NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
उत्पीड़न
भारत
राजनीति
देवरिया की घटना महज़ पहनावे की कहानी नहीं, पितृसत्‍ता की सच्‍चाई है!
घर की लड़कियों और औरतों को नियंत्रण में रखना और उनके नियंत्रण से बाहर चले जाने पर उन्‍हें जान से मार डालना ऑनर किलिंग है, जो अक्सर घर की सो कॉल्ड 'इज्‍जत' बचाने के नाम पर किया जाता है, लेकिन हैरानी की बात है कि देश में इसके लिए अलग से कोई कानून तक मौजूद नहीं है।
सोनिया यादव
26 Jul 2021
देवरिया की घटना महज़ पहनावे की कहानी नहीं, पितृसत्‍ता की सच्‍चाई है!
Image courtesy : Feminism in India

पितृसत्‍ता हमारे समाज की एक कड़वी सच्चाई है। एक ऐसी सच्चाई जिसमें घर की सो कॉल्ड 'इज्जत' बचाने का सारा बोझ सिर्फ और सिर्फ घर की लड़कियों और औरतों के कंधों पर है, मर्द का इससे दूर-दूर तक कोई वास्ता ही नहीं है। उसका काम सिर्फ मां, बहन, बेटी, पत्‍नी को नियंत्रण में रखना है और उनके नियंत्रण से बाहर चले जाने पर उन्‍हें जान से मार डालना है। मानो औरत इंसान नहीं, मर्द की निजी संपत्ति है।

हाल ही में उत्‍तर प्रदेश के देवरिया जिले के एक गांव में एक मासूम को सिर्फ इसलिए मौत के घाट उतार दिया गया क्योंकि उसने घर वालों की मर्जी के खिलाफ जींस पहनी थी। मासूम की लाश एक नदी की पुलिया पर लोहे के गर्डर्स के बीच झूल रही थी। सिर नीचे की ओर लटका हुआ था और चेहरा नीला पड़ चुका था, पूरी देह अकड़ गई थी।

लड़की को क्या पहनना है क्या नहीं, ये कोई और क्यों बताएगा?

लोगों की सूचना के बाद पुलिस ने बड़ी मुश्‍किल से लड़की की लाश वहां से निकाली। पोस्‍टमार्टम की आई तो पता चला कि लाश मिलने के कुछ ही घंटे पहले उसकी मौत हुई थी। महज़ 17 साल की हंसती-मुस्‍कुराती लड़की पलक-झपकते ही पितृसत्ता की भेंट चढ़ गई और लाश में तब्‍दील हो गई। ये सब क्यों हुआ सो कॉल्ड घर की इज्जत के नाम पर, लड़कियों के पहनावे की परिभाषा सेट करने के नाम पर।

मृत लड़की की मां शकुंतला देवी ने आरोप लगाया है कि लड़की के दादा-दादी और चाचा-चाची ने उसे पीट-पीटकर मार डाला और वो भी सिर्फ़ इसलिए कि लड़की जींस पहनना बंद नहीं कर रही थी। मां ने इस संबंध में बकायदा एफ़आईआर भी दर्ज करवाई जिसके बाद पुलिस ने आरोपियों को धर दबोचा और हत्‍या का मुकदमा लगाया है।

परिवार की इज्‍जत के नाम पर मौत के घाट उतारी जा रही हजारों लड़कियां

हो सकता है इस केस में आरोपियों को सज़ा भी मिल जाए लेकिन देश में आज भी ऐसे अनेकों केस हैं, जहां अपने पिता, पति, भाई, चाचा, दादा के हाथों लड़कियां मौत के घाट उतार दी जाती हैं, लाशें उनके अपने घर के आंगन में काटकर गाड़ दी जाती हैं, लेकिन घरवालों के खिलाफ कोई कोर्रवाई, कोई सज़ा, कोई न्याय नहीं होता। हमारे समाज में आज भी लड़कियों, औरतों को जान से मार डालना इतना आसान, इतना मामूली सा काम है, मानो किसी पेड़ से पत्ते तोड़ना और सबसे कमाल की बात तो ये है कि हर साल परिवार की इज्‍जत के नाम पर मौत के घाट उतारी जा रही 20,000 लड़कियों की ऑनर किलिंग के लिए कुल 576 धाराओं वाली इस देश की दंड संहिता में अलग से एक भी कानून नहीं है। कानून वही लागू होता है यहां भी, हत्‍या का। इज्‍जत के नाम पर हत्‍या का नहीं।

