NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
व्यंग्य
भारत
राजनीति
कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
राजेंद्र शर्मा
04 Jun 2022
jammu and kashmir

इन कश्मीरी पंडितों ने क्या हद्द ही नहीं कर दी! बताइए, मोदी महान की सरकार के आठ साल पूरे होने के जश्न का मजा किरकिरा करने पर तुले हुए हैं। न मौके का ख्याल कर रहे हैं, न माहौल का, बस एक ही बात की जिद पकडक़र बैठे हैं—हमें जम्मू में वापस जाना है। हमें कश्मीर में डर लग रहा है। हमें अभी यहां से निकाला जाए और जम्मू पहुंचाया जाए।

और जिद ही पकडक़र बैठने तक बात रहती तो फिर भी चल सकता था। आखिर, जब मोदी जी की सरकार ने किसानों का साल भर दिल्ली के बार्डरों पर हठ कर के बैठना बर्दाश्त कर लिया, तो कश्मीरी पंडितों का जिद पकडक़र बैठना ही उसे क्यों बहुत नागवार गुजरता। पर पट्ठे  कश्मीरी पंडित तो जुलूस-वुलूस निकालने पर आ गए, धरने-वरने देने लगे। मीडिया के लिए तस्वीरें-वस्वीरें बनाने लगे। चैनलों पर बयान-वयान देने लगे। कश्मीर में सब चंगा सी के मोदीशाही के प्रचार के गुब्बारे में पिन चुभाने लगे। आठ साल में सब खुशहाल के विज्ञापनों के भारत में कश्मीर को टूटी रेखाओं से दिखाने लगे!

पर मोदी जी तो अपनी असीम उदारता में इतना भी बर्दाश्त कर लेते। आखिरकार, कश्मीर से और कश्मीरी पंडितों से उनका विशेष कनेक्शन जो है। अभी कुछ ही हफ्ता पहले तो उन्होंने कश्मीरी पंडितों के 1990 की दहाई के पलायन पर गहरा दु:ख जताया था। अग्निहोत्री की कश्मीर फाइल्स के प्रमोशन को अपना सौभाग्य और फिल्म को सच्चा इतिहास बताया था। तब दो-चार हजार कश्मीरी पंडितों की हाय-हाय से मोदी जी विचलित होते या उसे यूं ही हंसी-मजाक में लेते। खैर! विनोद में नहीं भी लेते और इसे अपना विरोध मानते, तब भी मोदी जी उससे नाराज होने वाले नहीं थे। उन्होंने तो बार-बार कहा भी है कि वह तो बहुत चाहते हैं कि विपक्ष मजबूत हो। जिससे विपक्ष को हराने में उनको कुछ मजा भी आए। कमजोर विपक्ष को हराकर जीतना भी कोई जीतना है, लल्लू!

बस मोदी जी इतना चाहते हैं कि विपक्ष जरा जिम्मेदारी से काम करे। ऐसा कुछ नहीं करे जिससे दुनिया में राष्ट्र का गौरव कम होता है। आठ साल में मोदी ने न खुद ऐसा कुछ किया है और किसी को करने दिया है, जिससे दुनिया में देश का नाम खराब होता हो। भारत का माथा, न मोदी जी झुकाएंगे और न किसी को झुकाने देंगे। कश्मीरी पंडित करते रहते धरना-प्रदर्शन भी, मोदी जी की बला से। पर उन्होंने तो  मोदी जी की  उदारता को कमजोरी समझ लिया और जम्मू के लिए पलायन करने का एलान कर दिया। पलायन, यानी 1990 की दहाई की वापसी का एलान। दोबारा पलायन यानी इसका एलान कि 370 के खात्मे का कोई फायदा नहीं। जम्मू-कश्मीर को तोड़ऩे और उसका दर्जा घटाने का कोई फायदा नहीं। डेढ़ साल से ज्यादा पूरे कश्मीर को जेल बनाकर रखने का, सारे कश्मीरी नेताओं को जेल में बंद या घर पर नजरबंद रखने का, कोई फायदा नहीं। बंदूक से जवाब के छप्पन इंची छाती के एलान का कोई फायदा नहीं। उल्टे ‘आठ साल चले, बत्तीस साल पीछे’ का एलान और वह भी आठ साल वाले बर्थ डे के मौके पर। इतनी उद्दंडता कौन सम्राट बर्दाश्त करता है, जी!

