NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
आज के अमानुषिक समय में शोभा सिंह की कविता एक मानवीय हस्तक्षेप की कोशिश है: मंगलेश डबराल
कवि और संस्कृतिकर्मी शोभा सिंह को शुक्रवार को एक सादे समारोह में ‘सिद्धांत फाउंडेशन’ की ओर से ‘पथ के साथी’ सम्मान प्रदान किया गया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
09 Aug 2020
शोभा सिंह को शुक्रवार को एक सादे समारोह में ‘सिद्धांत फाउंडेशन’ की ओर से ‘पथ के साथी’ सम्मान प्रदान किया गया।

नई दिल्ली:  वरिष्ठ कवि और संस्कृतिकर्मी शोभा सिंह को शुक्रवार को यहाँ एक सादे समारोह में ‘पथ के साथी’ सम्मान प्रदान किया गया। ‘सिद्धांत फाउंडेशन’ की ओर से दिया जाने वाला यह सम्मान उन्हें प्रसिद्ध कवि मंगलेश डबराल के हाथों दिया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें एक स्मृति चिह्न और 25 हजार रुपये की सम्मान राशि भेंट की गई। इस अवसर पर शोभा सिंह के दूसरे कविता संग्रह ‘यह मिट्टी दस्तावेज़ हमारा’ का लोकार्पण भी हुआ।

‘सफाई कर्मचारी आंदोलन’ के दफ्तर में आयोजित इस कार्यक्रम में समारोह के मुख्य अतिथि मंगलेश डबराल ने कहा कि शोभा सिंह उन कवियों में हैं जो अपनी कविताओं की सार्थकता समाज में भी देखती रही हैं और समाज की सार्थकता को अपनी कविताओं में भी लाती रही हैं। उन्होंने कहा कि शोभा सिंह की कविताओं की खूबी उनकी दृश्यात्मकता है। वे छोटे-छोटे दृश्यों के माध्यम से एक बड़ी टिप्पणी अपने समय पर, प्रकृति पर और पर्यावरण पर करती हैं। लेकिन इस दृश्यात्मकता में कथ्य दबता नहीं। उन्होंने आज के समय को अमानुषिक बताते हुए यह भी कहा कि ऐसे समय में शोभा सिंह की कविता एक मानवीय हस्तक्षेप की कोशिश है।

इस अवसर पर निर्णायक मंडल के सदस्य और वरिष्ठ कथाकार योगेंद्र आहूजा ने हेमिंग्वे की नोबेल स्पीच का उल्लेख करते हुए, जिसमें उन्होंने लेखक के बोलने की बजाय लिख कर कहने पर ज़ोर दिया था, कहा कि अब लेखकों और कवियों के लिए लिखना ही काफी नहीं है, दिखना भी उतना ही ज़रूरी है। दिखने ने लिखने को पछाड़ दिया है। उन्होंने कहा - आश्चर्य नहीं कि ऐसे वक्त में वे रचनाएं गुम हो जाएं जो अपनी बात धीमी आवाज में कहती हैं। एक सचेत तरीके से ये अति-मुखर, अति-वाचाल, हर जगह नजर आते लोग भाषा की अर्थवत्ता को नष्ट करते, साहित्य को प्रदूषित करते हैं। फिर भी वे नियंत्रक और नियामक हैं क्योंकि वे सही वक्त और जगह पर दिखने का हुनर जानते हैं। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अपने समय के सवालों से मुँह छुपा लेने का पक्ष नहीं लिया जा सकता। संकटग्रस्त समय में लेखक को कई बार लिखना रोक कर अपने एकांत से बाहर आना होता है। शोभा जी की कविताओं पर बात करते हुए योगेंद्र आहूजा ने कहा कि उनकी कविताओं की दुनिया बहुत विस्तृत है जो आसपास से लेकर सुदूर अनुभव क्षेत्रों तक फैली हुई है।

कार्यक्रम का संचालन कर रही रश्मि रावत ने शोभा सिंह को उन कवयित्रियों में बताया जिनमें स्त्री चेतना और प्रगतिशील मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता दमदार ढंग से मौजूद है। इस मौके पर पुरस्कृत कवि शोभा सिंह, ‘सफाई कर्मचारी आंदोलन’ के राष्ट्रीय संयोजक और मेगसेसे पुरस्कार प्राप्त बैजवाड़ा बिल्सन, अर्जेंटीना में रहने वाली शोभा सिंह की बहन और कवि प्रेमलता वर्मा और राज वाल्मीकि ने भी अपनी बात रखी। धन्यवाद ज्ञापन सिद्धांत फाउंडेशन की ट्रस्टी और कथाकार रचना त्यागी ने किया। कार्यक्रम में अजय सिंह, अनुराग सिंह, भाषा, खिलखिल, सुसाना, उपेंद्र स्वामी और मुकुल सरल भी मौजूद रहे। 

कोरोना महामारी को देखते हुए आयोजकों ने कार्यक्रम में केवल आयोजन से जुड़े कुछ लोगों, मुख्य अतिथि और सम्मानित कवि व उनके परिवार के कुछ सदस्यों को ही आमंत्रित किया। बाकी लोग इसे फेसबुक लाइव पर देख सके। 

Shobha Singh
hindi poet
Siddhant Foundation
Path Ke Sathi
manglesh dabral

Related Stories

अदम गोंडवी : “धरती की सतह पर” खड़े होकर “समय से मुठभेड़” करने वाला शायर

हमें यह शौक़ है देखें सितम की इंतिहा क्या है : भगत सिंह की पसंदीदा शायरी

विशेष: ...मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए

राही मासूम रज़ा : साझा भारतीय संस्कृति के भाष्यकार

…दिस नंबर डज़ नॉट एग्ज़िस्ट, यह नंबर मौजूद नहीं है

बोलने में हिचकाए लेकिन कविता में कभी नहीं सकुचाए मंगलेश डबराल

स्मृति शेष: वह हारनेवाले कवि नहीं थे

मंगलेश डबराल नहीं रहे

एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है...

फिर फिर याद आए विष्णु खरे


बाकी खबरें

  • sedition
    भाषा
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं करने का आदेश
    11 May 2022
    पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी। उसने आगे कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती…
  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License