NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अतिदक्षिणपंथी और मैक्रोनवादी फ़्रांस का क्षेत्रीय चुनाव हार गए, जबकि ट्रेडिशनल पार्टियों ने बनाई पकड़
सेंटर-राइट रिपब्लिकन और इसके सहयोगियों ने सात क्षेत्रीय प्रेसिडेंसी जीते जबकि सेंटर-लेफ़्ट सोशलिस्ट पार्टी और इसके सहयोगियों ने पांच प्रेसिडेंसी में जीत हासिल की।
पीपल्स डिस्पैच
30 Jun 2021
अतिदक्षिणपंथी और मैक्रोनवादी फ़्रांस का क्षेत्रीय चुनाव हार गए, जबकि ट्रेडिशनल पार्टियों ने बनाई पकड़

फ्रांस की क्षेत्रीय परिषदों और प्रेसीडेंसियों के लिए हुए चुनावों में ट्राडिशनल सेंटर-राइट और सेंटर-लेफ्ट दलों ने अपना गढ़ बरकरार रखा। इस बीच, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के नेतृत्व में लिबरल ला रिपब्लिक एन मार्चे (एलआरईएम) और मरीन ले पेन के नेतृत्व में अतिदक्षिणपंथी नेशनल रैली (आरएन) को भारी हार का सामना करना पड़ा क्योंकि वे मुख्य भूमि फ्रांस के किसी भी क्षेत्र में बहुमत हासिल करने में विफल रहे।

सेंटर-राइट, कन्जर्वेटिव लेस रिपब्लिकन्स (एलआर) और इसके सहयोगी सात क्षेत्रों में जीतने में कामयाब रहे, जबकि सेंटर-लेफ्ट सोशलिस्ट पार्टी (पीएस) और इसके सहयोगियों ने मुख्य भूमि फ्रांस में पांच क्षेत्रों में जीत हासिल की। मुख्य भूमि फ्रांस और कोर्सिका में 13 और समुद्र पार पांच क्षेत्रों सहित 18 क्षेत्रीय प्रेसीडेंसियों के लिए पहले और दूसरे दौर का मतदान क्रमशः 20 जून और 27 जून को हुआ था।

ऐतिहासिक रूप से कम मतदान वाले चुनावों ने मैक्रोन और इनके दक्षिणपंथी प्रतिद्वंद्वी ले पेन दोनों को निराशाजनक परिणाम दिए हैं। इन चुनावों से पहले, कई राजनीतिक टिप्पणीकारों ने कहा था कि ये क्षेत्रीय चुनाव आगामी राष्ट्रपति चुनावों के लिए एक ट्रायल रन होंगे जहां मैक्रोन और ले पेन को फ्रंट रनर के रूप में माना गया है। लेकिन, इन परिणामों ने उजागर किया है कि फ्रांस में राजनीतिक परिदृश्य बहुत अधिक जटिल है क्योंकि ट्रांडिशनल पार्टियां अपने गढ़ और आधार को बरकरार रखे हुए हैं और फ्रांस में 2022 के आगामी राष्ट्रपति चुनावों में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना है।

कोविड-19 महामारी के कारण कठिनाइयां और मैक्रोन के सख्त नियम वाले शासन के प्रति लोगों का मोहभंग क्षेत्रीय चुनावों में मतदान से दूर रहने की उच्च दर का प्रमुख कारण बताया जाता है।

फ्रेंच कम्युनिस्ट पार्टी (पीसीएफ) ने इन चुनावों में अपने क्षेत्रीय पार्षदों की संख्या 29 से बढ़ाकर 62 कर ली है। पर्सपेक्टिव कम्युनिस्टे की रिपोर्ट के अनुसार रीयूनियन कम्युनिस्ट पार्टी (पीसीआर) के दो प्रतिनिधि, नाडिने डामूर-गिरोनसेल और वर्जिनी गोबालू फ्रेंच ओवरसीज डिपार्टमेंट ऑफ रीयूनियन के क्षेत्रीय परिषद के लिए चुने गए थे। वामपंथी उम्मीदवार हुगुएटे बेल्लो और गेब्रियेल सर्विले को क्रमशः फ्रेच ओवरसीज डिपार्टमेंट ऑफ रीयूनियन और फ्रेंच गायना क्षेत्रीय प्रमुख के रूप में चुना गया है।

France
france Elections

Related Stories

फ्रांस में मैक्राँ की जीत से दुनियाभर में राहत की सांस

माली से फ़्रांसीसी सैनिकों की वापसी साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ ऐतिहासिक जीत है

मॉस्को कर रहा है 'गुड कॉप, बैड कॉप' का सामना

अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन को आतंकवाद का स्रोत नहीं बनना चाहिए : भारत, फ्रांस

विशेष : पांडिचेरी के आज़ादी आंदोलन में कम्युनिस्ट पार्टी की भूमिका

कटाक्ष: ये जासूसी-जासूसी क्या है?

क़यामत का एक निरर्थक गिरजाघर

अमेरिका ने डेनमार्क की गुप्त एजेंसी की मदद से जर्मनी, फ़्रांस सहित यूरोप में अपने क़रीबी सहयोगियों की जासूसी की

क्यों पराजित हुआ पेरिस कम्यून ?

जब पेरिस कम्यून को खून में डूबो दिया गया


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    आदिवासियों के विकास के लिए अलग धर्म संहिता की ज़रूरत- जनगणना के पहले जनजातीय नेता
    28 Apr 2022
    जनजातीय समूह मानते रहे हैं कि वे हिंदू धर्म से अलग रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करते हैं, इसलिए उन्हें अलग धर्म संहिता दी जाना चाहिए, ताकि आने वाली जनगणना में उन्हें अलग समहू के तौर पर पहचाना जा…
  • संदीप चक्रवर्ती
    कोलकाता : वामपंथी दलों ने जहांगीरपुरी में बुलडोज़र चलने और बढ़ती सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ निकाला मार्च
    28 Apr 2022
    नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर बीजेपी-आरएसएस की ताक़त बढ़ी तो वह देश को हिन्दू राष्ट्र बना देंगे जहां अल्पसंख्यकों के साथ दोयम दर्जे के नागरिक जैसा बर्ताव किया जाएगा।
  • राज वाल्मीकि
    ब्राह्मणवादी व्यवस्था ने दलितों को ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण स्त्री समुदाय को मानवाधिकारों से वंचित रखा: चौथीराम यादव
    28 Apr 2022
    पंडिता रमाबाई के परिनिर्वाण दिवस के 100 साल पूरे होने पर सफाई कर्मचारी आंदोलन ने “पंडिता रमाबाई : जीवन और संघर्ष” विषय पर कार्यक्रम किया।
  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    5 साल में रोज़गार दर 46 फ़ीसदी से घटकर हुई 40 फ़ीसदी
    28 Apr 2022
    CMIE के आंकड़ों के मुताबिक भारत की काम करने लायक़ 90 करोड़ आबादी में नौकरी और नौकरी की तलाश में केवल 36 करोड़ लोग हैं। तकरीबन 54 करोड़ आबादी रोज़गार की दुनिया से बाहर है। बेरोज़गरी के यह आंकड़ें क्या कहते…
  • राजु कुमार
    बिना अनुमति जुलूस और भड़काऊ नारों से भड़का दंगा
    28 Apr 2022
    मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी सहित आठ राजनीतिक दलों की ओर से एक प्रतिनिधि मंडल ने खरगोन के दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License