NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहार में वाम दलों का राज्यव्यापी प्रतिवाद: पीएम केयर फंड से प्रवासी मजदूरों की घर वापसी की मांग
राज्यव्यापी विरोध दिवस के तहत बिहार प्रदेश के सभी वामपंथी दलों ने यह मांग कि की पीएम केयर फंड से सभी मजदूरों को सकुशल घर पहुंचाया जाए। लौट रहे सभी प्रवासी मजदूरों को 10000 रुपये तत्काल गुजारा भत्ता दिया जाय तथा उनके काम की गारंटी हो।
अनिल अंशुमन
05 May 2020
वाम दलों का राज्यव्यापी प्रतिवाद:

अचानक थोपे गए लॉकडाउन से देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे लाखों लाख प्रवासी मजदूरों को महीनों नारकीय,अमानवीय जीवन जीने को अभिशप्त बनाने की खबरों के बाद अब उनकी घर वापसी के मुद्दे को एक सरदर्द के रूप में अधिकांश मीडिया परोस रही है। दाने-दाने को मोहताज इन प्रवासी मजदूरों से जबरन रेल भाड़ा व अतिरिक्त पैसों की वसूली की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है। सभी वामपंथी दलों समेत पूरे विपक्ष और विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा इसका कड़ा विरोध भी अब व्यापक स्तर पर होने लगा है। कॉंग्रेस पार्टी ने तो सभी मजदूरों का भाड़ा अपनी पार्टी की ओर से देने का ऐलान कर भाजपा को सकते में डाल दिया है।

रेलवे का तर्क है कि विशेष ट्रेन चलाने में हो रहे आर्थिक बोझ के कारण उसे मजदूरों से यात्रा भाड़ा वसूलना पड़ रहा है । इस कारण जितनी भी अभी तक ट्रेनें चलीं या चलायी जा रही है, सभी में सवार प्रवासी मजदूरों पर बिना कोई रहम किए पूरा भाड़ा वसूल लिया जा रहा है । शर्मनाक है कि अभी भी इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से लगातार झूठ बोला व प्रचारित किया जा रहा है कि प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए 85 % किराया उसकी ओर से तथा शेष राज्यों कि ओर से दिये जाने का फैसला है।
 
लाचार-असहाय प्रवासी मजदूरों से जबरन भाड़ा वसूले जाने का कड़ा विरोध करते हुए तथा पीएम केयर फंड से सभी मजदूरों की सकुशल घर वापसी की मांग को लेकर बिहार के सभी वामपंथी दलों ने 5 मई को राज्यव्यापी विरोध दिवस मनाकर अपना प्रतिवाद दर्ज़ किया।

bihar 4_0.jpg

इसके पूर्व 3 मई को राजधानी पटना में आयोजित टेलिफोनिक प्रेस वार्ता के जरिये भाकपा माले, सीपीएम, सीपीआई व आरएसपी के प्रदेश सचिवों ने उक्त अभियान की घोषणा की । साथ ही इसे सफल बनाने के लिए अन्य सभी लोकतान्त्रिक शक्तियों से उनके सक्रिय समर्थन की अपील की।
       
प्रेस वार्ता में सभी वाम नेताओं ने एक स्वर से मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि एक ओर कॉर्पोरेट पूँजीपतियों के अरबों की कर्ज माफ़ी की जा रही है और असहाय-लाचार प्रवासी मजदूरों से इस बदतर हालत में भी भाड़ा का एक एक पैसा के आलवे अतिरिक्त भाड़ा तक वसूला जा रहा है । कोरोना के नाम पर पीएम केयर फंड में जमा करोड़ों-अरबों रुपयों को सरकार मजदूरों पर खर्च नहीं करना चाह रही हैं।

