NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कटाक्ष: न्यू इंडिया का न्यू-न्यू ‘गनतंत्र’ मुबारक
किसानों को उनका गणतंत्र वापस लाने का सपना मुबारक, पर देश में अभी तो गनतंत्र ही चलेगा। ज्यादा न सही, दो-तीन साल और चलेगा। सीमा पर गन चाहे रखी ही रहे, पर देश में गनतंत्र चलेगा।
राजेंद्र शर्मा
26 Jan 2021
कटाक्ष: न्यू इंडिया का न्यू-न्यू ‘गनतंत्र’ मुबारक
बिहार की राजधानी पटना में अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर धरना दे रहे टीईटी पास नियोजित शिक्षकों पर 19 जनवरी को पुलिस ने लाठियां भांजी। (तस्वीर प्रतीकात्मक प्रयोग के लिए।)

गनतंत्र, मुबारक! दूसरा है कि सातवां, इसकी गिनती छोड़ो, आप तो बस गनतंत्र की मुबारकबाद लो। और हां! खुशी के इस मौके पर इसकी बात कोई नहीं छेड़े कि इकहत्तर साल पहले एक जो गणतंत्र शुरू हुआ था, उसका क्या हुआ? होना-हवाना क्या था, चलते-चलते पुराना पड़ गया। बेचारा, खुद ब खुद पीछे छूट गया। वैसे भी न्यू इंडिया में, नेहरू-गांधी वाले पुराने टाइप के गणतंत्र का क्या काम? न्यू इंडिया का न्यू-न्यू गनतंत्र मुबारक।

फिर भी न्यू इंडिया पर पुराने भारत को बिल्कुल भुला ही देने का इल्जाम कोई न लगाए। जो न्यू इंडिया, हजारों साल पुराने आर्यवर्त को लौटाने में लगा है, सिर्फ सत्तर-बहत्तर साल पीछे के पुराने भारत को कैसे भुला सकता है। न्यू इंडिया, गणतंत्र से भले ही गनतंत्र पर चला गया हो, पर गणतंत्र दिवस को बिल्कुल नहीं भूला है। इतना धूम-धड़ाका और कहां मिलेगा। गणतंत्र भले ही गनतंत्र हो गया हो, पर अपन दिवस अब भी गणतंत्र का ही चला रहे हैं। सो गनतंत्र के साथ ही सही, बहत्तरवां गणतंत्र दिवस भी मुबारक!

पर गनतंत्र का भी मतलब यह हर्गिज नहीं है कि उसमें सब कुछ एक जैसा ही होगा। सब गनमय हो तब भी, हरेक गन भी कहां एक ही तरह की होती है। गणतंत्र दिवस की परेड की गन और यूपी पुलिस की एन्काउंटर वाली गन, भला एक जैसी कैसे हो जाएगी? और कश्मीर-वश्मीर में अफस्पा से सुरक्षित गन, जो अपने बंदे मारने पर भी इनाम दिला सकती है? और तो और लद्दाख की बिना घोड़े वाली गन भी अलग तरह की होती है। फिर, गन होने के लिए उससे गोली चलना ही क्या जरूरी है? पुराने भारत में होता होगा, न्यू इंडिया में नहीं। उल्टे न्यू इंडिया में तो लोग खुद बंदूक बनकर मुंह से ऐसी आग और जहर उगलते हैं कि मारक से मारक बंदूकें शरमा जाएं। सोशल मीडिया में, टीवी पर, सभाओं में, आग ही आग, जहर ही जहर। उसके बाद किसी इकनाली, दुनाली तो क्या, मैगजीन वाली गन की भी क्या जरूरत है? मुंह को गन बनाने वालों की क्रिएटिविटी तो इतनी जबर्दस्त है कि अपनी यूपी में कभी-कभी एन्काउंटर वाली गन का काम भी मुंह, से ठांय-ठांय करने से भी चल जाता है।

फिर भी गनतंत्र और भी हैं, लोहे की नाल वाली गनों के तंत्र के सिवा। तांडव पर तांडव कराया और रचनात्मक स्वतंत्रता को मार गिराया, वह कारनामा क्या किसी गन से कम है। और यह तो शुरूआत है। मिर्जापुर पर एफआइआर हो चुकी है। आगे-आगे देखिए, किस-किस चीज से भावनाएं होती हैं, आहत। आगे-आगे देखिए, होता है सेंसर क्या-क्या? और जो सीएम-पीएम पर सोशल मीडिया में छींटाकशी करने के लिए आए दिन लोग जेलों में भेजे जा रहे हैं, वह भी तो एक तरह की गन का ही काम है। यह भगवाइयों , पुलिस और अदालत का संयुक्त गनतंत्र है। और इंदौर में जेल की हवा खा रहे मुनव्वर का क्या? उसे तो सिर्फ इसकी आशंका से जेल में रखा जा रहा है कि अब तक न सही, आइंदा उसके किसी मजाक से किसी देवी-देवताप्रेमी की भवनाएं आहत हो गयीं तो! जैसे कश्मीरी, प्रोटैस्ट करने की आशंका से जेल में बंद रखे जाते हैं, वैसे ही कामेडियन वगैरह अब भगवाइयों की भवनाएं आहत करने की आशंका से जेल में रखे जाएंगे; भावनाओं की इतनी गहराई तक हिफाजत करने वाली शै भी तो एक तरह की गन ही हुई।

