NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
बहरीन के लोगों ने इज़रायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के सरकार के फ़ैसले का विरोध किया
पिछले शुक्रवार को यूएई के बाद बहरीन दूसरा खाड़ी राष्ट्र बना जिसने इज़रायल को मान्यता दी।
पीपल्स डिस्पैच
14 Sep 2020
Bahrainis protest

बहरीन के कई विपक्षी समूह ने अपनी सरकार द्वारा इज़रायल के साथ संबंधों को "सामान्य" करने की घोषणा को लेकर विरोध प्रदर्शन किया है। विपक्षी अल-वेफ़ाक़ पार्टी ने शनिवार को बहरीन के भीतर कई स्थानों पर प्रदर्शन किया। इसने रविवार 13 सितंबर को एक बयान जारी किया जिसमें देश के प्रमुख धार्मिक विद्वान अयातुल्ला शेख ईसा क़ासिम ने इज़रायल-बहरीन समझौते को इस क्षेत्र में सरकारों के बीच व्याप्त पराजय के संकेत के रूप में बताया है।

सरकार के इस फैसले के विरोध में जो समूह सार्वजनिक रूप से सामने आए उनमें बहरीन के बार एसोसिएशन भी शामिल हैं।

अल-जजीरा ने लिखा कि ईरान में रहने वाले शेख कासिम ने भी कहा कि ये सरकारें "(अपनी हार को) लोगों पर थोपना चाहती हैं और लोगों को इस हार का विरोध करना है।"

बहरीन ने यूएई का अनुसरण किया जिसने इजरायल को मान्यता देने के लिए पिछले महीने शुक्रवार 11 सितंबर को संबंधों को इस तरह के "सामान्य" करने की घोषणा की थी। ये त्रिपक्षीय घोषणा करने वाला मिस्र, जॉर्डन और यूएई के बाद बहरीन अरब क्षेत्र में चौथा देश है जिसने ऐसा किया है।

इज़रायल के साथ बहरीन की बढ़ती निकटता के संकेत पहली बार आलोचकों द्वारा पिछले साल उठाए गए थे जब उसने फ़िलिस्तीनियों और अन्य देशों द्वारा ऐसा नहीं करने के लिए कहने के बावजूद इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष को लेकर जून में अमेरिका की ओर से प्रायोजित एक सम्मेलन की मेजबानी की थी।

यूएई की तरह बहरीन अरब शांति पहल का समर्थक था जिसके अनुसार इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष के समाधान पर इज़रायल के साथ संबंधों को सामान्य किया गया था।

पैलेस्टिनियन लिब्रेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) ने 11 सितंबर को एक बयान जारी किया था जो अगस्त में यूएई के समझौते के बाद जारी किए गए बयान के समान था। इस बयान में बहरीन के फैसले को '' येरूसेलम, अल-अक्सा और फिलिस्तीनी मामलों'' को लेकर धोखा और ख़तरनाक बताया गया है।

पैलेस्टेनियन लिब्रेशन ऑर्गनाइजेशन के महासचिव सएब इरेकात ने शनिवार को ट्वीट के ज़रिए इज़रायल के साथ बहरीन के समझौते की आलोचना की और आरोप लगाया कि इस समय संबंधों को सामान्य करने की घोषणा करने वाले देश फ़िलिस्तीनी मामलों की क़ीमत पर ट्रम्प को चुनाव जीतने में मदद करने के लिए ऐसा कर रहे हैं।

फिलिस्तीनियों ने इस समझौते की निंदा करते हुए क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों के भीतर कई विरोध प्रदर्शन किए।

डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन हाल के दिनों में खाड़ी देशों को इजरायल को मान्यता देने और इसके साथ अपने रिश्ते को सामान्य बनाने के लिए कहता रहा है। बहरीन के मनामा में अमेरिकी नौसेना का केंद्रीय कमान मुख्यालय है और यह काफी हद तक अपनी फिजिकल सिक्योरिटी के लिए अमेरिका पर निर्भर है।

Bahrainis protest
Israel
UAE
IRAN
Palestine
International news

Related Stories

दुनिया भर की: कोलंबिया में पहली बार वामपंथी राष्ट्रपति बनने की संभावना

ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि

खाड़ी में पुरानी रणनीतियों की ओर लौट रहा बाइडन प्रशासन

फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने

न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध

अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की

असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की

सऊदी अरब के साथ अमेरिका की ज़ोर-ज़बरदस्ती की कूटनीति

अमेरिका में महिलाओं के हक़ पर हमला, गर्भपात अधिकार छीनने की तैयारी, उधर Energy War में घिरी दुनिया

रूस-यूक्रैन संघर्षः जंग ही चाहते हैं जंगखोर और श्रीलंका में विरोध हुआ धारदार


बाकी खबरें

  • सत्यम कुमार
    उत्तराखंड : ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में बंद होते सरकारी स्कूल, RTE क़ानून की आड़ में निजी स्कूलों का बढ़ता कारोबार 
    28 Apr 2022
    उत्तराखंड राज्य में विद्यालयों की स्थिति के आंकड़े दिखाते हैं कि सरकारी स्कूलों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिसके चलते विद्यार्थियों का नामांकन कम हो रहा है, और अंत में कम नामांकन के चलते स्कूल बंद…
  • प्रेम कुमार
    ‘जनता की भलाई’ के लिए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के अंतर्गत क्यों नहीं लाते मोदीजी!
    28 Apr 2022
    अगर पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में लाए जाते हैं तो कीमत में 30 से 40 रुपये प्रति लीटर तक की कमी हो जाएगी। जनता केंद्र और राज्यों के दोहरे कराधान से भी बच जाएगी। जनता की भलाई के लिए बीजेपी की सरकार…
  • वी. श्रीधर
    एलआईसी की आईपीओ: बड़े पैमाने का घोटाला
    28 Apr 2022
    एलआईसी को लिस्टेड करने की इस बेबुनियाद हड़बड़ी में दिग्गज "निवेशकों" के पैसे बनाने की सनक को बढ़ावा देते हुए लोगों के हितों की भयानक अनदेखी नज़र आती है। आईपीओ की क़ीमत से यह संकेत मिलता है कि यह शायद…
  • सुभाष गाताडे
    दलित जननेता जिग्नेश को क्यों प्रताड़ित कर रही है भाजपा? 
    28 Apr 2022
    ‘क्या अपने राजनीतिक आकाओं के फायदे के लिए एक जननेता को प्रताड़ित और आतंकित किया जा रहा है’?
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर में एक आर्मी-संचालित स्कूल की ओर से कर्मचारियों को हिजाब न पहनने के निर्देश
    28 Apr 2022
    पूर्व मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ़्ती ने भाजपा पर महिलाओं की आजादी पर अंकुश लगाने का आरोप लगाया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License