NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
व्यंग्य
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
तिरछी नज़र: बजट इस साल का; बात पच्चीस साल की
इस बजट में गरीबों का, किसानों का, मजदूरों का, बेरोजगारों का, सभी का ध्यान रखा गया है। सब का यह ध्यान रखा गया है कि उन्हें गलती से भी कुछ न मिले और अगर मिले भी तो कम से कम मिले। 
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
06 Feb 2022
budget

इस बार का बजट बहुत ही विकासोन्मुखी है। बहुत ही अधिक अच्छा बजट है। यह बजट पिछले सभी बजटों से अच्छा है, पिछले वर्ष के बजट से भी अच्छा। अगला बजट भी पिछले सभी बजटों से अच्छा ही होगा, इस वर्ष के बजट से भी अच्छा। ऐसा हर वर्ष होता है कि नये वर्ष का बजट पिछले वर्ष के बजट से अच्छा होता है। यह बजट इतना अच्छा कि इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। फिर भी हम इसे शब्दों में बयान करने की कोशिश करते हैं।

इस बजट में गरीबों का, किसानों का, मजदूरों का, बेरोजगारों का, सभी का ध्यान रखा गया है। सब का यह ध्यान रखा गया है कि उन्हें गलती से भी कुछ न मिले और अगर मिले भी तो कम से कम मिले। वैसे जब से सरकार जी द्वारा नियुक्त वित्त मंत्री जी बजट पेश करती हैं तो उसमें गलती होती ही कहां है। सरकार जी और उनके मंत्रियों से गलती होने की गुंजाइश तो है ही नहीं।

सबसे पहले किसानों की बात करते हैं। सरकार जी किसानों को पहले ही इतना कुछ दे चुके हैं कि उन्होंने सोचा कि इस बार कुछ भी नहीं दिया जाये। वैसे भी सरकार जी किसानों को ऐसी चीज देते हैं जो किसानों को आसानी से समझ आ जाती है। हालांकि सरकार जी समझते हैं कि किसान समझे ही नहीं हैं। पहले तीन कानून दिए थे जो किसानों को समझ आ गए और इसीलिए सरकार जी को वापस लेने पड़े, माफी मांगनी पड़ी। सरकार जी ने किसानों से माफी मांगी थी, यह बात वित्त मंत्री महोदया बिल्कुल भी नहीं भूली हैं। तो इसीलिए इस बार किसानों को कुछ भी ऐसा नहीं दिया गया है जिसे किसान भाई समझ सकें। इस बजट में किसानों को ड्रोन से खेती करने की सौगात दी गई है। किसानों को समझ ही नहीं आ रहा है कि यह सौगात क्यों है और कौन से किसानों के लिए है जो ड्रोन से खेती करेंगे।

गरीबों के लिए? गरीबों के लिए इस बजट में बहुत कुछ है। मोबाइल फोन का चार्जर उन्हीं के लिए सस्ता किया गया है। अमीर आदमी तो पूरा का पूरा मोबाइल फोन ही खरीदता है और उसे तो चार्जर मुफ्त में ही मिल जाता है। हां! गरीब भाई जरूर मोबाइल फोन का चार्जर इसी वर्ष खरीद कर रख सकते हैं। मोबाइल फोन कभी बाद में, किसी और वर्ष खरीद लेना। वैसे भी गरीबों की गरीबी दूर होनी भी नहीं चाहिए। अगर गरीबों की गरीबी दूर हो गई तो सरकार जी अपनी फोटो लगे झोले में मुफ्त का अनाज किसे बांटेंगे। फोटो लगे झोले में मुफ्त का अनाज बांटने के प्रयोग का परिणाम तो दस मार्च को ही आयेगा और बजट आ गया है एक फरवरी को ही। इसीलिए इस बजट में गरीबों के लिए कुछ भी नहीं है। अब गरीबों के बारे में तो दस मार्च के बाद ही सोचा जाएगा कि आगे उन्हें अपने फोटो लगे झोले में मुफ्त का अनाज देना है या नहीं।

मजदूरों के लिए तो बजट में कभी भी कुछ भी होता ही नहीं है। सरकार जी मालिकों को ही दे देते हैं कि वे ही मजदूरों को दे दें। सभी सरकारें ऐसा ही करती हैं। तो सरकार जी के वित्त मंत्री जी ने भी ऐसा ही किया। वैसे भी सरकार जी को मजदूरी वजदूरी जरा भी पसंद नहीं है। बकौल सरकार जी ही, उन्होंने पैंतीस चालीस साल भिक्षा मांग कर गुजारा कर लिया पर मजदूरी बिल्कुल नहीं की। तो उनसे मजदूरों के लिए अपेक्षा करना भी गलत है। जब मजदूरों को अपेक्षा ही नहीं है तो बजट में भी उनकी उपेक्षा ही हुई।

बेरोजगारों के लिए बजट में बहुत कुछ है। 22-23 में साठ लाख बेरोजगारों को बारोजगार बनाया जायेगा। रोजगार देने से पहले सरकार लाठी चार्ज कर अभ्यार्थियों/परीक्षार्थियों की परीक्षा ले लेगी कि उनमें सहनशक्ति कितनी है। इस लाठी चार्ज की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए सात लाख लोगों को तो सरकार रोजगार दे देगी और बाकी के बचे तिरेपन लाख लोगों के लिए सरकार स्वरोजगार के अवसर पैदा करेगी। इन स्वरोजगारों में भव्य मंदिरों के बाहर पकौड़े तलने, प्रसाद बनाने और भिक्षाटन को प्रमुखता दी जाएगी। सरकारी नौकरी में बहुत खतरा है। सरकारी विभागों और उपक्रमों में न जाने कब छंटनी करनी पड़ जाए, न जाने कब उनका निजीकरण हो जाए और न जाने कब नौकरी छूट जाए। इसीलिए युवाओं को जहां तक हो सके सरकारी रोजगार से वंचित रखा जा रहा है। इसमें युवाओं का ही भला है।

