेबस के आधार पर मिला था प्रवेश

छात्रों ने विश्वविद्यालय के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए 22 अक्टूबर को कुलपति के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर शोध अध्यादेश 2018 के सिलेबस के आधार पर परीक्षा करवाने की माँग की क्योंकि इसी के आधार पर शोधार्थियों का रजिस्ट्रेशन किया गया था। कुलपति कार्यालय से उन्हें सूचना दी गई कि कुलपति 24 अक्टूबर को उनका पक्ष सुनेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

छात्रों की माँग पर कुलपति ने 28 अक्टूबर को 2019-2020 और 2020-2021 दोनों सत्रों के शोधार्थियों को विश्वविद्यालय परिसर में बातचीत के लिए बुलाया। मीटिंग में शोधार्थियों की कई समस्याओं जैसे- प्री पीएचडी परीक्षा, रजिस्ट्रेशन, गाइड अलॉटमेंट, फ़ेलोशिप सहित कई मुद्दों पर चर्चा की जानी थी। मीटिंग में कुलपति के अलावा सभी विषयों के डीन व संकाय अध्यक्ष मौजूद थे।  

छात्रों का आरोप है कि कुलपति ने यहाँ भी पूरी बात नहीं सुनी और बातचीत को बीच में छोड़कर चले गये। 

अगले दिन छात्रों ने विश्वविद्यालय के सभी गेटों को बंद कर दिया और मुख्य गेट के बाहर प्रदर्शन करने लगे। प्रदर्शन देर तक जारी रहने के कारण कर्मचारियों और शिक्षकों को घर जाने में देरी होने लगी मौक़े पर पुलिस बल के साथ एडीएम सिटी और सिटी मजिस्ट्रेट पहुँच गये। छात्रों और छात्र नेताओं को पहले समझाया गया फिर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई। छात्र फिर भी डटे रहे तो एडीएम सिटी और सिटी मजिस्ट्रेट ने विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ़ से आश्वासन दिया कि 48 घंटों के अंदर आपकी माँगों को मान लिया जायेगा। 

छात्रों ने 4 दिनों तक इंतज़ार किया जब किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई तो 22 नवंबर को प्रशासनिक भवन का घेराव किया। कुलपति के हवाले से परीक्षा नियंत्रक ने आश्वासन दिया कि आप लोगों की तीन नहीं दो विषयों की ही परीक्षा होगी। उसी दिन परीक्षा नियंत्रक ने एक नोटिस जारी कर दिया जिसमें बताया गया “प्री पीएचडी परीक्षा 2019-2020 की परीक्षा शोध अध्यादेश 2018 के अनुसार होगी जिसमें प्रथम प्रश्न पत्र रिसर्च मेथडोलाजी एवं द्वितीय प्रश्न पत्र कंप्यूटर एप्लिकेशन का होगा। यह परीक्षा 20 से 25 दिसंबर 2021 के मध्य होगी।” 

छात्रों का नये सिलेबस के आधार पर परीक्षा देने से इंकार

छात्रों से कहा गया था कि 5 दिसंबर तक परीक्षा की तिथि जारी कर दी जायेगी। परीक्षा तिथि तो नहीं जारी की गई लेकिन 7 दिसंबर को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर एक नया सेलेबस अपलोड कर दिया गया। नये सिलेबस का विरोध करते हुए छात्रों ने कुलपति से मुलाक़ात कर इसे वापस लेने और परीक्षा तिथि को जारी करने की माँग को दुहराया। 

8 दिसंबर की रात में एक नोटिस जारी कर विश्वविद्यालय प्रशासन ने विश्वविद्यालय के सभी शोधार्थियों को सीबीसीएस के दायरे में ला दिया।कुलसचिव द्वारा जारी इस आदेश में सीबीसीएस ( च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम ) के दायरे में आने के बाद 2019-2020 के शोधार्थियों को 2020-2021 के शोधार्थियों साथ फिर से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पूरा करना होगा। साथ ही छात्रों को रजिस्ट्रेशन फ़ीस जमा करनी होगी जबकि 2019-2020 के शोधार्थी पहले ही शोध अध्यादेश 2018 के तहत सभी तरह के शुल्क जमा कर प्रवेश प्रक्रिया पूरी कर चुके हैं।

