NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
तिरछी नज़र: आज रात बारह बजे के बाद देश में हॅंसना मना है
जिन्हें हॅंसना है, जितना हॅंसना है, ग्यारह बज कर उनसठ मिनट उनसठ सेकेंड तक हॅंस लें। उसके बाद हॅंसना राजाज्ञ्या से मना हो जायेगा। हुक्म की तामील न करने वाले को देशद्रोह की सजा सुनाई जायेगी।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
04 Jul 2021
तिरछी नज़र: आज रात बारह बजे के बाद देश में हॅंसना मना है
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : Times of India

अब राजा ने हुक्म दे दिया है कि रात को बारह बजे के बाद देश में हॅंसना मना है। उन्होंने राष्ट्र के नाम सायं आठ बजे संदेश दिया कि रात बारह बजे के बाद हॅंसना मना है। जिन्हें हॅंसना है, जितना हॅंसना है, ग्यारह बज कर उनसठ मिनट उनसठ सेकेंड तक हॅंस लें। उसके बाद जैसे ही राजा के महल का घंटा बारह बार बज कर बारह बजने की घोषणा करेगा, हॅंसना राजाज्ञ्या से मना हो जायेगा। हुक्म की तामील न करने वाले को देशद्रोह की सजा सुनाई जायेगी।

शहरों के कोतवालों ने, जिलों के जिलाधिकारियों ने इस बात की पूरी तैयारी कर ली कि राजा के हुक्म की तामील हो। उन्होंने घोषणा करवा दी कि लोग हॅंसते हुए न दिखें। अगर हॅंसें भी तो अकेले में हॅंसें। किसी के भी सामने न हॅंसें। अपने घरों के दरवाजे-खिड़की बंद कर लें जिससे हॅंसने की आवाज़ बाहर न निकले। पर्दे भी लगवा लें जिससे हॅंसते हुए किसी को भी न दिखें।

आटोरिक्शा पर लाउडस्पीकर लगा कर जोर जोर से घोषणा हुई कि राजा के हुक्म से हॅंसना मना है। टीवी, रेडियो पर हास्य रस की फिल्मों, सीरियलों  और अन्य कार्यक्रमों के प्रसारण पर रोक लगा दी गई। सिनेमाघरों में हास्य फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई। अखबारों और पत्रिकाओं में कार्टून छापने पर भी रोक लगा दी गई। यानी राजा के हुक्म से इस बात का पूरा प्रबंध कर दिया गया कि लोग ज़रा भी न हॅंसें।

माहौल भी हॅंसने लायक कहाँ था। बेरोज़गारी थी, ग़रीबी थी और उस पर रोज़ रोज़ बढ़ती मंहगाई थी। बीमारी थी और लोग रोज बीमारी से मर रहे थे। ऐसे में हॅंसना वास्तव में ही साहस का काम था। पर फिर भी लोग हॅंस कर गम गलत कर लेते थे। पर अब जब राजा का हुक्म आ गया था कि हॅंसना मना है तो लोगों ने हॅंसना भी बंद कर दिया था। अब लोगों के पास से अपने दुख दूर करने का यह एक साधन भी छीन लिया गया था। पर फिर भी लोग राजा के साथ थे क्योंकि उन्हें लगता था कि राजा ने हॅंसना इसीलिए मना किया है कि बेकारी है, बेचारगी है, गरीबी है, मंहगाई है, बीमारी है और बीमारी से मौत भी है। राजा को भी लग रहा होगा कि लोग हॅंसें तो कैसे हॅंसें। तो राजा ने हॅंसना ही मना कर दिया है।

पर फिर भी कुछ सिरफिरे हॅंस ही पड़ते थे। वे पकड़े जाते थे। उन पर देशद्रोह का इल्ज़ाम लगता था और उन्हें जेल में डाल दिया जाता था। वे सालों जेल में सड़ते रहते थे। न उन पर मुकदमा शुरू होता था, और न ही कोई सुनवाई। ऐसे ही चल रहा था कि एक दिन जेल में एक ऐसा कैदी आया जो हॅंसे ही हॅंसे जा रहा था। न कुछ कह रहा था और न ही कुछ कर रहा था, बस हॅंसता ही हॅंसता जा रहा था।