और भीमा-कोरेगांव मामले को सिर के बला खड़ा करने और कवियों, पत्रकारों से लेकर, वकीलों, समाज सेवकों तक को, यूएपीए में जेल में सड़ाने वाली शै का क्या? और गाय को बचाने के लिए, इंसान की जान लेने वाली शै! धर्म की रक्षा के लिए मोहब्बत का कत्ल करने वाली शै! इज्जत बचाने के लिए, अपनों की जान तक की कुर्बान करने वाली शै! और कनपट्टी से लगकर दूसरों का खाना, कपड़ा, आस्था, तय करने वाली शै! गनतंत्र में, गन ही गन हैं, कोई भी चुन लें।

किसान बड़े भोले हैं। क्या समझते हैं: राजपथ की गनतंत्र की परेड के मुकाबले में, राजधानी के बार्डरों पर उनकी ट्रैक्टर परेड से, गणतंत्र वापस आ जाएगा? जो गनतंत्र उन पर तबाही थोपने से पीछे हटने को तैयार नहीं है, उन्हें गणतंत्र को लौटाकर लाने देगा! खैर! किसानों को उनका गणतंत्र वापस लाने का सपना मुबारक, पर देश में अभी तो गनतंत्र ही चलेगा। ज्यादा न सही, दो-तीन साल और चलेगा। सीमा पर गन चाहे रखी ही रहे, पर देश में गनतंत्र चलेगा।

(इस व्यंग्य आलेख के लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोकलहर के संपादक हैं।)

sarcasm
republic day
new india
farmers protest
Farm Bills
Modi government
Narendra modi

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़


बाकी खबरें

  • प्रियंका शंकर
    रूस के साथ बढ़ते तनाव के बीच, नॉर्वे में नाटो का सैन्य अभ्यास कितना महत्वपूर्ण?
    19 Mar 2022
    हालांकि यूक्रेन में युद्ध जारी है, और नाटो ने नॉर्वे में बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है, जो अभ्यास ठंडे इलाके में नाटो सैनिकों के युद्ध कौशल और नॉर्वे के सैन्य सुदृढीकरण के प्रबंधन की जांच करने के…
  • हर्षवर्धन
    क्रांतिदूत अज़ीमुल्ला जिन्होंने 'मादरे वतन भारत की जय' का नारा बुलंद किया था
    19 Mar 2022
    अज़ीमुल्ला ख़ान की 1857 के विद्रोह में भूमिका मात्र सैन्य और राजनीतिक मामलों तक ही सिमित नहीं थी, वो उस विद्रोह के एक महत्वपूर्ण विचारक भी थे।
  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्ट: महंगाई-बेरोजगारी पर भारी पड़ी ‘नमक पॉलिटिक्स’
    19 Mar 2022
    तारा को महंगाई परेशान कर रही है तो बेरोजगारी का दर्द भी सता रहा है। वह कहती हैं, "सिर्फ मुफ्त में मिलने वाले सरकारी नमक का हक अदा करने के लिए हमने भाजपा को वोट दिया है। सरकार हमें मुफ्त में चावल-दाल…
  • इंदिरा जयसिंह
    नारीवादी वकालत: स्वतंत्रता आंदोलन का दूसरा पहलू
    19 Mar 2022
    हो सकता है कि भारत में वकालत का पेशा एक ऐसी पितृसत्तात्मक संस्कृति में डूबा हुआ हो, जिसमें महिलाओं को बाहर रखा जाता है, लेकिन संवैधानिक अदालतें एक ऐसी जगह होने की गुंज़ाइश बनाती हैं, जहां क़ानून को…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मध्यप्रदेश विधानसभा निर्धारित समय से नौ दिन पहले स्थगित, उठे सवाल!
    19 Mar 2022
    मध्यप्रदेश विधानसभा में बजट सत्र निर्धारित समय से नौ दिन पहले स्थगित कर दिया गया। माकपा ने इसके लिए शिवराज सरकार के साथ ही नेता प्रतिपक्ष को भी जिम्मेदार ठहराया।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License