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दक्षिण अफ़्रीका : मैकस्टील में श्रमिकों की छंटनी के ख़िलाफ़ हड़ताल तीसरे दिन भी जारी
नेशनल यूनियन ऑफ़ मेटलवर्कर्स ऑफ़ साउथ अफ़्रीका (एनयूएमएसए) ने आरोप लगाया कि कंपनी ने 11 दिसंबर को 99 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था।
पीपल्स डिस्पैच
20 Jan 2021
दक्षिण अफ़्रीका

दक्षिण अफ्रीका के गौटेंग में मैकस्टील में हड़ताल की कार्रवाई तीसरे दिन 20 जनवरी को जारी रहेगी क्योंकि प्रबंधन और नेशनल यूनियन ऑफ मेटलवर्कर्स ऑफ साउथ अफ्रीका (एनयूएमएसए) के बीच हुई बैठक में 99 कर्मचारियों की छंटनी के विवाद का समाधान नहीं हुआ।

मैकस्टील जो खुद को "अफ्रीका के अग्रणी निर्माता, व्यापारी और इस्पात व मूल्य वर्धित स्टील के वितरक... पूरे उप-सहारा क्षेत्र को (आपूर्ति करने)" वाले के रूप में दावा करता है उसने इन श्रमिकों को महामारी के दौरान हटा दिया था।

एनयूएमएसए का कहना है कि "उन्हें हटाने को निर्णय को 11 दिसंबर 2020 को लागू किया गया था", जब त्योहारी सीजन के लिए छुट्टियां शुरू हुई थीं। यूनियन ने कहा, "यह जानबूझकर किया गया था कि श्रमिकों और यूनियन को इसे रोकने के लिए विरोध करने से रोका जाए।"

इस "नीति" की निंदा करते हुए एनयूएमएसए ने 14 जनवरी को कंपनी के फिर से खुलने के बाद श्रमिकों को एकजुट किया और 16 जनवरी को 48 घंटे की हड़ताल का नोटिस जारी किया। कंपनी के कुल 2,500 कर्मचारियों में से 1,400 कर्मचारी जिनका प्रतिनिधित्व एनयूएमएसए करती है वे 99 कर्मचारियों को तत्काल बहाल करने की मांग को लेकर 18 जनवरी से हड़ताल पर हैं।

एनयूएमएसए के राष्ट्रीय प्रवक्ता फकामिले हलुबी मजोला ने पीपल्स डिस्पैच को बताया कि यूनियन को जानकारी मिली है- जिसे वे पिछले साल छंटनी के बारे में बातचीत के दौरान बता पाए थे - कि 2016 के बाद से मैकस्टील कंपनी के मैनेजर और अधिकारियों को अधिक बोनस देने के लिए नौकरी में कटौती के माध्यम से धन बचाने का इस्तेमाल करता रहा है।

यूनियन की प्रेस-विज्ञप्ति में कहा गया है कि हमारा मानना है कि यह वही रणनीति है जो वे अब भी इस्तेमाल कर रहे हैं। आगे कहा गया कि "यह अपने आप में बड़े पैमाने पर सबसे खराब मुनाफाखोरी का एक उदाहरण है। लालची पूंजीपति मज़दूर वर्ग की कीमत पर अपने लिए महामारी का लाभ उठा रहे हैं। महामारी के दौरान उनकी कर्मचारियों की पीड़ा या श्रमिकों और उनके परिवारों पर प्रभाव की कोई चिंता नहीं है।"

South Africa
NUMSA
NUMSA
National Union of Metalworkers of South Africa

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