NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
पत्थर शिल्पकारों का पुश्तैनी काम तो पहले ही बरबाद था अब कोरोना के चलते नई रोजी पर भी संकट
इस महामारी के बीच सब कुछ थम सा गया है, रोजगार संकट है, आर्थिक मंदी है लेकिन यह भी सच है कि इस दौर में सबसे ज्यादा बुरा हाल उस कामगार तबके का है जिसके पास माल खरीदने के लिए पूंजी ही नहीं बची और अगर थोड़ी बहुत है भी तो फिर माल खरीदने के लिए ग्राहक नहीं।
सरोजिनी बिष्ट
16 Jul 2020
अशोक और मुन्ना लाल
अशोक और मुन्ना लाल

"अब तो लगता है यह बीमारी हमें बाद में मारेगी पर यह भूख हमें पहले मार देगी" मुन्नालाल ने जब यह बात कही तो कहीं अंदर तक घर कर गई क्यूंकि यह केवल एक फेरी लगाने वाले मुन्नलाल की दास्तां नहीं बल्कि उन लाखों करोड़ों कामगारों का दर्द है जिनका रोजगार और थोड़ी बहुत जमा पूंजी इस बीमारी और लॉकडाउन ने छीन ली।

मुन्नालाल कहते हैं "अब हमारे पास कुछ नहीं बचा सिवाय इस उम्मीद के कि एक दिन शायद सब कुछ ठीक हो जाए और हमें और हमारे बच्चों को भरपेट खाना मिल सके, भूमिहीन न होते तो खेती के भरोसे ही अपने गांव लौट जाते"

मुन्नालाल पत्थर कट जाति से संबन्ध रखने वाले श्रमिक हैं। लखनऊ स्थित दुबग्गा में इन पत्थरकट जाति के लोगों की बस्ती है। यूपी के अलग अलग जिलों से संबन्ध रखने वाले ये कामगार अनुसूचित जाति के तहत आते हैं। पूर्णता भूमिहीन जाति है। मुन्नालाल ने बताया कि जब वे छोटे थे तो अपने पिताजी के साथ सीतापुर (लखनऊ के पास स्थित गृह जिला) से पत्थर का सामान बेचने लखनऊ आते थे। बड़े हुए तो उन्होंने भी अपना पुश्तैनी पेशा अपना लिया और लखनऊ आकर सामान बेचने लगे और अन्य लोगों की तरह एक दिन यहीं बस गए।

मुख्य रूप से इन लोगों का काम सिल बट्टा और अन्य पत्थर का सामान बनाकर बेचने का है लेकिन इनके साथ विडंबना यह रही कि बदलते जमाने ने उनसे इनका पुश्तैनी काम तो कम कर ही दिया और इनको एक नए रोजगार की ओर जाना पड़ा लेकिन स्थाई काम न होने के कारण हमेशा इनके समक्ष रोजी रोटी का संकट बना रहा और अब तो इस महामारी ने इनके रोजगार की रही सही कमर भी तोड़ दी। ये लोग फेरी लगाकर, झाड़ू, चटाई, वाइपर बेचने के साथ साथ गरमियों में कूलर में घास लगाने का काम करने लगे।

मुन्नालाल ने बताया कि पत्थर का काम करने वाले उनकी बस्ती में लगभग डेढ़ सौ परिवार है जो थोड़ा बहुत अपना पुश्तैनी काम करते हुए जगह जगह फेरी लगाकर सामान बेचने का काम करते हैं लेकिन इस पूरे दौर ने सब का काम चौपट कर दिया न पुश्तैनी काम ही बचा न ही दूसरा कोई रोजगार।

इसी पेशे से जुड़े एक अन्य श्रमिक अशोक ने अपने हालात बताते हुए कहा कि चूंकि हम भूमिहीन जाति है तो हमारे पास किसी छोटी सी जमीन का इतना आसरा भी नहीं कि यदि कभी कोई रोजगार भी न बचे तो हम थोड़ी बहुत खेती के भरोसे जीवन यापन कर सके।

अशोक कहते हैं सच कहें तो अब करोना से ज्यादा लॉक डाउन डराने लगा है पता नहीं फिर कब सरकार लॉक डाउन की घोषणा कर दे, एक लंबे लॉक डाउन के बाद वैसे भी जमा जमाया काम चौपट हो गया। फेरी लगाने के साथ साथ ये लोग सड़क किनारे बच्चों के खिलौने जैसे टेडी बीयर स्विमिंग पूल आदि बेचने का काम भी करते थे पर मुन्नालाल कहते हैं आज जब सड़कों पर लोगों की भीड़ ही नहीं बची तो हमारा सामान खरीदेगा कौन।

दरअसल यह इनकी ही नहीं यह विडम्बना हर उस कामगार की है जिसके पास अपना माल बेचने के लिए कोई स्थाई ठिकाना नहीं। शहर की कोई भी सड़क इनके रोजगार का ठिकाना हो सकती है लेकिन आज जब सड़के वीरान हैं तो कमाई भला फिर कैसे हो।

इस पर अशोक कहते हैं कि मॉल, कांप्लेक्स या हाट बाजारों की दुकानें कब खलेंगी कब बन्द होगी इस पर सरकार पूरा फैसला लेती है और अब तो बाज़ार खुलने भी लगे लेकिन वे सामान विक्रेता क्या करें जो अपना माल सड़कों के किनारे फुटपाथ पर बेचते हैं।

