NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
व्यंग्य
भारत
राजनीति
तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए जाएंगे।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
05 Jun 2022
cartoon

मैं एक देश में रहता हूं। हम सभी एक देश में ही रहते हैं। हो सकता है कुछ लोग एक से अधिक देशों में भी रहते हों पर अधिकतर लोग एक ही देश में रहते हैं। वे लोग भी रहते भले ही कितने भी देशों में हों पर वे सभी लोग भी आमतौर पर नागरिक एक ही देश के होते हैं।

जिस देश में मैं रहता हूं, जिस देश का मैं नागरिक हूं, उस देश में एक सरकार जी भी हैं। अधिकतर देशों में एक ही सरकार जी होते हैं। कुछ देश ऐसे भी होते हैं जहां एक से अधिक सरकार जी होते हैं। कुछ देशों में वहां के सरकार जी तो होते ही हैं पर साथ ही साथ अमरीका के सरकार जी, अमरीका के सरकार जी होने के साथ-साथ वहां के सरकार जी भी होते हैं। पता नहीं यह हमारा सौभाग्य है या दुर्भाग्य, हमारे साथ ऐसा नहीं है। हमारे सरकार जी सिर्फ एक ही हैं जो जब विदेश में नहीं होते हैं तब देश में ही होते हैं।

हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। बहुत सारे सरकार जी को बहुत सारे शौक होते हैं। सो हमारे सरकार जी को भी बहुत सारे शौक हैं। हमारे सरकार जी को सुंदर सुंदर अचकनें मतलब जैकेट पहनने का बहुत ही शौक है। जैकेट तो वे इतनी खूबसूरत और रंग-बिरंगी पहनते हैं कि सभी लोग, देशी या विदेशी, उन पर फिदा हैं। और खूबी यह कि सरकार जी जैकेट बदल भी पलक झपकते ही लेते हैं और वह भी दिन में चार-छह बार। लोग बाग किस्से सुनाते हैं कि किस राजा के पास हजारों जूते थे या फिर किस तानाशाह के पास सैकड़ों सूट। वर्षों बाद लोग हमारे सरकार जी को भी ऐसे ही याद किया करेंगे कि उनकी अलमारी में हजारों अचकनें टंगी रहतीं थीं।

सरकार जी सिर्फ अचकनों यानी जैकेटों के लिए ही याद नहीं किए जाएंगे अपितु अपनी लाखों की घड़ियों, ऐनकों और कलमों के लिए भी याद किए जाएंगे। साथ ही साथ विभिन्न प्रकार की टोपियों, शानदार शालों और खाने में महंगे मशरूम के लिए भी जाने जाएंगे। भविष्य में लोग बाग कहानियां सुनाया करेंगे कि उस जमाने के सरकार जी बहुत ही शौकीन मिजाज थे। क्या महंगी महंगी घड़ियां पहनते थे। क्या जानदार गोगल्स लगाते थे। और पेन तो ऐसा कि उसको जेब से निकालने का, उसको इस्तेमाल करने का, उससे कुछ लिखने का मन ही न करे। लोग अपने बच्चों को सरकार जी के सूट की कहानी भी सुनायेंगे कि कैसे सरकार जी ने एक बार ऐसा सूट पहना था कि विश्व के सबसे अमीर देश का सरकार जी भी बस उन्हें निहारता रह गया, एकटक देखता रह गया।

ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए जाएंगे। उनका एक प्रसिद्ध कथन है, 'झूठ बोलो, झूठ बोलो, बार बार झूठ बोलो'। सरकार जी ने यह न सिर्फ कहा है, बल्कि इसे अपने जीवन में भी बखूबी उतारा। उन्होंने इस कथन को पूरी तरह से जिया है। और उन्होंने ही नहीं, उनके सभी मंत्रियों, प्रवक्ताओं और फोलोवर्स ने भी सरकार जी के इस झूठ बोलने के मंत्र को पूरी तरह फोलो किया।

सरकार जी का एक और कथन है, जिसे देश की जनता, देश का समाज हमेशा याद रखेगा। वह यह कि 'हिप्पोक्रेसी की भी सीमा होती है'। लेकिन हिप्पोक्रेसी की यह सीमा समाज ने नहीं, किसी और ने नहीं, अपने लिए हिप्पोक्रेसी की सीमा सरकार जी ने अपने आप ही फिक्स की है। पर एक बार जो सीमा सरकार जी ने बनाई है, सरकार जी ने उसे कभी नहीं लांघा है। वह सीमा बनाई ही ऐसी गई है कि कितना भी पाखंड कर लो, कितनी भी हिप्पोक्रेसी कर लो, लंघती ही नहीं है।