वाम प्रतिनिधियों ने प्रवासी मजदूरों की वापसी को लेकर केंद्र सरकार द्वारा पल्ला झाड़ लेने तथा केंद्र व राज्य सरकारों के बीच इसकी जिम्मेवारी लेने  के फेंका-फेंकी खेल का तीखा विरोध करते हुए इस आपदा काल में मजदूरों की बेबसी का मज़ाक उड़ाना फौरन बंद करने को कहा है। उन्होने भाजपा व जदयू से यह भी सवाल किया है कि केंद्र व प्रदेश में जब उनकी डबल इंजन की सरकार है तब भी भूखमरी व बेरोजगारी झेल रहे मजदूरों पर ही सारा बोझ क्यों डाला जा रहा है।
 
मोदी शासन द्वारा 3 मई को सभी अस्पतालों में आवश्यक सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने कि बजाय सेना द्वारा बैंड बजाने- हेलीकॉप्टरों से फूल बरसाने व नेवी के जहाजों को रौशन कर पटाखे चलाने को शोबाज़ी और देश के धन का धड़ल्ले से दुरपयोग करार दिया गया। महामारी से आए महाविपत्ति काल में भी देश के खजाने से 6800 करोड़ रुपये में दो विशेष विमानों की खरीद समेत नये आलीशान संसद भवन और पीएम हाउस निर्माण योजना की घोर निंदा की गयी.
 
मोदी शासन की इस बात के लिए भी घोर निंदा की गयी कि इस संकटपूर्ण स्थिति का भी क्षुद्र इस्तेमाल कर मजदूरों व अन्य कामकाजी हिस्सों को लूटा जा रहा है। कोरोना फंड के नाम पर सरकारी कर्मचारियों का जबरन वेतन काटा जा रहा है। वहीं कॉर्पोरेट कंपनियों को पूरी खुली छूट देकर उनके कर्ज़ों की माफी की जा रही है। ऐसे में पीएम केयर फंड के इतने सारे पैसों का मोदी सरकार क्या करेगी।  
     
राज्यव्यापी विरोध दिवस के तहत बिहार प्रदेश के सभी वामपंथी दलों के सभी राज्य- ज़िला मुख्यालयों के अलावे घरों-मुहल्लों व कई अन्य स्थानों पर कार्यकर्त्ताओं ने आह्वान किया कि पीएम केयर फंड से सभी मजदूरों को सकुशल घर पहुंचाया जाए। लौट रहे सभी प्रवासी मजदूरों को 10000 रु. तत्काल गुजारा भत्ता दिया जाय तथा उनके काम की गारंटी हो। लॉकडाउन के दौरान घर वापस लौटते समय रास्ते में भूख, आत्महत्या ,दुर्घटना व भीड़ हिंसा में मारे गए सभी मजदूरों के परिजनों को पीएम केयर फंड से 20 लाख मुआवजा दिया जाय तथा  बिना कार्ड वाले सहित सभी मजदूरों को तीन महीने का राशन उपलब्ध कराये जाने इत्यादि मांगों के पोस्टर लेकर प्रतिवाद किया गया।  

पटना स्थित सीपीएम व माले राज्य मुख्यालय व सीपीआई के जनशक्ति भवन में पार्टी राज्य सचिव व अन्य कई वरिष्ठ नेताओं ने विरोध दिवस कार्यक्रम का नेतृत्व किया। बिहटा में खेग्रामस के राष्ट्रीय सम्मानित अध्यक्ष व पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद तथा आरा व सीवान में माले विधायक सुदामा प्रसाद व सत्यादेव राम ने भी भागीदरी निभाई।  

दूसरी ओर भाकपा माले बिहार विधायक दल के नेता महबूब आलम ने प्रदेश मुख्यमंत्री को विशेष पत्र लिखकर कर्नाटक के बेंगलुरु में फंसे बिहारी मजदूरों को ‘ कोरोना बम ’ कहकर अपमानित व प्रताड़ित किए जाने पर कड़ा विरोध किया है । सभी स्थानीय चैनलों व अखबारों द्वारा बिहारी मजदूरों पर कोरोना संक्रमण फैलाने का ठीकरा फोड़े जाने को बिहार का अपमान बताते हुए तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है।  
 
