NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
‘सोचता है भारत’- क्या यूपी देश का हिस्सा नहीं है!
आप कल्पना कीजिए कि मनीष सिसोदिया की जगह बीजेपी के जेपी नड्डा या विजयवर्गीय होते और राज्य यूपी की जगह बंगाल, महाराष्ट्र या राजस्थान होता तो...
मुकुल सरल
23 Dec 2020
up manish

आप कल्पना कीजिए कि मनीष सिसोदिया की जगह बीजेपी के जेपी नड्डा या विजयवर्गीय होते और राज्य यूपी की जगह बंगाल, महाराष्ट्र या राजस्थान होता तो इस तरह रोके जाने पर कितना बवाल हो चुका होता और गृहमंत्री तक संज्ञान ले रहे होते और वहां जाने की ताल ठोक रहे होते। राज्यपाल आहत हो रहे होते, आपात बैठकें हो रही होतीं और राष्ट्रीय टेलीविजन पर डिबेट हो रही होती जिसमें बीजेपी के प्रवक्ता (एंकर समेत) उत्तेजित होकर पूछ रहे होते कि क्या बंगाल/महाराष्ट्र/राजस्थान (यूपी) भारत का हिस्सा नहीं है। सारे चैनलों के कैमरे वहां एक-एक स्कूल में लग चुके होते और दिग्गज पत्रकार प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की बखिया उधेड़ रहे होते।

लेकिन इस मसले ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। कथित नेशनल मीडिया लगभग चुप्पी साध गया। न ‘पूछता है भारत’ हुआ, न ‘टोकता है भारत’, जबकि पूछा ही जाना चाहिए- इतना सन्नाटा क्यों है भाई! हालांकि मैं जानता हूं कि यह कवायद भी बीजेपी और आप के बीच नूरा कुश्ती से ज़्यादा कुछ नहीं। लेकिन सवाल लोकतांत्रिक और संवैधानिक व्यवस्था का है। नियम-क़ानून का है। एक राज्य के लिए आपके नियम और चिंताएं कुछ और हों, दूसरे के लिए कुछ और ऐसा नहीं हो सकता। लेकिन ये सब हो रहा है...

क्या है पूरा मामला?

दरअसल यूपी में 2022 में चुनाव हैं और आम आदमी पार्टी ने भी राज्य का चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। अब चुनाव लड़ना है तो तैयारी तो अभी से करनी होगी और उस पार्टी को तो बिल्कुल जो नई हो और जिसे उस राज्य में लगभग पहली बार लड़ना हो। अब वोट या वोट बैंक बनाने के लिए रोज़ कुछ न कुछ कवायद करनी होगी। नारे देने होंगे, वादे करने होंगे, चुनौती देनी और लेनी होगी।

यही हुआ, इसी कवायद या रवायत के मुताबिक यूपी और दिल्ली मॉडल पर बात उठी। यूपी और दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था और स्वास्थ्य की बात उठी, क्योंकि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के लिए बिजली-पानी के अलावा सरकारी स्कूल और अस्पताल को अपनी यूएसपी बताते हैं। इसलिए जब बात दिल्ली और यूपी के सरकारी स्कूलों की उठी तो यूपी के मंत्री ने दिल्ली के मंत्री को यूपी के स्कूल आकर देखने और बहस की चुनौती दे दी। और दिल्ली के शिक्षा मंत्री और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे तुरंत लपक लिया।

बातों-बातों में 22 दिसंबर की तारीख़ भी तय हो गई और मनीष सिसोदिया, अपने राज्यसभा सांसद संजय सिंह के साथ पहुंच गए उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ। लेकिन ये सब तो ज़ुबानी जंग थी। यूपी के मंत्री को कोई स्कूल नहीं दिखाना था, और दिखाते भी क्या आज की डेट में वाकई में कोई सरकारी स्कूल देखने-दिखाने लायक है भी नहीं!

