NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
व्यंग्य
भारत
राजनीति
लीजिए विकास फिर से शुरू हो गया है, अब ख़ुश!
ये एक सौ तीस-चालीस दिन बहुत ही बेचैनी में गुजरे। पहले तो अच्छा लगा कि पेट्रोल डीज़ल की कीमत बढ़ नहीं रही हैं। पर फिर हुई बेचैनी शुरू। लगा जैसे कि हम अनाथ ही हो गये हैं। जैसे कि देश में सरकार ही नहीं है। जैसे कि देश में विकास ही नहीं हो रहा है।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
27 Mar 2022
cartoon

देश में विकास फिर से शुरू हो गया है। पिछले लगभग एक सौ चालीस दिन से देश में विकास ठप्प था। मतलब बीस हफ्ते से, लगभग साढ़े चार महीने से अधिक समय से विकास ठप्प था और हम चुप बैठे थे। निश्चिंत थे। बिना विकास के हाथ पर हाथ रखे बैठे थे।

उधर पूरे विश्व में विकास हो रहा था। कच्चे तेल के भाव आसमान छू रहे थे। विश्व के सभी देशों में पेट्रोल के, डीजल के दाम बढ़ रहे थे और हम, हम फिसड्डी के फिसड्डी बने बैठे थे। लगता था जैसे कि देश में सरकार नाम की कोई चीज ही नहीं है, जो थोड़ा महंगाई बढ़ा लोगों में आत्मविश्वास लाए। लगता था जैसे सरकार जी ही नहीं हैं जो लोगों को गरीबी में भी अमीरों का महंगा जीवन जीने का सुख पहुंचाएं। जीवन बिल्कुल नीरस हो गया था। सुबह सुबह अखबार पढ़ने की आदत भी छूटने लगी थी। पेट्रोल डीजल और रसोई गैस के दाम तो वहीं के वहीं थे। अखबार में पढ़ें भी तो क्या पढ़ें।

इधर हमारे देश में विकास थमा हुआ था और उधर हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में विकास दिन दूना, रात चौगुना हो रहा था। हमारे यहां तो पेट्रोल की कीमत वही पिच्चानवें और सौ के बीच अटकी हुई थी और पाकिस्तान में एक सौ पचास को भी पार कर गईं थी। बात बात पर पाकिस्तान से तुलना करने वाले अब विकास के मामले में चुप्पी साधे बैठे थे। बात बात पर लोगों को पाकिस्तान भेजने वाले भी अब पाकिस्तान भेजने की बात नहीं कर रहे थे। पाकिस्तान भी हमारे से अधिक विकसित जो हो गया था। वहां पेट्रोल और डीजल एक सौ पचास के पार जो हो गया था।

और उधर दक्षिण में एक और पड़ोसी देश है, श्रीलंका। वहां की जनता तो बहुत ही खराब है, बहुत ही अहसानफरामोश। अपने सरकार जी की जरा सी भी इज्जत नहीं करती है। महंगाई के खिलाफ, पेट्रोल और डीजल की कीमतों के खिलाफ आन्दोलन कर रही है, विरोध प्रदर्शन कर रही है। सरकार के खिलाफ विद्रोह कर रही है। और क्यों? क्योंकि वहां पेट्रोल की कीमतें बढ़ रहीं हैं। अरे भाई, कुछ हमसे ही सीख लेते। यहां हम चिंता में हैं कि पेट्रोल डीजल और रसोई गैस की कीमत बढ़ क्यों नहीं रही हैं। विकास क्यों नहीं हो रहा है। और तुम चिंता में हो कि कीमतें बढ़ क्यों रही हैं। क्यों भाई, तुम्हें विकास नहीं चाहिए क्या? या फिर तुम्हारे देश में विकास बिना महंगाई के हो जाता है। अगर हां, तो अजीब देश है तुम्हारा।

ये एक सौ तीस चालीस दिन बहुत ही बेचैनी में गुजरे। पहले तो अच्छा लगा कि पेट्रोल डीजल की कीमत बढ़ नहीं रही हैं। पर फिर हुई बेचैनी शुरू। लगा जैसे कि हम अनाथ ही हो गये हैं। जैसे कि देश में सरकार ही नहीं है। जैसे कि देश में विकास ही नहीं हो रहा है। जैसे कि देश में अब एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन बिकने बंद हो जायेंगे। जैसे कि अब एलआईसी नहीं बिकेगी। जैसे कि देश में अब डिसइन्वेस्टमेंट बंद हो, इन्वेस्टमेंट शुरू हो जायेगा। 

जब इतने दिनों तक पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतें नहीं बढ़ीं तो लगा कि जैसे देश में मुफ्त में लगने वाले टीके बंद ही हो जायेंगे। अभी महीने भर पहले ही श्रीमती जी चिंतित हो रहीं थीं। बोल रहीं थीं कि हे राम, ये देश को क्या हो गया है! पेट्रोल, डीजल की कीमत बढ़ ही नहीं रही हैं। गैस सिलेंडर की कीमत भी स्थिर है। क्या अब बूस्टर डोज के पैसे देने पड़ेंगे? मैंने समझाया, हे भाग्यवान! जरा समझो। अगर पेट्रोल डीजल और रसोई गैस की कीमत स्थिर रहीं तो जितना हमें टीके पर खर्च करना पड़ेगा उतना तो हम दस पंद्रह दिन में ही बचा लेंगे। वैसे भी चिंता मत करो। हमें नसीब वाले सरकार जी मिले हैं। चुनाव खत्म हो जाने दो। पेट्रोल डीजल और रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी होगी और हमें टीका मुफ्त में ही मिलेगा।