आपको बता दें कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्‍यूरो ने आखिरी बार 2016 में ऑनर किलिंग के आंकड़े बताए थे। उसके बाद उनकी सालाना रिपोर्ट में से ऑनर किलिंग की कैटेगरी ही हटा दी गई। अब घर की इज्‍जत के नाम पर की जा रही हत्‍याओं का आंकड़ा भी सामान्‍य हत्‍याओं के आंकड़े में ही शुमार होता है। इतना जरूर है कि इंटीमेट पार्टनर किलिंग नाम की एक कैटेगरी में वो ये बता रहे होते हैं कि कितनी लड़कियों और औरतों को उनके पति, प्रेमी, बॉयफ्रेंड और इंटीमेट पार्टनर ने मौत के घाट उतार दिया।

मीडिया में ऑनर किलिंग को लेकर कई मामले सुर्खियां बनते हैं और फिर दो दिन के हाहाकार और शोक के बाद लोग भूल जाते हैं। एक गैर सरकारी संगठन ‘ऑनर बेस्‍ड वॉयलेंस अवेयरनेस नेटवर्क’ के आंकड़े कहते हैं कि भारत में हर साल 1000 ऑनर किलिंग की घटनाएं होती हैं, जिसमें से 900 अकेले उत्‍तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में होती हैं। दक्षिण भारत में काम कर रहे एक एनजीओ ‘एविडेंस’ की रिपोर्ट कहती है कि अकेले तमिलनाडु में 2019 में ऑनर किलिंग की 195 घटनाएं हुईं जिसमें से एक भी केस एनसीआरबी के आंकड़े में दर्ज नहीं है।

साल 2016 के बाद एनसीआरबी ने ऑनर किलिंग के आंकड़े नहीं बताए

इस संबंध में साल 2012 में तमिलनाडु राज्‍य लॉ कमीशन ने एक बिल पेश किया। इस बिल में विस्‍तार से आईपीसी की धारा 300 से इतर ऑनर किलिंग के मामलों के लिए अलग से एक कानून की जरूरत को बताया गया। अलग से जो कानून बनाया जाएगा, उसका प्रारूप कैसा होगा। उसमें किन-किन बातों पर विशेष जोर होगा। किस तरह ये कानून ऑनर किलिंग को सिर्फ किलिंग से इतर ज्‍यादा गंभीर और जघन्‍य अपराध मानने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करेगा कि अपनी मर्जी से प्रेम और विवाह करने वाले कपल्‍स को कानूनी सहायता, सुरक्षा और काउंसलिंग की मदद मिले इस सब पर फोकस किया गया।

लेकिन उस प्रस्‍ताव पर हमारी संसद में जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों ने बात तक करने से इनकार कर दिया। कई साल गुजर गए, प्रस्‍ताव ठंडे बस्‍ते में पड़ा रहा। उस पर किसी ने चूं तक नहीं की। 2019 में जब एक दिन तमिलनाडु से चुने हुए सांसद थोल थिरुमावलवन ने लोकसभा में इस प्रस्‍ताव पर बात करना चाहा और इस मुद्दे को उठाना चाहा तो मिनिस्‍टर ऑफ स्‍टेट नित्‍यानंद राय जी ने उसी एनसीआरबी के हवाले से जवाब दिया, जो 2016 के बाद से ऑनर किलिंग के आंकड़े दर्ज करना ही बंद कर चुकी थी।

ऑनर किलिंग के लिए अलग से कानून

नित्‍यानंद राय के मुताबिक "ऑनर किलिंग के तो ज्‍यादा मामले हैं ही नहीं देश में। फिर अलग से कानून की क्‍या जरूरत है। आईपीसी की मौजूदा धाराएं काफी हैं।”

वैसे मंत्री जी को कोई बताए कि ऑनर किलिंग की कहानियां तो इतनी सारी हैं कि अभी सैकड़ों पन्‍ने सिर्फ इसी पर लिखे जा सकते हैं। लेकिन मसला यहां उन कहानियों पर अटकना नहीं है बल्कि असली सवाल पूछना है जो अभी तक अनुत्तरित हैं। सवाल ये कि ऑनर किलिंग के कितने केस न्‍यायालय के दरवाजे तक पहुंचे? कितने केस में अपराधियों को सजा हुई? इस देश में राज्‍यों की सुप्रीम अदालत और पूरे देश की सुप्रीम अदालत ने कितने मामलों में लड़की के माता-पिता को अपनी बेटी की हत्‍या का दोषी पाया और उन्हें उम्रकैद या ऐसी ही गंभीर सजा दी। कितने मां-बाप को अपने बच्‍चों की हत्‍या के जुल्‍म में बाकी जिंदगी जेल में काटनी पड़ी। क्या इन मामलों में पुलिस ने अपनी भूमिका सही से निभाई या मोरल पुलिसिंग के नाम पर लड़के और लड़की को सरेआम प्रताड़ित किया?