ये बात मनीष सिसोदिया भी जानते थे, इसलिए जम गए, डट गए। योगी सरकार घबराई कि भाई ये तो आ पहुंचा दरवाज़े पर। रोको...रोको। सो उन्हें एक स्कूल जाते समय पुलिस ने रास्ते में रोक लिया। यहां बहस हुई। योगी सरकार की तरफ़ से यहां तैनात एक महिला पुलिस अधिकारी से सिसोदिया साहब की बहस हुई। कमिश्नर साहब से बात कराई गई। सिसोदिया जी ने फोन को स्पीकर पर डालकर बात की, क्योंकि वहां मीडिया मौजूद था। सिसोदिया जी ने कमिश्नर से पूछा कि आप दिल्ली के शिक्षामंत्री को यूपी का स्कूल देखने से कैसे रोक सकते हैं, लखनऊ में घूमने से कैसे रोक सकते हैं, किस नियम-किस धारा के तहत रोक सकते हैं। और वे तो जाएंगे आप चाहे तो अरेस्ट कर लीजिए। उस समय वहां न्यूज़ चैनलों के कैमरे थे, माइक थे, मोबाइल थे, सो खूब सीन बना। हालांकि बाद में किसी चैनल पर यह मुद्दा न बना। फिर भी सोशल मीडिया पर तो खूब वायरल हुआ या कराया गया। और केजरीवाल जी ने पलटकर योगी जी को चुनौती भी दे दी।

.@myogiadityanath

योगी जी, आपने मनीष जी को आमंत्रित करके भी अपने स्कूल नहीं दिखाए। दिल्ली के शिक्षा मंत्री और उपमुख्यमंत्री को पुलिस भेजकर UP के स्कूल देखने से रोक दिया

मैं आपको दिल्ली आमंत्रित करता हूँ। आप दिल्ली आयें। मैं आपको दिल्ली के शानदार स्कूल दिखाऊँगा। https://t.co/PgavwaNOjG

— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 22, 2020

इससे पहले मंगलवार को लखनऊ पहुंचने पर सिसोदिया गांधी भवन पहुंचे और वहां यूपी के शिक्षा मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह का इंतज़ार करते रहे। रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने अपनी बगल की कुर्सी पर सिद्धार्थ नाथ सिंह का नाम तक लिखवा दिया। लेकिन उन्हें न आना था, न आए। सिसोदिया इस बात को जानते थे, सो उन्होंने यूपी सरकार पर जमकर हमला बोला। यूपी में भी दिल्ली का शिक्षा मॉडल लागू करने की ज़रूरत बताई। पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए, कुछ सवालों पर झल्लाए भी। इसके बाद निकले लखनऊ में उतरेठिया स्थित प्राइमरी स्कूल को देखने। जिस दौरान उन्हें रास्ते में रोक दिया गया। हालांकि बाद में उनकी पार्टी ने इस स्कूल का वीडियो जारी किया।

आदित्यनाथ सरकार की पोल खुल गई @msisodia से खुली बहस करने से भागे मंत्री जी फिर स्कूल दिखाने से मना कर दिया लेकिन स्कूल का ये Video खूब Viral कीजिये आख़िर राजधानी लखनऊ का कौन सा ये स्कूल है जो आदित्यनाथ जी नही दिखाना चाहते? #डर_गया_योगी pic.twitter.com/pgbB8AlSVf

— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) December 22, 2020

 

इधर यूपी सरकार को घेरने की कोशिश हो रही थी, उधर दिल्ली में केजरीवाल सरकार को घेरने की। बीजेपी की तरफ़ से बैटिंग को उतरे चर्चित नेता कपिल मिश्रा जो एक समय आप के ही सिपाही थे। उन्होंने दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को लेकर सिसोदिया से दस सवाल दागे। 