खैर ये सब तो बेकार की, मजाक की बातें हैं। असली बात तो यह है कि सरकार जी ने काम भी बहुत से किए। आठ वर्षों में सरकार जी ने इतने काम किए कि काम करने के चक्कर में रात रात भर जागते रहते हैं, सोते तक नहीं हैं। जब सरकार जी ने जरा ज्यादा ही काम कर लिए तो जनता ने भी रात को सोना छोड़ दिया। जनता को भी अनिंद्रा की बीमारी हो गई। जनता की नींद पहले तो नोटबंदी ने हरी। वह इतना महान और ऐतिहासिक काम था कि सरकार जी भी अब उसको याद नहीं करते हैं। नोटबंदी की बरसी भी नहीं मनाते हैं। हां! जनता जरूर उसे याद करती है, याद रखती है।

नोटबंदी एक चीज हो तो याद रखी जाए। नोटबंदी के बाद जीएसटी, फिर लॉकडाउन। अब महंगाई, बेरोज़गारी। सरकार जी के काल में जनता की नींद उड़ाने के लिए एक चीज हो तो बताई जाए। एक चीज को भूलते हैं तो दूसरी चीज आ जाती है, नींद उड़ाने के लिए। सरकार जी के कम सोने की बात तो इतिहास में जरूर लिखी जाएगी पर जनता के कम सोने की बात इतिहास में कौन लिखेगा? इतिहास तो राजाओं और सरकार जीयों का ही लिखा जाता है। जनता का इतिहास कौन लिखेगा?

(व्यंग्य स्तंभ ‘तिरछी नज़र’ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
Narendra modi
8 years of Modi government

Related Stories

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

तिरछी नज़र: 2047 की बात है

कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 

ताजमहल किसे चाहिए— ऐ नफ़रत तू ज़िंदाबाद!

तिरछी नज़र: ...ओह माई गॉड!

कटाक्ष: एक निशान, अलग-अलग विधान, फिर भी नया इंडिया महान!

तिरछी नज़र: हम सहनशील तो हैं, पर इतने भी नहीं

कटाक्ष : बुलडोज़र के डंके में बज रहा है भारत का डंका


बाकी खबरें

  • श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर के विवाद में बदला गयाः सीपीएम
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर के विवाद में बदला गयाः सीपीएम
    18 May 2022
    उत्तर प्रदेश सीपीआई-एम का कहना है कि सभी सेकुलर ताकतों को ऐसी परिस्थिति में खुलकर आरएसएस, भाजपा, विहिप आदि के इस एजेंडे के खिलाफ तथा साथ ही योगी-मोदी सरकार की विफलताओं एवं जन समस्याओं जैसे महंगाई, …
  • buld
    काशिफ़ काकवी
    मध्य प्रदेश : खरगोन हिंसा के एक महीने बाद नीमच में दो समुदायों के बीच टकराव
    18 May 2022
    टकराव की यह घटना तब हुई, जब एक भीड़ ने एक मस्जिद को आग लगा दी, और इससे कुछ घंटे पहले ही कई शताब्दी पुरानी दरगाह की दीवार पर हनुमान की मूर्ति स्थापित कर दी गई थी।
  • russia
    शारिब अहमद खान
    उथल-पुथल: राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से जूझता विश्व  
    18 May 2022
    चाहे वह रूस-यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध हो या श्रीलंका में चल रहा संकट, पाकिस्तान में चल रही राजनीतिक अस्थिरता हो या फिर अफ्रीकी देशों में हो रहा सैन्य तख़्तापलट, वैश्विक स्तर पर हर ओर अस्थिरता बढ़ती…
  • Aisa
    असद रिज़वी
    लखनऊ: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत के साथ आए कई छात्र संगठन, विवि गेट पर प्रदर्शन
    18 May 2022
    छात्रों ने मांग की है कि प्रोफ़ेसर रविकांत चंदन पर लिखी गई एफ़आईआर को रद्द किया जाये और आरोपी छात्र संगठन एबीवीपी पर क़ानूनी और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाये।
  • food
    रश्मि सहगल
    अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?
    18 May 2022
    कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का कहना है कि आज पहले की तरह ही कमोडिटी ट्रेडिंग, बड़े पैमाने पर सट्टेबाज़ी और व्यापार की अनुचित शर्तें ही खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों के पीछे की वजह हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License