NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कटाक्ष: साहेब, जनता जाग रही है, अब बहका भी दीजिए...!
मोदी जी अब और किस चीज का इंतजार कर रहे हैं, यह पब्लिक समझाने से समझने वाली नहीं है। मोदी जी अपना बहकाने का मंतर अब भी नहीं चलाएंगे तो कब चलाएंगे?
राजेंद्र शर्मा
01 Mar 2021
कटाक्ष: साहेब, जनता जाग रही है, अब बहका भी दीजिए...!

मोदी जी किसानों की नहीं सुनेंगे तो चलेगा। मजूरों-वजूरों की, मिडिल क्लास वगैरह की भी नहीं सुनेंगे, तो भी चलेगा। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग वगैरह की भी नहीं सुनेंगे, तब भी कम से कम कोविड के टैम में चलेगा--मोदी जी कौन से विदेश यात्रा पर जा रहे हैं। विपक्ष वगैरह की नहीं सुनेंगे, उल्टे उन्हें सुनाएंगे, तब तो सरपट दौड़ेगा। पर हरियाणा के भगवाई नेता की बहकाने के मंत्र की मांग भी नहीं सुनेंगे, तब भला कैसे चलेगा? वैसे भी बेचारे हरियाणवी भगवाई नेता ने ऐसे कोई ज्यादा की मांग तो कर नहीं दी है। बेचारे ने बहकाने के मंत्र देने की ही तो मांग की है और वह ज्यादा नहीं, सिर्फ दो-चार मंत्र देने की। ज्यादा मुश्किल हो तो मंत्रों की संख्या घटवायी भी जा सकती है, पर मोदी जी बहकाने का मंत्र देने की हामी तो भरें।

बेचारे भगवाई नेताओं की भी तो मजबूरी है। मोदी जी ने कोविड तक की परवाह नहीं की और मजदूरों के फायदे के लिए कानून बनाए, पर मजदूरों ने देशभर में हड़ताल कर दी। किसानों के फायदे के कानून बनाए, तो किसान दिल्ली के बार्डरों पर घेरा डालकर बैठ गए, वह भी लाखों में। भगवाई नेताओं ने समझाकर देख लिया, समझकर राजी नहीं हैं। भगवाई नेताओं ने बांटकर देख लिया, बंटने को तैयार नहीं हैं। भगवाई नेताओं ने उलझाकर देख लिया, उलझकर राजी नहीं हैं; न नहरी पानी के झगड़े में, न सिख-हिंदू के लफड़े में, न जाट-गुर्जर के लफड़े में। अमीर-गरीब किसान के पचड़े  में भी नहीं। अब तो बहकाने का ही कोई मंतर काम करे तो करे। वर्ना बाकी सारे मंतर तो फेल हैं।

बेचारी सरकार पब्लिक के भले के लिए जो भी करती है, उल्टा पड़ जाता है। रेलवे ने कम दूरी की गाडिय़ों के किराए दोगुने-तीनगुने किए कि लोग महंगाई से डर जाएं और बहुत जरूरी हो तभी रेल में पांव धरें। जितना कम सफर, उतना ही कम कोरोना फैलने का डर। पर लोगों ने कोराना के डर की जगह सिर्फ टिकट की बढ़ी हुई कीमत देखी। कोरोना से लड़ने के इस नायाब तरीके लिए मोदी जी की रेलवे का धन्यवाद करना तो दूर, रेल मंत्री पर महामारी की आड़ में पब्लिक को लूटने का इल्जाम लगा दिया। ऐसे ही आइटी सेल पब्लिक को समझा-समझाकर हार गया कि देश के तरक्की करने के लिए पेट्रोल-डीजल-रसोई गैस के दाम बढ़ाना कितना जरूरी है। महंगा तेल-गैस खरीदेंगे, तभी हम तरक्की के झाड़ पर चढ़ेंगे। मगर, पब्लिक मानकर नहीं दी। मजबूरी में बेचारे तेलमंत्री को समझाना पड़ा कि तेल के दाम की प्रकृति, तेल से उल्टी है--सर्दी में तेल सिकुड़ता और उसका दाम फैल जाता है। जैसे-जैसे गर्मी आएगी, तेल की कीमत नीचे आ जाएगी। पर मजाल है जो पब्लिक अब भी गर्मी आने का इंतजार करने के लिए तैयार हो।

और तो और खुद मोदी जी पब्लिक को न तो यह समझा पा रहे हैं कि कैसी आत्मनिर्भरता है, जो सरकारी उद्योग देसी से लेकर विदेशी तक धनपतियों को बेचने से आएगी और न नौजवानों को यह समझा पा रहे हैं कि जिनके लिए नौकरियां ही नहीं हैं, वे कैसे और कब दूसरों को नौकरियां देने वाले बन पाएंगे। मोदी जी अब और किस चीज का इंतजार कर रहे हैं, यह पब्लिक समझाने से समझने वाली नहीं है। मोदी जी अपना बहकाने का मंतर अब भी नहीं चलाएंगे तो कब चलाएंगे? पांच एसेंबलियों के चुनाव में उनके भक्त बुरी तरह से पिट जाएंगे, तब? भगवन, भक्तों से अब और प्रतीक्षा न कराएं। अपना बहकाने का मंतर आजमाएं। खुद भी चलाएं और अपने भक्तों को भी यह मंतर चलाना सिखाएं। वर्ना कल कहीं बहुत देर नहीं हो जाए।

