NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
दक्षिण अफ़्रीका : सरकार द्वारा लॉकडाउन कम करने के बाद बढ़ते हड़ताल के आसार
व्यापारियों ने दावा किया है कि स्वास्थ्य और सुरक्षा का पूरा ख़याल रखा जाएगा लेकिन यूनियनों ने पहले हुए उल्लंघनों का हवाला दिया है जनकी वजह से संक्रमण बढ़ गया था।
पीपल्स डिस्पैच
26 May 2020
SAFTU

दक्षिण अफ़्रीका के दूसरे सबसे बड़ा ट्रेड यूनियन फ़ेडरेशन, South African Federation of Trade Unions (SAFTU) ने रविवार 24 मई को कहा है कि उसने अपने विभिन्न यूनियन और सदस्यों से आने वाले संकट के ख़िलाफ़ एक हड़ताल में  शामिल होने के लिए तत्काल सेक्शन 77 नोटिस जारी करने के लिए विचार-विमर्श किया है।

SAFTU ने राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के राष्ट्र संदेश के तुरंत बाद एक बयान जारी किया। राष्ट्रपति ने संदेश में घोषणा की कि लॉकडाउन की कठोरता को वर्तमान लेवल 4 से लेवल 2 तक, मामूली अपवादों के साथ डाउनग्रेड किया जाएगा।

लेवल 2 के तहत, निर्माण, खनन, विनिर्माण और खुदरा पूरी क्षमता से काम करेंगे। घरेलू काम, सफाई सेवाएं, अनौपचारिक कूड़ा उठाने की अनुमति होगी। सभी सरकारी सेवाओं को फिर से शुरू किया जाएगा और पूर्ण घरेलू हवाई यात्रा और कार किराए पर लेने की सेवाएं बहाल की जाएंगी।

राष्ट्रपति के अनुसार, "संक्रमणों में भारी वृद्धि का जोखिम अब हमारे देश में प्रकोप की शुरुआत के बाद से अधिक से अधिक है।" फिर भी, उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "अब हममें से अधिकांश लोगों के लिए काम पर लौटने और अपने जीवन के कुछ हिस्सों को फिर से शुरू करने का समय आ गया है जो तालाबंदी शुरू होने के बाद से रुके हुए हैं।"

800,000 सदस्यीय मज़बूत वामपंथी फ़ेडरेशन का आरोप है कि यह निर्णय व्यापारिक संगठनों के इशारे पर लिया गया है, जो पिछले सप्ताह से इस गिरावट के लिए पैरवी कर रहे थे।

हालांकि व्यापारियों ने दावा किया है कि स्वास्थ्य और सुरक्षा का पूरा ख़याल रखा जाएगा लेकिन यूनियन इस बात से असहमत हैं कि सुरक्षा का ख़याल रखा जाएगा।

यहाँ तक ​​कि जब लॉकडाउन 5 के लेवल पर था और बाद में लेवल 4 पर था, तब भी कारख़ानों और खानों पर पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं किए गए थे, जिन्हें सीमित क्षमता तक ही संचालित करने की अनुमति थी।

अब, सरकार और व्यवसायों ने उन्हें सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध कराए बिना ही काम पर वापस लेने का निर्णय लिया, तब "कार्यकर्ता फिर से सार्डिन की तरह महसूस करेंगे, ट्रेनों और टैक्सियों की तंग जगहों में सफर करेंगे। और 1 जून तक, एक दूसरे को संक्रमित करे नियोक्ताओं को अमीर बनाने के लिए काम करते रहेंगे।"

SAFTU ने घोषणा की कि जबकि पूँजीपति वर्ग ने "अपने लालच और जल्दबाजी" का प्रदर्शन किया है और राष्ट्रपति ने फिर से "अपने पूर्वाग्रहों" का खुलासा किया है। SAFTU ने उग्रवाद के पुनरुत्थान का आह्वान किया और "एक गंभीर वर्ग युद्ध की तैयारी करने की आवश्यकता" पर बल दिया।

बयान में कहा गया है, "हम अपनी नौकरी के क़त्लेआम के ख़िलाफ़ विरोध करने के लिए सामाजिक-विचलित रणनीति का उपयोग करके दुनिया भर में प्रदर्शनकारियों के रूप में सड़कों पर वापस जा रहे हैं।"

साभार : पीपल्स डिस्पैच

South Africa
Lockdown
SAFTU
Workers
Workers Strike
Cyril Ramaphosa

Related Stories

लुधियाना: PRTC के संविदा कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू

कश्मीर: कम मांग और युवा पीढ़ी में कम रूचि के चलते लकड़ी पर नक्काशी के काम में गिरावट

गुटनिरपेक्षता आर्थिक रूप से कम विकसित देशों की एक फ़ौरी ज़रूरत

दिल्ली: बर्ख़ास्त किए गए आंगनवाड़ी कर्मियों की बहाली के लिए सीटू की यूनियन ने किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल को मिला कलाकारों का समर्थन, इप्टा ने दिखाया सरकारी 'मकड़जाल'

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License