वह कैदी जब से जेल में आया था, उसने न तो कुछ खाया था और न ही कुछ पीया था। उसने किसी से कोई बात भी नहीं की थी। वह बस हॅंसे ही हॅंसे जा रहा था। उसकी हॅंसी की बात ही कुछ और थी। जो लोग हॅंसने के जुर्म में जेल में बंद थे उनकी बात तो छोड़ो, उस कैदी को देख वे कैदी भी हॅंसने लगे जो किन्हीं और जुर्मों की वजह से जेल में बंद थे। अब तो जेल में सारे के सारे कैदी हॅंस रहे थे। 

राजा तक यह खबर पहुंचाई गई। खबर सुनकर राजा को चिंता हुई। ऐसे तो सब हॅंसने लगेंगे। राज्य में कोई अनुशासन ही नहीं रहेगा। राजा ने फ़रमान जारी किया कि उस कैदी को अविलंब फांसी पर लटका दिया जाये। देर की गई तो लोगों के मन से कानून का डर ही जाता रहेगा और जल्द ही सारा का सारा देश हॅंसने लगेगा। उसको फांसी देना लोगों के लिए उदाहरण बनेगा और लोग हुक्म अदूली नहीं करेंगे। जो लोग अब भी हॅंसते हैं, हॅंसना बंद कर देंगे।

राजा का हुक्म था। उस बेतहाशा हॅंसने वाले को फांसी के फंदे तक ले जाया गया। फांसी से पहले डॉक्टर ने चैक किया। राज्य का कानून था, आम आदमी भले ही बीमार रहे या बीमारी से मरे पर जिसे सरकार मारे उसे कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए। डॉक्टर ने चैक कर बताया कि वह आदमी तो बीमार है। हफ्तों से खाना न खाने के कारण उसका पेट और आंतें सिकुड़ गई हैं। पेट पीठ से चिपक गया है। उसकी फांसी टल गई।

राजा की आज्ञा से उस को गेहूँ और चावल खिलाया गया। और हां! साथ में चने की दाल भी। राजा की निगाह में जनता के लिए यही खाना खाना था। राजा राजा था, वह पनीर और मशरूम खाता था पर जनता तो जनता थी। तो उस हॅंसने वाले के मुँह में गेहूँ चावल और चने की दाल ठूंस ठूंस कर खिलाई गई। कुछ दिनों में वह फिर से फांसी के लिये तैयार था।

उसे फिर से फांसी के फंदे तक ले जाया गया। वह अब भी हॅंस रहा था, बेतहाशा हॅंस रहा था। उसकी फिर से डॉक्टरी जांच हुई। डॉक्टर ने बताया कि वह तो पागल हो गया है। सदमे से पागल हो गया है। उसकी नौकरी छूट गई थी। मां-बाप, भाई-बहन सभी बीमारी से मर गये थे। वह पागल है और पागल आदमी को तो फांसी नहीं दे सकते। राजा को बड़ी कोफ्त हुई। उसने निश्चय किया कि अगली बार दरबार सजते ही बीमार को फांसी नहीं देने के कानून को रद्द कर दिया जायेगा।

खैर उस हॅंसने वाले व्यक्ति को, जो अब पागल घोषित हो चुका था, पागलखाने भेज दिया गया। वह वहाँ भी बेतहाशा हॅंसता था। उसे देख सभी पागलों को भी हॅंसी का दौरा पड़ने लगा। जो पागल पहले दिन भर रोते रहते थे वे भी अब हॅंसते हॅंसते पागल होने लगे। हॅंसते हॅंसते पागलों के पेट दुख जाते पर हॅंसी का दौरा समाप्त नहीं होता था। उस हॅंसोड़ देशद्रोही और पागल की वजह से पहले जेल में और अब पागलखाने में हॅंसी के फव्वारे छूटने लगे थे। 

अब जो भी जेल से छूट कर बाहर आता या फिर पागलखाने से ठीक हो कर आता, वह हॅंसने की  बीमारी साथ लेकर आता। धीरे धीरे हॅंसने की आवाज़ बंद घरों की खिड़कियों और दरवाजों से बाहर निकलने लगी। बंद खिड़कियां और दरवाजे खुलने लगे। लोग खिलखिलाने लगे। ठहाके लगाने लगे। सड़कों पर भी लोग दिल खोल कर हॅंसने लगे। लोगों को अब हॅंसने की बीमारी हो गई थी। लोग समझ चुके थे राजा को लोगों का हॅंसना इसलिए नापसंद नहीं है कि राज्य में बेकारी है, गरीबी है, मंहगाई है, बीमारी है बल्कि राजा को लोगों का हॅंसना इसलिए नापसंद है कि लोग जब भी हॅंसते हैं तो राजा को लगता है कि लोग उसी पर हॅंस रहे हैं।

