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उन्नाव घटना का विरोध कर रहे एसएफआई के सदस्यों को पुलिस ने हिरासत में लिया, योगी सरकार के इस्तीफ़े की मांग
एसएफआई के साथ कईं और प्रगतिशील छात्र व महिला संगठन उत्तर प्रदेश भवन के बाहर राज्य की योगी सरकार में महिलाओं व दलितों के खिलाफ बढ़ते अत्याचार के मामलों के खिलाफ प्रदर्शन करने पहुंचे थे।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
19 Feb 2021
SFI

उत्तर प्रदेश भवन के बाहर उन्नाव घटना का विरोध कर रहे छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरैशन ऑफ इंडिया के सदस्यों को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया। बुधवार को देर शाम एक खेत में तीन दलित नाबालिग लड़कियां बेहोशी की हालत में कथित तौर पर कपड़े से बंधी पाई गईं थीं। अस्पताल ले जाने पर तीन में से दो को मृत घोषित कर दिया गया। वहीं तीसरी को कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में वेंटीलेटर पर रखा गया है। पोस्टमार्टम की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक दोनों लड़कियों की मौत जहरीला पदार्थ खाने से हुई है।

एसएफआई के साथ कईं और प्रगतिशील छात्र व महिला संगठन उत्तर प्रदेश भवन के बाहर राज्य की योगी सरकार में महिलाओं व दलितों के खिलाफ बढ़ते अत्याचार के मामलों के खिलाफ प्रदर्शन करने पहुंचे थे।

छात्रों की मांग थी कि हाथरस की तरह इस मामले में ढिलाई न बरतते हुए प्रशासन इस केस की उचित जांच करे और वेंटीलेटर पर ज़िंदगी के लिए लड़ती तीसरी बच्ची को बेहतर चिकित्सा की सुविधा मुहैया कराई जाए।

राज्य में बढ़ते दलितों व महिलाओं के खिलाफ अत्याचार में सरकार की नाकामी के खिलाफ छात्र संगठनों ने नारेबाजी करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का तत्काल इस्तीफा मांगा।

प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए पुलिस ने भारी संख्या में तैनाती और वाटर कैनन का बंदोबस्त किया हुआ था। एसएफआई का आरोप है कि उत्तर प्रदेश भवन के बाहर जैसे ही प्रदर्शनकारी पहुंचे, पुलिस ने उनसे दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया और एक-एक कर के सब को जबरन हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए गए सभी प्रदर्शनकारियों को मंदिर मार्ग थाने ले जा कर तीन घंटे बाद छोड़ दिया गया। छात्रों ने थाने में भी प्रदर्शन जारी रखा और नारीबाज़ी की।

एसएफआई के दिल्ली राज्य अध्यक्ष सुमित कटारिया ने पुलिस के 'दमनकारी बर्ताव' की निंदा करते हुए कहा, “पुलिस का आज छात्रों को हिरासत में लेना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन करने के संवैधानिक अधिकार पर हमला है।”

उन्होंने घटना पर खेद प्रकट करते हुए कहा, "उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचार के मामले योगी सरकार की गुंडा राज की छवि दिखाता है। उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में कानून व्यवस्था को सुधारने में पूरी तरह से विफल रही है। उनके राम राज में अल्पसंख्यकों और महिलाओं का दमन हो रहा है।"

एसएफआई की एक और सदस्य अदिति ने कहा, “भाजपा शासित राज्यों में दलितों, अल्पसंख्यकों व महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध की आंकड़े और अपराधियों को सरकार का संरक्षण, संघी सरकार की मानसिकता को दर्शाता है।"

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