लॉकडाउन के चलते मार्च और अप्रैल के बीच 12 करोड़ लोगों का रोज़गार ख़त्म हो गया। जुलाई में इनमें से 11 करोड़ को फिर से काम मिल गया है। लेकिन इस रोज़गार के आंकड़े में छिपी है बेरोज़गारी की कहानी, क्योंकि अधिकतर नई नौकरियाँ खेती में आई हैं।
लॉकडाउन के चलते मार्च और अप्रैल के बीच 12 करोड़ लोगों का रोज़गार ख़त्म हो गया। जुलाई में इनमें से 11 करोड़ को फिर से काम मिल गया है। लेकिन इस रोज़गार के आंकड़े में छिपी है बेरोज़गारी की कहानी, क्योंकि अधिकतर नई नौकरियाँ खेती में आई हैं, जहाँ डिसगाइज्ड यानी छिपी-हुई बेरोज़गारी बहुत ज़्यादा है। साथ में जुलाई में सैलरी-वाली नौकरियाँ अप्रैल से भी कम हो गयी हैं। यानी अच्छी और सुरक्षित नौकरियाँ लॉकडाउन के दौर से भी कम।
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