फिर भी हमें तो लगता है और लगता क्या है, हमें पक्का यकीन है कि अगर यह सिर्फ मोदी जी के प्रति नाशुक्रेपन का मामला होता या आठवीं सालगिरह के जश्न के रंग में भंग डालने भर का मामला होता या अपनी सरकार की बात काटने का बल्कि उसे झूठी कर देने का भी मामला होता, तब भी मोदी ने कश्मीरी पंडितों को माफ कर दिया होता। लेकिन, यह कश्मीरी पंडितों और मोदी जी की सरकार के बीच का ही मामला होता तब तो। कश्मीरी पंडितों और मोदी जी की सरकार के बीच के ही मामले की बात छोडि़ए, यह तो कश्मीरी पंडितों, मोदी जी की सरकार और आतंकवादियों-अलगाववादियों के बीच का ही मामला भी नहीं है। यह तो पाकिस्तान का मामला है। पाकिस्तान की हार-जीत का मामला है। पंडित जम्मू वापस यानी पाकिस्तान की जीत। और जो पाकिस्तान की हार-जीत का मामला है, वह सबसे पहले और सबसे बढक़र भारत की शान का मामला है। भारत का सिर झुकाने की इजाजत तो मोदी जी खुद अपने आप को भी नहीं देते, फिर कश्मीरी पंडितों की तो बात ही कहां उठती है। वो तो वैसे भी कहलाने को ही पंडित हैं, वर्ना हैं तो कश्मीरी ही। और संघ की शाखाओं में कश्मीर को भारत का सिर भले ही बताया जाता हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कश्मीरियों को सिर चढ़ाया जाएगा, फिर चाहे वे पंडित ही क्यों न हों? पंडितों का नाम लेकर विधर्मियों को उनकी जगह बताना और बात है, पंडितों को सिर चढ़ाना और बात है। और वैसे भी मोदी जी ने सिर तो सिर्फ भारत माता का ऊंचा रखने की गारंटी दी है। रुपए के मूल्य की तरह, भारतवासियों का सिर थोड़ा-बहुत नीचा भी हो, तो भी चलेगा।

सो कश्मीरी पंडितों को मोदी जी इसकी इजाजत हर्गिज नहीं दे सकते हैं कि वे दोबारा जम्मू पलायन कर जाएं यानी पाकिस्तान को जिता दें और भारत का सिर झुका दें। बेशक, कश्मीरी पंडितों से मोदी जी को और मोदी जी ही क्यों कश्मीर फाइल्स देखकर बदला लेने के नारे लगाने वाले भारत भर के राष्ट्रवादी योद्धाओं को भी, ऐसी उम्मीद नहीं थी।

देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे। और देश का सिर ऊंचा रखना भूलकर, युद्ध के मोर्चे से भागकर बस अपनी और अपने परिवारों की तुच्छ जानें बचाएंगे , जबकि सीमा पर सैनिक उनकी रक्षा के लिए गोली खाएंगे। खैर! मोदी जी पाकिस्तान को जीतने नहीं देंगे। चाहे कश्मीरी पंडितों के कैम्पों को जेल बनाना पड़े, इस बार पंडितों का पलायन नहीं होने देंगे। और हाँ!  कश्मीरी पंडितों को अगर भारत के कश्मीर में इतना असुरक्षित लग रहा है, तो वे पाकिस्तान या अफगानिस्तान जा सकते हैं! कश्मीरी पंडितो, भारत छोड़ो!

(यह एक व्यंग्य आलेख है। इसके लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोक लहर के संपादक हैं।)

sarcasm
Satire
Political satire
Jammu and Kashmir
Kashmiri Pandits
Narendra modi
Modi Govt

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

तिरछी नज़र: 2047 की बात है

कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 

ताजमहल किसे चाहिए— ऐ नफ़रत तू ज़िंदाबाद!

तिरछी नज़र: ...ओह माई गॉड!

कटाक्ष: एक निशान, अलग-अलग विधान, फिर भी नया इंडिया महान!

तिरछी नज़र: हम सहनशील तो हैं, पर इतने भी नहीं

कटाक्ष : बुलडोज़र के डंके में बज रहा है भारत का डंका


बाकी खबरें

  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ग़ाज़ीपुर के ज़हूराबाद में सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर पर हमला!, शोक संतप्त परिवार से गए थे मिलने
    10 May 2022
    ओमप्रकाश राजभर ने तत्काल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के अलावा पुलिस कंट्रोल रूम, गाजीपुर के एसपी, एसओ को इस घटना की जानकारी दी है। हमले संबंध में उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया। उन्होंने कहा है कि भाजपा के…
  • कामरान यूसुफ़, सुहैल भट्ट
    जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती
    10 May 2022
    आम आदमी पार्टी ने भगवा पार्टी के निराश समर्थकों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए जम्मू में भाजपा की शासन संबंधी विफलताओं का इस्तेमाल किया है।
  • संदीप चक्रवर्ती
    मछली पालन करने वालों के सामने पश्चिम बंगाल में आजीविका छिनने का डर - AIFFWF
    10 May 2022
    AIFFWF ने अपनी संगठनात्मक रिपोर्ट में छोटे स्तर पर मछली आखेटन करने वाले 2250 परिवारों के 10,187 एकड़ की झील से विस्थापित होने की घटना का जिक्र भी किया है।
  • राज कुमार
    जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप
    10 May 2022
    सम्मेलन में वक्ताओं ने उन तबकों की आज़ादी का दावा रखा जिन्हें इंसान तक नहीं माना जाता और जिन्हें बिल्कुल अनदेखा करके आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन तबकों की स्थिति सामने रखी जिन तक आज़ादी…
  • भाषा
    श्रीलंका में हिंसा में अब तक आठ लोगों की मौत, महिंदा राजपक्षे की गिरफ़्तारी की मांग तेज़
    10 May 2022
    विपक्ष ने महिंदा राजपक्षे पर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला करने के लिए सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को उकसाने का आरोप लगाया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License