मेरा, और मेरा ही नहीं, सबका अंदाजा ठीक ही निकला। उधर चुनाव समाप्त हुए और नतीजे आए कुछ ही दिन बीते थे कि थोक में डीजल के दाम पच्चीस रुपए लीटर बढ़ गए। सुना गया कि प्राइवेट पेट्रोल पंपों ने, जिनके मालिक अंबानी थे, खुदरा खरीददारों को डीजल देना बंद ही कर दिया। मतलब अमीरों का विकास तो शुरू हो गया। पर गरीबों को विकास के लिए अभी इंतजार बाकी था। पर उन्हें भी बहुत अधिक इंतजार नहीं करना पड़ा। अब जब पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के सिलेंडर का दाम बढ़ने लगा है तो गरीब भी विकसित होने की ओर अग्रसर हो गए हैं, विकास को अनुभव करने लगे हैं। 

हम सरकार जी को गलत न समझें। यह जो महंगाई बढ़ती है, पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम बढ़ते हैं, यह विकास के लिए बढ़ते हैं। ये दाम सरकार जी बढ़ाते हैं विकास के लिए। विकास करने के लिए नहीं, विकास दिखाने के लिए। लोगों को विकास दिखता नहीं है, तो उसे दिखाने के लिए। लोगों को महंगाई एकदम से दिख जाती है परन्तु विकास सालों तक नहीं दिखता है। तो सरकार जी पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम बढ़ा देते हैं कि लो भाईयों और बहनों, विकास होने लगा। आम आदमी जब महंगा पेट्रोल खरीदने जाता है, आम औरत जब महंगा गैस का सिलेंडर भरवाती है तो खुश हो जाती है कि चलो, विकास होने लगा है। दिखे या ना दिखे, पर विकास तो हो कर ही रहेगा।

अब पेट्रोल डीजल के दाम लगातार बढ़ने लगे हैं और रसोई गैस के पंद्रह बीस दिन में। सरकार जी हैं तो उम्मीद है। उम्मीद है कि देश में महंगाई बढ़ती रहेगी और हम देश में विकास को देख नहीं, अनुभव कर सकेंगे। और उम्मीद पर ही दुनिया कायम है। और उम्मीद तो यही है कि हमारा यह विकास तब तक चलता रहेगा जब तक अगला चुनाव नहीं आयेगा। और अगला चुनाव गुजरात में आयेगा। उससे पहले तक तो विकास जारी ही रहेगा।

(‘तिरछी नज़र’ एक व्यंग्य स्तंभ है। इसके लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
Inflation
Petrol-Diesel Price Hike

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

तिरछी नज़र: 2047 की बात है

कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 

ताजमहल किसे चाहिए— ऐ नफ़रत तू ज़िंदाबाद!

तिरछी नज़र: ...ओह माई गॉड!

कटाक्ष: एक निशान, अलग-अलग विधान, फिर भी नया इंडिया महान!

तिरछी नज़र: हम सहनशील तो हैं, पर इतने भी नहीं


बाकी खबरें

  • भाषा
    कांग्रेस की ‘‘महंगाई मैराथन’’ : विजेताओं को पेट्रोल, सोयाबीन तेल और नींबू दिए गए
    30 Apr 2022
    “दौड़ के विजेताओं को ये अनूठे पुरस्कार इसलिए दिए गए ताकि कमरतोड़ महंगाई को लेकर जनता की पीड़ा सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं तक पहुंच सके”।
  • भाषा
    मप्र : बोर्ड परीक्षा में असफल होने के बाद दो छात्राओं ने ख़ुदकुशी की
    30 Apr 2022
    मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा का परिणाम शुक्रवार को घोषित किया गया था।
  • भाषा
    पटियाला में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहीं, तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का तबादला
    30 Apr 2022
    पटियाला में काली माता मंदिर के बाहर शुक्रवार को दो समूहों के बीच झड़प के दौरान एक-दूसरे पर पथराव किया गया और स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस को हवा में गोलियां चलानी पड़ी।
  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    बर्बादी बेहाली मे भी दंगा दमन का हथकंडा!
    30 Apr 2022
    महंगाई, बेरोजगारी और सामाजिक विभाजन जैसे मसले अपने मुल्क की स्थायी समस्या हो गये हैं. ऐसे गहन संकट में अयोध्या जैसी नगरी को दंगा-फसाद में झोकने की साजिश खतरे का बड़ा संकेत है. बहुसंख्यक समुदाय के ऐसे…
  • राजा मुज़फ़्फ़र भट
    जम्मू-कश्मीर: बढ़ रहे हैं जबरन भूमि अधिग्रहण के मामले, नहीं मिल रहा उचित मुआवज़ा
    30 Apr 2022
    जम्मू कश्मीर में आम लोग नौकरशाहों के रहमोकरम पर जी रहे हैं। ग्राम स्तर तक के पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर जिला विकास परिषद सदस्य अपने अधिकारों का निर्वहन कर पाने में असमर्थ हैं क्योंकि उन्हें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License