पर राजा का हुक्म अभी भी चल रहा है। ढिंढोरची मुनादी कर रहे हैं।

दुनिया भगवान राम की, राज्य राजा का।

और राजा के हुक्म से आम जनता को सूचना दी जाती है कि सभी खबरदार रहें। सभी खासो-आम को आगाह किया जाता है कि हॅंसना मना है। अपने घरों के दरवाजे-खिड़कियां बंद कर लें जिससे कि हॅंसने की आवाज़ बाहर न निकले। हॅंसाने वाली फिल्में और टीवी सीरियल देखने दिखाने की भी मनाही है। चुटकुले पढ़ने-पढा़ने, सुनने-सुनाने भी निषेध हैं। सभी खासो-आम को सूचना दी जाती है कि आदेश का पालन न करने वाले पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

राजा का हुक्म है....कि हुक्म अदूली न की जाए।

(व्यंग्य स्तंभ ‘तिरछी नज़र’ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
Narendra modi
Modi government
BJP

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद

हिजाब बनाम परचम: मजाज़ साहब के नाम खुली चिट्ठी

उर्दू पत्रकारिता : 200 सालों का सफ़र और चुनौतियां

तिरछी नज़र: सरकार-जी, बम केवल साइकिल में ही नहीं लगता

विज्ञापन की महिमा: अगर विज्ञापन न होते तो हमें विकास दिखाई ही न देता

तिरछी नज़र: बजट इस साल का; बात पच्चीस साल की

…सब कुछ ठीक-ठाक है

तिरछी नज़र: ‘ज़िंदा लौट आए’ मतलब लौट के...

राय-शुमारी: आरएसएस के निशाने पर भारत की समूची गैर-वैदिक विरासत!, बौद्ध और सिख समुदाय पर भी हमला

बना रहे रस: वे बनारस से उसकी आत्मा छीनना चाहते हैं


बाकी खबरें

  • रवि शंकर दुबे
    प्रभात हत्याकांड: बढ़ सकती हैं अजय मिश्र टेनी की मुश्किलें
    09 May 2022
    केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। अब 22 साल पुराने प्रभात गुप्ता हत्याकांड पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने आख़िरी तारीख़ दे दी है।
  • कांचा इलैया शेफर्ड
    भारत में सामाजिक सुधार और महिलाओं का बौद्धिक विद्रोह
    09 May 2022
    ब्राह्मण महिला बुद्धिजीवियों द्वारा हाल में लिखी गई दो किताबें जाति आधारित व्यवस्था की जड़ों पर तीखा प्रहार किया है, उन्होंने बताया है कि कैसे परिवारों के भीतर इस व्यवस्था के लिए तैयारी की जाती है,…
  • सरोजिनी बिष्ट
    ग्राउंड रिपोर्ट: स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रचार में मस्त यूपी सरकार, वेंटिलेटर पर लेटे सरकारी अस्पताल
    09 May 2022
    एक तरफ़ योगी सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने का प्रचार कर रही है। वहीं दूसरी तरफ़ की तस्वीरें कुछ और ही कह रही हैं। आइए उत्तर प्रदेश की राजधानी में स्थित बड़े सरकारी अस्पतालों की…
  • सरिता पांडेय वाशिंगटन, DC
    भारत में ‘वेंटिलेटर पर रखी प्रेस स्वतंत्रता’, क्या कहते हैं वैकल्पिक मीडिया के पत्रकार?
    09 May 2022
    RSF की प्रेस फ़्रीडम रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रेस की स्वतंत्रता(रैंक-150) का रिकॉर्ड अब इतना खराब है कि यह युगांडा (132) रवांडा (136), क़ज़ाकिस्तान (122), उज़्बेकिस्तान (133) और नाइज़ीरिया (129…
  • भाषा
    अतिक्रमण रोधी अभियान: बुलडोजर के साथ अधिकारी शाहीन बाग पहुंचे, स्थानीय लोगों ने किया प्रदर्शन
    09 May 2022
    पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "अतिक्रमण रोधी अभियान चलाया जा रहा है, वहां पुलिस बल तैनात किया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि सुनिश्चित किया जाए कि संबंधित नगर निकाय बिना किसी परेशानी के और…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License