NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
ग्लोबल वार्मिंग के दौरान कई जानवर अपने आकार में बदलाव कर रहे हैं
नई रिसर्च में पता चला है कि जानवरों के परिशिष्ट अंग (कान, चंच, पूंछ, पंख आदि) में बदलते पर्यावरण और बढ़ते तापमान के बीच बदलाव आ रहा है।
संदीपन तालुकदार
23 Sep 2021
 Animals
Image Courtesy: Wikimedia Commons

मौसम परिवर्तन, खासकर भूमंडलीय ऊष्मीकरण ने जंगल में रहने वाले जानवरों की जिंदगी मुश्किल कर दी है. इसलिए कई जंगली जानवर अब नई, अति कठिन स्थितियों के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं.

मानव निर्मित मौसम परिवर्तन की आपदा धीरे-धीरे अपने ख़तरनाक प्रभाव दिखा रही है. अब इनमें से कई प्रभाव ऐसे बिंदु पर पहुंच चुके हैं, जहां से वापस आना संभव नहीं है. भूमंडलीय ऊष्मीकरण, गर्म खून वाले जानवरों के लिए बड़ी समस्या बन चुका है. इन्हें लगातार आंतरिक शरीर से ताप की जरूरत पड़ती है. ज़्यादा गर्मी इनके ऊपर बहुत ज़्यादा तनाव डालती है.

भूमंडलीय ऊष्मीकरण की समस्या से निपटने के लिए जानवरों ने अलग-अलग रणनीतियां अपनाई हैं. इनमें से कुछ ठंडे क्षेत्र में प्रवास कर चुके हैं, जैसे ध्रुव या ठंडे क्षेत्र के पास रहने वाले जानवर. दूसरी तरफ कुछ जानवर अपने जिंदगी की प्रमुख परिघटनाओं , जैसे- प्रवास या गर्भधारण में बदलाव ला चुके हैं. फिर कुछ जानवर इन अभूतपूर्व स्थितियों से निपटने के लिए अपना आकार भी बदल चुके हैं.

एक नए अध्ययन से जानवर द्वारा खुद में किए जा रहे बदलावों से जुड़ी दिलचस्प जानकारियां सामने आई हैं. इस अध्ययन को "ट्रेंड्स इन इकलॉजी एंड एवल्यूशन" नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है.

इसमें पता चला है कि कैसे जानवर के परिशिष्ट अंगों (पूंछ, कान, चंच व पंजे) में बदलाव आ रहे हैं. गहन विश्लेषण के बाद रिसर्चर्स ने पाया कि कुछ जानवर आसपास के बदलते पर्यावरण और बढ़ते तापमान के हिसाब से अपने इन अंगों के आकार में वृद्धि कर रहे हैं.

टीम ने 30 प्रजातियों पर परीक्षण किया कि कैसे अलग-अलग वक्त में इनमें बढ़ते तापमान के साथ बदलाव आ रहा है. टीम ने पिछले 100 अध्ययन पर परीक्षण किया, जो अलग-अलग दौर में किए गए थे. यह अध्ययन मैदानी काम, लैब में किए गए प्रयोगों, म्यूज़ियम में संरक्षित किए गए कुछ नमूनों और कई दशक के जंतु नमूनों पर आधारित थे. कई मामल में शोधार्थियों ने डेटा की एक या दो शताब्दी पहले के डेटा से तुलना की।

इस पर टिप्पणी करते हुए अध्ययन की मुख्य लेखिका सारा राइडिंग ने कहा, "मानव की तरह जंगल में रहने वाले गर्म खून के जानवर के पास 'एयर-कंडीशनिंग' की विलासिता उपलब्ध नहीं है, इसलिए उन्हें अपने शरीर पर ही ज़्यादा गर्मी से बचने के लिए निर्भर रहना पड़ता है. चूहे जैसे छोटे प्राणी के लिए पूंछ यह काम करती है. पक्षी के लिए यह काम उनकी चोंच करती है. वहीं हाथी अपने भारी कान पर ठंडे रहने के लिए निर्भर हैं. अफ्रीका में घूमते हाथियों के वीडियो में उनके कान आगे-पीछे गति करते रहते हैं, जिससे हवा की अतिरिक्त गर्मी को हटाया जाता है. यह जाना-माना तथ्य है कि हाथी अपने कान से खुद को ठंडा रखते हैं."

हाथी, राइडिंग के अध्ययन का हिस्सा नहीं थे. लेकिन उनकी टीम ने पाया कि ऑस्ट्रेलियाई तोता, अलग-अलग वक़्त में अपनी चोंच के आकार में वृद्धि करता रहा है. जबकि चाइनीज़ चमगादड़ ने अपने पंख बड़े किए हैं. यूरपियाई खरगोश में कान बड़े हुए हैं, जबकि चूहे ने अपनी पूंछ लंबी की है.