फिर हरियाणवी भगवाइयों ने कोई ऐसी मांग तो की नहीं है, जो मोदी जी के बस में नहीं हो। वैसे तो इस दुनिया में ऐसी चीज खोजना ही मुश्किल है, जो मोदी जी के बस में नहीं हो। बस सूरज को पश्चिम से निकालने का ही मोदी जी ने कभी ट्राई ही नहीं किया है। वर्ना ज्यादातर खबरिया चैनल पब्लिक से यही मनवाने में जुटे होते कि सूरज जहां छुपता है, उसी का नाम पूरब है और जहां से उगता है, उसका असली नाम पश्चिम है। इतना तो वे ऑफीशियली पूरब और पश्चिम के नामों की अदला-बदली के बिना भी कर लेते। खैर, सूरज के उगने-डूबने की फिर कभी देखी जाएगी, फिलहाल तो भगवाइयों की मांग एक मंत्र की है, उस बहकाने के मंत्र की, जो मोदी जी पहले भी आजमा चुके हैं और वह भी जबर्दस्त कामयाबी के साथ।

पहले पुलवामा, फिर बालाकोट, फिर छप्पन इंच की छाती का बखान! जो बहकावे के एक मंतर के चमत्कार से हारती चुनावी बाजी को पहली से भी बड़ी जीत में बदल सकता है, वह क्या किसानों को और उसमें भी खासतौर हरित क्रांति के इलाके के किसानों को बहकाकर, फिर से अपनी जयकार नहीं करा सकता है? माना कि पुलवामा-बालाकोट का मंतर ज्यों का त्यों दोबारा नहीं दोहराया जा सकता है? मगर, यह किसने कहा कि मोदी जी के पास बहकाने का एक ही मंतर है। अयोध्या में मंदिर से लेकर, लव जेहाद तक, मंतर ही मंतर हैं।

किसी शायर ने खूब कहा है--मंतर और भी हैं पुलवामा-बालाकोट के सिवा; तिकड़में और भी हैं, छप्पन इंच की छाती के सिवा! वर्ना भगवाइयों से, पहली सी वफादारी उनके भगवान न मांग!

(इस व्यंग्य आलेख के लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोकलहर के संपादक हैं।)   

sarcasm
Narendra modi
BJP
farmers crises
corporate
Food Inflation
Inflation

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट


बाकी खबरें

  • up elections
    न्यूज़क्लिक टीम
    उत्तर प्रदेश चुनाव: जनता गुस्से में है सरकार की विफलताओं पर
    01 Mar 2022
    उत्तर प्रदेश के चुनावों में इस बात जनता बेहद गुस्से में है सरकार की विफलताओं को लेकर। चाहे फिर वो कोरोना काल में हुई मौत हो या फिर महंगाई और बेरोज़गारी, सरकार हर मोर्चे पर नाकाम ही नज़र आयी है , ऐसा…
  • Gujara
    दमयन्ती धर
    गुजरात दंगों के 20 साल: विस्थापित मुस्लिम परिवार आज भी अस्थाई शिविरों में रहने के लिए मजबूर
    01 Mar 2022
    20 वर्षों के बाद भी बुनियादी सुविधाओं के बिना ये शिविर हिंसा प्रभावित परिवारों के लिए स्थायी आवास बन चुके हैं, जो एक बार फिर से विस्थापित कर दिए जाने की आशंका के बीच रहने के लिए मजबूर हैं।
  • BHU hospital
    सोनिया यादव
    यूपी: बीएचयू अस्पताल में फिर महंगा हुआ इलाज, स्वास्थ्य सुविधाओं से और दूर हुए ग्रामीण मरीज़
    01 Mar 2022
    बीते साल नवंबर में ही ओपीडी की फीस बढ़ोत्तरी के बाद अब एक बार फिर सभी जांच सुविधाओं की दर में दो से तीन गुना की बढ़ोत्तरी की गई है। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य मानकों में…
  • Naveen
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    यूक्रेन के खारकीव में गोलाबारी में भारतीय छात्र की मौत
    01 Mar 2022
    छात्र का नाम नाम नवीन शेखरप्पा है। वह कर्नाटक के रहने वाले थे।
  • ukraine
    एपी
    ब्रिटेन ने यूक्रेन को उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र बनाने के आह्वान को ख़ारिज किया
    01 Mar 2022
    ब्रिटेन के उप प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम यह (उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित) नहीं करने वाले हैं, क्योंकि हम ऐसी स्थिति में आ जाएंगे, जब हमें रूसी विमानों को मार गिराना हेागा।’’
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License