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सावित्रीबाई फुले : खेती ही ब्रह्म, धन-धान्य है देती/अन्न को ही कहते हैं परब्रह्म
आज भारत की प्रथम महिला शिक्षिका और समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले का जन्मदिन है। वे एक शानदार कवि भी थीं। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी कुछ कविताओं के अंश-
न्यूज़क्लिक डेस्क
03 Jan 2021
सावित्रीबाई फुले

भारत की प्रथम महिला शिक्षिका और समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले का आज जन्मदिन है।

3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र में उनका जन्म हुआ। सावित्रीबाई एक शानदार कवि भी थीं।

उन्होंने मराठी में दो कविता पुस्तकें लिखीं। पहला कविता संग्रह ‘काव्य फुले’ 1854 में छपा और दूसरा ‘बावनकशी सुबोधरत्नाकर’ नाम से 1891 में आया। जिसको सावित्रीबाई ने अपने जीवनसाथी ज्योतिबा फुले के परिनिर्वाण के बाद उनकी जीवनी के रूप में लिखा था। मराठी से उनकी कविताओं के पूरे अनुवाद तो प्राप्त नहीं हो पाए हैं, लेकिन सोशल मीडिया से उनकी कुछ कविताओं की पंक्तियां ज़रूर प्राप्त हुई हैं। आज ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं सावित्रीबाई फुले की कुछ मराठी कविताओं के हिंदी में अनुदित अंश-

औरतों के लिए वे लिखती हैं-

पौ फटने से गोधुली तक, महिला करती श्रम

पुरुष उसकी मेहनत पर जीता है, मुफ्तखोर

पक्षी और जानवर भी मिलकर काम करते हैं

क्या इन निकम्मों को मनुष्य कहा जाए?

इसी तरह मनुवाद पर प्रहार करते हुए वे कहती हैं-

शूद्रों का दर्द

दो हज़ार वर्ष से भी पुराना है

ब्राह्मणों के षड्यंत्रों के जाल में

फंसी रही उनकी ‘सेवा ’

हिंदू धर्म के कर्मकांडो-पाखंडों पर सावित्रीबाई लिखती हैं-

पत्थर को सिंदूर लगाकर

जिसे बना दिया देवता

असल में था, वह पत्थर ही

और जिस तरह आज किसान आंदोलन जारी है। उसी को लेकर उन्होंने जो लिखा, वो हमें हिंदी में उपलब्ध कराया है हमारे समय की प्रख्यात कवि-समीक्षक और जामिया में प्रोफ़ेसर हेमलता महीश्वर ने। पढ़िए खेती-किसानी के बारे में सावित्री बाई फुले क्या लिखती हैं-

खेती ही ब्रह्म। धन-धान्य है देती।

अन्न को ही कहते हैं परब्रह्म।

शुद्र करते खेती। मनुष्य है खाता।

पकवान भोगते। हम लोग सारे।

शराबी जैसा बोलते, वैसी करनी हैं करते

स्वार्थी नीति है। मुखर वाचालों की।

जो खेती करते हैं। वो ज्ञान साधते हैं।

उन ज्ञानवानों को। चलो सुखी बनाएँ।

और आपको यह भी बता दें कि आज सावित्रीबाई फुले के जन्मदिन और उन्हीं की प्रेरणा से देशभर में महिलाएं किसानों के समर्थन में भी खड़ी हो रही हैं। आज भयंकर बारिश में दिल्ली के बॉर्डर पर डटे किसानों के बीच भी महिलाएं पहुंची हैं और गीत और नारों से पूरे माहौल को गुंजा दिया है। वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने पलवल के पास से इसे रिपोर्ट किया। आप भी सुनिए-

Savitribai Phule
Savitribai Phule Birth Anniversary
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