वह कहती हैं, "तोता बढ़िया उदाहरण हैं, क्योंकि कई सारे अध्ययन में उन्हें शामिल किया गया है. ऐसा म्यूजियम में उनकी अच्छी तादाद और रिकॉर्ड होने की वज़ह से रहा है. कई जगह यह रिकॉर्ड सन् 1800 या उससे भी पुराना है."

रिसर्च में पाया गया कि 1871 से तोते अपनी चोंच के पृष्ठभाग में 4 से 10 फ़ीसदी का इज़ाफा कर चुके हैं. वहीं चाइनीज़ चमगादड़ 1950 के बाद अपने पंख में 1 फ़ीसदी वृद्धि कर चुकी है. चमगादड़ के विश्लेषण के लिए 65 साल के म्यूज़ियम नमूनों का इस्तेमाल किया गया. 

राइडिंग की टीम कई दूसरे मैदानी अध्ययन में भी शामिल रही है. ऐसा ही एक अध्ययन में 2003 से 2011 के बीच गालापागॉस पक्षी के फिंच (चोंच, सिर समेत आगे का हिस्सा) में चोंच का आकार मापा गया था. पता चला कि गर्मी की प्रतिक्रिया में इन चोंच के आकार में वृद्धि हुई है. "गालागापॉस में चोंच में पिछले साल की गर्मी के आधार पर वृद्धि हुई और इनमें थोड़ा परिवर्तन भी आता है."

अध्ययन से "एलन के  पर्यावरणशास्त्र के नियम" पर भी मुहर लगी है. एलन का नियम, अमेरिकी जूलॉजिस्ट जॉएल एलेन ने 1870 में बनाया था. इस नियम के मुताबिक़, गर्म खून वाले पशु में ठंडी परिस्थिति में परिशिष्ट अंग (कान, पूंछ, चचं आदि) छोटे होते हैं. जबकि गर्म वातावरण में इनमें वृद्धि होती है.

तबसे एलन के नियम को पक्षी और स्तनधारियों पर किए गए कई अध्ययनों द्वारा समर्थन मिलता रहा है.

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Some Animals Changing Shapes in Response to Global Warming

Allen’s Rule
global warming
Animal Shape Change
Galapagos
Animal Appendages
Animal Appendages Increase
climate change
wildlife
evolution

Related Stories

अंकुश के बावजूद ओजोन-नष्ट करने वाले हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन की वायुमंडल में वृद्धि

संयुक्त राष्ट्र के IPCC ने जलवायु परिवर्तन आपदा को टालने के लिए, अब तक के सबसे कड़े कदमों को उठाने का किया आह्वान 

जलवायु शमन : रिसर्च ने बताया कि वृक्षारोपण मोनोकल्चर प्लांटेशन की तुलना में ज़्यादा फ़ायदेमंद

अगले पांच वर्षों में पिघल सकती हैं अंटार्कटिक बर्फ की चट्टानें, समुद्री जल स्तर को गंभीर ख़तरा

धरती का बढ़ता ताप और धनी देशों का पाखंड

क्या इंसानों को सूर्य से आने वाले प्रकाश की मात्रा में बदलाव करना चाहिए?

अमीरों द्वारा किए जा रहे कार्बन उत्सर्जन से ख़तरे में "1.5 डिग्री सेल्सियस" का लक्ष्य

जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट : अमीर देशों ने नहीं की ग़रीब देशों की मदद, विस्थापन रोकने पर किये करोड़ों ख़र्च

आईईए रिपोर्ट की चेतावनी, जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए स्वच्छ ऊर्जा निवेश करने में दुनिया बहुत पीछे

जलवायु परिवर्तन से 1 दशक से कम समय में नष्ट हो गए दुनिया के 14% कोरल रीफ़ : अध्ययन


बाकी खबरें

  • CARTOON
    आज का कार्टून
    प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?
    27 Apr 2022
    मुख्यमंत्रियों संग संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर टैक्स कम करने की बात कही।
  • JAHANGEERPURI
    नाज़मा ख़ान
    जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी
    27 Apr 2022
    अकबरी को देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं था न ही ये विश्वास कि सब ठीक हो जाएगा और न ही ये कि मैं उनको मुआवज़ा दिलाने की हैसियत रखती हूं। मुझे उनकी डबडबाई आँखों से नज़र चुरा कर चले जाना था।
  • बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    27 Apr 2022
    वाहनों में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देने के उद्देश्य से निर्भया सेफ्टी मॉडल तैयार किया गया है। इस ख़ास मॉडल से सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी।
  • श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    प्रभात पटनायक
    श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    27 Apr 2022
    श्रीलंका के संकट की सारी की सारी व्याख्याओं की समस्या यह है कि उनमें, श्रीलंका के संकट को भड़काने में नवउदारवाद की भूमिका को पूरी तरह से अनदेखा ही कर दिया जाता है।
  • israel
    एम के भद्रकुमार
    अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात
    27 Apr 2022
    रविवार को इज़राइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडेन की फोन पर हुई बातचीत के गहरे मायने हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License