छात्रों ने इसे ज़बरदस्ती थोपा हुआ बताया और 10 दिसंबर से ही अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। छात्रों के धरने पर बैठने के साथ ही विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन सक्रिय हो गये हैं। प्रदर्शन ख़त्म कराने के लिए माँगे मानने के अलावा सभी तरीक़े आजमाये जा रहे हैं। 

विश्वविद्यालय का पक्ष जानने के लिये कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक को कई बार फ़ोन किया गया दीक्षांत समारोह के रिहर्सल में व्यवस्तता का हवाला देकर कुलसचिव ने फ़ोन काट दिया। कई बार फ़ोन करने के बाद परीक्षा नियंत्रक से बात नहीं हो सकी।

अख़बार में छपे बयान के अनुसार कुलपति ने कहा “प्री पीएचडी छात्रों को विवि प्रशासन की तरफ़ से समझाने की पूरी कोशिश की गई है। यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार यह पैटर्न लाया गया है। उनसे कहा गया है कि जो छात्र प्रमोट होना चाहते हैं वे लिखित में दें।”
छात्र नेता भास्कर चौधरी ने पूरे प्रकरण में कुलपति की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए कहा “कुलपति नियमों का उल्लंघन करते हुए मनमाने तरीक़े से विश्वविद्यालय चलाना चाहते हैं।”

दीक्षांत समारोह से पहले धरना समाप्त करवाना चाहता है प्रशासन

प्रशासन की इस सतर्कता पर सवाल खड़ा करते हुए शोध छात्र प्रशांत कहते हैं “विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन को हमारी माँगों और हमारे भविष्य की चिंता बिलकुल भी नहीं हैं। उन्हें केवल इस बात की चिंता है कि 15 दिसंबर को विश्वविद्यालय परिसर में दीक्षांत समारोह होने वाले जिसमें राज्यपाल शामिल होंगी। प्रशासन किसी भी तरह से दीक्षांत समारोह के पहले हमारे धरने को समाप्त करना चाहता है।” 

दीक्षांत समारोह को ध्यान में रखकर ही 12 दिसंबर की देर रात तक छात्रों का धरना समाप्त करने की कोशिश की गई। लेकिन छात्र लिखित आश्वासन की माँग पर अड़े हुए थे जिसके कारण ऐसा नहीं हो सका। 

13 दिसंबर की देर रात विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रदर्शनकारी छात्रों को संबोधित एक अपील पत्र जारी किया। पत्र में 15 दिसंबर को आयोजित दीक्षांत समारोह के मद्देनज़र छात्रों से शीघ्र ही आंदोलन समाप्त करने का अनुरोध किया गया। हालाँकि छात्रों की माँगों पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया था।

पत्र के अनुसार “प्री पीएचडी 2019-20 के शोध छात्र जो विश्वविद्यालय परिसर में मुख्य गेट के अंदर धरनारत हैं, इन छात्रों की प्री पीएचडी परीक्षा कराये जाने के संदर्भ में कई बार विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ वार्ता हो चुकी है तथा वार्ता के क्रम में परीक्षा के संदर्भ में स्थिति को स्पष्ट करते हुए सूचना भी निर्गत की गई है। वार्ता के दौरान अधिकतर बिंदुओं पर सहमति भी बन चुकी है। शेष बिंदुओं पर विश्वविद्यालय सकारात्मक रूख अपनाते हुए जल्द ही निर्णय लेगा तथा प्री पीएचडी परीक्षा एवं पंजीकरण की प्रक्रिया जल्द पूरी कर ली जायेगी।”

नेतृत्वकर्ताओं में शामिल कमलकांत ने विश्वविद्यालय प्रशासन के इस अपील को फ़र्ज़ी और प्रकारांतर से धमकी बताते हुए कहा “पत्र में पत्रांक संख्या का कोई ज़िक्र नहीं है। हम लोग शांतिपूर्ण तरीक़े से प्रदर्शन कर रहे हैं। संविधान के दायरे में रहते हुए जायज़ माँग कर रहे हैं। राज्यपाल के आगमन का हवाला देकर हमसे आंदोलन समाप्त करने के लिये कहा जा रहा है। हमें गंभीर आशंका है कि प्रशासन 14 दिसंबर की रात तक हम लोगों के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई कर सकता है। हमें जेल में भी जाना पड़ा तो जायेंगे लेकिन माँगें पूरी होने से पहले धरना नहीं समाप्त करेंगे।”