गौरतलब है कि लॉ कमीशन द्वारा इस तरह की कोशिश देश के उस राज्‍य में हुई, जहां ऑनर किलिंग का आंकड़ा उत्‍तर भारत के मुकाबले बहुत कम है। हिंदी प्रदेशों ने तो ऐसी कोई कोशिश भी नहीं की। क्‍या सचमुच आईपीसी की धारा300, 301 और 302 ऑनर किलिंग के मामलों में न्‍याय करने के लिए काफी हैं?

इस सवाल का जवाब देते हुए महिला वकील और एक्टिविस्ट आर्शी जैन कहती हैं, “ हमारे मौजूदा कानून में लड़की को जान से मारने वाले परिजन को सजा तो होती है लेकिन इस बात को अलग से रेखांकित नहीं किया जाता कि इस हत्या की वजह ऑनर किलिंग थी।

संसद, पुलिस और ज्‍यूडिशियरी में जेंडर सेंसेटाइजेशन की सख्‍त ज़रूरत

आर्शी के मुताबिक लंबे समय से ये मांग होती रही है कि घर की इज्‍जत के नाम पर होने वाली हत्‍याओं को सामान्‍य हत्‍या की तरह न देखा जाए। क्योंकि ये एक खास मर्दवादी सोच और इरादे से की गई हत्‍याएं हैं। लेकिन सरकार इसके लिए कोई जरूरी कदम नहीं उठा रही है, ना न्‍यायलय ने अपनी तरफ से स्‍वत: संज्ञान लेकर कानून को बदलने की कोई कोशिश की है। ऐसे में बहुत मुश्किल है अलग से इस विषय पर एक कानून का आना।

वैसे महज़ कानून ही किसी समस्या का हल नहीं है। समाज में महिलाओं की कमजोर और दोयम दर्जे की स्थिति में सुधार और न्याय के लिए मानसिकता में बदलाव भी बहुत जरूरी है। संसद, पुलिस और ज्‍यूडिशियरी में जेंडर सेंसटाइजेशन की सख्‍त जरूरत है, जो कि अभी नहीं हो रहा है। कुल मिलाकर देखें तो परिवार, समाज, सरकार और तमाम संस्थानों को पूर्वाग्रह से निकलकर एक आजाद सोच बनाने की जरूरत है, तभी बदलाव संभव है।

UttarPradesh
Deoria
patriarchal society
patriarchy
crimes against women
violence against women
Women Rights

Related Stories

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

यूपी : महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के विरोध में एकजुट हुए महिला संगठन

2023 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र तेज़ हुए सांप्रदायिक हमले, लाउडस्पीकर विवाद पर दिल्ली सरकार ने किए हाथ खड़े

प्रयागराज में फिर एक ही परिवार के पांच लोगों की नृशंस हत्या, दो साल की बच्ची को भी मौत के घाट उतारा

प्रयागराज: घर में सोते समय माता-पिता के साथ तीन बेटियों की निर्मम हत्या!

बिहार: आख़िर कब बंद होगा औरतों की अस्मिता की क़ीमत लगाने का सिलसिला?

उत्तर प्रदेश: योगी के "रामराज्य" में पुलिस पर थाने में दलित औरतों और बच्चियों को निर्वस्त्र कर पीटेने का आरोप

बिहार: 8 साल की मासूम के साथ बलात्कार और हत्या, फिर उठे ‘सुशासन’ पर सवाल

मध्य प्रदेश : मर्दों के झुंड ने खुलेआम आदिवासी लड़कियों के साथ की बदतमीज़ी, क़ानून व्यवस्था पर फिर उठे सवाल


बाकी खबरें

  • CARTOON
    आज का कार्टून
    प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?
    27 Apr 2022
    मुख्यमंत्रियों संग संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर टैक्स कम करने की बात कही।
  • JAHANGEERPURI
    नाज़मा ख़ान
    जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी
    27 Apr 2022
    अकबरी को देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं था न ही ये विश्वास कि सब ठीक हो जाएगा और न ही ये कि मैं उनको मुआवज़ा दिलाने की हैसियत रखती हूं। मुझे उनकी डबडबाई आँखों से नज़र चुरा कर चले जाना था।
  • बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    27 Apr 2022
    वाहनों में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देने के उद्देश्य से निर्भया सेफ्टी मॉडल तैयार किया गया है। इस ख़ास मॉडल से सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी।
  • श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    प्रभात पटनायक
    श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    27 Apr 2022
    श्रीलंका के संकट की सारी की सारी व्याख्याओं की समस्या यह है कि उनमें, श्रीलंका के संकट को भड़काने में नवउदारवाद की भूमिका को पूरी तरह से अनदेखा ही कर दिया जाता है।
  • israel
    एम के भद्रकुमार
    अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात
    27 Apr 2022
    रविवार को इज़राइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडेन की फोन पर हुई बातचीत के गहरे मायने हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License