NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
विक्रम और बेताल: 'सरकार जी' और पिंजरे में बंद तोता-मैना की कहानी
"जम्बूद्वीप के भारत खण्ड में एक समय में सरकार जी नामक राजा राज करता था। उस राजा को राज करने के अलावा और भी बहुत से काम और शौक थे। वह राजा अपनी प्रजा से अधिक पक्षियों को प्यार करता था...”।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
08 Aug 2021
विक्रम और बेताल: 'सरकार जी' और पिंजरे में बंद तोता-मैना की कहानी
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार: charlotte observer

आधी रात का समय था। अमावस्या की रात थी और श्मशान भूमि में घनघोर अंधेरा छाया हुआ था। कहीं दूर से सियारों की 'हुंआ हुंआ' की आवाजें आ रहीं थीं। ऐसे में ही राजा विक्रमादित्य एक बार फिर ऊपर पेड़ पर चढ़े और पेड़ की टहनी पर लटके बेताल को टहनी से उतार कर अपने कंधे पर लाद लिया।

विक्रमादित्य जब बेताल को अपने कंधे पर लाद कर चलने लगे तो बेताल ने कहा "राजा, तुम बहुत ही ढीठ हो। तुम ऐसे ही नहीं मानोगे। ये कठिन रास्ता आराम से कट जाए, इस लिए मैं तुम्हें जम्बूद्वीप के राजा सरकार जी के तोते-मैना की कहानी सुनाता हूं। लेकिन राजा, अगर तुमने बीच में मौन भंग किया तो मैं वापस चला जाऊंगा"।

बेताल ने कहानी शुरू की "जम्बूद्वीप के भारत खण्ड में एक समय में सरकार जी नामक राजा राज करता था। उस राजा को राज करने के अलावा और भी बहुत से काम और शौक थे। वह राजा अपनी प्रजा से अधिक पक्षियों को प्यार करता था। उसके पक्षी प्रेम के बहुत सारे प्रमाण उस समय के अभिलेखों में दर्ज हैं। उस राजा की पक्षियों के राजा मोर से अत्यधिक मित्रता थी जिसके बारे में उस समय के इतिहासकारों ने विस्तार से चर्चा की है। उस काल के भित्ति चित्रों में भी राजा सरकार जी को मोर को अपने स्वयं के हाथों से दाना खिलाते हुए दिखाया गया है।

मोर के अतिरिक्त राजा सरकार जी को तोते पालने का भी बहुत ही शौक था। सरकार जी को, सीबीआई नामक एक पालतू तोता तो अपने पूर्ववर्ती राजा से ही मिल गया था। वह तोता सरकार जी से पहले के राजा के बहुत काम आता था। पर पूर्ववर्ती राजा तोतों के उपयोग में इतना माहिर नहीं था कि ज्यादा तोते पिंजरे में बंद रखता और उनसे अधिक लाभ उठाता। पर सरकार जी इन मामलों में न सिर्फ बहुत बुद्धिमान था बल्कि तोतों को पालने और उनका लाभ उठाने में माहिर भी था।

इसलिए सरकार जी ने अधिक से अधिक तोतों को अपने राज़महल में पिंजरों में बंद कर दिया और उनसे अपने काम निकलवाने लगे। ई डी, इनकम टैक्स, एन आई ए, जैसे जो तोते पहले खुले आसमान में उड़ते थे और कभी कभी राजमहल में दाना चुगने आ जाते थे, अब पिंजरे में कैद होकर राजमहल में ही रहने लगे। जब कभी भी राजा सरकार जी को उनसे कोई काम करवाना होता तो राजा जी उन्हें पिंजरे से बाहर निकाल देते और वे तोते राजा के मन मुताबिक काम कर वापस पिंजरे में आ जाते।

राजा सरकार जी ने एस सी और ई सी जैसे आजाद तोतों को भी पिंजरे में डालने की कोशिश की। सरकार जी को बीच बीच-बीच में सफलता हासिल होती भी रही परन्तु ये अपनी प्रकृति से ही आजाद हैं इसलिए ज्यादा दिन तक पिंजरे में कैद नहीं रह पाए और सरकार जी के अथक प्रयासों के बावजूद ये अधिकतर आजाद ही बने रहे।