मिडिल क्लास यानी मध्य वर्ग को यह शिकायत है कि उसके लिए इस बजट में कुछ नहीं है। अरे! मध्य वर्ग अभी तक बचा हुआ है? अगर बचा है, जितना भी बचा हुआ है, तो सरकार जी ने उसे बचने दिया है, क्या यही कम है। बचा कुचा मिडिल क्लास अहसान माने कि सरकार जी ने उसे नहीं छूआ है। नहीं तो पिछले साल मध्य वर्ग के करोड़ों लोग मध्य वर्ग से फिसल गये, गरीब बन गए। सरकार जी को दो चार साल और रहने दो, बचा कुचा मध्य वर्ग भी बचा नहीं रहेगा। फिर बजट में उसे कुछ न देने की शिकायत भी नहीं रहेगी।

लोग कह रहे हैं कि बाकी सबको नहीं मिला तो क्या हुआ, कॉरपोरेट को भी तो कुछ नहीं मिला। भाई, कॉरपोरेट को बजट में नहीं, बजट के बाद मिलता है। उनके लिए तो पूरा साल ही बजट है। फिर भी ये जो पच्चीस हजार किलोमीटर हाईवे बनेंगे, चार सौ वंदे भारत ट्रेनें चलेंगी, इन्हें बनने के बाद कौन चलाएगा? ये काॅरपोरेट ही तो न। ये अडानी-अंबानी ही तो न। उनको ही तो मिलेंगी ये सब। वैसे भी उनको तो पूरा साल मिलता रहेगा, बजट के बाद भी मिलेगा। उनका तो लोन भी माफ होगा, बजट के बाद ही होगा। उनकेे लिए तो सारा का सारा देश हाजिर है। जहां चाहे, जिस पर चाहे हाथ रख दें, वही उनका है। उनके लिए तो सरकार साल भर बजट पेश करती ही रहती है। यह बजट तो बाकी जनता के लिए है। जनता के लिए तो बजट साल में एक ही बार आता है।

यह बजट ऐतिहासिक है। सरकार जी के सभी बजट ऐतिहासिक रहे हैं। और बजट ही क्यों, सरकार जी के सभी काम एतिहासिक रहे हैं। यह बजट इसलिए ऐतिहासिक है क्योंकि इस 2022-23 के वार्षिक लेखा जोखा को प्रस्तुत करते हुए अगले पच्चीस वर्ष का ध्यान रखा गया है। इससे पहले 2015 के बजट भाषण में 2022 की बात की गई थी, सात साल बाद का सपना दिखाया गया था। और अब पच्चीस साल बाद का सपना दिखाया जा रहा है। आजादी के सौ वर्ष बाद का सपना दिखाया जा रहा है। क्या यह अभूतपूर्व नहीं है कि अगले वर्ष क्या होगा, क्या मिलेगा, पता नहीं, पर पच्चीस वर्ष बाद क्या मिलेगा, बजट में यह बताया जा रहा है।

लेखक पेशे से चिकित्सक हैं। 

tirchi nazar
Satire
Political satire
Budget 2022-23
union budget
Nirmala Sitharaman
Modi government

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

तिरछी नज़र: 2047 की बात है

कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 

ताजमहल किसे चाहिए— ऐ नफ़रत तू ज़िंदाबाद!

तिरछी नज़र: ...ओह माई गॉड!

कटाक्ष: एक निशान, अलग-अलग विधान, फिर भी नया इंडिया महान!

तिरछी नज़र: हम सहनशील तो हैं, पर इतने भी नहीं


बाकी खबरें

  • आज का कार्टून
    आम आदमी जाए तो कहाँ जाए!
    05 May 2022
    महंगाई की मार भी गज़ब होती है। अगर महंगाई को नियंत्रित न किया जाए तो मार आम आदमी पर पड़ती है और अगर महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश की जाए तब भी मार आम आदमी पर पड़ती है।
  • एस एन साहू 
    श्रम मुद्दों पर भारतीय इतिहास और संविधान सभा के परिप्रेक्ष्य
    05 May 2022
    प्रगतिशील तरीके से श्रम मुद्दों को उठाने का भारत का रिकॉर्ड मई दिवस 1 मई,1891 को अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरूआत से पहले का है।
  • विजय विनीत
    मिड-डे मील में व्यवस्था के बाद कैंसर से जंग लड़ने वाले पूर्वांचल के जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल के साथ 'उम्मीदों की मौत'
    05 May 2022
    जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल की प्राण रक्षा के लिए न मोदी-योगी सरकार आगे आई और न ही नौकरशाही। नतीजा, पत्रकार पवन जायसवाल के मौत की चीख़ बनारस के एक निजी अस्पताल में गूंजी और आंसू बहकर सामने आई।
  • सुकुमार मुरलीधरन
    भारतीय मीडिया : बेड़ियों में जकड़ा और जासूसी का शिकार
    05 May 2022
    विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय मीडिया पर लागू किए जा रहे नागवार नये नियमों और ख़ासकर डिजिटल डोमेन में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों की एक जांच-पड़ताल।
  • ज़ाहिद ख़ान
    नौशाद : जिनके संगीत में मिट्टी की सुगंध और ज़िंदगी की शक्ल थी
    05 May 2022
    नौशाद, हिंदी सिनेमा के ऐसे जगमगाते सितारे हैं, जो अपने संगीत से आज भी दिलों को मुनव्वर करते हैं। नौशाद की पुण्यतिथि पर पेश है उनके जीवन और काम से जुड़ी बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License