भले ही ममता दीदी और ओवैसी की तरह बीजेपी को आप और आप को बीजेपी की चुनौती सूट करती हो, भले ही किसान आंदोलन के बीच कभी नज़रबंदी, कभी हमले की ख़बरें आती हों, ताकि कुछ इधर-उधर की बात हो सके, लेकिन फिर भी अगर कायदे की बात की जाए तो इसमें कोई हर्ज नहीं कि कोई दल शिक्षा-स्वास्थ्य, रोज़गार की बात करे। कोई दल अगर आपके प्रदेश में बिजली, पानी, सड़क, स्कूल, अस्पताल को देखने आए या मुद्दा बनाए तो इसमें कुछ भी बुरा नहीं है, चुनाव में ये मुद्दे उठने ही चाहिए, क्योंकि ये तो किसी भी सरकार की प्राथमिक ज़िम्मेदारी है। बेहद न्यूनतम। किसानों की MSP जैसा। यानी किसी कल्याणकारी राज्य में इतना तो मिलना ही चाहिए, इतना तो सबका अधिकार है और सरकार को ये सब उपलब्ध कराना उसकी उपलब्धि नहीं बल्कि ज़िम्मेदारी है, बाध्यता है। इस सबको लेकर जवाबदेही तय होनी ही चाहिए, यही लोकतंत्र का तकाज़ा है और इसमें जनता की ही भलाई है। क़ानून से परे जाकर केवल काल्पनिक लव जिहाद के ख़िलाफ़ क़ानून बना देने से किसी राज्य में रामराज्य नहीं आ जाता!

UP
education
delhi education minister
MANISH SISODIA
UP police

Related Stories

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

राय-शुमारी: आरएसएस के निशाने पर भारत की समूची गैर-वैदिक विरासत!, बौद्ध और सिख समुदाय पर भी हमला

उत्तर प्रदेश चुनाव : हौसला बढ़ाते नए संकेत!

हरदोई: क़ब्रिस्तान को भगवान ट्रस्ट की जमीन बता नहीं दफ़नाने दिया शव, 26 घंटे बाद दूसरी जगह सुपुर्द-ए-खाक़!

मध्यप्रदेश: लोकतंत्र वेंटीलेटर पर, भ्रष्टाचार आकाश और शिक्षा, रोज़गार पाताल में

लव जिहाद की कपोल कल्पनाएं क्यों? साफ़-साफ़ कहो तुम स्त्रीद्रोही हो!

प्रेम और पसंद के अधिकार पर पाबंदी के ख़िलाफ़ जिहाद बिल कलम

अयोध्या के बाद हिंदुस्तानी मुसलमान : भविष्य और चुनौतियां

प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता के लिए ओएमआर में करना होगा बदलाव

नई शिक्षा नीति से संस्थानों की स्वायत्तता पर खतरा: प्रो. कृष्ण कुमार


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई
    17 May 2022
    मुण्डका की फैक्ट्री में आगजनी में असमय मौत का शिकार बने अनेकों श्रमिकों के जिम्मेदार दिल्ली के श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर उनके इस्तीफ़े की माँग के साथ आज सुबह दिल्ली के ट्रैड यूनियन संगठनों…
  • रवि शंकर दुबे
    बढ़ती नफ़रत के बीच भाईचारे का स्तंभ 'लखनऊ का बड़ा मंगल'
    17 May 2022
    आज की तारीख़ में जब पूरा देश सांप्रादायिक हिंसा की आग में जल रहा है तो हर साल मनाया जाने वाला बड़ा मंगल लखनऊ की एक अलग ही छवि पेश करता है, जिसका अंदाज़ा आप इस पर्व के इतिहास को जानकर लगा सकते हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    यूपी : 10 लाख मनरेगा श्रमिकों को तीन-चार महीने से नहीं मिली मज़दूरी!
    17 May 2022
    यूपी में मनरेगा में सौ दिन काम करने के बाद भी श्रमिकों को तीन-चार महीने से मज़दूरी नहीं मिली है जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • सोन्या एंजेलिका डेन
    माहवारी अवकाश : वरदान या अभिशाप?
    17 May 2022
    स्पेन पहला यूरोपीय देश बन सकता है जो गंभीर माहवारी से निपटने के लिए विशेष अवकाश की घोषणा कर सकता है। जिन जगहों पर पहले ही इस तरह की छुट्टियां दी जा रही हैं, वहां महिलाओं का कहना है कि इनसे मदद मिलती…
  • अनिल अंशुमन
    झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध
    17 May 2022
    कॉपी जांच कर रहे शिक्षकों व उनके संगठनों ने, जैक के इस नए फ़रमान को तुगलकी फ़ैसला करार देकर इसके खिलाफ़ पूरे राज्य में विरोध का मोर्चा खोल रखा है। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License