इन श्रमिकों के बीच काम करने वाले रमन मैग्सेसे अवार्ड पाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय जी से जब इन लोगों के जीवन स्तर और रोजगार के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि ये लोग उत्तर प्रदेश के करीब बारह जिलों में बसे हैं जो इस बदलते दौर में भी अपने पुश्तैनी काम को संभाले हुए हैं।

उन्होंने कहा कि हम इनको मात्र पत्थर काटने वाला मजदूर नहीं बल्कि पत्थरों को तराशने वाला शिल्पकार मानते हैं। लखनऊ स्थित इन श्रमिकों की बस्ती में जब संदीप पाण्डेय जी से मुलाकात हुई तो उन्होंने बताया कि इनके साथ सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि गरीब भूमिहीन होने के बावजूद सरकार की ओर से मजदूरों के लिए जो योजनाएं लाई जाती हैं उसका लाभ इन तक नहीं पहुंच पाता सिवाय इसके कि हर महीने इन्हें राशन मिल जाता है बस।

आखिर ऐसा क्यों है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश श्रम विभाग के कागजों पर अन्य कार्य करने वाले श्रमिकों के साथ साथ स्टोन वर्क करने वाले मजदूरों का पंजीकरण तो है लेकिन वह केवल कागज तक ही सीमित है सरकार न तो इनका संज्ञान लेती है और न ही इन्हें चिन्हित करने की कोशिश की गई इसलिए इस जाति के यह श्रमिक सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित ही रह गए। उन्होंने बताया कि इनकी संख्या कम है शायद इसलिए ज्यादा उपेक्षा का शिकार हैं।

अभी हमारी बातचीत चल ही रही थी कि साईकिल पर अपना सामान लादकर फेरी करके लौटे बस्ती के दो लोगों से मुलाकात हुई। उनके चेहरे की मायूसी बता रही थी कि आज भी आमदनी मंदी ही रही।

यह सही है कि इस महामारी के बीच सब कुछ थम सा गया है, रोजगार संकट है, आर्थिक मंदी है लेकिन यह भी सच है कि इस दौर में सबसे ज्यादा बुरा हाल उस कामगार तबके का है जिसके पास माल खरीदने के लिए पूंजी ही नहीं बची और अगर थोड़ी बहुत है भी तो फिर माल खरीदने के लिए ग्राहक नहीं। जो सारा दिन सड़कों पर उस उम्मीद से घूमते हैं कि शाम होते होते कम से कम इतनी तो कमाई हो जाए कि अगले दिन के लिए दाल रोटी का तो इंतजाम हो जाए।

मुन्नालाल जी ने सच ही कहा कि हालात ये हैं कि अब न तो हम पुश्तैनी काम को ही बचा पा रहे हैं न ही अपने अस्थाई रोजगार को और सरकार की अपेक्षा झेल रहे सो अलग।

UttarPradesh
Coronavirus
COVID-19
unemployment
epidemic
poverty
Workers and Labors

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • JANAZA
    ज़ाकिर अली त्यागी
    हरदोई: क़ब्रिस्तान को भगवान ट्रस्ट की जमीन बता नहीं दफ़नाने दिया शव, 26 घंटे बाद दूसरी जगह सुपुर्द-ए-खाक़!
    08 Jan 2022
    उत्तर प्रदेश के हरदोई बीजेपी से जुड़े एक शख़्स ने शव को दफ़्न करने से रोक दिया, और क़ब्रिस्तान की ज़मीन पर अपना दावा ठोक दिया, हैरानी की बात यह रही कि कार्रवाई करने की बजाय प्रशासन भी उनकी ताल में…
  • अपने वर्चस्व को बनाए रखने के उद्देश्य से ‘उत्तराखंड’ की सवर्ण जातियां भाजपा के समर्थन में हैंः सीपीआई नेता समर भंडारी
    एजाज़ अशरफ़
    अपने वर्चस्व को बनाए रखने के उद्देश्य से ‘उत्तराखंड’ की सवर्ण जातियां भाजपा के समर्थन में हैंः सीपीआई नेता समर भंडारी
    08 Jan 2022
    यह समझना महत्वपूर्ण होगा कि आखिर क्यों रक्षा कर्मी हिंदुत्व के समर्थन में हैं और पर्यावरण का मुद्दा इस पहाड़ी राज्य के लिए चुनावी मुद्दा नहीं है।
  • ECI
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    5 राज्यों में चुनाव तारीख़ों की घोषणा, यूपी में 7 चरणों में चुनाव, 10 मार्च को मतगणना
    08 Jan 2022
    उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी से लेकर 7 मार्च तक 7 चरणों में मतदान होगा, वहीं उत्तराखंड, पंजाब और गोवा में 14 फरवरी को एक चरण में और मणिपुर में दो चरणों में वोट डाले जाएंगे। इसी के साथ 15 जनवरी तक रैली,…
  • रवि कौशल
    राजस्थान: REET अभ्यर्थियों को जयपुर में किया गया गिरफ़्तार, बड़े पैमाने पर हुए विरोध के बाद छोड़ा
    08 Jan 2022
    दरअसल यह लोग राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (REET) के तहत अगले चरण में पदों को बढ़वाने के लिए 70 दिनों से संघर्ष कर रहे हैं। इनकी मांग है कि सीटों की संख्या को बढ़ाकर 50,000 किया जाए।
  • सोनिया यादव
    यूपी: देश के सबसे बड़े राज्य के ‘स्मार्ट युवा’ सड़कों पर प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?
    08 Jan 2022
    एक ओर रैलियों में बीजेपी की योगी सरकार अपनी उपलब्धियां गिनवा रही है तो वहीं दूसरी ओर चुनाव के मुहाने पर खड़े उत्तर प्रदेश के युवाओं ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License