NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
…दिस नंबर डज़ नॉट एग्ज़िस्ट, यह नंबर मौजूद नहीं है
हमारे प्यारे कवि मंगलेश डबराल इसी 9 दिसंबर को हमें छोड़कर चले गए। अब उनका नंबर भी मिलाने पर भी यही आवाज़ आएगी- दिस नंबर डज़ नॉट एग्ज़िस्ट, यह नंबर मौजूद नहीं है। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी यही कविता जो बताती है कि “जहां भी जाता हूं देखता हूं बदल गए हैं नंबर नक़्शे चेहरे”
न्यूज़क्लिक डेस्क
13 Dec 2020
मंगलेश डबराल

यह नंबर मौजूद नहीं

 

दिस नंबर डज़ नॉट एग्ज़िस्ट

जहां भी जाता हूं जो भी फ़ोन मिलाता हूं

अक़सर एक बेगानी सी आवाज़ सुनाई देती है

दिस नंबर डज़ नॉट एग्ज़िस्ट यह नंबर मौजूद नहीं है

कुछ समय पहले इस पर मिला करते थे बहुत से लोग

कहते आ जाओ हम तुम्हें पहचानते हैं

इस अंतरिक्ष में तुम्हारे लिए भी बना दी गयी है एक जगह

 

लेकिन अब वह नंबर मौजूद नहीं है वह कोई पहले का नंबर था

उन पुराने पतों पर बहुत कम लोग बचे हुए हैं

जहां आहट पाते ही दरवाज़े खुल जाते थे

अब घंटी बजाकर कुछ देर सहमे हुए बाहर खड़ा रहना पड़ता है

और आख़िरकार जब कोई प्रकट होता है

तो मुमकिन है उसका हुलिया बदला हुआ हो

या वह कह दे मैं वह नहीं हूँ जिससे तुम बात करते थे

यह वह नंबर नहीं है जिस पर तुम सुनाते थे अपनी तकलीफ़

 

जहां भी जाता हूं देखता हूं बदल गए हैं नंबर नक़्शे चेहरे

नाबदानों में पड़ी हुई मिलती हैं पुरानी डायरियां

उनके नाम धीरे-धीरे पानी में धुलते हुए

अब दूसरे नंबर मौजूद हैं पहले से कहीं ज़्यादा तार-बेतार

उन पर कुछ दूसरी तरह के वार्तालाप

महज़ व्यापार महज़ लेनदेन खरीद-फरोख्त की आवाजें लगातार अजनबी होती हुई

जहां भी जाता हूँ हताशा में कोई नंबर मिलाता हूं

उस आवाज़ के बारे में पूछता हूं जो कहती थी

दरवाज़े खुले हुए हैं तुम यहाँ रह सकते हो

चले आओ थोड़ी देर के लिए यों ही कभी भी इस अंतरिक्ष में.

 

इसे भी पढ़ें : नशा और होश : विश्व नागरिक माराडोना को समर्पित कविता

इसे भी पढ़ें :  “तुम बिल्‍कुल हम जैसे निकले, अब तक कहाँ छिपे थे भाई…”

इसे भी पढ़ें : ...कोई ठहरा हो जो लोगों के मुक़ाबिल तो बताओ

इसे भी पढ़ें : कुर्सीनामा : कुर्सी ख़तरे में है तो देश ख़तरे में है… कुर्सी न बचे तो...

इसे भी पढ़ें : वो राजा हैं रियासत के, नफ़ा नुकसान देखेंगे/ नियम क़ानून तो उनके बड़े दीवान देखेंगे

Sunday Poem
Hindi poem
manglesh dabral
मंगलेश डबराल
कविता
हिन्दी कविता
इतवार की कविता

Related Stories

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

इतवार की कविता: वक़्त है फ़ैसलाकुन होने का 

...हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान

सर जोड़ के बैठो कोई तदबीर निकालो

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!

इतवार की कविता: जश्न-ए-नौरोज़ भी है…जश्न-ए-बहाराँ भी है

इतवार की कविता: के मारल हमरा गांधी के गोली हो

इतवार की कविता: सभी से पूछता हूं मैं… मुहब्बत काम आएगी कि झगड़े काम आएंगे

इतवार की कविता : 'आसमान में धान जमेगा!'


बाकी खबरें

  • ukraine russia
    न्यूज़क्लिक टीम
    यूक्रेन पर रूसी हमला जारी, क्या निकलेगी शांति की राह, चिली-कोलंबिया ने ली लाल करवट
    15 Mar 2022
    'पड़ताल दुनिया भर की' में, वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने यूक्रेन पर रूसी हमले के 20वें दिन शांति के आसार को टटोला न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के साथ। इसके अलावा, चर्चा की दो लातिन…
  • citu
    न्यूज़क्लिक टीम
    स्कीम वर्कर्स संसद मार्च: लड़ाई मूलभूत अधिकारों के लिए है
    15 Mar 2022
    CITU के आह्वान पर आज सैकड़ों की संख्या में स्कीम वर्कर्स ने संसद मार्च किया और स्मृति ईरानी से मुलाकात की. आखिर क्या है उनकी मांग? क्यों आंदोलनरत हैं स्कीम वर्कर्स ? पेश है न्यूज़क्लिक की ग्राउंड…
  • yogi
    रवि शंकर दुबे
    चुनाव तो जीत गई, मगर क्या पिछले वादे निभाएगी भाजपा?
    15 Mar 2022
    उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भले ही भाजपा ने जीत लिया हो लेकिन मुद्दे जस के तस खड़े हैं। ऐसे में भाजपा की नई सरकार के सामने लोकसभा 2024 के लिए तमाम चुनौतियां होने वाली हैं।
  • मुकुल सरल
    कश्मीर फाइल्स: आपके आंसू सेलेक्टिव हैं संघी महाराज, कभी बहते हैं, और अक्सर नहीं बहते
    15 Mar 2022
    क्या आप कश्मीर में पंडितों के नरसंहार के लिए, उनके पलायन के लिए मुसलमानों को ज़िम्मेदार नहीं मानते—पड़ोसी ने गोली की तरह सवाल दागा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः खेग्रामस व मनरेगा मज़दूर सभा का मांगों को लेकर पटना में प्रदर्शन
    15 Mar 2022
    "बिहार में मनरेगा मजदूरी मार्केट दर से काफी कम है। मनरेगा में सौ दिनों के काम की बात है और सम्मानजनक पैसा भी नहीं मिलता है।"
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License