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

ये भी पढ़ें: यूपी के चंदौली में 50 दिन से धरने पर बैठा है एक पत्रकार, लेकिन कोई सुनवाई नहीं

gorakhpur university
Research student of Gorakhpur University
Student Protests
Deen Dayal Upadhyaya Gorakhpur University

Related Stories

रेलवे भर्ती मामला: बर्बर पुलिसया हमलों के ख़िलाफ़ देशभर में आंदोलनकारी छात्रों का प्रदर्शन, पुलिस ने कोचिंग संचालकों पर कसा शिकंजा

रेलवे भर्ती मामला: बिहार से लेकर यूपी तक छात्र युवाओं का गुस्सा फूटा, पुलिस ने दिखाई बर्बरता

झारखंड विधान सभा में लगी ‘छात्र संसद’; प्रदेश के छात्र-युवा अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर

उत्तराखंड: NIOS से डीएलएड करने वाले छात्रों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए अनुमति नहीं

डीयू: एनईपी लागू करने के ख़िलाफ़ शिक्षक, छात्रों का विरोध

बीएचयू: यौन हिंसा के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन, प्रशासन का असंवेदनशील रवैया!

बिहार : मेरिट लिस्ट घोटाला के ख़िलाफ़ नौजवानों के विरोध प्रदर्शन के बाद शिक्षा मंत्री ने मानी गलती

इलाहाबाद विश्वविद्यालय: लाइब्रेरी खुलवाने के लिए धरने पर बैठे छात्रों को बल प्रयोग कर हटाया

डीयू खोलने की मांग को लेकर छात्रों की 48 घंटे की भूख हड़ताल, पुलिस ने हिरासत में लिया

मांगने आए रोज़गार, मिली पुलिस की लाठी–पानी की बौछार


बाकी खबरें

  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 1,778 नए मामले, 62 मरीज़ों की मौत
    23 Mar 2022
    देश में एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 0.05 फ़ीसदी यानी 23 हज़ार 87 हो गयी है।
  • moon
    संदीपन तालुकदार
    चीनी मिशन में इकट्ठा किये गये चंद्रमा के चट्टानों से शोध और नये निष्कर्षों को मिल रही रफ़्तार
    23 Mar 2022
    इस परिष्कृत चीनी चंद्र मिशन ने चीन और उसके बाहर दोनों ही जगहों पर पृथ्वी या उसके वायुमंडल से बाहर के चट्टानों पर शोध किया है। जानकार उम्मीद जता रहे हैं कि इससे हमें सौर मंडल के बारे में नयी-नयी…
  • bhagat singh
    हर्षवर्धन
    जाति के सवाल पर भगत सिंह के विचार
    23 Mar 2022
    भगत सिंह के जाति व्यवस्था के आलोचना के केंद्र में पुनर्जन्म और कर्म का सिद्धांत है। उनके अनुसार इन दोनों सिद्धांतों का काम जाति व्यवस्था से हो रहे भीषण अत्याचार के कारण उत्पन्न होने वाले आक्रोश और…
  • bhagat singh
    लाल बहादुर सिंह
    भगत सिंह की फ़ोटो नहीं, उनके विचार और जीवन-मूल्यों पर ज़ोर देना ज़रूरी
    23 Mar 2022
    शहादत दिवस पर विशेष: भगत सिंह चाहते थे कि आज़ाद भारत में सत्ता किसानों-मजदूरों के हाथ में हो, पर आज देश को कम्पनियां चला रही हैं, यह बात समाज में सबसे पिछड़े माने जाने वाले किसान भी अपने आन्दोलन के…
  • भाषा
    साल 2021 में दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी थी : रिपोर्ट
    22 Mar 2022
    साल 2021 में वैश्विक स्तर पर वायु गुणवत्ता की स्थिति बयां करने वाली यह रिपोर्ट 117 देशों के 6,475 शहरों की आबोहवा में पीएम-2.5 सूक्ष्म कणों की मौजूदगी से जुड़े डेटा पर आधारित है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License