इन तोतों का काम बहुत ही सिम्पल था। बस राजाओं का कहना मानना। राजाओं की इच्छा को अंजाम देना। जिससे राजा खफा हो, उसके यहां जा कर खूब शोर मचाना, उसे तंग करना, उसे चोंच मारना। मतलब जैसे भी हो सके, जहां तक हो सके, उसे परेशान कर देना। राजा सरकार जी ने तो किसी को भी, जो भी सरकार जी या उनकी सरकार के थोड़ी भी खिलाफत में था, भले ही वह राजनेता था या अभिनेता, अखबार था या टीवी था, प्रिंट मीडिया था या फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में, सभी को अपने तोतों से कटवाया। पर सरकार जी को सिर्फ इतने में चैन नहीं था। उन्हें तो कुछ और चाहिए था। कुछ नया, कुछ स्पेशल।

तभी राजा सरकार जी को सुदूर पश्चिम के एक देश में एक ऐसी मैना का पता चला जो बहुत ही काम की थी। तोते अपना काम तो करते थे पर शोर भी बहुत मचाते थे। काम की सबको खबर हो जाती थी। पर यह मैना सारा काम चुपचाप कर लेती थी और किसी को कानों-कान खबर भी नहीं होती थी। जहां तोतों को अपना काम करने के लिए खुली खिड़कियों-दरवाजों की जरूरत होती थी वहीं मैना बंद खिड़की-दरवाजों से भी अंदर घुस जाती थी। उसे तो जरा से छेद की भी जरूरत नहीं होती थी, सोलिड ठोस दीवार के पार भी काम कर आती थी।

वह मैना सचमुच ही बड़े काम की चीज थी। राजा सरकार जी को ऐसी चीज की ही तलाश थी। और सबसे बड़ी बात यह थी कि वह मैना सिर्फ राजाओं को ही उपलब्ध थी। कई देशों के राजा उस मैना को खरीद चुके थे। महंगी थी पर राजाओं को अपनी जरूरत के लिए पैसे की क्या कमी। सो राजा सरकार जी ने भी उस मैना को महंगी कीमत में सैकड़ों की तादाद में खरीद लिया और उसकी जगह जगह तैनाती कर दी।

कहानी सुना कर बेताल ने राजा विक्रमादित्य से पूछा, "राजा, तुमने भी राज किया है। राजा बताओ कि राजा सरकार जी को इतने सारे पालतू तोते-मैना की आवश्यकता क्यों पड़ी। यदि तुमने जानते हुए भी इस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया तो मैं तुम्हारे सिर के टुकड़े टुकड़े कर दूंगा"।

राजा विक्रमादित्य ने सोच कर उत्तर दिया, "बेताल, तुम्हें तो सभी प्रश्नों के उत्तर स्वयं ही मालूम होते हैं। मेरे मुंह से क्यों सुनना चाहते हो। राजाओं को इन तोते मैना की जरूरत अपने विरोधियों को चुप कराने के लिए होती है। आम तौर पर राजाओं का काम एक या दो तोते से ही चल जाता है पर सरकार जी विरोध का स्वर जरा भी बर्दाश्त नहीं कर पाता था इसलिए उसे कई पिंजरे में बंद की तोतों के अलावा विदेशी मैना की भी जरूरत पड़ी"।

इतना सुनते ही, बेताल ने कहा "राजा, तुमने बिल्कुल ठीक उत्तर दिया। लेकिन तुमने बोल कर मौन भंग कर दिया इसलिए मैं वापस जा रहा हूं"। और बेताल उड़ कर वृक्ष की टहनी पर लटक गया।

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

इसे भी पढ़ें : विक्रम और बेताल: राजा जी का जासूसी कांड

tirchi nazar
Satire
Political satire
Pegasus
Pegasus spyware
Narendra modi
BJP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License