तमाम जारी चर्चाओं में जिस तरह से प्रवासी मजदूरों का मामला एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है, तय है कि आनेवाले दिनों में लंबे समय तक सत्ता-सियासत भी प्रवासी मजदूरों के इर्द गिर्द घूमेगी ही। ऐसे में वामपंथी दलों के विरोध पहल ने साफ इशारा कर दिया है कि हर चुनावी काल में सत्ताधारी दलों द्वारा सिर्फ वोट का मुहरा बनाए जानेवाले प्रवासी मजदूरों के जीवन -मरण से जुड़े उनके सम्मानजनक अधिकारों का सवाल लॉकडाउन के बाद की स्थितियों में एक मजबूत राजनीतिक स्वरूप ग्रहण करेगा ..... !             

Bihar
Left party
Left Parities Protest
Lockdown
Migrant workers
PM CARES fund
BJP
Congress
CPI
CPIML

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 


बाकी खबरें

  • sever
    रवि शंकर दुबे
    यूपी: सफ़ाईकर्मियों की मौत का ज़िम्मेदार कौन? पिछले तीन साल में 54 मौतें
    06 Apr 2022
    आधुनिकता के इस दौर में, सख़्त क़ानून के बावजूद आज भी सीवर सफ़ाई के लिए एक मज़दूर ही सीवर में उतरता है। कई बार इसका ख़ामियाज़ा उसे अपनी मौत से चुकाना पड़ता है।
  • सोनिया यादव
    इतनी औरतों की जान लेने वाला दहेज, नर्सिंग की किताब में फायदेमंद कैसे हो सकता है?
    06 Apr 2022
    हमारे देश में दहेज लेना या देना कानूनन अपराध है, बावजूद इसके दहेज के लिए हिंसा के मामले हमारे देश में कम नहीं हैं। लालच में अंधे लोग कई बार शोषण-उत्पीड़न से आगे बढ़कर लड़की की जान तक ले लेते हैं।
  • पटनाः डीजल-पेट्रोल से चलने वाले ऑटो पर प्रतिबंध के ख़िलाफ़ ऑटो चालकों की हड़ताल
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पटनाः डीजल-पेट्रोल से चलने वाले ऑटो पर प्रतिबंध के ख़िलाफ़ ऑटो चालकों की हड़ताल
    06 Apr 2022
    डीजल और पेट्रोल से चलने वाले ऑटो पर प्रतिबंध के बाद ऑटो चालकों ने दो दिनों की हड़ताल शुरु कर दी है। वे बिहार सरकार से फिलहाल प्रतिबंध हटाने की मांग कर रहे हैं।
  • medicine
    ऋचा चिंतन
    दवा के दामों में वृद्धि लोगों को बुरी तरह आहत करेगी – दवा मूल्य निर्धारण एवं उत्पादन नीति को पुनर्निर्देशित करने की आवश्यता है
    06 Apr 2022
    आवश्यक दवाओं के अधिकतम मूल्य में 10.8% की वृद्धि आम लोगों पर प्रतिकूल असर डालेगी। कार्यकर्ताओं ने इन बढ़ी हुई कीमतों को वापस लेने और सार्वजनिक क्षेत्र के दवा उद्योग को सुदृढ़ बनाने और एक तर्कसंगत मूल्य…
  • wildfire
    स्टुअर्ट ब्राउन
    आईपीसीसी: 2030 तक दुनिया को उत्सर्जन को कम करना होगा
    06 Apr 2022
    संयुक्त राष्ट्र की नवीनतम जलवायु रिपोर्ट कहती है कि यदि​ ​हम​​ विनाशकारी ग्लोबल वार्मिंग को टालना चाहते हैं, तो हमें स्थायी रूप से कम कार्बन का उत्सर्जन करने वाले ऊर्जा-विकल्पों की तरफ तेजी से बढ़ना…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License